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शापित खज़ाना - 6

बुजुर्ग की बात सुनकर सिपाही अपने सीने पर दाहिना हाथ लगाकर झुक जाता है और तेज कदमों से वहां से निकल कर अपने घोड़े के पास जाकर उसपर जल्दी से बैठ घोड़े को दौड़ते हुए पहाड़ो की दर्रों में निकल जाता है ।

दूसरी तरफ अब जगदीश तूफान से बाहर उसी मुर्दो के जंगल मे पहुच गया था अब भी उसके कुछ लोग सही सलामत थे और मशीन गन तथा 2000 के मोर्डन ज़माने के लेट्स हथियारों का माल समान भी वह ले कर आने में कामयाब हो गए थे ।जगदीश के साथ अब प्रोफेसर प्राण का लेट्स टेक्नॉलजी कैमेरा उसके चश्मे,कपड़ो के बटन और जूते के साथ ही उस हर एक समान में लगवाए गए थे जो जगदीश अपने साथ ले गया था सभी कैमरे अपने आप रेकॉर्डिंग करने में बहौत ही बेहतरीन थे सभी कैमरों में मोशन सेंसर की वजह से जब इनके सामने हलचल होती तो यह रेकॉर्डिंग करना शुरू कर देते है । बस प्रोफेसर प्राण से अब इनका कनेक्शन खत्म हो गया था और इंटरनेट, या टावर जैसे भूल ही जाओ । जगदीश अब हैरान था वह बहौत ज्यादा थक गया था और उसके आदमी भी इस लिए सभी लोग पेड़ो की आड़ में जरा आराम करने लगते है तभी जगदीश का ध्यान एक हल्की रोशनी पर जाता है उसे भी रवि और करण की तरह वह भौरा जैसा चमकदार जुगनू दिखाई देता है पर जगदीश उसे नजर अंदाज कर अपनी सिगार जेब से निकाल कर जला लेता है । जैसे ही सिगार के कश लेने लगता है वह मुर्दा जंगल फिर से एक बार अपना असली चेहरा दिखाने लगता है पेड़ो के तने धीरे - धीरे चर.. चर करते हुए खुलने लगते है जिनमे से वही चिपचिपा तेल जैसा कोई द्रव्य बाहर निकल कर बहने लगता है जो जगदीश के साथ आये उसके लोगो के जूतों को भी गीला करने लग जाता है । इस तरह से जगदीश के एक आदमी की नजर उस चिपचिपे तेल वाले द्रव्य पर जाती है तो वह अपना पैर देखकर यहा वहां देखता है कि कहा से आ रहा है यह पर जब उसकी नजर पास के ही एक बड़े पुराने पेड़ पर पड़ती है तब वह हैरानी से उस पेड़ के पास पहुच जाता है और अपने हाथ से पेड़ के दरार को छूने लगता है कि तभी वह पेड़ के अंदर की दरार अचानक खुल जाती है और एक इसी तेल में लिपटा मुर्दा उसका हाथ ही अपने मुह से काट लेता है ऐसे काटता है कि उसकी चारो उंगलिया ही नही बचती ,उंगलियों के कटते ही वह आदमी जोर से चिल्लाता है जिसे सुनकर उसके पास एक दूसरा आदमी दौड़कर आता है और पेड़ के तने पर लगे खून को देखकर अंधाधुंध आटोमेटिक मशीन गन से पेड़ पर गोलियों की बौछार कर देता है । इस फायरिंग और चिल्लाने की आवाज को जगदीश और दूसरे लोग भी सुनकर दौड़ते हुए वहां आते है और आसपास के पेड़ों पर सभी गोलीयों की बौछार करने लग जाते है तभी जगदीश सबको रोकते हुए कहता है ।

जगदीश

रुक जाओ सब ...आखिर हो क्या रहा है यहां..

उसकी बात सुनकर जगदीश का एक आदमी जिसका हाथ की उंगलियां कटी थी वह बोलता है

सर..ये देखो मेरा हाथ इस पेड़ के अंदर के मुर्दे ने काट खाया है ..इस जंगल के पेड़ों में मुर्दे है और वह अभी मेरा आह..हाथ की उंगलियां काट चुका है ..।

जगदीश गौर से उसके हाथ को देखने लगता है तभी उसे महसूस होता है कि उस आदमी का हाथ अब धीरे धीरे सड़ने लगा है तब जगदीश बिना देर किए अपनी बंदूक से उसके सर में गोली मार कर उसे मार देता है ।जिसको देख जगदीश के लोग अब सहम जाते है ।सबको देखकर जगदीश कहता है ।

इसको इंफेक्शन हो गया था...उसका हाथ अब सड़ने लगा था और वह दूसरों को भी इन्फेक्टेड करता इसके पहले हसे मरना जरूरी था ।

जगदीश अब इस जंगल को गौर से देखने लगा तब उसे भी वही चिपचिपे तेल का अहसास अपने जूतों पर होने लगा और अब इतने शोर के बाद जंगल के मुर्दे जागने लगे थे । पूरे ही जंगल के पेड़ के अंदर से यह चिपचिपा तेल निकलने लगा था ,जिसे देख जगदीश भी अपनी गन हाथ मे पकड़ कर गोलीबारी के लिए तैयार हो गया और उसके लोग भी जिसका कोई फायदा उन्हें नही होने वाला था क्यो की इन लोगो के चारो तरफ ही यह जंगल अब जाग गया था ,हर पेड़ से एक मुर्दा बाहर निकल रहा था मानो की किसी मुर्गी के कई अंडो से मुर्गी के छोटे बच्चे बाहर आ रहे हो । जल्द ही जगदीश को भी यह बात समझ मे आ गई और उसने सबको लगभग चिल्लाने वाले लहजे में कहा ।

पेड़ो से दूर रहो..अपना सामान उठाओ ओर इस जंगल से बाहर निकलो जल्दी..।

यह बोलकर जगदीश जंगल से भागने लगा उसके लोग भी अब जंगल से जितना दूर भाग सके उतना भागने की कोशिश करने लगे पर यह तो जंगल खत्म ही नही हो रहा था अब हालात ऐसे थे कि मुर्दे इनके सामने ,आगे पीछे सभी जगह इन्हें पकड़ने की कोशिश कर रहे थे ।जिसमें जगदीश के कुछ लोग भी मारे गए पर बाकी लोग गोलियां चलाकर जैसे तैसे अपनी जान बचाने के लिए लड़ भी रहे थे और भाग भी रहे थे । पर इन मुर्दा जंगल के मुर्दो पर गोलियां सिर्फ कुछ ही समय तक अपना असर कर रही थी थोड़ी ही देर बाद यह मुर्दे तो ठीक हो कर अपने भयानक चिपचिपे तेल के साथ फिर से इनके पीछे पड़ रहे थे । काफी घण्टो बाद अब इस जंगल के आसमान में अंधेरा होने लगा था जगदीश और उसके लोग अपनी जान बचाने की हरेक कोशिश कर रहे थे । ठीक इसी समय जगदीश को किसी पानी के झरने की आवाज़ का एहसास होता है और वह सबको अपने पीछे आने का कहते हुए पानी के आवाज की तरफ दौड़ जाता है ।यह वही झरना था जहां रवि और करण ने छलाँग लगाई थी और वह नागा पहाड़ो के मैदानों में पहुचे थे । जगदीश इस झरने के दूसरे साइड था ।यह झरना एक पहाड़ के दोनों साइड गिर रहा था अब जगदीश ने इस झरने को देख लिया था और वह सबको इसमें कूदकर आने कहता है और पूरी ताकत से झरने में कूद जाता है । जगदीश के देखा देखी उसके लोग भी यही करते है सब लोग झरने में कूद जाते है ।


सूर्यनगर में अब सुबह हो चुकी थी ,सूर्यनगर अब साफ नज़र आ रहा है सूर्यनगर बड़ी सी एक नदी के किनारे बसा हुआ काफी बड़ा राज्य है जहां यह साफ दिखाई दे रहा है कि नदी के नीले विशाल शांत धाराओं के किनारों पर सूर्यनगर के सरहद की बड़ी बड़ी दीवारे और इन विशाल दीवारों पर खड़े सैनिक सरहद की रक्षा कर रहे है इस विशाल और लंबी दीवार में एक विशालकाय नकाशीदार दरवाजा है जहां बिस से ज्यादा सैनिक इसकी रखवाली कर रहे है तलवारो , तीर धनुष के साथ ही कुछ सैनिक भाले भी लिए हुए है । इस नदी से एक पुराने बनावट की नाव किनारे लगी थी जिसमे से कुछ व्यपारी अपना सामान निकलने में लगे हुए थे जो उनके नोकर ,ग़ुलाम उतार रहे है और कुछ व्यापारी अपने बारे में सेनिको को बता रहे है जहां यह पता चल रहा है कि सभी व्यपारी सूर्यनगर में व्यापार करने आये है और सैनिक को अपने व्यापारी होने के लिए राज्य पत्र के प्रमाण दिखकर समान अंदर ले जाना चाहते है जिसे कुछ सैनिक तलाशी भी कर रहे थे । एक व्यपारी सैनिक से कहता है।

सिपाही मै व्यपारी हु दूर समंदर को पार कर आपकी सूर्यनगर की रियायत में व्यपार करने आया हु।यह मेरा आपके रियासत ने दिया आमंत्रण पत्र है ।

सैनिक उसके द्वारा दिया गया वह कपड़े पर सूर्यनगर के ठप्पे वाला आमंत्रण देखता है और उसे अंदर जाने की इजाजत देता है । जिसके बाद वह विशालकाय दरवाजा खुलने लगता है और अंदर का नजारा इतना भव्य था मानो यहां शिल्पकारों की कोई कमी ही नही दरवाजा खुलते ही विशाल महलो ,बड़े बड़े खूबसूरत घरों और इनमें गार्डन वाकई तारीफ करने लायक बनाया गया था हर महल ,घर पर सुंदर नकाशीदार काम मानो इन पिले पत्थरो से घर ,महल नही बल्कि स्वर्ग की हु ब हु कॉपी कर बनवाया गया है ।व्यपारी अपने लोगो के साथ एक घोड़े गाड़ी पर ढेर सारा सामान लेकर अंदर जाते समय अचानक ही रुक जाता है और सिपाही को कहता है ।

हा सुनो जब मै हेमालि नदी में सफर कर किनारे आ रहा था तब दक्षिण के एक किनारे पर मैने कुछ लोगो को देखा है ..किनारे सोये पड़े थे उनके पास समान भी कुछ था अब ज्यादा दूर से देख नही पाया ..पर मुझे लगता है कि कोई व्यपारी ही होंगे जिनकी नाव डूब गई या कल रात के तूफान में भटक गई हो...तुम सूर्यनगर के सैनिक हो सोचा बताते जाऊ ..

व्यपारी की बात सुनकर सैनिक ने दूसरे सैनिक को बुलाकर दक्षिण में कुछ लोग होने की बात कही और सबको लाने के लिए कहा ।अब वह सैनिक बिस और सेनिको को बुलाकर अपने साथ ले गया ।

सूर्यनगर का रानी महल के अंदर रानी के आराम कक्ष में रानी की एक सेविका आकर पहले रानी को सर झुकाकर बताती है ।

सरहदी महल के जादूगर बुजुर्ग ने एक सिपाही को भेजा है कुछ सन्देश है जरूरी ।

उसकी बात सुनकर रानी की आवाज़ ही उस कक्ष से बाहर सुनाई दी थी ।

मेनका ..सिपाही से कहो कि गुप्त कमरे में रुके हम आ रही है..।

रानी की सेविका ने नीचे गर्दन झुका रखी थी इस लिए वह हा में सर हिलाकर तुरंत वहां से निकल जाती है ।

रानी अपने कमरे में बिल्कुल नग्न फूलो में लेटी हुई थी जहां एक दूसरी सेविका उसका मसाज करने में लगी थी ।सेविका के सन्देश वाली बात पर वह वैसे ही उठ खड़ी हुई और सामने बड़े से सोने से बने आईने के आगे थी इस आईने में शीशे को सोने से घेर कर बनाया गया था जिसमे रानी का पूरा शरीर साफ नजर आ रहा था रानी बहौत ही खूबसूरत थी और कमाल की शरीर की मालिक भी आइने के सामने खड़े उसके शरीर की कामुकता और रानी की अय्याशी की हल्की झलक मिल जाती है पर रानी के बालों ने उसके पीठ से पैर के घुटनो तक शरीर को ढक रखा है जिससे वह नग्न होते हुए भी बालों से ढकी हुई थी । रानी थोड़ी ही देर बाद गुप्त कमरे में थी ।

।और वह सैनिक बुजुर्ग जादूगर के लाये सन्देश को रानी को बता देता है । थोड़ी देर तक रानी शांत रहती है सैनिक रानी को अपना सर झुकाकर कहता है

मेरे लिए अब क्या आदेश है महारानी जी..

उसे देखकर रानी मेनका को कहती है

हमारे इस सैनिक ने बहौत अच्छा कार्य किया है ..इसके लिए हम चाहते है कि सैनिक को हमारे लिए तैयार किया जाए…

रानी की बात सुनकर वह सैनिक जरा डरने लगता है और उसके पास मेनका एक ग्लास में कुछ पिने के लिए सैनिक को देती है । सैनिक घबराते हुए ग्लास मुह से लगा लेता है और एक बार मे ही अंदर के शर्बत को खत्म कर रानी के सामने फिर झुक जाता है । मगर शर्बत पीने के बाद अब उसे चक्कर आने लगते है और वह बेहोशी में चला जाता है ।उसके बेहोशी में जाने कब बाद रानी उसके नजदीक आ कर उसे सर से पैर तक देखने लगती है सैनिक काफी तगड़ा व्यक्ति था ऊँचा लंबा । वह अब मेनका को देखकर अपने महल निकल जाती है ।

नागा पहाड़ो के कुंड के पास अब रवि ,करण राका और वाली प्रोफेसर के दिए गए चमड़े के नक्शे को देख रहे है जहां एक जगह सिर्फ कुछ पहाड़ और महल के साथ त्रिशूल का निशान था जिसको देखने के बाद वाली ने रवि,करण और राका को कहा ।

ये देखो..यहां अगर हमे इन दोनों को रानी के खिलाफ खड़ा करना है तो यहां है.... देवताओ का नगर और यही है वह जगह जहां श्राप से छुटकारा देने वाला पवित्र जल का कुआं है जो इसी देवताओ के नगर में कही है ।

उसकी बात पर राका खुश हो जाता है और कहता है।

तो ..आख़िर नक्शा भी मिल गया ..

अब जल्दी देवताओ के नगर जा कर कुँए को खोजते है ..

जब राका यह बोल रहा था तब वाली उसे शांति से देख रहा था इसको समझ कर राका चुप हो जाता है और पूछता है।

क्या हुआ वाली ..तुम खुश नही हो..बताओ तो क्या बात है?

वाली बताना शुरु कर देता है।

इतना आसान नही है...भले ही यह दोनों भविष्य से आये है ...फिर भी ..पवित्र जल का कुआँ देवताओ के सेवक छोटे छोटे बौने की हिफाजत में है ..जो इच्छाधरी सर्पो को पकड़कर ..उनसे अपना काम करवाते है...और हमारी प्रजती पर अत्यचार भी करते है …

अब करण ने यह सुनते ही कहा

क्या?..बौने मतलब बूतके मतलब छोटे ,नाटे लोग क्या..?

वाली ने हा में सर हिलाकर कहा ।और ऊसके बाद राका ने गहरी सांस खीचकर बोलना शुरू किया ।

हम्म्म्म.. इनको मै तो भूल ही गया था ..देखो यह छोटे है पर देवताओ ने इनपर सबसे ज्यादा भरोसा किया था वो इस लिए की दुनियादारी से इनको कोइ मतलब,लोभ लालच नही होता है ..यह लोग बस खुश रहते है किसी भी कीमत पर भले दुसरो पर ….

राका बोलते हुए चुप हो जाता है और पीछे से राका की लड़कियां आगे आ कर नैनी कहती है।

कुछ भी हो जाए यह मौका 500 वर्ष बाद आया है हम भी इन दोनों मनुष्यो के साथ जाएंगे ..और उन बौनों को पहले समझाएंगे नही समझे तो उनसे लड़कर ही सही पवित्र जल का कुआँ कब्जा करेंगे हमारे प्रजती के लिए...



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