भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 23 Kishanlal Sharma द्वारा जीवनी में हिंदी पीडीएफ

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भूली बिसरी खट्टी मीठी यादे - 23

सन 1972 मे भारत और पाकिस्तान का युद्ध हुआ था।जैसा पहले बताया।3 दिसम्बर को पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया था।जिसका जवाब भारत ने 4 दिसम्बर से देना शुरू किया।बाद में इस युद्ध का विस्तार हुआ और भारतीय फौज ने मुक्ति वाहिनी जे साथ मिलकर बंगला देश का युद्ध लड़ा था।इस युद्ध से पूर्वी पाकिस्तान पाकिस्तान से अलग हो गया।और दुनिया के नक्शे पर बंगला देश नाम के नए देश का उदय हुआ था।
इस युद्ध मे पाकिस्तान की बुरी तरह पराजय हुई थी।और पाकिस्तान की सेना के 93000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया था।यह तब तक इतिहास में सब से बड़ा समर्पण था।इस युद्ध के बाद शेख मुजबीर रहमान बंगला देश के पहले राष्ट्रपति बने थे।जिनकी बाद में हत्या हो गयी।
जैसा मैंने पहले भी बताया मेरे साथ रमेश रहता था।हम दोनों कई बार रात के नौ बजे वाला शो देखने भी गए।नया जमाना फ़िल्म इनमें से एक है।
आगरा में उस समय कई सिनेमा हॉल थे।बाद में भी कई जैसे शाह,अंजना,सूर्या,नटराज आदि बने।अब ज्यादातर बन्द पड़े है।
सन 72 में राम बरात पहली बार देखी।आगरा की रामभरत पूरे उत्तर भारत मे मशहूर है।जनकपुरी बनाई जाती है।हर साल तय होता है राजा जनक कौन बनेगा।जो जनक बनता है उसी तरफ जनकपुरी बनती है।लगातार इसमें सुधार के साथ भव्यता का समावेश हो रहा है। दूर दूर से लोग आगरा की रामबारात देखने के लिए आते हैं।पहले रामबारात वाले दिन सिनेमा हॉल में 7 शो होते थे फिर 6 होने लगे।उस दिन सब लोग मकान के रामबारात देखने के लिए गए थे।मैं और मकान मालकिन और उसकी बेटी नही गए थे।
सन 1973 कुछ और वजह से भी याद रहेगा।मैं अपनी बीएस सी की पढ़ाई अधूरी छोड़कर आया था।इस आफिस से पहले भी कई लोग पढ़ाई करके दूसरी नौकरी में जा चुके थे।जे सी शर्मा अभी पढ़ रहा था।
उस समय सेंट जोहन्स कालेज के प्रिंसिपल इटीरिया साहब थे।वह नैनीताल जाते थे।उनका रिज़र्वेशन जे सी शर्मा कराता था।छोटी लाइन के प्लेटफॉर्म पर वेटिंग रूम था।लेकिन इटीरिया साहब जब भी ट्रेन से जाते वह बुकिंग ऑफिस में ही बैठते थे।
उस दिन जे सी शर्मा और मैं दोनो ड्यूटी पर थे।जे सी शर्मा ने मेरा परिचय कराते हुए।मेरे एड्मिसन के बारे में कहा।और 2 दिन बाद वह लौटकर आये तब जे सी शर्मा मुझे उनके पास ले गया और मेरा बी ए में एडमिशन हो गया।और मैं कॉलेज जाने लगा।उस समय मे कुलदीप,कमला पांडे,श्रीभगवान शर्मा,रेनिक,चयुर्वेदी आदि लेक्चरर के सम्पर्क में आया।
ज्यादातर मैं शाम की या रात ड्यूटी करता ताकि कालेज जा सकू।अगर सुबह की ड्यूटी होती तो दस बजे बाद बड़े बाबू मेहताजी मेरी खिड़की को देखते और मैं एक बजे बाद अपनी ड्यूटी का काम पूरा करता।
सन 1973 उतर प्रदेश की पुलिस के विद्रोह के लिए भी याद किया जाता है।यह विद्रोह कमलापति त्रिपाठी के राज में हुआ था।जो कई जिलों तक फैल गया।इस विद्रोह को दबाने के लिए सेना को बुलाना पड़ा था।कई लोग इस विद्रोह में मारे गए थे।अनेक पुलिस के कर्मचारी बर्खास्त भी किये गए थे।उस समय बड़ा राजनीतिक उथल पुथल का दौर भी चल रहा था।जे पी आंदोलन और आरक्षण विरोध की आग सुलग रही थी