The Author vishvnath yadav फॉलो Current Read बात बिगड़ी हैं कुछ इस तरह - 6 By vishvnath yadav हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books जंगल - भाग 10 बात खत्म नहीं हुई थी। कौन कहता है, ज़िन्दगी कितने नुकिले सिरे... My Devil Hubby Rebirth Love - 53 अब आगे रूही ने रूद्र को शर्ट उतारते हुए देखा उसने अपनी नजर र... बैरी पिया.... - 56 अब तक : सीमा " पता नही मैम... । कई बार बेचारे को मारा पीटा भ... साथिया - 127 नेहा और आनंद के जाने के बादसांझ तुरंत अपने कमरे में चली गई... अंगद - एक योद्धा। - 9 अब अंगद के जीवन में एक नई यात्रा की शुरुआत हुई। यह आरंभ था न... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास vishvnath yadav द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 6 शेयर करे बात बिगड़ी हैं कुछ इस तरह - 6 (2) 1.6k 4.6k सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। बहुत खुश थे हमलोग ।अब हमलोग बात थोड़ा ज्यादा करने लगे थे। अब तो कोई रोक टोक करने वाला भी नही था। मुझे कभी ऐसा महसूस नहीं हो रहा था की हमलोग गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड हैं। कुछ दिन के बाद मैं उनके घर गया था। उनके मम्मी पापा से मिलने । ये मेरा पहली बार था उनके घर पे। मैं थोड़ा सा घबराया हुआ था।। लेकिन सब कुछ अच्छा रहा । इसके बाद से हमलोग बहुत करीब हो गए थे। इतना दिन होगया था लेकिन आज तक अंजली मुझ से कभी गुस्सा नही हुई थी। हमेसा मैं ही गुस्सा होता था। और हमेसा वो ही मानती थी। और कहती थी। आप ऐसे मुझ से गुस्सा मत हुआ कीजिए। जिस दिन आप से बात नही होती है। उस दिन लगता हैं मेरा जिंदजी ठहर सा गई है। ये सुन के कितना अच्छा लगता था। मैं आपको बता नही सकता हु। मतलब वो जो feelings था अलग ही था। उस समय मैं सोचता था क्या सच में कोई किसी से इतना प्यार कर सकता है। क्या सच में लोग प्यार में कुछ भी कर जाते है। ये सब सोच के दिल भर आता था। और मेरा प्यार उसके परती और भी बढ़ जाता था। फिर भी बीच बीच में ऐसा कुछ हो ही जाता था जिसके वजह से मैं गुस्सा हो ही जाता था। ।। क्या है ना प्यार में झगड़ा होना भी बहुत जरूरी होता है। लेकिन ज्यादा नहीं। हमलोग का भी कुछ ऐसा ही होता था। लेकिन मुझे धीरे धीरे इस बात का घमंड हो गया था। की ये बस मेरी है और मेरी ही रहेगी ।। कुछ दिन ऐसे ही रूठना माना लगा रहा। कुछ दिन बाद उसका exam होने वाल था। तो वो देर रात तक पढ़ती थी। लेकिन सोने से पहले मुझे फोन जरूर करती थी। और बोलती थी अब मुझ से थोड़ा बात कीजिए । और उस समय मैं नीद में रहता था। तो मेरे लिए थोड़ा मुस्कील रहता था। लेकिन थोड़ा देर ही सही बात तो करते ही थे। कुछ दिन बाद उसका exam हुआ। फिर result आया तो 68% । मेरे नजर में तो अच्छा ही नंबर था। लेकिन उसके लिए कम था। बहुत रो राही थी और बोल रही थी। आपके वजह से मेरा कम नंबर आया। उसके बाद उसके मम्मी भी यही बोल रहे थे। आपके वजह से ही इतना कम नंबर आया है। आप बात करने के चक्कर में उसका समय बर्बाद कर दिए। और ये सच था ।। उसके बाद से वो medical का फॉर्म भरी और फिर उसका तैयारी कर रही थी। कुछ दिन तक तो मेरे से बहुत कम बात की फिर से थोड़ा ज्यादा ही होने लगा। उसके बाद एक दिन अंजली का फोन आता है। और बोलती है। आप मुझ से शादी कब कर रहे हो। मैने बोला अचानक से ये क्या बोल रहे हो। वो बस एक ही बात का रट लगाए बैठी थी। कब कीजिएगा वो बताए। मैं बोला जब आपका पढ़ाई पूरी हो जायेगी तब। तो बोलती हैं नही मुझे अभी करनी है। इसी साल में आप मम्मी से बात करो।। मैं बोला ऐसे कैसे होगा अभी।। अभी तो मुझे घर बन्ना है फिर शादी। तो बोलती है। ठीक है जल्दी से घर बनाए और शादी कीजिए।। मैं बोला ठीक है। तो बोलती हैं ठीक है नही घर बन्ना कब से चालू कर रहे हो। मैं बोला अरे थोड़ा समय तो दीजिए ।। वो बस एक ही बात को लेके बैठी थी।। अब मैं अपने मन से तो ये सब कर नही सकता था।। उसके लिए तो मुझे अपने घर में बात करना पता। और शादी तो बिल्कुल भी नही कर सकता था।। क्योंं की मुझ से छोटी एक बहन है। पहले उसका होगा तब ही मेरा होगा ऐसा मेंरी मम्मी बोलती थी। और ऐसा होना भी चाहिए। लेकिन अंजली बहुत जिंद कर रही थी शादी को लेके तो मैंने बहुत हिम्मत कर के घर में बोला तो मम्मी पापा भी मान गए । फिर मैंने घर बन्ना चालू कर दिया।।तब तक अंजली का medical का exam भी होगया और उसका Result भी आगया और उसको एक अच्छा colloge मे सलेक्शन भी होगया। लेकिन इस समय तक मेरा घर पूरे तरीके से बना नही था। और अंजली का कोर्स 4 साल का था। और बीच में तो शादी कर नही सकते थे। मैने सोचा चलो अच्छा है। 4 साल में तो मेरा जो target है वो सब complete हो जायेगा। कॉलेज जाने से पहले हमलोग मिले थे सब थे अंजली के मम्मी पापा उसकी बहन यानी की all family थे।अंजली मुझे बोल रही थी। अब कैसे बात कीजिए कॉलेज में मोबाइल allow नही है। बस sunday को ही मोबाइल देता है। मैं बोला ठीक है तो sunday को ही बात करेगे तो वो बोलती हैं नही मुझ से नही होगा। मैं आपसे बात किए बिना कैसे रहूंगी बहुत ही उदास होके बोली। मैं बोला अरे 4 साल के बात है बस उसके बाद तो पूरी जिंगदी मेरे साथ ही रहना है आपको। इसीलिए ज्यादा मत सोचिए। फिर बोली जब मैं कॉलेज जाऊंगी तो आपको आना परेगा मैं बोला शायद मैं नई आपाउगा क्यों की मुझे छुट्टी नही मिलेगी इतना जल्दी । क्यों की उसको अगले महीना ही जाना था। ‹ पिछला प्रकरणबात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 5 Download Our App