Things have gone wrong like this - 2 books and stories free download online pdf in Hindi बात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 2 (2) 1.6k 3.1k उसके बाद सब लोग शादी में मगन थे । मंडप में शादी का रस्म चल रही थी। और मैं एक कोने में एक कुर्सी पे बैठ के उसका इंतजार कर रहा था और घर के गेट को में बार बार देख रहा था दो से तीन घंटा इंतजार करने के बाद करीब 3 बजे वो मंडप के तरफ आते दिखी । उसको देखते ही समझो मैं ख्वाबों में खो सा गया उसे ही देखते रह गया । उसके बड़ी बड़ी सी आंखे उसके काले सुनहरे बाल। एकदम हुसन के पारी जैसी दिख रही थी। बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उसे देखते ही मैं सपनो में खो गया था। और मन ही मन में सोच रहा था इसी के लिए में अब तक सिंगल था। और ये भी सोच लिया था अब अपनी पूरी जिंदगी इसके साथ ही बिताना है। वो जो बोलता हैं ना Love at first sight बस वही मेरे साथ होगया था। इतने में उसकी नजर मेरे पे पारी तो वो थोरी सी मुस्कुराई और फिर घर के तरफ चल गई । अब मुझे उसे बात करने का मन कर रहा था। कैसे करू कैसे करू सोचते सोचते मैने उसके नंबर पे कॉल किया कोई नही कॉल उठाया फिर मैने मैसेज किया उसका भी कोई जवाब नही आया । फिर मेरे से रहा नही गया तो मैने पानी पीने के बहाने उसके घर के तरफ जाने लगा 10 से 15 कदम जाने के बाद ही देखा की वो गेट के सीढ़ी पे बैठी थी एक बच्चा को लेके। फिर मैने पीछे से ही उसे देख रहा था फिर उसकी नजर जैसे ही मुझ पे पारी तो वो हंसते हुए घर के अंदर जाने लगी इतने में मैंने उसके गोद से बच्चा को ले लिया और फिर मंडप के पास जाके बैठ गए, कुछ देर बात मुझेे मालूम हुआ वो बच्चा उसका भाई है वो भी मस्त था लग रहा था जैसे मुझे जनता है मेरे साथ खेलने लगा थोड़ा भी नही रोया । करीब एक घंटा बाद वो फिर मंडप के पास आई और चुप चाप से बैठ के शादी देख रही थी और कभी कभी मुझे देख रही थी । फिर सुबह हो गई और तब तक शादी भी खत्म होगई और दुल्हन के बिदागरीर का समय होगया था । लेकिन उस समय भी मैं यही सोच रहा था अब इसके बाद कब मिलुगा उस से पता नही। उसके बाद जब दुल्हन को लेके सब गाड़ी में बैठने जा रहे थे तभी फिर मैं उसको देखा। सबलोग रो रहे थे वो भी थोरी थोरी रो रही थी। उसके बाद हमलोग सब घर आगाये आने के बाद भी में उसके बारे में ही सोच रहा था और अपना मोबाइल बार बार देख रहा था उसका कोई कॉल या मैसेज तो नही आया। ऐसे ही करते करते 3 तीन बीत गया और कोई कॉल या मैसेज नही आया था। चौथे दिन के रात को करीब 10 बजे मेरे नंबर पे कॉल आता है और मेरे भाभी ने कॉल रिसीव कर लिए तो मेरे भाभी पूछने लगे अंजली से तुम इस नंबर पे कॉल की तुमको कैसे पता की विकेश का मोबाइल मेरे पास है तो वो थोड़ा घबरा गई और फिर बोली मम्मी आप से बात करेगी इसीलिए मैंने कॉल किया विकेश जी के नंबर पे। भाभी बोले ठीक है। वोलोग जब बात कर लिए तो मैने भाभी से मोबाइल लिया । और फिर अपने छत पे चला गया और तुरंत उसको मैसेज किया । और उसका जवाब का इंतजार करने लगा 5 मिनट के अंदर उसका जवाब आगया। उस दिन पहली बार हमदोनो ने पूरी रात मैसेज पे बात किया। वो पल मेरे लिए बहुत खुशी का पल था सुबह का 5 बज गया फिर भी हमलोग का बाते खत्म नही हो रही थी 😊😊🤗 ‹ पिछला प्रकरणबात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 1 › अगला प्रकरणबात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 3 Download Our App अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी फिक्शन कहानी हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी vishvnath yadav फॉलो उपन्यास vishvnath yadav द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 6 शेयर करे आपको पसंद आएंगी बात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 1 द्वारा vishvnath yadav बात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 3 द्वारा vishvnath yadav बात बिगड़ी हैं कुछ इस तरह - 4 द्वारा vishvnath yadav बात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 5 द्वारा vishvnath yadav बात बिगड़ी हैं कुछ इस तरह - 6 द्वारा vishvnath yadav NEW REALESED Love Stories राधा? - 2 विधर्मी Horror Stories भुतिया एक्स्प्रेस अनलिमिटेड कहाणीया - 20 Jaydeep Jhomte Mythological Stories कीचक Renu Book Reviews रत्नावली उपन्यास रोचकता से भरपूर रामगोपाल भावुक ramgopal bhavuk Horror Stories भयानक यात्रा - 16 - थाने में एफ आई आर। नंदी Moral Stories कंचन मृग - 16. जौरा यमराज को भी कहते हैं Dr. Suryapal Singh Moral Stories उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti Anything नन्हा बच्चा दिनेश कुमार कीर Love Stories शुभ प्रेम Komal Patel Book Reviews बुआ का गाँव -सुरेन्द्र पाल सिंह ramgopal bhavuk