अमायरा पूरा दिन चिड़चिड़ी रही। उसने कह तोह दिया था की वोह चलेगी महिमा के पेरेंट्स के घर डिनर के लिए लेकिन उसे समझ नही आ रहा था की वोह कैसे बिहेव करेगी और उन लोगों ने उसे क्यों इनवाइट किया। आखिर उसने उनकी बेटी की जगह ले ली थी, जो की सच नहीं था, पर उनके लिए तो था, इसी वजह से उसे डर लग रहा था उन लोगों से मिलने में। उसे नही पता था की डिनर के वक्त अगर किसी वजह से वोह अकेली हुई तोह वोह लोग उसके साथ कैसा बरताव करेंगे। कल तोह वोह लोग बहुत अच्छे से मिले थे उससे, लेकिन उस वक्त काफी सारे गेस्ट्स भी थे। आज की रात कोई गेस्ट नही होगा, इसलिए अमायरा घबरा रही थी की क्या होगा उसके साथ वहां। कबीर ने उसे सुबह पूछा था की क्या वोह कंफर्टेबल है वहां जाने के लिए, अगर वोह चाहती है तोह वोह कैंसल कर सकता है वहां जाना और कह देगा की ऑफिस में कुछ इमरजेंसी आ गई थी इसलिए नही आ पाएंगे। पर अमायरा ने माना कर दिया ऐसा करने से। और अब वोह डर रही थी जैसे जैसे वहां जाने का समय नज़दीक आ रहा था। वोह इस वक्त अनाथ आश्रम में थी और चाह रही थी वक्त धीमे गति से चले या यहीं थम जाए क्योंकि उसने और कबीर ने डिसाइड किया था की कबीर उसे अनाथ आश्रम में लेने आएगा और वहीं से दोनो साथ में महिमा के घर जायेंगे। जैसा की वक्त कभी किसी के लिए रुकता नही, थमता नही, वोह समय भी आ गया था। वोह अनाथ आश्रम से बाहर निकली, कबीर बाहर गाड़ी लिए खड़ा था। अमायरा चुपचाप जा कर गाड़ी में बैठ गई। कबीर ने देखा की अमायरा ने पीले रंग का सलवार सूट पहना हुआ है। कबीर उसे देख कर मुस्कुरा गया। वोह जनता था की अमायरा ने यह इसलिए पहना है क्योंकि वोह दोनो महिमा के पेरेंट्स के घर जा रहे थे। और कबीर ने कल उससे कहा था की ट्रेडिशनल कपड़े पहन ना महिमा के पेरेंट्स के घर जाने के लिए। पर अमायरा ने आज भी ट्रेडिशनल पहना था।
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अब बताओ मैं तुम्हे क्यूं ना प्यार करूं अमायरा?""एनीथिंग रॉन्ग?" अमायरा ने कबीर के चकित भाव को देखते हुए पूछा।
"नो। नथिंग। लेट्स गो।" कबीर ने गाड़ी तुरंत स्टार्ट कर दी। थोड़ी ही देर में वोह महिमा के पेरेंट्स के घर पहुँच चुके थे।
महिमा के पेरेंट्स ने बहुत ही प्यार से अमायरा से बात की थी। उसे बिलकुल भी महसूस नही होने दिया की वोह उसके पति के एक्स फिआंसे, बल्कि डैड एक्स फिआंसे के पेरेंट्स हैं। पर फिर भी अमायरा घबराई हुई थी और बहुत असहज महसूस कर रही, लेकिन चेहरे पर झूठी मुस्कान बनाए हुए थी।
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एनीथिंग फॉर यू, मिस्टर खड़ूस!" अमायरा मन ही मन मुस्कुरा रही थी। वोह जहां तक हो सके अपने आप को हिम्मत देने की कोशिश कर रही थी।
उन चारों ने चुपचाप डिनर किया और जब खाना खतम हुआ तोह कबीर महिमा के बाबा के साथ स्टॉक मार्केट से रिलेटेड कुछ बात करने लगे। इधर अमायरा ने सोचा की यह गुड मैनर है की मैं इस बूढ़ी औरत की टेबल साफ करने में मदद कर दूं। तोह वोह डाइनिंग टेबल पर से बर्तन उठा कर किचन में रखने में महिमा की अम्मी की मदद करने लगी। जब सब हो गया तोह महिमा की अम्मी ने अमायरा को बालकनी में चलने के लिए और यही वोह एक्जैक्ट वक्त था जब वो घबराने लगी की कहीं वोह उसे कुछ भला बुरा न कहदे।
"मैं तुम्हे थैंक यू कहना चाहती थी, अमायरा।"
"थैंक यू! वोह किस लिए?" अमायरा कन्फ्यूज्ड हो गई थी।
"जब से महिमा हम सब को छोड़ कर गई है हमने देखा है की कबीर अब तक उससे जुड़ा हुआ है। कितनी बार हमने उस से कहा की सब भूल जा, और अपनी नई जिंदगी की शुरवात कर लेकिन हर बार वोह मना कर देता था। हमारा कोई बेटा नही है और कबीर ने हमेशा ही हमारा बेटा बन कर दिखाया है। उस से जुड़ कर हम बहुत खुश हैं। महिमा तोह कभी वापिस नही आ सकती लेकिन कबीर को उसकी यादों में जीता देख कर हमे बहुत दुख होता है। और अब जब हम उसे तुम्हारे साथ देखते हैं तोह हमे ऐसा लगता है की वोह फिर जीना सीख रहा है। अब वोह खुश दिखने लगा है। उसकी खुशी से बढ़ कर हमारे लिए और कोई खुशी नही है। मुझे बहुत खुशी है तुम्हारी जैसी लड़की ने मेरी महिमा की जगह कबीर की जिंदगी में ली है।" मिसिज चौधरी की आंखों में आंसू भर आए थे कहते कहते।
"उउह्ह.....आंटी.....हम....तोह.....हम....ऐसा नहीं....." अमायरा कहना चाहती थी की उसने महिमा की कोई जगह नहीं ली है। असल में सही मायने में वोह दोनो तोह पति पत्नी है ही नही। उन्हे तोह सिर्फ अपने परिवार की वजह से शादी करनी पड़ी थी। की कबीर आज भी सिर्फ उनकी बेटी से प्यार करता है और उसकी जगह कबीर जिंदगी से कोई नहीं ले सकता। पर वोह रुक गई उसे समझ नही आया की यह बात आंटी को बतानी चाहिए या नही।
"मैं जानती हूं, अमायरा। की यह शादी तुम दोनो ने बस दुनिया को दिखाने के लिए की थी, सिर्फ अपने परिवार की खुशी के लिए।" महिमा की अम्मी ने कहा और अमायरा चौंक गई।
अमायरा को समझ नही आ रहा था की वोह क्या फील करे, वोह राहत महसूस करे की उन्हे सब पता है या वोह गुस्सा हो की उन्हे वोह भी पता है जो की सिर्फ और सिर्फ कबीर और उसके बीच पर्सनल होना चाहिए था। मिसिज चौधरी उसकी मनोदशा समझ रही थी इसलिए उन्होंने आगे बोलना शुरू किया।
"तुम दोनो की शादी होने से पहले, वोह मेरे पास आया था, और मुझसे माफ़ी मांगने लगा की उसने महिमा को किया वादा तोड़ दिया। यही वादा की वोह कभी भी महिमा के अलावा किसी और लड़की से शादी नही करेगा। जब उन दोनो ने शादी करने का फैसला किया था तोह उन दोनो के अलग अलग धर्मों की वजह से हमें बहुत डर लगता था की कहीं आगे चल कर उन्हे अपनी जिंदगी में परेशानीयों का सामना न करना पड़े। मैने महिमा से कहा था की एक दिन कबीर को यह रिश्ता बोझ लगने लगेगा जब उसे यह एहसास होगा की महिमा उन लड़कियों जैसी नही है जैसा उसके परिवार वाले चुनना चाहते थे। वोह आया मेरे पास और उसने मुझे विश्वास दिलाया की यह मज़हब कभी भी उन दोनो के बीच नही आयेगा, की वोह कभी भी महिमा के सिवाय किसी से शादी नही करेगा। और फिर वोह उस दिन आया, तुम्हारी और उसकी शादी से पहले, मुझसे माफ़ी मांगने, मैं महसूस कर सकती थी की वोह अपने आप को कितना बेबस महसूस कर रहा था, पर चाहती थी की वोह अपनी जिंदगी को फिर एक चांस दे। मैं चाहती थी की वोह अपनी जिंदगी में आगे बढ़े क्योंकि उसे ऐसे दर्द में तड़पते हुए मैं नही देख सकती थी। मुझे बहुत खुशी है की उसे तुम मिली। और मुझे बहुत खुशी यह मानते हुए की मैं गलत थी जब मैने महिमा से कहा था की वोह उन लड़कियों से अलग है जैसा कबीर की फैमिली चाहती है क्योंकि तुम बिलकुल मेरी महिमा जैसी ही हो। वोही उत्साह तुम मैं भी है, जो उसमें था। और उसकी आंखें चमक उठती हैं जब भी वोह तुम्हे देखता है, बिलकुल वैसे ही जब वोह महिमा को देखता था। मैने इतने साल उसकी आंखों की वोह चमक बहुत मिस की।"
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