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Secret Admirer - Part 51

अमायरा धीरे से कबीर की गोद में बैठ गई और कबीर तोह बस हैरान रह गया। उसने उसका चेहरा अपने हाथों में भरा और धीरे धीरे अपनी उंगलियों से उसके गाल सहलाने लगी। ऐसा कुछ जो कबीर ने कभी एक्सपेक्ट नही किया था, इतनी जल्दी तोह बिलकुल नही।

"काम इंतज़ार कर सकता है। आप यह सब काम कल भी खतम कर सकते हैं।" अमायरा ने फुसफुसाते हुए प्यार भरी आवाज़ में कहा।

"क.....कल तोह फ्राइडे है। मैं तुम्हारे साथ दिया हुआ टाइम वेस्ट नही कर सकता।" कबीर ने ईमानदारी से कहा और अमायरा भावविह्वल हो गई। कबीर आज पूरा दिन डिस्टर्ब था फिर भी उसे याद था की कल उसे अमायरा के साथ पूरा दिन बिताना है।

"नही। आप कल ऑफिस जा रहें हैं। और आप यह काम वहां कर सकते हैं।"

"क्या? तुम कैंसल कर रही हो हमारी....."

"नही। मैं कैंसल नही कर रही हूं। मैं बस यह कह रही हूं की आप कल ऑफिस जाइए हम दोनो सैटरडे को बाहर चलेंगे, इनफैक्ट संडे को भी चलेंगे।"

"पर तुम्हारे अनाथ आश्रम का क्या होगा?"

"मैं कल मैनेज कर लूंगी और मंडे को भी। अब से हमारी डेट सिर्फ वीकेंड्स को ही होगी।" अमायरा मुस्कुराई।

"डेट?" कबीर ने गंभीर होकर पूछा।

"हां। डेट। चलिए काफी रात हो गई है सो जाते हैं। आप बहुत थके हुए लग रहें है। मैं नही चाहती की आप बीमार पड़ जाएं क्योंकि आप अपना बिलकुल भी ख्याल नही रखते। समझे मिस्टर खडूस?" अमायरा ने किसी स्ट्रिक्ट टीचर की तरह डपटते हुए कहा और कबीर मुस्कुराने लगा।

तभी कबीर का फोन बजा और दोनो का ध्यान उस तरफ चला गया। कबीर चौंक गया था कॉलर नेम पढ़ कर।

"यह.....यह महिमा की अम्मी का फोन है।" कबीर फुसफुसाया।

"उठाइए फिर।"

"हैल...... हैलो आंटी।" कबीर ने कॉल स्पीकर पर कर दिया था।

"तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया कबीर आने के लिए। यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात थी।" महिमा की अम्मी ने कहा।

"प्लीज़ ऐसा मत कहिए। आप जानती हो की आपको मुझे शुक्रिया कहने की बिलकुल भी जरूरत नही है। आप मेरे लिए हमेशा से ही मेरा परिवार हो," कबीर ने जवाब दिया।

"अगर हम परिवार हैं तोह, कुक मैं तुमसे कुछ पूछ सकती हूं?"

"हां, जरूर।"

"मैं चाहती हूं की तुम कल यहां आओ डिनर के लिए। अमायरा के साथ।" महिमा की अम्मी ने कहा और कबीर को समझ नही आया की क्या जवाब दे।

"क्या? अमायरा के साथ?"

"हां। कबीर। प्लीज।" महिमा की अम्मी ने कहा और कबीर अमायरा की तरफ देखने लगा। अमायरा ने तुरंत एक बार में ही हां में सिर हिला दिया।

"उउह्ह....ओके आंटी। हम कल जरूर आयेंगे।"

"थैंक यू बेटा। गुड नाईट।"

"गुड नाईट।" कबीर ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया और अमायरा की तरफ देखने लगा जो अभी भी उसकी गोद में बैठी हुई थी। अमायरा के हाथ हल्के हल्के कबीर के कंधे पर चल रहे थे जो उसे मसाज दे रहे थे जिसकी कबीर को बहुत जरूरत थी इस वक्त।

"अमायरा, तुम श्योर तोह हो ना की वहां चलोगी?"

"हां। वोह आपके लिए फैमिली की तरह हैं, और अपनी फैमिली को कभी मना नहीं करते हैं। उनके लिए आप उनकी बेटी की जिंदगी का ही हिस्सा हो, और यह तोह अच्छी बात है ना की उनकी खुशी के लिए आप कुछ करें।" अमायरा ने जवाब दिया और कबीर बस उसे देखता ही रह गया उसकी सेंसिबिलिटी और मैच्योरिटी को देख कर।

क्या इसे कभी महिमा से जलन नही होती, कभी भी नही? हां, मैं मानता हूं की वोह मर चुकी है लेकिन आज भी मेरी जिंदगी का हिस्सा है, और हमेशा रहेगी। और अमायरा ने इस बात को कितनी अच्छी तरह से मान लिया है। कबीर चाहता था की अमायरा उसके प्यार को भी इसी तरह एक्सेप्ट करले, पर महिमा को भुलाने का कोई कमिटमेंट नही करना चाहता था, कभी नही। वोह चाहता था की अमायरा उसे ऐसे ही महिमा की यादों के साथ एक्सेप्ट करे, सब कुछ जानते हुए। अगर वोह यह कहे की वोह एक दिन महिमा को भुला देगा और उसके दिलों दिमाग पर सिर्फ अमायरा ही रहेगी, तोह वोह झूठ बोल रहा होगा और वोह अमायरा को किसी धोखे में नही रखना चाहता था। वोह तोह डर रहा था की अमायरा यह न बोल दे की अगर वोह चाहता है अमायरा उसे एक्सेप्ट करले तोह उसे महिमा को भूलना होगा। लेकिन अमायरा ने जो मैच्योरिटी दिखाई महिमा के केस में वोह लाजवाब था। और इस बात से कबीर का प्यार और ज्यादा बढ़ने लगा था। इस वक्त अमायरा धीरे धीरे प्यार से कबीर का सिर पर मसाज कर रही थी जबकि कबीर आंखे बंद किए बैठा था और भगवान को धन्यवाद कर रहा था की उसकी जिंदगी में अमायरा को भेजने के लिए। वोह तोह भूल ही गया था की जिंदगी कैसे जी जाती है, बीते छह सालों में जो भी उसने खोया था वोह कभी भुलाया नही जा सकता था। लेकिन एक लड़की जो आज उसकी गोद में बैठी थी उसने उसकी जिंदगी को जीना आसान कर दिया था। उसने उसे मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था। उसे यह रियलाइज करवा के की अपने पास्ट को मुस्कुराते हुए भी याद रखा जा सकता है। उसे यह रियलाइज करवा के की अपने पहले प्यार को भूले बगैर किसी और से भी प्यार किया जा सकता है। उसे यह रियलाइज करवा के की आगे बढ़ने में कोई बुराई नही है। जबकि वोह खुद आगे बढ़ने के लिए तैयार नहीं थी। कबीर अपने ही विचारों पर मुस्कुराया अमायरा ने उसकी मुस्कुराहट देख सवाल पूछ दिया।

"क्या? आप क्यूं मुस्कुरा रहे हो?" अमायरा ने पूछा, वोह कबीर की मुस्कराहट को अनदेखा कर रही थी क्योंकि वोह उसके काफी करीब थी।

"क्योंकि मैने कभी नही सोचा था की एक दिन ऐसा भी आएगा जब तुम मेरी गोद में बहुत कंफर्टेबल बैठी होगी।" कबीर ने अपनी आंखे खोलते हुए कहा और अमायरा को अचानक अपने बैठने के ढंग पर ध्यान गया और वोह असहज हो गई। उसने उठने की कोशिश की लेकिन कबीर इस बार तेज़ था और उसे कस कर पकड़ लिया और उठने नही दिया।

"अमायरा। थैंक यू सो मच आज मेरे साथ रहने के लिए। पिछले कुछ साल, महिमा के बिना, मेरे लिए बहुत मुश्किल भरे थे। हर साल आज के दिन को मैं कोसता था की मैं आज यहां हूं उसके बिना। इस साल मैने एक मुस्कान के साथ उसे याद किया। थैंक्स अ लॉट।" कबीर ने कहा और उसे टाइटली हग कर लिया और अमायरा ने भी करने दिया क्योंकि वोह जानती थी इस वक्त कबीर को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है।

उस रात कबीर के उसे बाहों में भर कर सोने की जरूरत नहीं थी जैसा की हर रात होता था। बल्कि इस बार अमायरा खुद ही कबीर की बांह पर कंफर्टेबल लेट गई और कबीर के सीने पर सिर रख कर सो गई। इन छह सालों में पहली बार था जब कबीर बहुत ही सुकून से सोया था।














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