The Author Anand Tripathi फॉलो Current Read दुनियां जहां By Anand Tripathi हिंदी फिक्शन कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books अधूरा प्यार - भाग 2 तभी प्रिया ने उस एड के लिंक पर जिज्ञासावश किल्क किया।जो की उ... दोस्त दर-बदर भटकते हुए मंगरू अब हिम्मत हार चुका था ,उसके हाथ में... कुछ पल अनजाने से - भाग 3 पूरा एक दिन बीत गया था। तथ्या और अमन दोनों ने एक दूसरे से बि... Dont Look Behind the Mirror - Part 1 ---कहानी - गाँव नहीं, भूतों का भंडारमैं हूँ रोहन शेखर, मैं 1... Ashvdhaama: एक युग पुरुष - 4 . दिल्ली के ऊपर हल्की बारिश की बूंदें गिर रही थीं. सडकों पर... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी शेयर करे दुनियां जहां (615) 1.3k 3.4k न्यूनतम तापमान और न्यूनतम सम्मान व्यक्ति को अंदर से एक अंतर तक शीतल रखता है। हम कुछ ही दूर पर थे। अचानक एक गोला हमे स्वतः हमारी ओर आता दिखाई पड़ा। क्षण भर के बाद हम उस गोले में समाते चले गए। मुझे पता ही नही चला कि मैं कब एक ग्रह के गुच्छों में से एक ग्रह पर आ धमका जो की एक अजूबा था। मैने सतरंग नौरंग और नौरंग में वो दुनिया देखी और मेरी पैरो तले जमीन न होते हुए भी खिसक गई। मैं सकपकाया आंखे थोड़ा और खुली तो देखा आस पास कुछ ऐसे प्राणी दिखे जो की मुझे देख कर अतिउत्साहित थे। चारो तरफ एक अजीब माहोल था। मैं लोगो के बीच ऐसे घिर गया था। की जैसे फूल काटो के बीच में। हजारों मुंह लाखो आवाजे निकाल रहे थे। कोई कुछ परेशान और कोई इतना हस रहा था। जैसे इससे पहले कभी हंसा ही न हो। ये दुनिया कुछ तो अजीब थी। लेकिन अब मैं कुछ कर नही सकता था। क्योंकि मैं गुल्ली की तरह छोटू था। और सबसे बड़ी वजह मेरा ई गोला से सफर बहुत दूर हो गया था। इसलिए अब कोई चारा ही नही था। धीरे धीरे मुझे प्रत्येक वस्तु के संपर्क में लाया गया। जो की कभी मैने देखी ही न हो। अब तो मैं चुपचाप था। जो जहा ले जाता था बस उधर चला जाता ना कुछ बोलना न कुछ सोचना कुछ तो मुझे भगवान का तो कुछ मुझे अपने बाप का बता रहे थे। जो की एक विरोधाभास था। धरती बड़ी विचित्र है। अरबों खरबों वर्ष से गतिमान रही यह धरा कैसी है को की अन्यंत और अत्यंत है। इसकी विधि किस समय लिखी गई होगी। रहस्य मई यह धरती जिसका कोई कुछ और कोई अन्य प्रमाण देता फिरता है। लेकिन मेरा मन तब भी नही भरता है। ना जाने क्यों मुझे इस पृथ्वी में एक आकर्षण और उसके भीतर का अवसाद प्रतीत होता है। ऐसा मैने सम्पूर्ण ब्रम्हांड में कही नही देखा। एक नीला ग्रह जिसके अंदर बहुत बड़ी आबादी वास कर रही थी। उसमे बड़े पहाड़ झरने और भी बहुत कुछ। अनंत चीजे थी। जिनकी कल्पना अभी तो संभव नहीं है। क्योंकि मैं अब यहां रुका हूं तो कुछ दिन धरती को नीला ग्रह को ताराशूंगा। शायद कुछ मेरे लायक मिल जाए। शायद मैं यहां रहने का प्लान बना लूं। और इस चक्कर में मुझे यहां रुकना पड़ा। जिस जगह मैं आया था वो जगह बहुत उत्तम और सही थी। धरती पर लोग उस जगह को भारत कहते थे। विविधताओं का देश परंपराओं का देश विवादो का देश हुकूमतों का देश और भी बहुत कुछ कुल मिलाकर दुनिया की बड़े देशों में शुमार एक बड़ा सामर्ज्य। जिसका अर्थ वह स्वयं था। मेरे जन्म के बाद काफी प्रोग्राम हुए और खाना पीना हुआ और नाच गाना। हुआ। लेकिन उसके अगले दिन से मुझे किसी ने सौच करते हुए देखा तो भाग गया नाक बंद कर ली। मैं खुद परेशान हो गया। ऐसा क्या कर दिया। मैने। जो की इन सभी को नही भाया। तो आओ चलते है दृष्टांत में ढूढने के लिए की क्या है ये दुनियां जहां। Download Our App