नकाब - 27 Neerja Pandey द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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नकाब - 27

भाग 27

प्रभास अपना बैग ले सीधा कमरे में आया और उसे एक साइड में पटक दिया। उसे पता था की उसके पीछे पीछे मां और भाई भी खाना खत्म होते ही आयेंगे। इस लिए वो कमरे का दरवाजा भिड़ा कर, टॉवेल ले कर बाथ रूम में घुस गया। इस समय वो किसी से भी बात नही करना चाहता था।

शावर खोल कर उसके नीचे खड़ा हो गया और अपने आंसुओ के जरिए अपने दिल की पीड़ा को बहाने लगा। दिल चाह रहा था वो खूब जोर जोर से चीखे। आखिर सौ वादे कर, हजार कसमें खा कर इस तरह अचानक रश्मि ने उसका साथ क्यों छोड़ दिया..? अगर बेवफाई करनी ही थी उसे तो किसी और से शादी करती। जिससे उसका कभी सामना ना होता। अब वो कैसे देख पाएगा अपने प्यार की मांग में आपने ही भाई के नाम का सिंदूर..? कितना खुश था वो भाई की शादी से! पर उसे क्या पता था की भाई की जिंदगी उसे उजाड़ कर बसेगी..?

मां और सुहास आए और उसे आवाज लगा कर कुछ देर रुके फिर लौट गए। मिठाई अलबत्ता अपने प्यारे भईया के लिए खाना पानी लिए बैठा था।

जी भर कर रोने से प्रभास का दिल थोड़ा हल्का ही गया। अब चाहे जैसे भी हुआ हो। जो हो गया उसे स्वीकार करना ही था। मिठाई प्रभास को बाथरूम से निकलते देख बोला, "भईया.. आप बहुते देर लगा दिए नहाने में..? मां जी और बड़के भईया चले गए। आप खाना खा लीजिए।"

प्रभास का गंभीर चेहरा देख मिठाई बोलते बोलते रुक गया।

प्रभास बोला,,"मिठाई तुमने खाना खाया..?"

वो बोला, "ना भईया.. अभी नही..।"

"तो ले जाओ इसे ही खा लो मुझे भूख नहीं है। हां ..! पानी रख दो और जाओ।"

प्रभास की बात को मानते हुए मिठाई ने पानी रक्खा और खाने की थाली ले कर चला गया। प्रभास का गंभीर रुख देख कर मिठाई ने चुप चाप जाने में ही भलाई समझी।

मिठाई के चले जाने पर प्रभास ने एक गिलास पानी पिया और निढाल सा बिस्तर पर लेट गया। हजार ख्याल उसके मन में उमड़ रहे थे। आखिर तेज तर्रार रश्मि इस शादी के लिए कैसे तैयार हो गई..? जरूर उसकी कोई बड़ी मजबूरी रही होगी। जो उसने एग्जाम ना दे कर अचानक शादी कर ली। आधी रात तक सोच विचार करने के बाद उसके दिल दिमाग ने ये फैसला लिया की जो कुछ हो गया उसे बदला तो नही जा सकता। तो फिर स्वीकार करने में ही सब का भला है। इस घर में रहेगा तो हर घड़ी हर पल उसका रश्मि से सामना होगा। इससे अच्छा है वो कल ही कही और बहाना बना कर निकल जाए। हां यही ठीक रहेगा।

सुबह लीला खुद चाय की ट्रे ले कर प्रभास के कमरे में आई। बेटे के अचानक बदले व्यवहार से वो भी उलझन में थी। उसे पता करना था की आखिर रश्मि को देखते ही उसे क्या हो गया।

लीला आई तो उसकी निगाह अपना बैग ठीक करते प्रभास पर पड़ी। वो बोली, "ये क्या प्रभास..? तू ये सामान रख क्यों रहा है..? फिर कहीं जा रहा है क्या….?"

प्रभास बोला, "हां..! मां मेरी एक परीक्षा बाकी है। उसे में भूल गया था। वही देने जा रहा हूं।" शांत स्वर में प्रभास ने जवाब दिया।

लीला के पीछे ही सुहास भी भाई से मिलने आ गया। प्रभास की बात सुन आश्चर्य से बोला, "अभी तो तेरी परीक्षा खत्म हुई है फिर अब कौन सी बाकी रह गई।"

लीला ने सख्ती से मना करते हुए कहा, "नहीं.. नही.. तुझे अब कहीं नहीं जाना। जो पढ़ाई तूने की है। वही पढ़ाई रश्मि बहू ने भी की है। बस उसने शादी के कारण परीक्षा नही दी है। उसके पिता जी ने अपने बड़े प्लाट पे दवा की फैक्ट्री का काम शुरू करवा दिया है। अब तुझे वही संभालना है। बाद में रश्मि बहू भी तेरी मदद करेगी।"

सुहास को ये पता था की रश्मि और प्रभास का कॉलेज और सब्जेक्ट एक ही था। फिर ऐसा कैसे की वो एक दूसरे को ना जानते हो..? और कल के प्रभास के रश्मि से मिलने के बाद के व्यवहार ने उसे चिंता में डाल दिया था। कही कुछ उनके बीच था तो नही। यही संदेह दूर करने वो भाई के पास आया था। अब उसके जाने की तैयारी शक को एक आधार मिलने लगा था। बात करने के लिए एकांत जरूरी था। वो बोला,"मां जाओ आज हम दोनो भाई के लिए कुछ अच्छा सा नाश्ता बनवाओ। हम अभी आते है।" लीला देवी बेटे की पसंद का नाश्ता बनवाने चली की ये हिदायत देते हुए की कहीं नहीं जाना है। अगर बाऊजी तुम्हारे सुन लेंगे तो तूफान आ जायेगा।

सुहास प्रभास के बिलकुल सामने बैठ गया। फिर बिना किसी भूमिका के गंभीर स्वर में उससे पूछा,"प्रभास तुम और रश्मि एक ही कॉलेज में थे। मैने उससे कई बार तुम्हारे बारे में बता कर पूछा। पर उसने साफ मना कर दिया की वो तुम्हे नही जानती। पर तुम्हारे कल के व्यवहार ने ये साबित किया की रश्मि झूठ बोल रही थी। तुम और रश्मि एक दूसरे से परिचित हो। बल्कि मुझे तो तुम्हारे और रश्मि के व्यवहार से लगता है की ये परिचय कुछ खास ही था। और अब तुम इस तरह वापस जाने की तैयारी भी कर रहे हो।"

सुहास बेहद संजीदा हो गया। वो बोला,"मेरे भाई तुम्हारा दिल तोड़ कर अगर मेरा घर बसा हो तो मुझे माफ कर दो। मैं हर हाल में किसी की परवाह नही करते हुए रश्मि को तुम्हें सौंप दूंगा।"

प्रभास समझ गया की उसका ये इमोशनल भाई उसके लिए कुछ भी कर सकता है। अब सब कुछ संभालना उसके हाथ में था। बात पलट कर अपने पुराने अंदाज में आने पर ही भाई को यकीन दिलाया जा सकता था की वो जो कुछ भी सोच रहें है गलत है।

वो अपना सामान निकल कर फिर से बिस्तर पर रख दिया और बैग को एक कोने में उछालते हुए बोला,"मेरे भोले भईया का दिमाग कहां कहां चला गया..? भईया लो मैं कहीं नहीं जाता।"

फिर सुहास के पास सट कर बैठते हुए मद्धिम स्वर में बोला, "भईया राज की बात है.. आप भाभी से मत बताना। मैं और भाभी एक दूसरे को जानते है। पर वो रईस बाप की नकचढ़ी बेटी थी। पैसे के गुरुर वाली तो मेरी उनसे थोड़ी ( फिर उंगलियों को क्रॉस करते हुए बोला) ऐसे ही रहती थी। इस लिए मैं उन्हे देख कर चौंक गया कि अब मैं कैसे उसे भाभी कह कर बुलाऊंगा..? और वो अकडू क्या मुझे अपना देवर मानेगी..? बस भईया यही बात। इसी से मैं जा भी रहा था की वो आपको भी मेरे खिलाफ भड़का देगी और आपको मुझसे दूर कर देगी।" इतना कह कर प्रभास भाई के गले लग गया।

प्रभास की बातें सुन कर सुहास के मन का सारा संदेह जाता रहा। वो प्यार से भाई की पीठ सहलाते हुए बोला, "मेरे भाई के खिलाफ कोई मुझे नही भड़का सकता..! चाहे वो तेरी भाभी ही क्यों ना हो। और अब वो कॉलेज की लड़की नही है। ना ही तेरी क्लास मेट जो तुझसे अकड़ दिखाएगी। अब वो इस घर की बहू है। तेरी भाभी है। घबरा मत अकड़ दिखाएगी तो मायके भिजवा दूंगा।" सुहास मजे लेते हुआ हंस कर बोला।

अगले भाग मे पढ़े क्या प्रभास और रश्मि के बीच का राज राज ही रहा.? क्या इस नए रिश्ते को उन्होंने स्वीकार कर लिया..? रश्मि ने बेटे को जन्म दिया या बेटी को..? जानने के लिए पढ़े अगला भाग।

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