Swapan Shashtra - Bhavya Mandir ke Darshdn books and stories free download online pdf in Hindi

स्वप्न शास्त्र - भव्य मंदिर के दर्शन


स्वप्न शास्त्र - भव्य मंदिर के दर्शन

आज मौसम का मिजाज काफ़ी बेहतरीन रहा ,कितने दिनों बाद आज इंद्र देव के कमान से बादलों ने ज़मीं को तर कर दिया अक्रांत बोला"..!!
उसकी हां में हां मिलाते हुए विक्रम ने भी कहा..' और दिल को भी तर कर दिया ' ...!
हा.... हा...... हा...... हा.......
दोनो ठहाके मारकर हंसने लगे
-"तेरा घर आ गया अक्रांत ने कहा ... '' !
विक्रम ऑटो से उतरा ,घर पहुंचकर खाना खाया और किसी से बिना बात किए डिनर टेबल से उठ खड़ा हुआ, सबकी निगाहें विक्रम की तरफ थी , ऐसा लग रहा था विक्रम कुछ बात ,हंसी मजाक करेगा पर वह चुपचाप वहां से खिसक लिया ।
अपने रूम में पहुंचकर घड़ी देखा जिसमे रात के 11 बज रहे थे
- ' शायद कुछ ज्यादा थकान भरा दिन रहा होगा ....!
"खैर कोई बात नहीं "...!! विक्रम के पिता कमलेश मन ही मन सोचने लगे और वे भी अपने कमरे में चले गए ।
उधर जल बोर्ड वालों का धरना पिछले कुछ दिनों से चल रहा था मुसीबत इतनी कि सभी को दूर दराज से पानी की व्यवस्था करनी पड़ गई ।
विक्रम घर का बड़ा है और किसी काम में आनाकानी करता है तो अंत में मान जाता है उसे भी दूर पानी की तलाश में निकलना पड़ा । एक जगह उसे पानी भरते हुए भीड़ दिखाई दिया वह बेहद खुश हुआ पानी के बर्तनों में बहुत सारा पानी भरने के बाद बिचारा थक गया और शर्त पूरी करके घूमने जाने की शर्त भी रखी थी तो अब अपनी शर्त भी मनवाना था।
विक्रम अपने दोस्त के साथ एक ऑडिटोरियम में पहुंचता है जहां पहुंचकर वह अपनी कुर्सी पर बैठ जाता है , वेटर चाय ले आता है शायद ये अंतिम कप था जिसके दावेदार 3 लोग थे जो विक्रम के ही साथ थे। एक एक घूंट तीनों ने चाय लिया और कार्यक्रम का लुत्फ उठाने लगे ।
वहां से निकलकर विक्रम का मन किया ' फिर घूमने का ' लेकिन ,,,,
इस बार शहर के बाहर जाने का सोचकर उसका दिल बाग - बाग हो उठा ।
सफर में चलते चलते उसे एक बंदर और कुत्ता दिखता है कुत्ता शांत स्वभाव का है और बंदर भी शांत किंतु उछलकूद कुछ ज्यादा ही कर रहा था।
विक्रम एक हाई स्पीड वायु वाहन में आकाश की ऊंचाइयों से जमीन को बार बार छूते हुए एक बगीचे की तरफ आकर्षित हुआ और जितना घूमता गया उतना ही अदभुत देखा जहां भव्य मंदिर है अनंत से भी अनंत खूबसूरत भव्य मंदिरों की दीवारें लाल रंग की हैं बगीचों के बीच बड़ी सुशोभित हो रही थी। वायुयान से विचरण करते हुए विक्रम सोचता है कि अब यह मंदिर भवन अंतिम होगा और बगीचा भी परंतु अनंत और बेअंत था वह दृश्य जिसके एक तरफ पेड़,फूल और हरियाली दूसरी तरफ एक से एक भव्य मंदिर की बाह्य संरचनाएं देख दिल पुनः बाग बाग हो गया ।
वायुयान कुछ देर धरती पर चलता तो बंदर और कुत्ते लपकने की कोशिश करते और यान पुनः ऊंचाई में पहुंच जाता है जैसे साधना में बैठे ऋषि की साधना भंग करने देवकन्या पधारती है ,जैसे देवताओं को अमृत कुंभ मिलने के रास्ते असुर प्रगट हो गए हों ,ठीक उसी तरह विक्रम का दिन खराब करने वो कुत्ता और बंदर टपक पड़े हों विक्रम सोच विचार करने लगा ।
उसी मंथन के दौरान उसके यान से टकराकर एक पौधे से सुंदर पीला फूल गिरा, जिसे देखकर वह बहुत खुश हुआ फूल के गिरने की प्रक्रिया ऐसी थी मानो गुलाब कलियों से खिलने के कुछ सेकंड दूर हो और उत्साह की कोई सीमा ना रहे। वह बार बार उस फूल की तरफ तो कभी बंदर की ओर देखता है
खुद को बंदर से पीछा छुड़ाने के लिए एक पेड़ पर चढ़ जाता है क्योंकि बंदर बार - बार उसके यान पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था।
जिस पेड़ पर विक्रम चढ़ने लगा बंदर ने भी स्पीड बना लिया और शीर्ष पर बैठे विक्रम ने एक लाठी जो रस्सी से बंधी थी और पेड़ के सहारे खड़ी की गई थी उस रस्सी को खोलने लगा कि बंदर गिर जाए पर बंदर तेज था उसने विक्रम का पेड़ से लड़का पैर पकड़ लिया और लपककर उसके पैर पर बैठ गया । विक्रम डर गया कि बंदर अपना बदला ना ले परंतु बंदर तो उससे शास्त्रार्थ करने लगा ।और विक्रम डर पर काबू पाया ।
विक्रम जैसे ही नींद के आगोश से अंगड़ाई लेता हुआ उठा उस ख्वाब के रहस्यों को सुलझाने लगा ।
भव्य मंदिरों की चौखटों और बाहरी सुंदरता को देखना किसी कार्य के पूरा होने , बगीचे फूलों को देखना खुशी और धन ऐश्वर्य का मिलना
बंदर को शांत और शास्त्रार्थ करते देख किसी ज्ञानी व्यक्ति से भेंट और पुराने मित्रों की खबर लेना
बर्तनों में पानी भरना धन संबंधी रुकावटें दूर होना
चाय पीना यानी बेवजह झंझटों में पड़कर अपना समय बर्बाद करना
कुत्ते को शांत देखकर किसी करीबी से मिलने के संकेत एक एक करके सब स्पष्ट हुए ।
यह सारे संकेत एक रिमांइडर था संभलकर, फूंक- फूंक कर निर्णय लेने के लिए जोकि विक्रम समझ चुका था और भोर की अंगड़ाई में उस पीले फूल की तरह उसके चेहरे पर मुस्कान खिल गया ।



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