Pal Pal Dil ke Paas - 26 books and stories free download online pdf in Hindi

पल पल दिल के पास - 26

भाग 26

अभी तक आपने पढ़ा की नीता प्रणय को ड्राइवर न होने का बहाना बना कर शॉपिंग में होने वाली प्रॉबलम के विषय में बताती है तो प्रणय तुरंत मदद के लिए तैयार हो जाता है और खुद ही चल पड़ता है उनके साथ शॉपिंग के लिए।

मैं पूरे उत्साह के साथ रेडी होता हूं। दिल में अजीब सी खुशी महसूस कर रहा था मैं। मुझे खुश देख कर मां भी खुश थी। वही सड़क, वही रास्ता था। मैं रोज ही इन रास्तों से गुजरता था। पर आज मुझे सब कुछ बहुत सुहावना लग रहा था। बेहद उत्साह के साथ मैं नीता मासी के घर तक का सफर तय करता हूं। नियति से मिलने की खुशी तो मुझे थी पर उससे रत्ती भर भी कम उत्साह मिनी से मिलने का भी नही था। मिनी से उस दिन मिल कर, उसे गोद में ले कर जो अनुभव मुझे हुआ था। वो मुझे मिनी की ओर खीच रहा था। मैं नीता मासी के घर पहुंचता हूं।

मैं उन्हे बाहर से ही गाड़ी का हॉर्न बजा कर अपने आने की सूचना देता हूं।

नीता मासी भाग कर खुद ही बाहर आती है।

मेरे मना करने के बाद भी नीता मासी नही मानती और जबरदस्ती मुझे कॉफी पीने के लिए अंदर घर में बुला कर लाती है।और बड़े ही प्यार से मुझे अपने हाथों की कॉफी पिलाती हैं। उसके तुरंत बाद हम शॉपिंग के लिए निकल लेते है।

जैसे ही हम निकलते है नीता मासी के घर से। मेरी गाड़ी के साथ ही पीछे कुछ दूरी पर खड़ी बाइक भी स्टार्ट होती है। उस समय तो मुझे ऐसा लगता है की होगा कोई जो किसी काम से खड़ा होगा। और इत्तिफाकन ही मेरे गाड़ी के साथ ही वो भी अपनी गाड़ी स्टार्ट किया होगा। पर मेरी ये सोच जल्दी ही बदल गई। जब मैंने देखा एक तय दूरी रख कर वो बाइक बराबर मेरी गाड़ी का पीछा कर रही थी। पूरे रास्ते वो हमारी गाड़ी का पीछा करती रही। जब मैं स्लो चलता, वो भी स्लो हो जाता। जब मैं स्पीड बढ़ाता, वो भी अपनी बाइक की स्पीड बढ़ा देता।

उसे नज़र अंदाज कर मैं शहर के अच्छे से मॉल के सामने गाड़ी पार्क करता हूं। फिर हम एक मॉल में जाते हैं और बेबी कॉर्नर पर जाकर मिनी की जरूरत का सारा सामान खरीदते है। नीता मासी ने मिनी के लिए बहुत सारी चीजे खरीदी। मैने भी नीता मासी और नियति के लाख मना करने के बावजूद भी मिनी के लिए अपनी पसंद की कई ड्रेस खरीदी। मिनी आज भी मुझसे बेहद करीबी जैसा ही व्यवहार कर रही थी। कल की मुलाकात की वजह से वो मुझसे परिचित सा व्यवहार कर रही थी। वो कभी मेरी उंगली पकड़ कर चलती तो कभी नीता मासी की उंगली पकड़ लेती, तो कभी नियति के पास भाग कर चली जाती। उसका हर आचरण मुझे लुभा रहा था। खिलौनों की शॉप में खिलौने देख कर मिनी की खिलखिलाहट पूरे माहौल को खुशनुमा बना रही थी।

हम सभी मिनी की शॉपिंग पूरी करने के बाद नियति के लिए शॉपिंग करने के लिए मॉल के लेडीज डिपार्टमेंट में जाने लगे। तभी मेरी निगाह अचानक से टंगे हुए कपड़ों के बीच छुपे हुए एक व्यक्ति पर पड़ी। ये वही व्यक्ति लग रहा था जो नीता मासी के घर के पास से ही हमारे आगे पीछे अपनी गाड़ी चला रहा था। मैने उसकी नजर से छुपते हुए देखा तो उसकी हाथों में मुझे एक कैमरा नजर आया। वो सब की नजर से बच कर मेरी ओर नियति की फोटो खींच रहा था।

मैने उसे स्पष्ट देखा पर उसे ये जाहिर नहीं होने दिया कि मेरी निगाह उस पर पड़ चुकी है। मैं अनजान ही बना रहा और बिंदास हो कर पहले की तरह ही शॉपिंग करता रहा। पर ये सब कुछ मैं ऊपर से ही जाहिर कर रहा था। अंदर से तो मेरे मन में सोच की सुनामी सी आई हुई थी। मेरा दिमाग अच्छे से समझ चुका था की ये नीना देवी और खुराना के षड्यंत्र का हिस्सा है। अब इससे निजात पाने का उपाय मुझे जल्दी से जल्दी ढूढना था। मेरा दिमाग तेजी से सोचने लगा। मेरा दिमाग अब शॉपिंग से पूरी तरह हट चुका था। अब मैं तेजी से सोच रहा था की अब मैं आगे क्या करूं? वो व्यक्ति मेरी और नियति की फोटो खींच चुका था। निःसंदेह वो खुराना और नीना देवी का ही आदमी था। जो बातें नीना देवी ने कोर्ट में मेरे और नियति के बारे में कही थी। उसी को साबित करने के लिए वो सुबूत इक्कठे करवा रही है इसका मुझे यकीन हो गया।

रास्ते में चलते चलते मैने एक प्लानिंग कर ली। जब मेरी प्लानिंग बिकुल क्लियर हो गई मेरे दिमाग में तो अब मैं बिल्कुल रिलैक्स था। वो व्यक्ति चुप कर मेरी ओर नियति की फोटो ले रहा था। मैं भी उसे खूब मौके दे रहा था जान बुझ कर। बीच बीच में नीता मासी की भी खींच लेता। मैं इन सब से अनजान बना शॉपिंग में जुटा रहा। कुछ कपड़े मैने अपने लिए । फिर मैने नीता मासी से कहा की, "मासी आप एक साड़ी मेरी मां के लिए भी पसंद कर दीजिए।"

नीता मासी ने एक सुंदर सी साड़ी छांट दी। मां के लिए साड़ी लेने के बाद नीता मासी ने बोलीं, "अब मुझे कुछ भूख सी महसूस हो रही है। चलो कुछ खा पी लिया जाए।"

मैने भी सहमति दिया क्योंकि मुझे भी भूख महसूस हो रही थी। सुबह सिर्फ हल्का सा नाश्ता कर के ही घर से निकला था मैं। और इसके बाद हम फूड प्लाजा की ओर चल पड़े। जैसा मैने सोचा था वैसा ही हुआ। मेरा अनुमान सच साबित हुआ। वो व्यक्ति भी मेरे पीछे पीछे आ रहा था।

मैं भी नियति, मिनी और नीता मासी के साथ आकर एक खाली कॉर्नर देख कर बैठ गया। वो व्यक्ति भी हमारे पीछे की टेबल पर बैठ गया। मैने ऑर्डर किया। अभी हमारा ऑर्डर आने में टाइम लग रहा था। वेटर टेबल पर पानी का ग्लास रख गया था। मैं अपने प्लान के मुताबिक मिनी को लेकर काउंटर तक उसे चिप्स और चॉकलेट दिलाने के बहाने गया। फिर मिनी को गोद में लेकर वापस लौटा ये कहते हुए कि, "अरे! मिनी तुमने बेटा पहले क्यों नहीं बताया की पानी पीना है। चलो! पहले पानी पिला दूं तुम्हें तब चिप्स दिलाऊं।" इतना मैने जोर से बोला की उस व्यक्ति को भी सुनाई दे। मैं लौटा और पानी ग्लास टेबल से उठाया और मिनी को गोद में लिए लिए ही वापस लौटा। जैसे ही उस व्यक्ति के टेबल के पास पहुंचा लड़खड़ाते हुए पानी का गलास टेबल पर रक्खे कैमरे के ऊपर गिरा दिया। और खुद भी गिरते हुए बचने की एक्टिंग करने लगा। और गिरे हुए पानी को साफ करते हुए में बोल उठा, "सॉरी.. सॉरी…. भाई आई एम सो सॉरी… वो बच्ची ने पानी गिरा दिया। आपका कैमरा खराब हो गया।" इतना कह कर मैंने कैमरा उठा। वो व्यक्ति कुछ समझ नहीं पाया की ये अचानक से क्या हो गया। वो हड़बड़ा गया और अपने ऊपर गिरे पानी को पोछने लगा। उसके बंटे हुए ध्यान का फायदा उठा कर मैने उसका कैमरा उठा लिया और जब तक की वो कुछ समझ पाता डिजिटल कैमरे से खींची सारी फोटो सेलेक्ट कर डिलीट बटन दबा दिया।

अब मेरा काम पूरा हो गया था। मैने कहा, "सॉरी सर मेरी वजह से आपका नुकसान हो गया। कोई बात नही आप बताइए जितने का भी आपका कैमरा हो मैं आपको दे देता हूं।" ये कह कर मैंने उसका कैमरा उसके हाथों में पकड़ा दिया। और अपना पर्स उसे पैसे देने के लिए निकाल लिया।

वो व्यक्ति अपना कैमरा लेकर परेशान हो गया। तुरंत उसे उलट पलट कर देखने लगा। और पोंछ कर साफ कर दिया। वो व्यक्ति बोला, "कोई बात नही ये इतनी जल्दी खराब नही होगा। अगर होगा भी तो मैं ठीक करवा लूंगा।"

मैं भी ओके कह कर अपना विजिटिंग कार्ड जेब से निकाल कर उसे दिया और बोला, "ये मेरा कार्ड है, अगर आपका कैमरा ठीक न हो तो आप मुझसे संपर्क करिएगा मैं आपको इसका पैसा दे दूंगा।" कह कर मैं अपनी कामयाब प्लानिंग पर मुस्कुराते हुए मिनी को चिप्स दिलाने चल पड़ा।

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