शेष जीवन (कहानियां पार्ट 6) Kishanlal Sharma द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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शेष जीवन (कहानियां पार्ट 6)

यह डर उसे सताए जा रहा था।
"सर् डिनर?"पेंटीकार के वेटर ने आकर उनके बातो के सिलसिले को तोड़ा था।
"नही"वेटर के चले जाने पर राहुल ने टिफिन निकाला और सपना से बोला,"आओ खाना खाते है।"
"आप खाइये।"
"नो फॉर्मलटी।खाना कम नही है,"और राहुल और सपना ने मिलकर खाना खाया था।खाना खाने के बाद राहुल बोला,"मैं कपड़े चेंज करके आता हूँ।तुम भी कपड़े बदल लो।'
राहुल टॉयलेट में चला गया।सपना को नीचे की सीट पर लेटना था और राहुल को ऊपर की बर्थ पर।केबिन का दरवाजा बंद करके राहुल ने नाईट लैंप जला दिया और ऊपर की बर्थ पर आ लेटा।सपना नीचे की सीट पर लेट गयी थी।
रात के अंधकार को चीरकर ट्रेन पटरियों पर दौड़ी जा रही थी।केबिन में नीला प्रकाश फैला था।सपना को लेटते ही नींद आ गयी थी।पर राहुल की आंखों में नींद नही थी।वह सोच रहा था।अगर रचना उसके साथ होती तो क्या वह ऊपर की बर्थ पर लेटता।
राहुल और रचना की शादी को दस साल हो गए थे।इन बीते दस वर्षों में ऐसी राते कम ही थी।जब राहुल ने रचना की देह का उपभोग न किया हो।कई बार ऐसा होता रचना थकी हारी होती या उसका मूड न होता तो वह राहुल को दुत्कार देती।फटकार देती।उस पर खीझती पर राहुल पर पत्नी की डांट फटकार दुत्कार और झिड़कियों का कोई असर नही होता और वह जब तक रचना के शरीर को पा नही लेता।न वह खुद सोता और न ही रचना को सोने देता।
आज रचना उसके साथ नही थी लेकिन उसकी आँखों के सामने बेडरूम के दृश्य घूम रहे थे।इन दृश्यों ने उसकी रगों में दौड़ रहे खून को गर्म कर दिया।वासना की आग उसके शरीर मे दौड़ने लगी।और नारी शरीर को पाने की चाहत की वजह से वह अपने आप पर काबू नही रख सका।और वह अपनी सीट से नीचे उतरकर सपना की सीट पर बैठकर नींद में सोयी सपना के शरीर को निहारने लगा।उसका मुंह कितना सुंदर था मानो चांद का टुकड़ा।उसके होंठ कितने सुंदर थे।गुलाब की पंखड़ियों की तरह पतले नाजुक और शहद से रसीले।वह अपने पर काबू नही रख सका।जैसे ही वह सपना के होठों को चूमने के लिए उसके शरीर पर झुका।सपना की आंखे खुल गयी।राहुल को अपने पर झुका देखकर बोली,"तुम?
"मुझे नींद नही आ रही।रचना की याद आ रही है।"
"लेकिन मैं तुम्हारी रचना नही हूँ।मैं तो सपना हूँ।"
"जनता हूँ।तुम रचना नही हो।लेकिन इस समय तो तुम रचना बनकर ही मेरे साथ सफर कर रही हो।"
",तुम कहना क्या चाहते हो?"
"रचना ही बनी रहो"
"उससे क्या होगा?"
"यह"और राहुल ने सपना के होठों को चूम लिया था।सपना ने राहुल की आंखों में झांकर देखा।उसकी आँखों मे वासना के डोरे तेर रहे थे।वह बोली,"मुझे तुम्हारे इरादे नेक नही लग रहे।तुम अपनी बर्थ पर जाओ।"
"नो डार्लिंग।अभी तो बहुत कुछ करना है।"
"क्या?'
"यह"और उसने उसके उभार पर हाथ रख दिया था।
"नो प्लीज।यह गलत है।"रचना ने राहुल का विरोध किया लेकिन उसका विरोध बनावटी ज्यादा था।इसलिए राहल उस पर हावी होता गया।उसके अंगों से छेड़छाड़ के साथ सपना के तन से एक एक करके कपड़े सरकते रहे।रचना उसके सामने बिछती चली गयी और राहुल उसके शरीर पर छाता चला गया।राहुल अपने तन की भूख मिटाने में सफल हो गया।