आदत R.KapOOr द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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आदत

सूचना : ये कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है व इसका जीवित यां मृत किसी भी व्यक्ति से कोई सम्बंध नहीं है, अगर ऐसा हुआ है तो ये महज़ एक इत्तेफाक है ।
ये कहानी केवल पाठकों के मनोरंजन के लिये लिखी गई है ।



"सपना मैं तुमसे प्यार करता हूं" विजय ने कहा तो सपना बोली
"लेकिन मुझे सोचने का वक़्त चाहिए"
"प्यार सोच कर तो नहीं किया जाता ?"
"हम्म...शायद मैं तुमसे प्यार ही नहीं करती, ये भी हो सकता है"
"हां हो सकता है लेकिन मैं तो तुम्हें प्यार करता हूं"
"हां तो करते रहो...लेकिन ये समझ लेना कि ये एक तरफ़ा ही होगा" सपना ने अपनी आंखों की भौहें चढ़ाते हुए कहा
"तुम्हें ये भी पता होगा जहां रास्ता एक तरफ़ा होता है वहां से यू टर्न नहीं होता" विजय ने कहा
"तो...?" सपना ने पूछा
"रास्ता जहां भी जाए अब इसमें वापसी का कोई प्रश्न नहीं उठता"
"लगे रहो...शायद कहीं कोई चौराहा मिल जाए मुड़ने के लिये"
"मैं जिन रास्तों पर चलता हूं उन से मुड़ा नहीं करता"
"ठीक है देखते हैं.... कब तक ?"
"हम भी देखते हैं... कब तक ?" विजय ने मुस्कुराते हुए कहा

सपना के मोबाइल पर लगातार विजय के मैसेज आते रहते । सुबहा गुड मॉर्निंग और रात को गुड नाईट के और बीच में कुछ हंसी मजाक के मैसेज भी । सपना उन मैसेज को देखती, कभी मुस्कुरा देती और डिलीट कर देती रही। उसने खुद कभी विजय को कोई मैसेज नहीं किया ।

दिन गुज़रते रहे विजय आते जाते दूर ही से सपना को देख लिया करता । लेकिन कभी उसके सामने नहीं जाता था । सपना भी उसके मैसेज पढ़ती कयीं बार उसके चेहरे पर मुस्कान भी आ जाती तो कभी गुस्सा भी चढ़ता था उसे। लेकिन मैसेज कर के विजय को मैसेज न करने के लिये भी कभी नहीं कहा उसने ।

समय यूं ही बीतता रहा ।

रात का समय था सपना मोबाईल में नज़रें गढ़ाए कुछ पढ़ रही थी लेकिन उसका मन नहीं लग रहा था पढ़ने में। उसकी उंगलियां बारबार वाट्सएप खोलतीं और नज़रें विजय के सोने से पहले के गुड नाईट के मैसेज को तलाशती । समय जैसे जैसे बीतता जा रहा था सपना की बेचैनी बढ़ती जा रही थी। वो सोच रही थी इतनी देर तो गुड नाईट के मैसेज में कभी नहीं हुई ! हमेशा 10 से 10.30 के बीच में विजय का मैसेज आ जाता था.....फ़िर आज क्यों ?

अगले ही पल उसने अपने सर को झटका "मैं क्यों सोच रही हूं इतना ? मैं तो उसके मैसेज का कभी भी इतनी बेसब्री से इंतजार नहीं करती....फ़िर आज क्या हो गया है उसे ?"

उसने फ़ोन को एक तरफ़ रख दिया मगर ध्यान तो वाट्सएप पर आने वाले हर मैसेज की बिप पर लगा रहा । उसने तसल्ली करने के लिए एक बार फिर मोबाईल में देखा लेकिन विजय का कोई मैसेज नहीं था । अब सपना के चेहरे पर चिंता की लकीरें खिंच आयीं थीं ।
"आज सुबहा तो विजय ने मैसेज किया था, और आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि विजय ने सोने से पहले उसे मैसेज ना किया हो । उसके दिमाग में कयीं तरह के विचार चलने लगे ।
उससे जब नहीं रहा गया तो उसने मोबाईल उठाया और विजय को फ़ोन लगा दिया।
कुछ देर रिंग बजने के बाद उधर से विजय की आवाज़ आयी
"हैलो...."
"सपना को विजय की आवाज़ कुछ ठीक नहीं लगी "क्या हुआ है तुम्हें ? आज गुड नाईट का मैसेज क्यों नहीं किया ?"
"सपना तुम...." चौंकते हुए विजय ख़ुशी के मारे उछल पड़ा
"इतनी देर हो गयी तुमने मैसेज क्यों नहीं किया आज ?"
"तुम इंतज़ार कर रही थीं ?"
"हां कर रही थी...." सपना रुआंसी आवाज़ में चिल्ला दी
"सॉरी सपना , तबीयत ठीक नहीं थी दवाई खा कर कब आंख लग गई पता ही नहीं चला"
"क्या हुआ है तुम्हें ?"
"अरे कुछ नहीं बस ज़रा बुखार...."
"हम्म..…तुम्हारी आवाज़ सुन कर ही मुझे पता चल गया था कि तुम ठीक नहीं हो" फ़िर कुछ रुक कर डांटने वाले लहज़े में बोली "बता नहीं सकते थे ?"
"अरे ऐसी कोई बताने वाली बात नहीं थी और फ़िर तुम्हें....? तुम मेरी चिंता कर रही थीं ?"
"नहीं कर रही थी, मुझे क्यों तुम्हारी चिंता होने लगी ? अभी सो जाओ सुबहा बात करेंगे" कहते ही सपना ने झट से फ़ोन काट दिया

अगले दिन सुबहा तैयार हो कर सपना विजय के रूम पहुंची तो विजय ठीक लग रहा था। विजय ने चौंकते हुए सपना को देखा और उसे अंदर ले आया ।
"सपना तुम यहां क्यों आयी हो ?"
"तुम्हें देखने..... क्यों नहीं आ सकती ?"
कुछ देर चुप्पी रहने के बाद विजय ने सपना की तरफ़ देखते हुए कहा
"सपना तुम कहीं मुझसे प्यार तो नहीं करने लगीं ?"
"प्यार के मायने तो नहीं जानती मगर तुम कब मेरी आदत बन गये पता ही नहीं चला"
"आदत को तो छोड़ा भी जा सकता है"
"हां अगर वो बुरी हो तो"
विजय के होंठों पर हंसी आ गई
"घोंचू अब वहां खड़े बस हंसते ही रहोगे ?"
"नहीं तुम्हें अपने सीने से लगाना है"
"मुझसे पूछ कर करोगे ?"

और विजय ठहाका मार के हंस दिया
समाप्त.....
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