Nafrat se bandha pyaar - 39 books and stories free download online pdf in Hindi

नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 39

देव सिंघम, सिंघम मैंशन के ऑफिस रूम में बैठा डॉक्यूमेंट्स पढ़ रहा था।

"देव"

उसने ऊपर की तरफ देखा जब उसे उसके कंधे पर किसी के हाथ का स्पर्श हुआ। उसके सामने अभय सिंघम खड़ा था।

"हां?"

"मैं कबसे तुम्हारा नाम पुकार रहा था, देव!"

"सॉरी! मैं बिज़ी था। मुझे यह कल तक भेजना है।"

अभय ने गहरी सांस ली। "देव तुम धीरे धीरे अपने आप को मार रहे हो। मैं चाहता हूं की तुम एक ब्रेक लेलो कुछ वक्त के लिए।"

देव ने एक पल अपने बड़े भाई अभय सिंघम को देखा और फिर हंसने लगा। उसकी बातें उसके कानो में चुभ सी रही थी। यह वोह इंसान कह रहा था जिसने खुद उसे काम में अपने आप को व्यस्त रखने के लिए कहा था ताकी उसकी यादों को दूर कर सके।

"मैं ठीक हूं, अभय।"

"तुम नही हो, देव। तुम शायद ही किसी दिन ठीक से सोए होगे इन बीते दो हफ्तों में।"

देव चुप रहा।

"देव बताओ मुझे में किस तरह तुम्हारी मदद कर सकता हूं। मैं तुम्हे ऐसे नही देख सकता," अभय ने उसे प्यार से कहा।

देव ने सिर हिलाते हुए कहा, "मेरी मदद कोई नही कर सकता। मैं ठीक हूं।" फिर कुछ पल रुक कर उसने दुबारा कहा, "या कम से कम मैं जल्दी ठीक हो जाऊंगा। मैने सेनानी का ऑफर के बारे में सोचने का मन बना लिया है। मैं अगले हफ्ते जाऊंगा उनसे बात करने।"

अभय ने कुछ नही कहा।
एक हफ्ते पहले सेनानी के घर के किसी सबसे बड़े सदस्य ने देव को फोन किया था और शादी का प्रस्ताव रखा था।

*"तुम्हारे भाई ने हमसे अपना दिया हुआ वादा तोड़ दिया था और उन पुरानी परंपरा को भी। हम चाहते हैं की अब आप उनके बदले परंपरा निभाए। मेरी पोती से शादी का प्रस्ताव स्वीकार कर ली जिए ताकी हमारे बीच संबंध अच्छे बने रहें।"*

देव ने उनकी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। पर वोह जनता था की उसे शायद देना पड़ेगा। क्योंकि उसने एक ऐसी औरत पर तरस खाने से इंकार कर दिया था, जिसने उसके प्यार और उसे, अपनी ज़िंदगी से मिनटों में ही फेक दिया था, वो भी अपनी जिमेदारियों के चलते। अगर वोह ऐसा कर सकती है तोह मैं क्यों नही।
पर वोह अभी भी उसे चाहता था। वोह उस ऑफर के बारे में सोचने लगा जा सबिता ने उसे दिया था। उन दोनो ने अभी तक किसी और से शादी नही की थी। शायद देव इंतजार कर रहा था की सबिता अपना मन और फैसला बदल दे। उसने सोचा था की सबिता को अनदेखा करेगा या उससे बुरा बरताव करेगा तोह वोह पिघल जायेगी।
पर वोह यह भी जानता था की यह इंपोसिबल है, और कहीं यह उस पर उल्टा ही ना पड़ जाए। उसने सिम्पली अपने आप को उससे दूर कर लिया जबकि सबिता ने उसे अपने मतलब के लिए, अपनी जिस्म की भूख को मिटाने के लिए इस्तेमाल किया था।

****

*"......वोह तोह इसमें परफेक्ट है। वोह नाइटेंगल की तरह बहुत सुरीला गा ती है और डांस तोह बहुत ग्रेस...."*

*"...... बहुत अच्छे से पता है उनकी फैमिली हिस्ट्री के बारे में। वोह तोह बेसब्री से इंतजार कर रही है सिंघम के घर की दुल्हन बनने....."*

*"......सॉरी की उसके मां बाप नही आ पाए क्योंकि यह सब लास्ट मोमेंट पर ही तै हुआ। वोह अभी देश से बाहर...."*

देव ने बस आधी ही बात सुनी थी जो उसके आस पास हो रही थी। उसका सारा ध्यान तोह सिर्फ सामने बड़ो के पीछे खड़े उन कपल पर था।

उसकी मुठ्ठी भींच गई जब उसने देखा की रेवन्थ सेनानी ने सबिता की खुली कमर पर अपनी बाहें डाल रखी है। उस घटिया इंसान की उंगलियां सबिता की कमर पर पड़ी उस चेन से खेल रही थी। और सबिता उसका बिलकुल भी विरोध नहीं कर रही थी ना ही कोई रिएक्ट कर रही थी। वोह बस यूहीं इधर उधर देख रही थी लोगों को बातें करते हुए।

देव ने देखा की रेवन्थ सेनानी हल्का झुका और सबिता के काम में कुछ फुसफुसाते हुए के रहा है। उसके बाद भी सबिता का चहरा भावशून्य था और उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

देव का गुस्सा बढ़ गया। वोह उठने को हुआ ताकी रेवन्थ सेनानी का हाथ सबिता की कमर से खींच कर हटा सके, ताकि उसे यह बता सके की खबरदार अगर उसने सबिता को छुआ भी, उसे यह बता सके की वोह उसकी नही है।

*"पर वोह देव की भी तोह नही है,"* देव के अंदर से आई आवाज़ ने उसे याद दिलाया।

इसके बावजूद भी देव से बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वोह उस कमीने को जान से मारना चाहता था। वोह उस हरामी के टुकड़े टुकड़े करना चाहता था। वास्तव में वोह रेवन्थ सेनानी की आत्मा को ही उसके शरीर से खींच कर निकालना चाहता था। देव ने बहुमुश्किल से अपने आप को संभाले रखा हुआ था। वोह तड़प रहा था उस घटिया इंसान को अपने हाथों से मारने के लिए और अपने प्यार को वापिस पाने के लिए।
देव ने महसूस किया की जितना वोह सबिता से प्यार करता है उतना ही अब वोह नफरत भी करने लगा है। वोह उससे नफरत करने लगा है उसके लिए जो उसने किया। उसके लिए जो वोह कर रही है। उसे धोखा देने के लिए। और उनके रिश्ते में पीछे हटने के लिए।

"...देव। देव?" देव ने अपने कंधे पर किसी हाथ महसूस किया और सुना की कोई उसे बुला रहा है। अपनी आंखों में नमी लिए देव ने सबिता से अपनी नज़रे हटा ली। उसने पलट कर देखा तोह अनिका उसे परेशान नज़रों से देख रही थी।

"देव, सेनानी पूछ रहें हैं की तुम्हे उनसे कुछ पूछना है क्या?"

देव ने अपना सिर हिला दिया। "नही। जैसा की....." देव उसका नाम ही भूल गया जिससे उसकी रिश्ते की बात उठी थी। ".....सभी लोग चाहते है, मैं सोचूंगा इस बारे में और अपना फैसला जल्द ही सुना दूंगा की मुझे इस रिश्ते में बंधना है या नही।"

"देव," अनिका ने जल्दी से कहा। "मुझे लगता है की शायद तुम्हे एक बार नर्मदा से भी अकेले में मिल लेना चाहिए, इससे पहले की तुम कोई फैसला लो......"

"मैं ठीक हूं," देव ने जवाब दिया। एक सरसरी नज़र देव ने सेनानी के बीच खड़ी उस लड़की पर डाली जिसके साथ उसकी शादी की बात चल रही थी। हालांकि वोह लड़की देव को ही देख रही थी और बिना कुछ कहे आंखे बार बार झपका रही थी जब देव ने उसे देखा।
उसे एक अजीब सा एहसास होने लगा यह सोच के की किसी और लड़की को उसे छूना होगा जबकि उसका दिल और शरीर दोनो सबिता का ही है।

उसने दूसरी तरफ देखा। और उसकी नज़र अपने आप ही वहां चली गई जहां सबिता खड़ी थी। उसे झटका लगा यह देख कर की दोनो सबिता और रेवन्थ सेनानी वहां नही है बल्कि पूरे कमरे में कहीं नहीं है।

"ठीक है, फिर हम तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करेंगे," उन सेनानी के एक बुजुर्ग ने कहा। "जैसे ही तुम जवाब दे दोगे हम शादी की कोई अच्छी तारीख निकलवा लेंगे और इंगेजमेंट की भी तैयारी कर लेंगे।"

"शादी हम सगाई के तुरंत बाद ही करना चाहेंगे," सेनानी में से ही एक बूढ़ी औरत ने कहा। "जैसा तुम देख रहे हो, हमारा रेवन्थ बहुत ही बेसब्र है। वोह पहले ही यह बर्दाश्त कर रहा है की उसे उसकी बहन की शादी तक रुकना होगा क्योंकि उसकी बहन की शादी ही पहले होगी। और वैसे भी हम यही चाहते हैं की सेनानी का वारिस उनकी शादी हो बाद ही आए।"

सब ज़ोर ज़ोर से हसने लगे।

"इन दो शादियों की वजह से हम हमारे राज्य में और लोगों में शांति स्थापित कर लेंगे," नीलंबरी प्रजापति ने कहा।

वहां फिर एग्रीमेंट के बारे में अफ़वाए फैलने लगी।

"मैं आप लोगों को कॉल कर के अपना फैसला सुना दूंगा इस महीने के आखरी तक," देव ने कहा।

इस महीने को खत्म होने में मुश्किल से तीन हफ्ते बचे थे।

****

सबिता बार बार दिल बैठा जा रहा था। वोह बस ऐसे ही यूहीं खड़े रहके नही देख सकती थी उसे किसी और से रिश्ता जोड़ते हुए जिसे वोह बहुत ज्यादा चाहती है। जबकि वोह जानती थी की गुनहगार तोह वोह खुद है, जिसने खुद ही पहले इस रिश्ते से अपना हाथ खींचा था, लेकिन फिर भी उसे बहुत दुख हो रहा था।
देव भले ही उसकी जिंदगी से असल में दूर चला गया है, लेकिन वोह हमेशा ही उसकी ज़िंदगी का हिस्सा रहेगा। वोह कभी भी यह बात झुकला नही सकती अगर वोह चाहे तो भी नही।
जब वोह किसी और से बातों में बिज़ी थी तोह उसने महसूस किया था की देव की नज़रे उसी पर हैं। एक बार हल्का सा सबिता ने देव की तरफ देखा था और पाया की वोह उसे ही देख रहा है। उसका दिल धक से रह गया सामने का नज़ारा देख कर। उसकी आंखों सबिता द्वारा दिया गया धोखा नज़र आ रहा था उसे। उसकी आंखों में उसे अपने लिए नफ़रत, प्यार और तड़प तीनो ही दिख रहे थे। वोह उसकी घूरती नज़रों को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। इसलिए उसे इधर उधर देखना पड़ा था और यह दिखाने की कोशिश कर रही थी की उसे कोई फर्क नही पड़ता।

"यहां," एक आदमी की आवाज़ सबिता को अपने निजदिक ही सुनाई पड़ी।
रेवन्थ सेनानी उसे रास्ता दिखा रहा था सेनानी मैंशन के बाहर कहीं ले जाने के लिए। वोह दोनो एक ऐसी जगह आके रुके जो की पूल हाउस था। एक पूल हाउस जहां एक बड़ा सा आलीशान बैड भी लगा हुआ था।

"इस सब का मतलब क्या है?" सबिता ने अपनी ठंडी आवाज़ में कहा। उसने पहले ध्यान ही नही दिया था की वोह उसे कहां ले जा रहा है। वोह बस वहां हो रही बातों से भागना चाहती थी।

"कोई खास नही। बस एक ऐसी जगह है जहां मैं अपने आप को रिलैक्स करने और टाइम पास करने आता हूं," रेवन्थ ने कहा।

सबिता ने अपनी भौंहे सिकोड़ ली। "मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा की तुम मुझे यहां पर ले आए।" वोह समझ चुकी थी उस घटिया इंसान का मकसद उसे यहां लाने का। उसने उसके कान में एक बार फुसफुसाया था की वोह कितनी खूबसूरत लग रही है और उससे बिल्कुल इंतज़ार नही हो रहा शादी तक का उसकी वेडिंग नाइट के लिए।

"कम ऑन, सबिता। हम दोनो ही जवान हैं। जैसा तुम पहले से ही जानती हो की मैं तुम्हे पाने चाहता था। मुझे दिखाने तोह दो की मैं तुम्हे कितना चाहता......" रेवन्थ उसकी कमर पर हाथ डाल कर, अपनी उंगलियां उसकी कमर पर चलाते हुए के रहा था।

"मुझे बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है। और मुझे बिल्कुल भी पसंद नही की कोई मेरी परमिशन के बिना मुझे छुए," सबिता ने उसका हाथ अपनी कमर से झटकते हुए कहा।
सबिता बिना कोई सीन क्रिएट किए हुए उसके चंगुल से निकलना चाहती थी।
रेवन्थ ने अपना हाथ पीछे ही रखा लेकिन सबिता की तरफ थोड़ा झुक कर फुसफुसाते हुए बोला, "मुझे पता है तुम चाहती हो की कोई तुम्हे छुए।" वोह फिर बोला, "मैने अफ़वाएं सुनी है तुम्हारे बारे में की तुम्हे सिंघम को अपने करीब आने देती हो, उसे छूने देती हो। जब तुम उसे अपने आपको छूने दे सकती हो तोह मुझे क्यों नही? हम तोह शादी भी कर रहें हैं। मैं जल्द से जल्द सेनानी का वारिस तुम्हारी कोख में लाना चाहता हूं। तुम्हारी जैसी मां से, मैं जानता हूं की मेरा बेटा जन्म से ही एक योद्धा बनेगा।"

सबिता ने उसे अपने से दूर धक्का दिया।

"मैने तुम्हारा प्रस्ताव स्वीकारा नही है," सबिता ने ठंडे भाव से कहा। "मैने सिर्फ इस पर सोचने के लिए हां कहा है। और मैने अपने पास्ट में क्या किया है इससे तुम्हे कोई लेना देना नही होना चाहिए। जितनी जल्दी तुम्हारे दिमाग में यह बात घुसे उतना अच्छा है। समझे?"

रेवन्थ सेनानी, सबिता को अपनी ठंडी निगाहों से देख रहा था। फिर कुछ पल बाद वोह हंस पड़ा। वोह हंसी सबिता को चुभ रही थी और उसे उससे घृणा होने लगी। उसने याद किया की कैसे सेनानी के घर में काम करने वाली नौकरानी रेवन्थ सेनानी से डरती हैं। उसे लगने लगा था की जो अफवाये वोह सुनती थी वोह वाकई में सच थी।
वोह समझ चुकी थी की रेवन्थ सेनानी और उसका मरा हुआ छोटा भाई, दोनो ही रेपिस्ट हैं और बिना औरत के मर्ज़ी के उनका बलात्कार करते हैं, उनपार अत्याचार करते हैं और टॉर्चर करते हैं। क्योंकि उनकी शकल अच्छी है और पैसा पावर दोनो है इसलिए भाग्य उनका साथ दे जाता है और शहर से बाहर भी उन्हे नए बकरे आसानी से मिल ही जाते हैं अपनी हवस मिटाने के लिए। और जो विक्टिम्स बहुत सारा पैसा ऑफर होने के बाद भी अपना मुंह नही बंद रखते, वोह लोग या तोह मार दिए जाते हैं या फिर गायब कर दिया जाते हैं।

"कोई डाउट नही है, सबिता। हमारी शादी होगी। अगर तुम भी एंजॉय करना चाहती हो तोह हम अभी ही कर लेते हैं। क्योंकि मैं तोह बहुत ही बेसब्र हुए जा रहा हूं।"

"पहले से ही अंदाज़ा मत लगा लो, की मैं क्या चाहती हूं," सबिता ने कहा। " सिर्फ एक ही कारण है की मैं चुप हूं और उन लोगों को करेक्ट नही कर रही हूं जो यह समझ बैठे हैं की मैने तुम्हे हां कर दी है क्योंकि इसके पीछे मेरी अपनी पर्सनल वजह है। तुम चाहो तोह सबको सच बता सकते हो।















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(पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏)

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