यहां... वहाँ... कहाँ ? - 13 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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यहां... वहाँ... कहाँ ? - 13

अध्याय 13

दो दिन हो गए। उस दिन शाम को वाकिंग जाकर घर वापस आते समय विवेक.... सोफे पर बैठकर कैनवस शूज को खोल रहा था रसोई को देखकर आवाज दी।

"रूबी ! एक आधा गिलास चाय चाहिए। गरम देना...."

रुपल अंदर से जल्दी बाहर आई।

"क्यों जी.....! मेरा चाय देना रहने दो। आपको कमिश्नर ने फोन किया था....? आपने क्यों नहीं अटेंड किया?"

"अरे अरे....!" अपने सिर को पकड़ लिया विवेक ने। सेल फोन को साइलेंट मोड़ पर रख दिया। इसीलिए ध्यान नहीं गया....."

विवेक ने सेल फोन उठाकर... कमिश्नर को लगाया।

"सॉरी सर! आपके फोन करते समय मेरा फोन सायलेंट मोड पर था।"

"नो प्रॉब्लम मिस्टर विवेक.....! आज सुबह 11:00 बजे होटल में ठहरे नासा वैज्ञानिकों का ग्रुप से बात कर.... कारैकुड़ी के पास छोटा महल मणैपुतुर म्यूजियम जाने की बात को पक्का कर रहे हैं।"

"क्यों सर... उसमें कोई समस्या है क्या ?"

"समस्या कुछ नहीं है.... नासा वैज्ञानिक के ग्रुप के मुखिया बोथम थोड़ा डर रहे हैं....

"किस बात का डर ?"

"विदेश विभाग के द्वारा दी गई चेतावनी के कारण ! इस विषय में हमें उनको थोड़ा कन्वींस करना पड़ेगा.... मैं अकेले जाकर उनको कन्वेंस करूं तो ठीक नहीं रहेगा।  उनके लिए किए गए बंदोबस्त के बारे में उन्हें विस्तार से बताना पड़ेगा।"

"सर! कल ही इसके बारे में उनसे और वैज्ञानिकों से मैंने बात करी?"

"यू आर करेक्ट विवेक! उनको देने वाले रेड अलर्ट के बारे में विस्तार से मैंने भी पास में रहकर सुना। फिर भी कोई समस्या आएगी ऐसा भी डर रहे हैं। दोबारा एक बार बात करनी है।"

"ओ .के. सर! मैं कितने बजे आऊं?"

"ठीक 11:00 बजे मेरे ऑफिस में आ जाओ। विष्णु को भी साथ लाना।"

"आ जाएंगे सर!"

"प्लीज! आई विल वेट फॉर यू......"

विवेक बात करके..... सेल फोन को बंद किया.... रूपल ने चाय के कप को लाकर दीया।

"फोन पर कमिश्नर ने क्या बोला ?"

"वे नासा वैज्ञानिक ग्रुप कारैकुड़ी जाने के लिए बहुत डर रहे हैं। उन्हें कन्वेंस करने के लिए मुझे आना है....."

अमेरिका के लोग इतना क्यों डर रहे हैं?"

"उनके डरने में न्याय है रूबी ! अमेरिका में कोई आंदोलन होता है। तब लोग सिर नहीं उठाते। परंतु इंडिया में होने वाले सभी आंदोलन ऐसे नहीं हैं। आधे रास्ते में आंदोलन बोलेंगे... अचानक बहुत फैल जाएगा।

"नासा के काम करने वाले एक एक वैज्ञानिक का जीवन बहुत मूल्यवान है इसी कारण की वजह से ही वे कारेकुड़ी जाने में हिचकिचा रहे हैं ।"

"कारेकुड़ी में समस्या आएगी ऐसा सोच रहे हैं क्या ?"

"आंतरिक विभाग ने ही उन्हें चेतावनी दी है.."

"जब उन्होंने चेतावनी दे दी तो हमें रिस्क क्यों लेना चाहिए ?"

"रूबी यह एक बहुत बड़ा शोध है। वह प्रपंच कैसे शुरू हुआ उस प्रश्न का उत्तर देना है। कॉस्मिक डांस ऐसा विज्ञान के विषय में नटराज के डांस का धार्मिक विषय से संबंधित है क्या ? उसका शोध करने के लिए यह लोग आए हैं उसकी मदद करना हमारा कर्तव्य है। यांत्रिक विभाग 'आंदोलन हो सकता है!' यह एक चेतावनी है दे रही है इसके अलावा.... आंदोलन का भरोसा नहीं दिला रही।"

विवेक जैसे ही बोलना खत्म किया.... उसी समय बाहर की घंटी बजी।

साथ में विष्णु का सर भी दिखाई दिया।

"गुड मॉर्निंग बॉस !"

"आओ.... विष्णु.....!"

रूपल ने नाक से सांस खींचकर बोली "अहां हां... पोंगल की खुशबू....! क्यों विष्णु.... मइलापुर साईं बाबा मंदिर में जाकर आए हो लगता है....?"

"नहीं मैडम..... आज दूसरे एरिया! राजा अन्नामलाई पुरम एक नया हनुमान जी का मंदिर बना है वहाँ पर कुंभाविषेकम किया है। रिटायर होकर बुढ़ापे में अपने से मंदिरों में जाना होगा या नहीं...? इसीलिए अभी ही भगवान के दर्शन करता हूं...…

"मंदिर का प्रसाद लेकर वहीं बैठ कर खा गया क्या...... ऐसा करें तो कोटि-कोटि पुण्य मिलेगा औंवयार ने बोला है....! बड़े लोगों की बातों का सम्मान तो करना चाहिए?"

"देखा आपने.... यह जो काम करता है उसके लिए औंवयार को एक पार्टनर बना लेता है।"

"बॉस ! आपने चाय पी ली लगता है?"

"रूबी ! विष्णु के लिए चाय.....!"

"मुझे आपको कहने की जरूरत है क्या ? यह मैं जा ही रही हूं....!"

"रूपल रसोई की ओर जाने लगी..... विवेक विष्णु की तरफ मुड़ा। "विष्णु! मैंने तुम्हें काम बताया उसका क्या हुआ? कुछ उपयोगी समाचार मिला.....?"

"है.... है... है."

"बोलो !"

"बॉस ! मैं पहले ही आपको मन से एक हार पहनाता हूं। आपने कैसे उसे मालूम किया ...?"

"किसे ?"

आत्महत्या करके मरने वाला नेनछुट्टन अपने सेल फोन को..... अपने आत्महत्या करने के पहले 6 घंटे पहले ही इनकमिंग कॉल को भी...... और आउटगोइंग कॉल को आलो नहीं किया। वैसे ही गोकुलन आत्महत्या करने के पहले 6 घंटा पहले सेल फोन बिना काम किए था। इन दोनों बातों को मिलाकर गांठ बांध दिया..... उसी के बारे में बोला.....!"

मेरी तारीफ करना बहुत हुआ बस करो। जिस काम के लिए गया उसका क्या हुआ...?"

"बॉस ! जैसे आपने बोला वैसे ही एयर वॉइस सेलफोन कंपनी में गया विजिलेंस ऑफिसर को देखा । उनका नाम मार्कंडेय। गोकुल के सेल फोन नंबर नेनछुट्टन के सेल फोन नंबर देकर विषय के बारे में बताया.... पहले उन्होंने कंप्लेंट चार्ट को देखा।

"उस कंप्लेंट चार्ट में गोकुलन नेनछुट्टन के इस महीने में सिर्फ 7 बार कंप्लेंट किया था। उस कंप्लेंट में यही बताया। उन्होंने दोनों लोगों के सेलफोन को बार-बार देखा कोई सिग्नल ना मिलते गूंगे जैसे थे, कभी 5 घंटे... कभी 6 घंटे बाद कुछ सिग्नल मिलता ऐसा उन्होंने कंप्लेंट की है। दोनों जनों के सेल फोनो को ध्यान से देखने पर......"

"देखने पर......?"

"ठहरो बॉस ! मैडम.... टी लेकर आ रही हैं..."

"नो टी....! पहले विषय को बताओ। नहीं तो टी कैंसिल।"

"नहीं बॉस... कहता हूं ! देखने पर दोनों सेल फोन सामान्य सेलफोन जैसे 'अननोन एंड अननेमड' सिग्नल सब बाधित थे दिखाई दिए।"

"वह क्या 'अननोन एंड अननेमड' सिग्नल से प्रभावित दिखाई दिया ?"

"आकाश के हवा में भूमंडलीय जितनी आवाज हैं वे सब घूमती रहती हैं। उन आवाजों के बीच कुछ इलेक्ट्रॉनिक सिगनल्स में बदल कर सेलफोन को खराब करते हैं। इस तरह के सिग्नल का नाम ही 'अननोन एंड अननेमड सिग्नल।'"

"वही सिगनल्स ही गोकुलन, नेनछुट्टन के सेल फोंस को खराब कर दिया ?"

"हां ... बॉस !"

"उन दोनों के सेलफोन को ही सिगनल्स ने बाधा डाली इसका कारण ?"

"यह प्रश्न मैंने भी पूछा, बॉस ! उनसे जवाब देते नहीं बना। दिस इज वेरी रेरं अनयूजुअली बोलकर.... एक कोल्ड्रिंक देकर वापस भेज दिया......!"

"उन्होंने क्या बोल करके तुम्हें भेजा ?"

"वेरी रेरं एंड अनयूजुअल !"

विवेक जल्दी से सीधे हुए,"एक मिनट!" कहकर..... पास रखें तिपाई पर अपने सेलफोन को उठाया। उसमें एक अंक हो ढूंढ कर बटनो को दबाकर कान से लगाया।

दूसरी तरफ से "हेलो!" आवाज आने से विवेक ने बात की।

"डॉ राधाकृष्णन ?"

"यस होल्डिंग !"

"डॉक्टर ! मैं विवेक। क्राइम ब्रांच।"

"हाँ ! मिस्टर विवेक..... क्या बात है इतनी सुबह फोन? एनीथिंग इंपॉर्टेंट ?"

"यस.... डॉक्टर ! मुझे आपसे कुछ समाचार चाहिए...."

"प्लीज...!"

"आत्महत्या करके मरने वाले गोकुलन के बॉडी को और उसके मामा के बॉडी को आपने पोस्टमार्टम किया था ना ?"

"हां.....!"

"आपने जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में वह आत्महत्या की है बोले तो भी एक जगह आपने 'दिस इज वेरी रेंर एंड अनयूजुअल' शब्दों का प्रयोग करके रिपोर्ट दिया है.…... उन शब्दों का आपने क्यों प्रयोग क्यों किया बता सकते हैं ?"

"जरूर बोल सकता हूं...! गोकुलन और उसके मामा दोनों के दिमाग के अंदर पोस्टमार्टम में देखते समय रंग दूसरे तरह का था। दूसरी बात दिमाग के न्यूरॉन के बीच में जो द्रव्य पदार्थ को c.s.f. वह भी बिना द्रव्य जैसे था। तीसरी बात सभी आदमियों के दिमाग मजबूत ठोस सुरक्षित के अंदर एक द्रव्य में होता है ‌इस द्रव्य को c.s.f. कहते हैं।

"एक मनुष्य के मरने के बाद इसका द्रव्य कम होकर पतला हो जाता है। परंतु आत्महत्या करके जो मरे दोनों लोगों में द्रव्य जिस तरीके का होना चाहिए वैसी स्थिति में नहीं था। उसी को मैंने ऑब्जर्व कर दिमाग के कंडीशन को देखकर “दिस इज वेरी रेयर एंड अनयूजुअल” ऐसा रिपोर्ट में लिखा है।"

"ऐसी स्थिति इन दोनों को किस कारण हुई आप सोचते हो डॉक्टर ?"

"इसके लिए मैं एक साफ-सुथरा जवाब नहीं दे सकता। क्योंकि हमारे शरीर में दिमाग की रहस्य में अवयव है। हमारा मन एक है ऐसे शब्द सिल्की किस भाग में जाता है अभी तक कोई भी इसे बता नहीं पाया।"

"डॉक्टर मुझे एक संदेह है...."

"क्या ?"

"गोकुलन और उसका मामा दोनों लोगों के दिमाग में जो बदलाव नहीं आया है वह उन्होंने जो सेल फोन यूज़ किया है उसके कारण हो सकता है क्या ?"

"मे भी...! बट... बट मैं उसको पक्का नहीं कह सकता..."

"थैंक्स..... फॉर यू आर वैल्यू बल टेलीफन कन्वर्सेशन डॉक्टर!"

"वेलकम मिस्टर विवेक !"

विवेक ने सेल फोन को बंद करके एक दीर्घ श्वास.... लेकर सीधा हुआ.... विष्णु ने चाय पी ली।

"क्या है बॉस ! गोकुलन, उसका मामा के केस में कुछ प्रकाश पड़ा क्या?"

"अभी तो एकदम गुप अंधेरा है...!