यहां... वहाँ... कहाँ ? - 14 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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यहां... वहाँ... कहाँ ? - 14

अध्याय 14

बढ़िया पाँच सितारे होटल में स्पेशल सूट के कमरे में कमिश्नर उपेंद्र, विवेक, विष्णु के सामने नासा के वैज्ञानिक ग्रुप के बोथम  फिक्र से पीले पड़े चेहरे से बात कर रहे थे।

"आप लोग बात करते हैं उसे सुनकर मन में कुछ धर्य उत्पन्न होता है मिस्टर विवेक! आप लोगों ने जो बंदोबस्त किया है..... मुझे और मेरे ग्रुप के लोगों को सही ही लग रहा है। फिर भी हम लोग कारेकुड़ी जाएंगे तो कोई असंभावित बात हो जाएगी मेरा आंतरिक मन ऐसा कह रहा है। वह कॉस्मिक डांस शोध बहुत जरूरी है फिर भी उससे ज्यादा जरूरी हम लोगों की जिंदगी है ना?"

विवेक मुस्कुराया। "निश्चित तौर पर मिस्टर बोथम! मनुष्य की जिंदगी बहुत कीमती है। उससे भी बढ़कर एक वैज्ञानिक की जिंदगी 100 गुना ज्यादा सम्माननीय है। परंतु आपका डर बेकार है। आपके कारेकुड़ी जाने में किसी प्रकार की समस्या नहीं है। कारेकुड़ी जाने की बात को रहस्य ही रखा है।"

"इस आकाशीय शोध के मुखिया श्रवण इस कॉस्मिक  टास्क में बहुत ही इंटरेस्ट ले रहे हैं। भारत में अध्यात्म से संबंधित कोई भी शोध से संबंधित इस शोध से आगे आने वाले बहुत से प्रश्नों का उत्तर मिलेगा। बहुत सारे असमंजस की स्थिति में एक फैसला होगा। कल सुबह आप और आपके ग्रुप के लोग कारेकुडी निकल रहे हैं उसके लिए तैयार रहिए। सब तरह की सुरक्षा का प्रबंध को हम देख लेंगे।'"

"सॉरी टू से दिस मिस्टर विवेक! अभी इस शोध की आवश्यकता नहीं। हम लोग अभी वापस जाकर तीन महीने बाद आते हैं। उस समय कारेकुडी जाने के योजना को रखते हैं। यह कॉस्मिक टास्क

की अभी जल्दी भी नहीं है।"

"बोथम ने अपना आखरी फैसला बोल..…अपने दोनों कंधों को ऊंचा कर होंठों को पिचका कर विवेक ने एक दीर्घवश्वास लेकर कमिश्नर को देखा।

"सर! मुझे जो बात कहनी थी सब कह दिया। अब आपको ही बात करनी है…...!"

"मेरे बात करने का कोई फायदा नहीं है विवेक! इंडिया आकाशीय शोध के मुखिया श्रवण से बात करें तभी वह कन्वेंस होंगे मुझे लगता है...."

बोथम बीच में बोले "आप जिस भाषा में बोल रहे हैं वह मैं नहीं समझ सकता फिर भी.... आई अंडरस्टैंड यूअर फीलिंग। मैंने मिस्टर श्रवण कुमार सुबह ही बात कर ली और मेरे इरादों को उन्हें बता दिया। हमारे ग्रुप के भय को भी बता दिया। उन्होंने भी मुझे कन्वेंस करने का प्रयत्न किया। फिर मैंने जो कहा उसे स्वीकार कर 'आपकी इच्छा उन्होंने कह दिया। वे हमारी भावनाओं को समझ गए जैसे..... आपको भी हमारी भावनाओं को समझना चाहिए।"

विवेक कुछ समय मौन रहा फिर.... सिर हिला दिया।

"ओ.के. मिस्टर बोथम! इससे ज्यादा मैं आपको जबरदस्ती नहीं कर सकता। आप जब चाहे जब दोबारा भारत आ सकते हो। कॉस्मिक डांस के बारे में शोध कर सकते हैं।"

"थैंक यू वेरी मच! कल हम अमेरिका वापस जा रहे हैं....."

"गुड्स.... मिस्टर बोथम! बाय द वे... आप लोगों के याद में मैं एस अंग्रेजी पेपर को ले सकता हूं?"

"बोथम हंसे।" यह क्या प्रश्न है? यह आपके देश का अंग्रेजी दैनिक अखबार है 'टाइम्स ऑफ इंडिया'। इस होटल में कमरे के लिए डाला गया कॉम्पलीमेंटरी डेली है। मेरी याद में आप इस दैनिक को लेना चाहते हो? मैं अपना कोई निजी वस्तु आपको देना चाहता हूं....."

"नहीं मिस्टर बोथम....! मुझे यही दैनिक पत्रिका ही चाहिए। आपने पढ़ लिया ना इसे?"

"हां पढ़ लिया...." कहने पर उनका चेहरा बदल गया। "नहीं.... मिस्टर विवेक! यह दैनिक पत्रिका आपको नहीं चाहिए। वह... मुझे चाहिए।"

बोथम काम माथा पसीने से भीग गया। पास में जो टावल था उसे उठाकर उन्होंने  पोछा।

"क्या बात है बोथम.... आपको इस ए. सी. के कमरे में भी इतना पसीना आ रहा है?"

"नो आई एम ऑल राइट....."

"मैं इस दैनिक पत्र को ले सकता हूं?"

"हां...." सिर हिलाया।

"विवेक उस पत्रिका को लेकर खोला।”

पेपर के छठे पन्ने पर एक कॉलम को काटकर निकाला गया था।

व्यंग हंसी से विवेक ने पूछा।

"क्यों मिस्टर बोथम! इस दैनिक पत्र में छठी पेज में एक कालम कटा हुआ है आपने ले लिया क्या? क्या कोई मुख्य समाचार था?"

"वह... वह... एक विज्ञापन था!"

"विज्ञापन?"

हां... टाइट इनपुट ऐसा एक विज्ञापन.... कभी काम में आएगा ऐसा सोचकर काट के रख लिया।"

बोथम के अभी भी बहुत ज्यादा पसीना आ रहा था.... विवेक ने बोलना शुरू किया।

"सॉरी.... मिस्टर बोथम! आप झूठ बोल रहे हैं। मेरे घर पर यह दैनिक पत्रिका आती है। सुबह मैंने भी इस पत्रिका के सभी भागों को पढ़ा।  आपने जो काट के निकाला है उसमें मेरा ही समाचार था मैं बोलूं क्या?

"आपने काट के निकाला वह यही है।” 'यह मिस्ट्री ऑफ़ सुसाइड डेट्स'। इसमें नीचे गोकुलन और नेनछुट्टन किसलिए आत्महत्या किया.... ऐसे प्रश्न के लिए पुलिस कैसे परेशान हो रही है इसके बारे में विस्तार से लिखा था।

"वह खबर एक नासा वैज्ञानिक के लिए क्या जरूरत है...…यह कोई इंपॉर्टेंट समाचार मुझे नहीं लगा..... उसे काटकर आपने रख लिया। ऐसा है तो आपका इस समाचार से कुछ संबंध है ऐसा लगता है। वह किस तरह का संबंध है मैं मालूम कर सकता हूं?"

कमिश्नर उपेंद्र, विष्णु दोनों विवेक को आश्चर्य से देख रहे थे......

विवेक उनसे आगे बात करना शुरू किया।

"मिस्टर बोथम! हम इस कमरे में आए तब आप एक सेलफोन से बात करने में बिजी थे। हम तीनो लोग इसी सोफे में आपके लिए इंतजार कर रहे थे। उस समय मैं समय काटने के लिए इस अखबार को पलटने लगा।

"दैनिक पत्रिका के छठे पन्ने पर आते ही एक आश्चर्य। एक समाचार को काटकर निकाला था। मैंने कौनसा समाचार होगा सोच कर देखा.... मैं सुबह उसी जगह पर जो समाचार पढ़ा मन के अंदर उसका ध्यान आया। गोकुलन और उसका मामा दोनों के आत्महत्या करने के बाद नासा वैज्ञानिक बोथम से उनका क्या संबंध है मैंने सोचा। हमें आपको जवाब देना है मिस्टर बोथम.…..!"

"उत्तर मैं बताऊं क्या?"

अपने पीछे की तरफ से आवाज को सुन विवेक, विष्णु और उपेंद्र तीनों हचकचा कर मुड़ कर देखा।

नासा के एक दूसरे वैज्ञानिक अग्निहोत्री खड़े थे। हाथ में क्रोमियम मेटल के साथ एक पिस्टल चमक रहा जो थोड़ा ऊंचा हो कर तीनों ने एक साथ  देखा। पीछे के पैर से दरवाजे को बंद किया अग्निहोत्री ने।