यहां... वहाँ... कहाँ ? - 15 - अंतिम भाग S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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यहां... वहाँ... कहाँ ? - 15 - अंतिम भाग

अध्याय 15

पिस्टल को लिए हुए अंदर आए अग्निहोत्री को देख....

बोथम के पसीना बहना कम होकर चेहरा खिल गया।

"ठीक है टाइम पर आए हो मिस्टर अग्निहोत्री! कुछ भी योजना बनाकर हमने अपने काम को अंजाम देने में कहीं ना कहीं कुछ छोटी गलती रह जाती है। टाइम्स ऑफ इंडिया को पढ़कर.... आपको जो चाहिए उस समाचार को काट कर बाकी पेपर को कचरे में फेंकना चाहिए था।"

"उसे नहीं करने से पेपर को तिपाया के ऊपर रख देने से यह गलती हुई। इस पेपर को पढ़कर इसने पहचान लिया विवेक को स्कॉटलैंड पुलिस में रहना चाहिए!"

अग्निहोत्री अपने हाथ में पिस्टल लिए विवेक, विष्णु, कमिश्नर तीनों को निशाना लगा कर बोथम से बोले।

"इनको क्या करें साहब?"

"आपके पास जो है वह साइलेंस पिस्टल ही तो है?"

"हां...."

"तीनों को मारकर गिरा दो। इस कमरे को खून से सनने दो। पहले से हमारे विरोधी भारत में हैं..…होटल में घुसकर पता नहीं कौन आपको और मुझे मारने की कोशिश की..…. यह तीनों हमारे रक्षक होने के कारण..... विरोधियों ने इन्हें खत्म कर दिया ऐसे बोल देंगे.......!"

"विश्वास कर लेंगे?"

"विश्वास करने लायक हो गया!"

"पहले किसे मारूं सर?"

बोथम हंसे। "तीनों जनों में ज्यादा उम्र के कमिश्नर हैं। उन्हें मारिए....."

अग्निहोत्री के हाथ के बंदूक कमिश्नर की तरफ मुड़ी। उनकी ओर निशाना साधा।

विवेक, अपने बाएं पैर के छोटी उंगली से जमीन को दबाकर, शूरवीर की तरह गोल घूम कर हाथ में एक पत्थर उठाकर जोर से अग्निहोत्री के मुंह पर निशाना लगाया.......

अग्निहोत्री के हाथ में जो पिस्टल था वह बोथम की तरफ मुड़ा।

"मिस्टर बोथम बड़ी उम्र वाले को पहले मारना चाहिए तो यहां पर सबसे ज्यादा उम्र वाले आप ही हो। इसीलिए पहला वार आपके ऊपर। ले रहे हो क्या?"

बोथम का चेहरा एकदम सफेद हो गया और वे घबरा गए।

"अग्निहोत्री आपको क्या हो गया? इस समय यह तीनों हमारे विरोधी हैं। अपने रेस्क्यू प्रोजेक्ट को संदेह से देख रहे हैं। इन्हें जिंदा छोड़ दो सब कुछ साफ साफ हो जाएगा। उसके बाद हमारे हालत क्या हो जाएगी सोच कर देखिए......!"

"सॉरी मिस्टर बोथम! रेस्क्यू प्रोजेक्ट का उद्देश्य एक अच्छे काम के लिए शुरू किया था। हम दोनों ने मिलकर एक उद्देश्य के साथ पिछले साल तक वह ठीक दिशा में जा रहा था। परंतु अब अपने दिशा को बदलने की कोशिश आप कर रहे हैं। वह मुझे भी पसंद नहीं। मैं इनको सब सच्चाई बता दूंगा।

"इंडिया के कानून के हिसाब से आपने जो किया वह दोष है तो..... उसके लिए दंड भी आपको ही मिलना चाहिए। आप इससे सहमत नहीं है तो पिस्टल में से एक गोली आपको देना पड़ेगा। आपको किस में सहूलियत है बताइए.....!"

बोथम चिल्लाने लगे। 'डोंट शूट मी'.....!"

"इसका मतलब.... वहां.... दूर जो कुर्सी पड़ी है वहां जा कर बैठिएगा। इनसे मुझे बहुत ज्यादा बात करनी है।"

अग्निहोत्री पिस्टल को अपने कमर के बेल्ट में खोस कर.... विवेक की तरफ आए।

"सॉरी मिस्टर विवेक.....! स्थिति को कंट्रोल में लाने के लिए तुम तीनों को मेरा पिस्तौल दिखाना पड़ा...."

विवेक हंसा। "मुझे भी आप को सॉरी बोलना है...."

"किसलिए सॉरी?"

"आप यदि अपने पक्ष से बदलते नहीं तो मैं अपने बाएं पैर से आपके कमर को, सीधे हाथ आपके चेहरे को जख्मी कर देते। यह एक शूरवीर का स्ट्रोक होता। फिलीपींस जब गया था तब सीख कर आया था। सामने कितना भी बलशाली व्यक्ति हो..... कमर की हड्डी गाल की हड्डी टूटना जरूरी है!"

"मैं बच गया....!" कहकर हंसे अग्निहोत्री और उनके सामने बैठ गए। कुछ क्षण चुप रह कर बोलना शुरू किया।

"मिस्टर विवेक! नासा एक अद्भुत चीज है-वह एक आश्चर्य की वैज्ञानिक दुनिया है। इस आकाशीय पिंडों को एक गेंद के गोले जैसे समझकर मैदान में खेलते हैं.... उसमें नासा वैज्ञानिकों के साथ मैं भारत में रहते हुए भी नासा के इस काम में जुड़ा हुआ था जिसका कारण यह ब्रह्मांड को जानने की इच्छा ही थी।"

"बोथम एक होशियार आकाशीय वैज्ञानिक हैं। उनका 'रिसर्च क्यूब' में नहीं टीम लीडर हूं। 'सेलफोनों के किरणों की फैलने की गति' ऐसा एक प्रोजेक्ट.... मैं अपने ढंग से उसको तैयार कर रहा था उस समय कुछ आश्चर्यजनक बातें है ऐसा मुझे पता चला। 'आपके पास एक सेल फोन है तो एक चीज आपको देख रहा है'(an angel eye is watching you. If you have one cell phone) इस शीर्षक से मैंने एक थीसिस लिख कर बोथम को दिखाया। उसे देख ले मुझे गले लगा लिया।

"उसके बाद फिर हम दोनों मिले 'इखिल जे प्रोजेक्ट' एक शुरू किया। उस प्रोजेक्ट में..... हमने जो विषय मालूम किया, एक के पास यह सेलफोन हो तो उसी के सहारे दूसरे को खत्म कर सकते हैं!"

विवेक की आंखें आश्चर्यचकित रह गई। "कैसे?"

"बोथम के आकाशीय प्रकाश के शोध में उन्होंने एक आवाज और उसके प्रकाश को मिलाकर बायो-ट्रांसफर फ्रीक्वेंसी ऐसे एक सिग्नल को तैयार किया है। उसे संक्षिप्त में बी.डी.एफ. कहकर बोला। इस .  बी.डी.एफ सिग्नल को कोई एक देन उपयोग करके सेलफोन में बैटरी में और सिम कार्ड में आ जाएगा। उस समय सेलफोन काम नहीं करेगा। परंतु उसके बदले सेलफोन से बाहर आने वाले बी.डी.एफ की किरणें उनके शरीर के अंदर जाकर खून में मिलकर उनके दिमाग के जो न्यूरॉन है उसमें जाकर जमा हो जाता है।

"एक माह में चार या पांच बार इसे करने से बहुत है। सेलफोन को जो काम में ले रहा है वह हमारे काबू में आ जाएगा। हम उसके विचार को ले जाते हुए हम जो बोले वह वही करेगा. परंतु हम जो बात करें..... वह नंबर सेलफोन में लिस्ट में नहीं आएगा। उसे बोथम ने मुझसे बताया और इसे मालूम करना बहुत ही आपत्तिजनक है मैंने कहा। इसके लिए वे हंसते हुए बोले, 'हां! यह आपत्तिजनक ही है..... यह किसके लिए है तो आतंकवादी के लिए है। इस संसार में जितने आतंकवादी हैं वे दूसरे देशों के बम फोड़ने के लिए हजारों लोगों को मारकर बली देते हैं। वे कौन है उन्हें मालूम करने के लिए, उनके सेल फोन के द्वारा मालूम करके..... नासा ने एक कमरे में रहते हुए इन सिग्नल को भेजकर जितनी तीव्र वादी हैं उनको अपने आधीन कर सकते हैं.... अपने आधीन कर हम जो बोलेंगे उनसे करवा सकते हैं। हम जैसे बोले..…वैसे ही दे पत्र लिखकर आत्महत्या कर लेते हैं। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर यह पहचान नहीं सकते। दिमाग में कुछ अलग होता है.... शरीर में और किसी भी अवयव में कोई फर्क नहीं होता है।

"बी.डी.एफ के द्वारा आतंकवादी को खत्म करने का एक लक्ष्य है। इसे हम शांतिपूर्वक किसी को मालूम ना हो ऐसा करके खत्म करते हैं। हम जो छुप कर यह काम करते हैं जिससे तीव्र वादियों को खत्म कर दुनिया के लोग खुशी मना सकें। 'ऐसा उन्होंने बोला। उनका उद्देश्य अच्छा होने के एक ही कारण के वश मैं उनसे जुड़ गया। पिछले साल हमने तीन  आतंकवादियों को उन्हें आत्महत्या करने के लिए अपना फैसला लेने के लिए तैयार किया।"

"एक साल तक सब ठीक-ठाक हो रहा था। इस बीच बोथम के पैसों के लालच में इसे व्यापार में बदल दिया। अमेरिका के रहने वाले उनके अमीर मित्र-बिजनेस के विरोधियों को-खत्म करने के लिए बी.डी.एफ. औजार को हाथ में ले लिया। रुपए जो मिले उसमें मेरा हिस्सा देने वह आए। मैंने लेने से मना कर दिया। बोथम कहां है लालच बढ़ते बढ़ते... वह इंडिया में भी फैल गया।"

"चेन्नई रियल एस्टेट बिजनेस करोड़ों-करोड़ों कमा कर अपने विरुद्ध जो विरोधी हैं उन्हें खत्म करने के लिए आदिमूलम और उसके परिजनों को खत्म करने के लिए यहां पर एक ,बोथम से लेन-देन के बारे में बात की। करोड़ों रुपए इधर से उधर हुए।

इसी कारण गोकुलन और उसके मामा ने आत्महत्या कर ली। 'यह किस तरह का न्याय है ?' मैंने बोथम से पूछा। इसके लिए उन्होंने कहा 'आदि मूलन का पूरा कुटुम्ब है जो एक क्रिमिनल परिवार है। जो जबरदस्ती बहुत से लोगों के पैसों को हड़प लिया। नमंबरवार एक बहुत ही अच्छा आदमी था उसके पूरे कुटुंब को आदिमूलम ने खत्म कर दिया। इसके बारे में जो इंजीनियर संपत कुमार गोकुलन, और उसके मामा ने साथ मंजिल से उसे भी खेल कर मार दिया। मेरे हिसाब से आदिमूलम एक आतंकवादी है। उन्होंने कहा इस दुनिया में ज्यादा। लोगों को नहीं रहना चाहिए।"

"इनकी बात मुझे अच्छी ना लगने के कारण ही मैं उनसे दूर हो गया। इनके साथ काम करने में ही शरीर को संकोच होने लगा। नासा से रिजाइन कर दें ऐसा मैंने सोचा। उसके बीच में यह कॉस्मिक डांस के बारे में बात होने लगी... मैं बोथम के साथ भारत आ गया। इस काम के हो जाने के बाद वापस जाकर नासा से रिजाइन करने की मैंने सोचा।

"परंतु बोथम को इस कॉस्मिक डांस में इतनी रुचि नहीं आई। समस्या आने वाली है ऐसा आपके बंदोबस्त शाखा ने चेतावनी दी थी उस को आधार बनाकर अमेरिका जाने के लिए तैयार हो गए। परंतु किस्मत.... विवेक के वेश में आकर उन्हें दोषी के कटघरे में खड़ा कर दिया। अब आपके देश का कानून जो कहें उसी के हिसाब से आप कार्यवाही कीजिए। आप लोगों के साथ मैं सहयोग देने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं......"

"थैंक यू मिस्टर अग्निहोत्री! बोथम के पैसों के लालच में न आकर आपने हमें सच बता दिया इसके लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!"

"मेरे बोथम को सहयोग न देने का क्या कारण मालूम है आपको, मिस्टर विवेक?"

"मालूम है?"

"क्या कारण है?"

"आपके शरीर में दौड़ने वाला जो खून हैं वह भारतीय है!"

अग्निहोत्री उससे सहमत होते हुए हंसते हुए.... विष्णु ने पूछा।

"आदिमूलम का परिवार गोकुलन, उसका मामा बी.डी.एफ. के कारण से उन दोनों ने आत्महत्या कर ली। क्या आदिमुलम बी. डी. एफ. के द्वारा आदिमूलम भी आत्महत्या कर लेंगे?"

"हां..…! और एक-दो दिनों में सुबह या शाम किसी भी क्षण वे आदिमूलम ने आत्महत्या कर लिया आपके पास समाचार पहुंच जाएगा,"

विष्णु बीच में बोले "बॉस! इस जगह मैं एक बात बोलूं?"

"बोलो!"

"अपने चलने का रास्ता ठीक है.... तो धीरे चले तो भी सफलता है! मैं बोल रहा हूं रास्ता यदि गलत हो...... तो कितना भी जल्दी चलो हार निश्चित है....!

"इसे तुमको किसने बताया?"

"यह! सर झुका कर बैठे हैं ना अपने अमेरिका के दोस्त बोथम ने ही बताया !"