यहां... वहाँ... कहाँ ? - 6 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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यहां... वहाँ... कहाँ ? - 6

अध्याय 6

कमिश्नर उपेंद्र के कहे को सुनकर विवेक का चेहरा बदला..... उनके बात खत्म करते ही उसने पूछा।

"सर ! वह नासा वैज्ञानिक ग्रुप  के लोग दोपहर को बाहर नहीं आएंगे आपने कहा। सिर्फ रात के समय उनके साथ शोध संबंधित कार्य होगा आपने कहां ऐसा एक शोध की जरूरत है क्या?"

"मिस्टर विवेक ! आप नासा वैज्ञानिकों पर संदेह कर रहे हैं क्या?"

"नहीं संदेह नहीं कर रहा हूं साहब ! मन के अंदर एक छोटा सा डर आ रहा है।"

"क्या डर ?"

"रात के समय शोध करेंगे तो उनको देखने में एक छोटी कमी नजर आती है जो उन वैज्ञानिकों की जिंदगी में आफत आ सकती है।"

उपेंद्र मुस्कुराए। "ऐसी एक विपत्ति आने पर आप लोग हैं ना देखने के लिए..... यह देखिए विवेक! दिल्ली सीबीआई विदेश विभाग मिलकर लिया गया एक फैसला है यह। इसमें कोई भी बदलाव करने का हमें कोई अधिकार नहीं है।

"वी हैव टू ओबे दी ऑर्डर.... नासा वैज्ञानिकों का दिल्ली से चेन्नई आने में और 2 दिन  हैं। कल शाम को दोबारा एक मीटिंग करके बात करेंगे। रक्षा के को किस तरह से मजबूत कर सकते हैं इस बारे में बात करेंगे!"

कमिश्नर उपेंद्र बात करते समय उनका सेल फोन बजा।

उन्होंने देखा किसका फोन है। ए. सी. संतोष!

उन्होंने मोबाइल को कान पर लगाया।

"कहिए यह मिस्टर संतोष !"

"सर! मैं अभी इचंपाकम के आउटर में हूं। आज सुबह यहां एक बहुत बुरी बात हो गई!"

"क्या हुआ ?"

"रियल स्टेट के मालिक आदि मूलम का इकलौता लड़का गोकुलन-प्रेम में हार के कारण आत्महत्या कर लिया।"

"माय गुडनेस ! कैसी  आत्महत्या ?"

दूसरी तरफ से संतोष ने 2 मिनट में जो कुछ हुआ सब के बारे में विस्तार से बता कर खत्म किया।

"बॉडी मर्चरी में आ गई ?

"पोस्टमार्टम हो रहा है साहब ! रिपोर्ट और 1 घंटे में आ जाएगी..…"

"आदिमूलम जीवन में कष्ट उठाकर आगे आए लोग हैं। बहुत अच्छे आदमी हैं। अपना पुलिस डिपार्टमेंट को बहुत कुछ स्पॉन्सर किया है। उनको नुकसान हुआ है वह साधारण नुकसान नहीं है। उनके लड़के के मृत्यु का कारण वह लड़की ही है। उस लड़की को पहले ट्रेस करो।"

"उसके संबंध में इन्वेस्टिगेशन को मैंने स्टार्ट कर दिया साहब.....! सिटी में आज कितनी शादियां हुई है ? बड़े मेरीज हॉल में हुई शादियां कितनी है ? ऐसा हिसाब निकालकर लाने का काम एस.जे परशुराम को दे दिया है। आज शाम के अंदर वह लिस्ट मेरे हाथ में आ जाएगी । बट इसमें एक समस्या और है सर!

"क्या ?"

"आदिमूलम अभी प्रदेश के सरकार से विपरीत पक्ष में हैं। हम उनकी मदद कर रहे हैं पता चले तो हम को मिलने वाली प्रमोशन छूट जाएगा।"

"यू आर करेक्ट ! फिर उनकी मदद कैसे कर सकते हैं?"

"वही साहब ! मेरे भी समझ में नहीं आ रहा है। आदि मूलम अभी बहुत गुस्से में हैं। उनकी पत्नी बेटे के खोने के आघात से कोमा के स्टेज में ऐसी सूचना है।"

"मिस्टर संतोष ! यू डोंट वरी। मैं इस विषय को दूसरी तरह से हैंडल करता हूं। मैं और आप दोनों ही सीन में नहीं रहेंगे।"

"ओ.के. सर!" -दूसरी तरफ से संतोष सेल फोन को बंद कर दिया.... कमिश्नर उपेंद्र एक बड़ी सोच मैं पढ़कर अपने फोन को बंद किया। सामने जो अधिकारी लोग थे उन्हें देख कर बोले।

"इस क्यूट मीट को इसी के साथ समाप्त करते हैं। कल दोबारा मीट करके बात करेंगे।"

सब लोग उठ गए। दरवाजे के पास जाना शुरु कर दिया।

कमिश्नर  विवेक के तरफ मुड़े। "1 मिनट मिस्टर विवेक!" मुझे आपसे थोड़ी बात करनी है...."

विवेक खड़े हुए। "विष्णु भी साथ रह सकते हैं क्या साहब ?"

"बाय ऑल मिंस !"

विवेक और विष्णु कमिश्नर उपेंद्र के सामने जाकर बैठे। सब के बाहर जाने तक मौन रहे कमिश्नर,  फिर धीरे से बोले।

"मिस्टर विवेक..... मुझे आपकी मदद चाहिए!"

"बोलिए साहब !"

"आप रियल स्टेट आदिमूलम को जानते हैं ?"

"जानता हूं साहब ! आज चेन्नई में जितने भी अपार्टमेंट्स हैं वह सब के प्रमोटर आदिमूलम ही तो हैं? अच्छी तरह जानता हूं। इनके बनाए हुए बिल्डिंग के लिए एक स्पेशल सम्मान सेंट्रल गवर्नमेंट की तरफ से इन्हें मिला है....."

"उनसे प्रत्यक्ष में मिले हो क्या ?"

"नहीं...."

"आज उनका एक बहुत बुरा दिन है। उनका का एकमात्र लड़का है गोकुलन.... एक अधूरे बिना पूरा हुए अपार्टमेंट के सातवीं मंजिल से नीचे कूदकर आत्महत्या कर लिया। कारण प्रेम में निराशा !" ऐसे शुरू किया कमिश्नर ने..... असिस्टेंट कमिश्नर संतोष उनको बताए हुए सभी विवरण को इन्होंने विवेक को बता दिया।

सुनकर विवेक मुस्कुराए।

"अभी गोकुलन ने जिस से प्रेम किया वह कौन सी लड़की  है.... आदिमूलन के सामने जाकर खड़ा करना है। यही तो आप मुझसे मदद चाहते हैं! एम आई करेक्ट ?"

"यस! "

"साहब....! यह तो एक साधारण मदद है। गोकुलन साथ के फ्रेंड सर्कल को खंगाले तो हो जाएगा.... वह लड़की कौन है पता चल जाएगा। बट गोकुलन ने आत्महत्या में एक असाधारण विषय छुपा हुआ है... उसे आपने देखा ?"

कमिश्नर उपेंद्र के माथे पर पसीना आने लगा। "असाधारण क्या?"

"यस..."

"मेरी समझ में नहीं आया..... साधारण विषय आप किसके लिए कह रहे हैं?"

"साहब ! अभी तक आपने जो बातें बताई है उसे देख..... गोकुलन की प्रेम में  हार हुई। परंतु... वह आत्महत्या करने के लिए जो जगह चुना वह कुछ अजीब सा है....."

"इसमें कौन से विशेष बात है विवेक ? आत्महत्या करने के लिए सोचने वाला एक सुनसान जगह ढूंढेगा। उसके लिए इचंपाकम ही है-बिना पूरा हुआ अधूरा अपार्टमेंट के इमारत में गया....."

"साहब...... आप जो कह रहे हैं बिना किसी सुविधा के रहने वाले युवा आत्महत्या करने की सोचें..... तो उस तरह की जगह पर जा सकता है। परंतु गोकुलन एक सुविधा संपन्न युवा आत्महत्या करने की सोचें.... घर में ही आत्महत्या कर सकता है। बिना दर्द के मृत्यु कैसे हो एक धनवान युवा को पता होता है।

"एक विशेष प्रकार की सोने की गोलियां खा ले.... तो नींद में ही प्राण चले जाएंगे। इस तरह के सब रास्तों को छोड़ कर...... वह सुबह-सुबह इचंपाकम इस अधूरे अपार्टमेंट बने हुए पर ऊपर चढ़कर.... इतने निष्ठुर आत्महत्या करने की क्या जरूरत थी ?"

"अब आप क्या बोलने आ रहे हैं विवेक ?"

"गोकुलन के आत्महत्या के पीछे एक षड्यंत्र है...!."

"क्या षड्यंत्र ?- कमिश्नर के पूछते ही... विवेक हंसा।

"साहब ! पहले गोकुलन के पोस्टमार्टम रिपोर्ट मेरे हाथ में आनी चाहिए! उसको देखने के बाद ही मैं आपके प्रश्न का जवाब दे सकता हूं। अभी यह सिर्फ मेरा ही होम वर्क है!"