रात के सपने सुबह बहुत कम याद रहते हैं। मेरी आदत भी नहीं है कि अपने देखे हुए सपनों को फिर याद करूं, लेकिन कभी-कभी जब सपने का कुछ हिस्सा वर्तमान में चला आता है तो उसे याद करने की व्यस्तता बढ़ जाती है। वह दृश्य बंद आंखों के भीतर होता है, जिसे देखने के बाद लगता है इसे रात के सपने में देखा है, लेकिन कहां? यह सवाल आते ही उस सवाल में खो जाता हूं। इस बीच हर कुछ मिनट के बाद अपनी आंखें बंद करता हूं और अपने अधूरे सपने को पूरा करने के प्रयास में जुट जाता हूं। जब अधूरा सपना पूरा नहीं होता तो अपनी अधूरी लिखी हुई कहानियों को निकालकर पढ़ने बैठ जाता हूं। इस उम्मीद से कहीं रात का वह सपना अधूरी कहानी का कोई हिस्सा होगा, जिसे मैंने अभी तक लिखा ही नहीं।
अक्सर जब भी अपने घर की छत पर सोता हूं मुझे डरावने सपने आते हैं, जिसमें एक व्यक्ति मुझे मारने को आतुर होता है और वह सपना शुरू होते ही खत्म हो जाता है। अब तो मुझे लगता है कि छत में सोकर सपने देखना उस व्यक्ति के घर में प्रवेश करने जैसा है, जो बिल्कुल भी मुझे पसंद नहीं करता। हर बार भगा देता है। मैंने कई बार उस व्यक्ति से सपने में बातचीत करनी चाही लेकिन उस व्यक्ति को इसमें कोई दिलचस्पी नहीं रही। पहली बार अपने इस सपने को बड़ी गंभीरता से लिया है, क्योंकि इस सपने से पहले मुझे उस व्यक्ति के बारे में सोचना नहीं पड़ता। वह व्यक्ति भी केवल घर की छत पर सोने पर ही आता है।
आज मैंने ठान लिया था उस व्यक्ति के डराने से डरूंगा नहीं। आंख बंद होते ही नींद गहरी होने लगी थी। मुझे मालूम था वह व्यक्ति सपने के शुरुआत में ही चला आएगा और डरावनी आवाज और मुझे मारने की कोशिश में मुझे सपने से वर्तमान में भेज देगा, लेकिन इस बार हर बार की तरह कुछ नहीं हुआ। सपने में मैंने खुद काे वीरान मैदान में पाया। विशाल तालाब में कमल के फूलों के ऊपर पक्षियों का घना झुंड पहली बार देख रहा था। आसमान नीला होने से उसका प्रतिबिंब तालाब पर बना हुआ था।
मैदान के चारों ओर घनी-घनी घास ऊगी है, पहाड़ से निकलती धूुध मैदान को धीमी गति से अपने आगोश में ले रही है। दूर-दूर तक किसी व्यक्ति का होना मुझे नजर नहीं आया। अनजान जगह पर चलने का भय मुझे कभी नहीं रहा, लेकिन इस वक्त हर कदम में अचानक उस व्यक्ति का मुझ तक पहुंचने का भय था। शायद यह उस व्यक्ति का ही घर होगा, जहां वह मुझे पहुंचने नहीं देना चाहता था, तो फिर आज उसने रोका क्यों नहीं! यह सवाल बार-बार मेरे मन-मस्तिष्क में कौंध रहा था।
जब कोई नहीं दिखाई दिया तो मैंने आवाज लगानी शुरू की, तभी मेरी नजर तालाब किराने में बैठी एक लड़की पर गई। पिंक रंग के कपड़े पर उसका शरीर सुंदर दिखाई दे रहा था, लेकिन मेरे भीतर डर था। जोर से आवाज लगाना चाहा लेकिन मुंह से आवाज बहुत धीमी निकली, जो उस तक पहुंच भी नहीं पाई होगी। तभी इच्छा हुई कि मुझे उसके पास जाना चाहिए और बातचीत करनी चाहिए। मैंने तालाब के किनारे पहुंचने के लिए चलना शुरू किया। सूखे पत्तों में चलने की आवाज गहरे सन्नाटे में अधिक थीं लेकिन उस लड़की पर इसका कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। उसके पास पहुंचने 50 कदम का फासला तय कर लिया था, लेकिन अभी तक उसने पीछे मुड़कर मुझे देखा नहीं था।
छत में सपना देखने पर पहली बार इस जगह पर पहुंचा था। क्या यह वही व्यक्ति है जो मुझे हर बार डरा देता है! अगर ऐसा ही है तो हमारी बातचीत लंबी चलेगी। जब तक सुबह ना हो जाए। चलते वक्त एक से दो बार आवाज लगाई लेकिन उसने सुना नहीं। मैं उसके ठीक पीछे था, लेकिन यह उसे कैसे बताऊं? उसके बाल घने और काले थे। कान में सोने के रंग की छोटी बाली थी। घास में बैठकर वह चींटियों के साथ कोई खेल खेल रही थी। वक्त भर के लिए मैं भी उस खेल को देखने वही खड़ा हो गया। इस उम्मीद से भी कि उसकी नजर मेरी ओर पड़ेगी, फिर बातचीत होगी, लेकिन वह अपने खेल में इतनी मग्न थी कि उसे मेरा पास होने का अहसास भी नहीं हुआ। मैंने सोचा अब मुझे उसे इस खेल थोड़ा अलग करना होगा, लेकिन कैसे? अगर उसे छूकर बताऊंगा तो डर जाएगी। उसके डरने में भी शामिल हो जाऊंगा और सपना यही खत्म हो जाएगा।
मैंने तालाब में एक बड़ा पत्थर फेक दिया। उस पत्थर ने तुरंत असर दिखाया। पत्थर की दिशा और उछलते पानी को देखने के बाद वह झट से मेरी ओर मुड़ी। उसका चेहरा देख मुझे हैरानी हुई क्योंकि वह चेहरा मेघा का था। मैं पहली बार उसे इतने करीब से देख रहा था। मेरी कल्पना में जितनी सुंदर थी वास्तव में उससे भी ज्यादा इस वक्त नजर आ रही थी।
उसे इस जगह पर देखने के बाद भीतर ढेरों सवाल उपज रहे थे। मैं कुछ कहता उससे पहले ही उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और हरी घास में पैदल चलने को ले आई। मानों उसे मेरे आने का ही इंतजार था। चलते हुए खुद काे इतना चुप मैंने पहली बार उस वक्त पाया था। मैं बार-बार अपना हाथ मेघा के हाथों में देख रहा था, जो दोनों के बीच अपनत्व का भाव पैदा कर रहा था।
वह मुझे उस जगह पर कुछ दिखाना चाहती थी, इसलिए हाथ पकड़कर किसी जगह मुझे ले जा रही थी।
हम चलते हुए तालाब के उस छोर पर आ पहुंचे जहां से कमल का फूल पास से दिखाई पड़ रहा था। कुछ देर खड़े होकर तालाब में फूल का होना देखते रहे इसके बाद बैठ गए। हम अब बातचीत करना चाहते थे, लेकिन इसकी शुरुआत कैसी होगी हम दोनों को नहीं मालूम । तभी मेघा ने कमल का फूल तोड़कर लाने की इच्छा जाहिर की, यह सुनते ही सारा कुछ एक समय के लिए बदल गया। मुझे याद आ चुका था, जो सपना रात में देख रहा वह मेरा नहीं मेघा का था। ठीक इस जगह में हम दोनों का होना मेघा ने अपने सपने में देखा था, यह बात उसने मुझे बताई थी। उसने वह सपना अधूरा देखा था और जब मेघा ने इस सपने के बारे में मुझे बताया था उस दिन से इसे पूरा देखना चाहता था। इसलिए कई दिनों से उस सपने के बारे में सोच रहा था। अब मैं मेघा के बताए सपने में देख रहा था, जो मुझे मालूम हो चुका था। इस सपने का अंत तभी करना चाहता था जब तक हम दोनों मुलाकात के बाद एक दूसरे को यह वादा ना कर दें कि हम जल्द मिलेंगे।
मेघा को देखने के बाद जितने सवाल थे वह सब भूल चुका था, उसे पूछने में भी मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। सपने में मेघा को बताना भी नहीं चाहता था कि यह सपना असल में तुम्हारा है। तुमने इसे पूरे दिल से जिया है, अब मैं अपने सपने में जी रहा हूं। यह ज्ञात होते ही भीतर में खुशी उछाल मारने लगी थी। अपनी खुशी को दबाए हुआ था कहीं वह बाहर ना आ जाए। सपने में मेघा से अब लंबी चर्चा चाहता था। बहुत देर बाद मैंने उससे कहा, तुम कैसी हो? उसने मुस्कुराते हुए अच्छी हूं में जवाब दिया। बातचीत से पहले चेहरे में उसकी लाल रंग की बिंदी देखने में काफी व्यस्त था। उसकी खूबसूरती में उस बिंदी का योगदान भी था।
यह जगह बहुत सुंदर है। क्या तुम इससे पहले यहां आ चुकी हो?
मेघा- हां मुझे भी यह बेहद पसंद आई। यहां पहली बार आई हूं लेकिन हमेशा यह जगह पुरानी होने का एहसास दिलाती है।
तुम्हारी आवाज में सुकुन है। जब पहली बार सुनी थी उस वक्त का सुकुन आज फिर मिल गया। मेरी बात उसे अच्छी लगी। पहले मेरी ओर देखकर मुस्कुराई फिर आसमान में शून्य की ओर देखने लगी। फिर उसने कहा, तुमसे मिलने यहां आई थी। जवाब दिया, मैं भी तुमसे मिलने इस सपने में पहुंचा। तुमसे मिलने इस सपने में आना एक तरह का समय निकालने जैसा है। इसी बीच उसने तालाब से फूल लाने की बात कही। उसने दूसरी बार इच्छा जाहिर की थी। बिना देर किए मैंने भी तालाब में छलांग लगा दी और पानी के भीतर चला गया। तालाब में ढेर सारे कमल के फूल थे। तालाब से ही मेघा को पूछने लगा क्या तुम्हें यह वाला चाहिए? उसे 5 से 6 फूलों में सहमति दर्ज नहीं कराई फिर उसने छोटा फूल लाने को कहा लेकिन इसके लिए लंबी दूरी तक तैराकी करनी होती। जैसे ही मैंने उसे कहा, तुम मेरा इंतजार करो मैं वह फूल लेकर आता हूं।
एक फूल के लिए मुझे तालाब में परिक्रमा लगाते देख मेघा से भी देखा नहीं गया और वह भी तालाब में चली आई। उसे तैरना नहीं आता है, लेकिन वह मेरी तरह अच्छे से पानी में तैराकी कर रही थी। हम दोनों ने फूल तोड़ना भूलकर फिर आपस में बातचीत करने लगे। मैं उसका हाथ पकड़कर उसे तालाब के भीतर की दुनिया दिखना चाहता था। मैंने अपना हाथ बढ़ाया, मेघा ने भी इसमें साथ दिया। सुनो अब हम पानी के भीतर जाएंगे। लंबी सांसें भर लो.. तभी उसने कहा, अगर पानी में मेरी सांस कम पड़ जाएगी तो तुम्हारी सांस मुझे मिल पाएगी? उसकी ऐसी बातें मुझे शुरु से पसंद हैं। मैंने कहा, हां बिल्कुल मिल जाएंगी। मेरी सांस में तुम्हारा होना भी शामिल है। सुंदर बातचीत के बीच सपने में भी मेरे भीतर हम अच्छे दोस्त हैं इसका भाव मौजूद था। यही भाव हमारी मित्रता की खूबसूरती है, जो महीनों से दोनों के बीच बनी हुई है। हम दोनों कभी नहीं मिले। यह बेहद आश्चर्यजनक बात है कि मैंने भी उसे सपने में पहली बार देखा है।