ब्लैकलिस्टर Ranjana Jaiswal द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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ब्लैकलिस्टर

लगभग बीस वर्ष बाद नीलम ने अनिकेत को फेसबुक पर देखा |उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी |चेहरा थोड़ा पहचाना लगा तो नीलम ने उसकी प्रोफाइल फोटो को जूम करके देखा |हाँ,वही था ,पर काफी बदल गया था |पहले वह काले बिल्ले की तरह दिखता था ,अब सफेद बालों और दाढ़ी-मूंछ के कारण झबरीले कुत्ते की तरह दिख रहा था |पान से रंगे दाँत और चमकती आँखें ज्यों की त्यों थी |उसे आश्चर्य हुआ कि कभी यही व्यक्ति उसकी जिंदगी का हिस्सा था ,भले ही कुछ महीनों के लिए ही सही |जब वह नजदीक था कभी इतना बुरा नहीं लगा था |शायद इसलिए कि तब वह उसे मन का अच्छा समझती थी |उसके काले रंग,चमकती आँखों और छोटे कद को वह ईश्वर की देन समझती थी और दूसरी लड़कियों की तरह उसका उपहास नहीं करती थी |पर जब उसका मन खुला और वह उसके तन से ज्यादा काला निकला फिर वह उसे बुरा लगने लगा |उसकी शारीरिक कमियाँ भी उसे नजर आने लगी |पहले जब लोग उससे पूछते थे कि उसने उसमें क्या देखा ?कोई मैच ही नहीं आपसे तो वह दार्शनिक की अंदाज बोलने लगती कि रूप-रंग देखना उस खुदा को नाराज करना है ,जिसने भांति-भांति के लोग बनाए हैं |आदमी बेहतर इंसान होना चाहिए जैसा कि अनिकेत है संवेदनशील,सहृदय और निश्छल |

यह सच था कि वह उससे प्यार नहीं करती थी पर उसे अपना जीवन साथी बनाने में उसे एतराज न था पर जब उसे पता चला कि अनिकेत ने अपने ब्याहता पतिव्रत स्त्री को सिर्फ इसलिए छोड़ दिया कि वह बदसूरत है तो उसे धक्का लगा |वह खुद ही कौन –सा शहजादा लगता है ?पर पुरूष चाहें जैसा भी हो पत्नी सुंदर ही चाहता है |पर उसके स्त्री विमर्श को यह स्वीकार नहीं हुआ और वह उससे जबरन अलग हो गयी थी |

इतने दिनों बाद उसे देखकर नीलम को उसके बारे में यह जानने की इच्छा हुई कि इन बीस वर्षों में उसने क्या-क्या किया ?इसीलिए उसकी रिक्वेस्ट को स्वीकार कर लिया और उसकी फोटो गैलरी देखी|विभिन्न तीर्थ-स्थलों में वह अपनी दूसरी पत्नी के साथ हँसता हुआ दिख रहा था | उसी की तरह छोटे कद की गोल-मटोल उसकी पत्नी भी थी बस दोनों में अंतर यही था कि पत्नी का रंग थोड़ा साफ था |एक फोटो में वह हँसते हुए कार चला रहा था दूसरे में वह बड़े से काले कुत्ते को सहला रहा था |कुत्ते से उसकी समानता को देखकर नीलम को बहुत हँसी आई|क्या उसे एहसास है कि वह अमीरों के इन चोंचलों के बीच खुद एक चोंचले की तरह दिखता है |खैर अब उससे क्या ?जब उससे वर्षों पहले उसने खुद सारे रिश्ते खत्म कर लिए थे |वह उसकी जिंदगी से इसलिए अलग हुई थी कि वह अपनी पहली पत्नी को ले आएगा |फिर भी वह अपनी पहली पत्नी को नहीं ले आया दूसरी शादी कर ली |अनिकेत कितना खुदगर्ज इंसान है ?

वह बहुत पूजा-पाठ करता है और तंत्र-मंत्र में भी उसका विश्वास है ,जबकि वह इन सब चीजों को ढोंग मानती है |इतना धार्मिक होते हुए भी उसने एक अच्छी स्त्री की जिंदगी बर्बाद कर दी और उसकी भी करना चाहता था |वह उसे छोड़ने को तैयार ही नहीं था |पर नीलम ने ससे साफ कह दिया था कि देखो मैं किसी भी पुरूष को इतना प्यार नहीं कर सकती कि किसी स्त्री का हक छीन लूँ |’इस पर वह दाँत पीसते हुए बोला था –तुम्हारा नारी जागरण मैं निकाल दूँगा |चारों तरफ इतना बदनाम कर दूँगा कि कोई पुरूष तुम्हें अपनाएगा नहीं |वह उससे नहीं डरी|उसे लगा कि यह उसकी गीदड़ -भभकी है पर नहीं उसने ये सब किया |उसने उसके घर वालों ,रिशतेदारों को पत्र लिखकर बताया कि दोनों के बीच अंतरंग रिश्ते थे |पम्पलेट भी छपवाए जिसमें उसको एक गलत लड़की के रूप में चित्रित किया |उसने लिखा कि नीलम ने ही उसे फंसाया |वह उसके साथ स्कूटर पर इस तरह सटकर बैठती थी कि सके स्तनों का दबाव वह अपनी पीठ पर महसूस कर सके |उसके जाने कितने पुरूषों से संबंध रहे हैं इत्यादि इत्यादि |उसने उस पंपलेट को भी उसके सारे परिचितों और उसके भाइयों को भेज दिया पर इतनी चालाकी भी बरती कि अपने परिवार या रिश्तेदारों को इस संबंध में कुछ नहीं बताया ताकि उसके नए रिश्ते में परेशानी न हो |उनके लिए वह आदर्श ही बना रहे साथ ही एक बेचारा भी ,जिसकी एक बदसूरत पत्नी है |इसलिए उसकी दूसरी शादी जायज है |इतना चालाक और धूर्त इंसान आज धर्म और अध्यात्म की बातें करता है |तीर्थस्थानों की खाक छानता है |वह उसके अतीत का काला पन्ना बन गया था |कितने ही वर्ष लग गए थे उस काले पन्ने को साफ करने में |फिर भी साफ नहीं हु तो पन्ना फाड़ना पड़ा औ आज वह फिर सामने था उतना ही ढोंगी |उसने इनबाक्स में उससे बातें की और कहा कि वह तो उससे प्रेम करता था आज भी करता है |वही गलत बहकावे में उसे छोडकर चली गयी थी |पर कोई बात नहीं |वह उसका आवेग था साथ ही...ईश्वर की लीला भी |फिर वह अध्यात्म और दर्शन की उलझी –उलझी बातें करने लगा |वह ऊबने लगी और बहाना बनाकर चैट से हट गयी और आफ लाइन हो गयी |एकाध बार उसने फोन किया तो भी नीलम ने नहीं उठाया |

पर जब वह उसकी प्रेम-कविताओं पर इस तरह टिप्पड़ी देने लगा ,जैसे उसने वे कविताएं उसी के लिए लिखी हों,तो वह गुस्से से भर गयी |वह तो उसकी नफरत के लायक भी नहीं था ,प्रेम तो दूर की बात है |उससे जुड़ी एक भी मधुर स्मृति उसके पास नहीं है |फिर भी उसके प्रेम पर अपना हक जताना चाहता है,वह भी इतने वर्षों बाद | नीलम को उबकाई –सी आई |सोचने लगी कि ये स्त्री मन भी कैसा विचित्र होता है ?बिना मन के देह तो दूर वह देह की परछाई को भी बचाती है |और पुरूष को देखो कितने अहंकार और खुशफहमी में जीता है कि वह दिखने में चाहे जैसा हो ,चाहे जितना भी दुर्व्यवहार स्त्री के साथ करे ,स्त्री उसे प्रेम करेगी ही | उसके एक बुलावे पर दौड़ी चली आएगी |मूर्ख पुरूष!यह भी नहीं जानता कि स्त्री की निगाह से एक बार गिरने के बाद वह कभी उसका प्रेम-पात्र नहीं बन सकता |जबरन देह हासिल कर सकता है प्रेम नहीं |

फिर उसने सोचा जाने दो माफ करो वैसे भी अब उससे क्या रिश्ता है ?दोनों की अपनी अलग जिंदगी है| पर उसने उसके एक मित्र से शेख़ी में यह बता दिया कि वह उसके करीब रही है |जब मित्र ने उससे पूछा तो वह गुस्से में मित्र को ही भला-बुरा कह बैठी कि उसने ऐसी बातें सुनी ही क्यों ?उसे सोचना चाहिए था कि उसका चयन इतना घटिया कैसे हो सकता था ? बात आई-गयी हो गयी पर यह अतीत का एक सच तो था ही भले ही वह उसपर पर्दा डाल चुकी थी |अनिकेत के लिए वह रिश्ता गौरव गाथा हो सकता है पर उसके लिए तो कलंक ही है |उसकी माँ ने उससे कड़ाई से कहा था कि कभी भूलकर भी अनिकेत के बारे में किसी से बातें न करे |उसे दफन कर दे |अपने भाइयों को नार्मल करने में उसे और उसकी माँ को कितनी मशक्कत करनी पड़ी थी |फिर भी गाहे-बगाहे वे ताने दे ही देते हैं कि कई गुल खिला चुकी हो |अनिकेत की चिट्ठी और पम्पलेट में उसका जिस तरह चरित्र हनन किया गया था ,वह कोई नहीं भूला पाया था |वह अक्सर सोचती है कि पुरूष कितना कमजोर होता है जब वह स्त्री से सीधी लड़ाई में नहीं जीत पाता तो उसका चरित्र-हनन करने लगता है |उसे कालगर्ल,वेश्या सिद्ध करने लगता है | एक बार भी अपने चरित्र को नहीं देखता है |उसे लगता है कि संसार का कोई भी पुरूष इतना सच्चरित्र नहीं हो सकता कि किसी भी स्त्री को चरित्रहीन कह सके |पर नहीं हर ऐरे-गैरे पुरूष भी स्त्री को गाली देखकर अपने पुरूष होने पर गर्व करते रहते हैं |साथ ही स्त्री के तन-मन और प्रेम को भी पाना चाहते हैं |छी:!क्लीव कापुरूष !तुम लोग तो प्रेम के लायक भी नहीं |

अनिकेत फिर से उससे दोस्ती बढ़ाने के चक्कर में पड़ा हुआ था |उसकी प्रसिद्धि ,उसकी सुंदरता पर अपनी मोहर लगाना चाहता था |पर उसे उसकी कोई जरूरत नहीं थी |उसने तो महज उसकी पहली पत्नी की खैरियत जानने के लिए उससे चैट कर लिया था |फेसबुक पर उसके अध्यात्म संबंधी प्रवचन चालू थे साथ ही उसका प्रयास था कि नीलम के लाखों फ्रेंड यह जान जाएँ कि वह उसके लिए विशेष है | उसकी सिक्स सेंस ने उसे आगाह किया कि उससे तत्काल दूरी बना लो वह अधमरा साँप है मौका मिलते ही डंस लेगा |नीलम ने उसे छोड़कर उसका जो अपमान किया था ,वह उसे कभी नहीं भूलेगा |पुरूष का अहंकार बहुत बड़ा होता है |

नीलम भी उसे सहन नहीं कर सकती थी |अब वह उसे किसी ढोंगी बाबा की तरह लगता था ...था भी |और वह किसी बाबा को अधिक दिन नहीं झेल सकती थी |नीलम ने फिर फैसला ले लिया और अनिकेत को अपनी जिंदगी की तरफ फेसबुक पर भी ब्लाक कर दिया |अब वह सही मायने में ब्लैकलिस्टर था |