नीम का पेड़ (भाग 19) Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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नीम का पेड़ (भाग 19)

" सुंदर है।किसकी है?"फोटो देखकर रमेश बोला।
"दूर के रिश्ते की मौसी की भतीजी की लड़की रेखा है।"रेखा के बारे में बताते हुए कमला बोली,"इससे तेरी शादी की बात चल रही है।"
"मेरी शादी,"मा की बात सुनकऊर रमेश चोंककर बोला,"मैं तो विवाहित हूँ।फिर दूसरी शादी कानून अपराध है।"
"मैं कब कह रही हूँ सपना के रहते शादी कर ले।पहले सपना को तलाक दे दे।फिर रेखा से शादी करना।"
"लेकिन मैं सपना को तलाक क्यो दे दूं?"
"क्योकि सपना बांझ है।"
"नही माँ सपना बांझ नही है।"
"अगर सपना बांझ नही है तो शादी के पांच साल बाद भी वह मां क्यो नही बनी है?"कमला ने बेटे से पूछा था।
"क्योंकि कमी पत्नी में नही मेरे में है।मेरी पत्नी रहकर सपना कभी माँ नही बन सकती"।रमेश ने सपना के मां न बनने का कारण माँ को बताया था।
"यह तू क्या कह रहा है?"बेटे की बात सुनकर माँ आश्चर्य से बोली थी।
"मां जो डॉक्टर ने मुझे बताया वो ही बात तुझे बता रहा हूँ,"रमेश बोला,"हकीकत जानकर भी सपना मुझे तलाक देना नही चाहती और तुम बिना हकीकत जाने उसे तलाक देने के लिए कह रही हो।"
कमला और सपना दोनो ही औरत थी लेकिन उनकी सोच में कितना अंतर था।
63--अंतर
"इतनी दूर कहाँ जाएगी?वहाँ कोई अपना भी नही है।अकेली कहाँ रहेगी?"
श्रेया का मद्रास की एक कम्पनी में केम्पस सलेक्शन हुआ था।उसने माँ को बताया तो माँ बोली थी।
"मेरे क्लासमेट पंकज का भी सलेक्शन हुआ है।उसके साथ रह लूंगी।"
"तू लड़के के साथ रहेगी।यहां लोगो को पता चलेगा तो किस कहेंगे?"बेटी की बात सुनकर माँ बोली,"लोगो को पता चलेगा तो हमारी कितनी बदनामी होगी?"
"भैया मुम्बई में अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रह रहे हैं तब बदनामी नही हो रही।"मां की बात सुनकर श्रेया बोली,"मैं बॉयफ्रेंड के साथ रहूंगी तो बदनामी होगी।'
बेटी ने बातो ही बातो में माँ की सोच के अंतर को उजागर कर दिया था।
64--नीम का पेड़
तेजा के दो बेटे राम और बिशन थे।बेटो के भविष्य को ध्यान में रखकर उसने पांच सौ गज का प्लाट खरीदा था।उस पर काफी बड़ा मकान बनवाया था।मकान के आगे खाली जमीन भी छोड़ी थी।बरसात के मौसम में उस खाली जमीन पर एक नीम का पेड़ उग आया।जो धीरे धीरे बड़ा होने लगा।
बेटो के बड़े होने पर तेजा ने राम की शादी विमला और बिशन की रमा से कर दी।दोनो बहुओं में बिल्कुल नही बनती थी।इसलिय वे अलग होना चाहती थी।लेकिन बेटो की बाप से बटवारें की बात कहने की हिम्मत नही होती थी।लेकिन पिता के गुज़रते ही दोनो भाई ने मकान का बंटवारा कर लिया।
दोनो भाई मकान के बीच मे दीवार खड़ी करना चाहते थे।लेकिन बीच मे नीम का पेड़ आ रहा था।उसको कटवाना जरूरी था।नीम का पेड़ घना और बड़ा हो चुका था। इसको बेचने पर हजारों रु मिल सकते थे।दोनो भाई पेड़ पर अपना हक जमाने लगे।इस बात पर रोज उनके बीच झगड़ा होने लगा।एक दिन भाइयो के बीच झगड़े में दोनो की पत्नियां भी कूद पड़ी।झगड़ा इतना बढ़ा की बिशन के हाथों राम और विमला के हाथों रमा का खून हो गया।
जिस पेड़ के लिए दो खून हुए और दो लोग फांसी पर चढ़ गए।वह पेड़ अभी भी उसी जगह अपनी विशालता के साथ खड़ा था।