दिल्ली के इन्दिरा गांधी इण्टरनेशनल एयरपोर्ट पर इतनी भीड़ इकट्ठी थी जितनी की तब भी इकट्ठी नहीं हुई थी जब भारत की क्रिकेट टीम वर्ल्डकप जीतकर लौटी थी।।
अब उसका कारण था कि भारत में एक चमत्कारिक पुरूष प्रवेश करने वाला था,जो कि विज्ञान के बल पर अपने शत्रु से जीतता है और उस शख्स का नाम है बैटमैन।।
एयरपोर्ट पर सभी न्यूज चैनल्स के मुख्य पत्रकार बैटमैन का इण्टरव्यू लेने आए थे,जैसे सरनव शोरस्वामी,वो बस यही चिल्ला चिल्ला कर कहे जा रहे थे कि पूछता है भारत के बैटमैन कब तक आएंगे....पूछता है भारत कि बैटमैन कब तक जाएंगे।।
उधर सजत वर्मा भी अपना माइक ले करके हाजिर थे आप की अदालत में बैटमैन से प्रश्न पूछने के लिए।।
तो सतीश कुमार क्यों पीछे रह जाते,उन्हें भी बैटमैन को अपने कैमरे मे कवर करना था ताकि अपने शो प्राइम टाइम मे वो मंद मंद मुस्कुराते हुए उन पर तंज कँस पाए,बड़ी अच्छी तरह तंज कसते सतीश कुमार जी कि सामने वाले को पता ही नहीं चलता कि वो उसे गधा कह रहे हैं और वो उसे गधा कह भी देते हैं।।
तो भइया! काफी इंतज़ार के बाद बैटमैन की फ्लाइट आई और सरनव शोरस्वामी अपना माइक लेकर बैटमैन के पास पहुंँचे,सबने कहा हमें भी इण्टरव्यू लेना हैं तो सरनव शोरस्वामी चिल्लाने लगें कि दिस इज माई माइक।।
तो भइया! सरनव शोरस्वामी को ही पहले इण्टरव्यू ले लेने दिया गया और बाक़ी सब ने बाद मे लिया।।
बैटमैन से सवाल पूछा गया कि आप भारत क्यों आएं हैं?
बैटमैन ने जवाब दिया___
जी,मेरी सबसे प्यारी दोस्त मातृभारती ने मुझे यहां बुलाया है।।
अगला सवाल पूछा गया तो भारत में आप कहाँ रहेगें?
बैटमैन ने जवाब दिया___
भारत में मैं भारतकुमार के यहाँ रहूँगा, वहीं जो हमेशा अपना आधा चेहरा अपने हाथ से ढ़के रहते हैं,तो अब मै आप सबसे जाने की इजाजत चाहूंँगा और इतना कहकर बैटमैन साहब भारतकुमार के यहाँ जाने के लिए चल पड़े और कुछ समय बाद बैटमैन भारतकुमार के गाँव में हाजिर थे।।
भारतकुमार ने जब बैटमैन साहब को देखा तो बहुत खुश हुए और बोले आपका स्वागत बैटमैन बाबू!
जी मुझे भी बहुत खुशी हुई आपसे मिलकर,बैटमैन साहब बोले।।
लेकिन इ का अँधेरे में काहें खड़े हैं, आप जहाँ हैं बस वहीं पर अँधेरा,थोड़ा ब्राइटनेस बढ़ाइए ना बैटमैन बाबू! और इ आपकी आवाज को का हुआ,भारी काहे हैं, आप ना दिन में दो बार मुलेठी चबाएंगे तो आपकी आवाज भी ठीक हो जाएगी,भारतकुमार बोले।।
जी बहुत अच्छा, बैटमैन साहब बोले।।
फिर भारतकुमार,बैटमैन से बोले___
और इ कौन से कपड़े पहने हो,आँखें भी बंद हैं और अण्डरवियर बाहर पहन रखा है, छी छी लगता है आपके देश वालों को सहूर नहीं हैं और इ आँखों से नकाब उतार दीजिए वरना कोई समझेगा कि हमारे घर मे चोर डकैत घुस आया हैं, ये रही बन्डी और धोती,साथ मे गमछा भी है, मूड़ मा बाँध लो घाम (धूप)ना लगेगा , ये रहे प्लास्टिक के बूट(जूते),ये रही तुम्हार सदरी और सबसे मुख्य चीज हैं इ सुरती की डिबिया, चूना सहित, थोड़ी सुरती निकालिए हथेली पर चूने के साथ मलिए और जीभ के नीचे दबा लीजिए, फिर देखिए कि का आनंद आता है, आप दुनिया का हर ग़म भूल जाएंगे और मेहनत से नहीं घबराएंगे।।
इस तरह से बैटमैन साहब अपने कपड़े बदलकर आ गए।।
भारतकुमार बोले चलिए अब खेतों में चलते हैं, वहाँ कितना काम पड़ा है।।
कुछ समय बाद दोनों खेंतों में पहुँचे,भारतकुमार जी ने बैटमैन से कहा कि इ लीजिए हल ,आपका असली हथियार, अभी तक आप वैज्ञानिक हथियारों को अपने कामों के लिए उपयोग करते थे लेकिन ये है भारतीय किसान का हथियार, जिसके बल पर वो सारे संसार के लिए भोजन उगाता है।।
चलिए अब आप ये खेंत को जोत डालिए और हम उधर वाला खेत जोतने जा रहे हैं और इतना कहकर भारतकुमार खेत जोतने चले गए, इधर का खेत बैटमैन बाबू जोतने लगें।।
लेकिन बैटमैन बाबू को खेत जोतना मुश्किल हो रहा था,ऊपर से कड़ी धूप और उनके पास उनके वैज्ञानिक हथियार भी तो नहीं थें,कुछ ही देर में वो धूप और पसीने से लस्त हो गए।।
दोपहर का समय हो गया था,अब दोपहर के खाने का समय था,भारतकुमार बोले चलिए तो बैटमैन बाबू! भोजन कर लीजिए, अभी हमारी धर्मपत्नी जी देकर गई हैं।।
भारतकुमार ने खाना खोला और बोले___
इ का !आज तो स्पेशल खाना है, बाजरे की रोटी,प्याज की चटनी,हरी मिर्च और तड़के वाली छाछ,आप आएं हैं ना तो धर्मपत्नी जी ने दाल भी बनाई है, क्योंकि दाल हम लोग कम खाते हैं, बहुत महँगी हो गई है ना! बताइए तो बैटमैन बाबू हम किसान ही दाल उगाते हैं खेंतों में और हम ही नहीं खा पाते।।
अच्छा तो खाना शुरू कीजिए और बैटमैन साहब ने खाना खाना शुरू किया लेकिन उनसे तो वो खाना खाया ही नहीं जा रहा था,जैसे तैसे उन्होंने खाना निगला क्योंकि भूख जो लगी थी,काम करते करते उनका पसीना जो बह गया था।।
खाने के बाद,दोनों ने पेड़ के नीचे अपना अपना गमछा बिछाकर कुछ देर आराम किया,सुरती खाई और उसके बाद दोनों फिर काम में लग गए।।
शाम हुई,अब घर जाने का वक्त हो गया था,भारतकुमार जी बोले चलिए बैटमैन बाबू घर चलते हैं और हम सब किसान गाना गाते हुए घर जाते हैं, खुशी खुशी, हम गाना शुरू करते हैं पीछे से आप भी गाते चलिए और भारतकुमार जी ने गाना शुरू किया___
मेरे देश की धरती सोना उगले,उगले हीरे मोती,मेरे देश की धरती।।
और गाते हुए सब घर पहुँचे,रात का खाना खाने के बाद बैटमैन ने अपना फोन निकाला और अपनी दोस्त मातृभारती को डाँटते हुए बोले___
खबरदार! जो आज के बाद मुझे भारत बुलाया,, ये देखने बुलाया है मुझे।।
फिर मातृभारती ने जवाब दिया___
यही देखने के लिए तो बुलाया था आपको कि हमारे भारत का किसान भी किसी हीरो से कम नहीं है, रूखी सूखी खाकर भी सारे संसार के लिए खाना उगाता है और हर हाल में खुश रहने का प्रयास करता है,इसे कहते हैं असली आज़ादी, एक बात कहूंँ बैटमैन साहब!जितनी आज़ादी हमारे देश में है उतनी कहीं नहीं और आपके यहाँ नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी सजा मिलती है लेकिन हमारे यहाँ ऐसा नहीं है,हम भारतीय बेफिक्री से अपना जीवन जीते हैं,अब आशा करती हूं कि आपको मेरी बात ठीक से समझ आ गई होगी।।
ये सुनकर बैटमैन फिर आगें कुछ ना बोल सका।।
समाप्त___
सरोज वर्मा___