चौथा नक्षत्र - 1 Kandarp द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चौथा नक्षत्र - 1

अध्याय 1

पहली एनीवर्सरी

“हैलो कमल कहाँ हो ? ....ऑफिस से निकले क्या ? ”, फोन पर झुँझलाये स्वर में, लगभग डाँटते हुए सुरभि ने कहा । “निकल गया हूँ मेरी सोना ”, लाड भरी आवाज में कमल का जवाब आया । सुरभि ने ऊपर देख कर आँखो को गोल घुमाया । कमल का यह लाड उसे पसंद नही था । “हुंह .......मेरे गुस्से से बचने का बहाना है यह ”, वह अक्सर कहती । फिर भी , एक दबी मुस्कान उसके गालों पर हर बार ठहर जाती । गालों की खुबानी रंगत तनिक और गुलाबी हो जाती ।
“ कब से फोन कर रही हूँ ....फोन क्यों नही उठा रहे थे ।”, सुरभि की झुँझलाहट बढ़ गयी थी । “अरे यार .....निकल गया हूँ ना ”, कमल की आवाज में खुशामद का पुट आने लगा था । सुरभि की झुँझलाहट से डर गया था कमल । डर..? हाँ... डर ...वह भी छुई मुई सी नाजुक सुरभि से ! आज दोनो के प्रेम विवाह को पूरे एक साल हो गए थे ।शाम को उनके लव नेस्ट पर पार्टी थी , कुछ दोस्तो और आफिस कलीग्स के साथ । सुरभि ने सुबह ही कहा था । “ कमल ..दोपहर को ऑफिस से ऑफ ले लेना ...और मुझे पिक कर लेना । पार्टी की बची हुई शॉपिंग करना है जरा .....डी-मार्ट जाना है और...उसके बाद थोड़ा तैयारी भी करवा देना ...प्लीज । ” सुरभि की मैदे से भी उजली उँगलियां कमल के पुष्ठ गौरांग कन्धों से ऊपर सरकती हुई उसके घुँघराले बालो में रुक गयी थी ।“ योर विश इस माई कमांड.. माई क्वीन । ” कमल ने एक घुटने पर बैठते हुए सिर झुका कर कुछ इस अंदाज में कहा कि वह खिलखिलाकर हँस पड़ी । । दो कोमल पंखुड़ियों के बीच शुभ्र मोतियों की लड़ी बिखर गई थी । कमल एकटक देखता रहा । लगा जैसे आस पास की सभी आवाजे शांत हो गयी थी, सुरभि की खिलखिलाती हँसी को छोड़कर ।
“अभी कहाँ हो ...दो बज गए ....कब पिक करोगे मुझे ” सुरभि का स्वर थोड़ा संयत हो गया था । “कार में हूँ ना बाबा ” कमल ने तुरंत कहा । “ क्या...? ” इतनी तेज आवाज में सुरभि ने कहा कि कीबोर्ड पर टाईप करती अनिका की उंगलियां रुक गयी । “ ओ गॉड....तुमने फोन क्यो पिक-अप किया । .... ड्राइव कर रहे हो ना ..कितनी बार कहा है ..मैं रख रही हूँ ।” सुरभि ने कहा । “ अच्छा बाबा..... रखता हूँ , लेकिन सुनो न ....एक जरूरी बात कहनी थी ”, कमल की खुशामद फिर लाड में बदल गयी थी । सुरभि को बड़ा गुस्सा आ रहा था । ओह गॉड ...ये कमल ना ...हाऊ केयरलेस .! “ मुझे नही सुनना । ” सुमन ने आईफोन लगभग कान से हटाते हुए कहा । “ अरे सुनो न ....मेरी सोना ....एक जरूरी बाsss.....ओह शिट... ... ” , धड़ाक.......!!! ... एक तेज आवाज और कमल का फोन शांत हो गया था ।
सुरभि के कान से हटता हुआ फ़ोन वहीं पर स्थिर हो गया था । सुरभि के कान सुन्न हो गए थे । उसकी चेतना जड़ हो गयी थी । काँपते हाथो में पकड़ा फ़ोन फिसल कर गिर गया था । कहीं दूर से छितिज में डूबती सी अनिका की आवाज आयी ,“ व्हाट हैपेन्ड सुरभि , .. .... सुरभिsss .....आर यू आल राइट ”। सुरभि की आँखे शून्य में स्थिर थी ।

------क्रमशः

---- कंदर्प

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