Mohall-E-Guftgu - 8 books and stories free download online pdf in Hindi

मोहल्ला-ए-गुफ़्तगू - 8


8- मोहल्ला-ए-गुफ़्तगू

और अविनाश फ़फ़क़ फ़फ़क़ कर रों पड़ा था. मैंने तुरंत उन्हें सम्हाला.. और दिलाशा दी और बिना किसी संकोच के उन्हें मैंने अपने सीने में भींच लिया था..अविनाश हिचकिया लेते लेते रोये जा रहें थे.. और बोले जा रहें थे उनकी बातें सुनकर मेरे भी आंसू आंखों में झलक आए थे..

निर्मल जी मैंने अपनों को कभी रोने नहीं दिया उनकी हर इक्छाए पूरी की अपना मन मार के लेकिन पता नहीं मेरी ही किस्मत में उस ऊपर वाले ने ऐसा क्यूं लिखा इतना सब करने के बाद भी मेरे अपनों ने ही मुझसे मुंह मोड़ लिया.. में अपना दर्द कभी किसी से साझा नहीं कर सका मुझे दोस्त यार भी मिले तो ऐसे मिले जबतक मेरे पास पैसा रहा सब साथ रहें जब मैं कंगाल हुआ तो किसी ने भी किसी भी तरह का स्पोर्ट नहीं किया.. मैंने कई बार सोचा के अपना ये जीवन यही खत्म कर लूं लेकिन जब मैं अपनी पिछली ज़िन्दगी को सोचता तो अपनी ही सोच पर मुझे धिक्कार होने लगता था मेरे अपनों के चेहरे मेरी आंखों के सामने घूमने लगते थे मैं उन्हें नहीं छोड़ सकता था निर्मल जी.. मुझे मेरे मासूम बच्चों के चेहरे मुझे ऐसा करने से रोक देते हैं सर मैं क्या करूं सर.. जब उस प्लाट को बेचने की घर वालों से बात की तो सब ने मना कर दिया मैंने खूब मिन्नतें की लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा बाद में जिसका डर था वहीं हुआ आज नमिता और घर वाले सब एक साथ हैं और आज मैं यहां हूं..

मैंने अविनाश के आंसू पोछे और उन्हें पानी पिलाया.. किसी इंसान के जीवन में रिश्तों से इतना कष्ट होने के बाद भी वो रिश्तों के लिए कितना तड़पता हैं जिसका जीता जगता स्वरूप आज मैं देख रहा था..

आगे आप क्या करना चाहतें हैं...?

इस औरत से छुटकारा चाहता हूं मैं..

ठीक हैं लेकिन इन बच्चों की आगे की परवरिश कर लोगे आप..?

मैं कुछ भी करूंगा अपने बच्चों के लिए.. क्या ऐसा हो सकता हैं सर..?

हो तो सकता हैं लेकिन एक सवाल ये उठता हैं क्या बच्चें आपके साथ आपके सिमित संसाधनों में रह सकेंगे..?

अविनाश मेरे इस प्रश्न पर सोचने से लगें थे..

यदि मैं आपको एक सलाह दूं तो मानोगे..?

हां.. उन्होंने मेरी तरफ देखते कहा था

देखिए अविनाश जी ये तो सत्य हैं कि बच्चें आपके साथ नहीं रह सकते और एनकेन प्रकारेन उन्हे हम राज़ी कर भी लेते हैं तो कानूनन तौर पर कोर्ट भी आपका आग्रह ठुकरा देगा वो इसलिए कि अब तक की बच्चों की परवरिश आपके माता पिता ने और फिर उनकी मां के संरक्षण में अभी तक हुई हैं और इस समय प्रजेंट में आप किसी भी प्रकार से सक्षम नहीं हैं..

मतलब मरते दम तक क्या मुझे ऐसे ही अपने बच्चों के लिए तड़पना होगा..?

ये तो आप पर ही डिपेंड करता हैं..

वो गौर से मेरी सूरत देखें जा रहें थे

आप क्या कहना चाह रहें हैं मेरी तो कुछ समझ नहीं आ रहा सर..?

मैंने अपनी हेंड वाच पर नज़रे गड़ाई थी रात के नौ बज रहें थे..

चलो अभी काफ़ी वक़्त हो चुका हैं भूख भी लग रही हैं पहले हम खाना खा लेते हैं फिर बात करेंगे..

लेकिन क्या.. आप जो भी सलाह देंगे क्या मैं उससे अपने बच्चों के करीब तो जा सकूँगा ना..?

जी हां काफ़ी हद्द तक.. ये मेरा वादा हैं लेकिन इसमें कुछ वक़्त लगेगा..

चलेगा से आप जैसा कहेंगे मैं करूंगा..

प्रॉमिस..

बिलकुल प्रोमिस सर.. (अविनाश ने मुस्कुराते हुए कहा था )

तो चलो तो पहले हम खाना खा लेते हैं

हां फिर मुझे जाना भी हैं

कहा जाना हैं आपको अब

वहीं जहां मैं रहता हूं

अब आप कहीं नहीं जाएंगे और अब जैसा मैं कहूंगा आप वैसा करेंगे..

लेकिन..?

आपको अपने बच्चों से मिलना हैं ना उनको अपने करीब लाना हैं कि नहीं.

लाना हैं सर.. आप जैसा कहें..

आप भी हांथ मुंह धोलो मैं खाना मांगवाता हूं बताए क्या खाएंगे आप..?

ऐसा मंगा लीजिये के बस पेट भर जाए..!

आज आपकी पसंद का ही डिनर आएगा

वो मेरी बात सुनकर हंसे थे उनकी उस हंसी को मैं भांप गया था..

आज आपने वादा किया हैं जैसा मैं कहूंगा आप वैसा ही करेंगे इसलिए आपको बताना ही होगा डिनर में क्या मांगवाया जाए..?

ठीक हैं दाल रोटी मंगवा लीजिये

ये पसंद हैं आपकी..?

हां सही में यही पसंद हैं मुझे लेकिन इसे भी मैंने कई अर्से से नहीं खाया वो मां के हांथो की गरम गरम तुअर की दाल और गरम गरम घी लगी रोटी..

ठीक हैं तो दो दाल फ्राई और घी लगी चपातिया मंगवा लेते हैं

नहीं सर चपतियां सादी ही मांगवाइयेगा क्योंकि अब घी मुझे शूट नहीं करता हैं.

ओह केलेस्ट्रॉल का प्रॉब्लम

जी..!

ठीक हैं आप मुंह हाथ धोलिजिए

जी.. और वो भी उठ कर खडे हो गए थे

और हां अविनाश जी इसे अपना ही घर समझियेगा संकोच बिलकुल मत करिएगा. वाश रूम वहां हैं उस तरफ

और वो वाश रूम की तरफ चलें गए थे और मैं बेड रूम में आकर लेंडलाइन से खाने के लिए ऑर्डर करने में लग गया था..

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अविनाश जी ने मेरी हर बात मान ली थी.. और मेरे कहें अनुसार अपने जीवन को सुधारने के लिए तैयार हो चुके थे इसीलिए लिए सबसे पहले मैं उन्हें लेकर नूर भाई के सेलून पर सुबह सुबह ही उन्हें लेकर पहुंच गया..

भाई जान असलावालेकुम..!

ओह भाई जान आप वालेकुमस्सलाम भाई जान आइये क्या खिदमत करें हम आपकी..?

इन से मिलिए भाई जान ये हमारे भाई सहाब हैं..

नूर भाई ने अविनाश जी को गौर से देखते हुए कहा

जी नमस्ते भाई सहाब

अविनाश जी ने भी अपने दोनों हाथ जोड़ कर नूर भाई से नमस्कार किया.

नूर भाई भाई सहाब की कटिंग, शेविंग और फेश मशाज तो कर दीजिए..

जी बिलकुल भाई जान आप इत्मीनान से बेठिये.. और भाई सहाब आप यहां इधर बैठ जाइए..

अविनाश सेलून चेयर पर बैठ जाता है.. नूर भाई ने अविनाश जी को कटिंग करने के लिए कपड़ा लपेटते हुए पूछा

वैसे पूछना तो नहीं चाहिए घर की खेती के बारे में अगर पूछूं तो आप माइंड तो नहीं करेंगे..?

जी बिलकुल नहीं.. क्या आप ये पूछना चाह रहे है कि मेने अब तक ये बाल और दाढ़ी क्यों नहीं कटवाई.. यही ना..?

अरे भाई सहाब आपने तो हमारे मन की बात कह दी..

वैसे अगर मैं ये कहूं कि मेरा मन नहीं है बताने का तो..?

तो... तो....कोई बात नहीं भाई सहाब, हमारा तो काम ही है बाल काटना मन में आया तो पूछ लिया..

अरे अरे आप दिल छोटा ना करे.. बस यूं ही..

कोई बात नहीं भाई सहाब..

और नूर भाई अविनाश जी के बाल ख़तरने में जुट जाते है तभी नूर भाई के लडके ने टीवी ऑन कर दी और न्यूज़ लगा दी थी मेरी नज़रे टीवी की खबरों पर टिक गयी थी.. तब तक एक दो ग्राहक और आ चुके थे जिसमें से एक दूसरी कटिंग की कुर्सी पर जा कर बैठ गया था नूर भाई का लड़का जो कर्मचारी था वो ग्राहक की शेविंग बनाने में जुट गया था.. और मैं खबरों के तमाश जाल में मशगूल हो गया था..

ब्रेकिंग न्यूज़...


ब्रेकिंग न्यूज़ की खबर जो आकर्षित करने लायक थी क्योंकि ये समाज के पारिवारिक जीवन से जुडी वो खबर थी जिसने पति पत्नी के एक विश्वास के रिश्ते को तार तार कर दिया था.. जिसे उजागर होना बेहद जरूरी था मामला थाने में मारपीट का दर्ज़ हुआ था लेकिन इस मारपीट की मूल वजह जो सामने आ रही थी वो कुछ और ही थी...

मामला इंदौर के मूसा खेड़ी थाने का चल रहा था.. पति ने पत्नी के भाईयों पर मारपीट की रिपोर्ट दर्ज़ कराई थी..उसे बेहद ही बेरहमी से इसलिए पीटा गया था कि वो अपनी पत्नी को अपने साथ अब नहीं रखना चाह रहा था जिसके चलते उसके ससुराल के पक्ष के लोगों ने दस दिन पहले उसके साथ मारपीट की थी जिसकी आज सुबह मृत्यु हो गयी थी जिसके चलते पुलिस से आरोपियों को गिरफ्तार कर मिडिया के सामने पूरी घटना को उजागर किया जा रहा था..

इस वारदात के पूरे मामले को शहर के एडिसनल एस पी मिडिया से रूबरू हो कर बता रहे थे..

एक महीने पहले मृतक विकास वर्मा ने मूसा खेड़ी थाने में रात 10 बजे रिपोर्ट दर्ज़ कराई थी कि वो उस दिन दोपहर को अपनी पत्नी और पांच साल के बच्चे के साथ मार्किट गया था उस दिन रविवार था जो साप्ताहिक अवकाश होने के कारण हर हफ्ते की तरह उस दिन भी उन दोनों ने पहले सबब्जी भाजी खरीदी.. जब घर लौटने लगे तो उसकी पत्नी सविता ने विकास से कहा के उसे चौक मार्किट से कुछ कस्मेटिक का सामान भी लेना है उसके कहने पर विकास सविता को चौक मार्किट लेकर पहुंचा था.. अबमूमन भीड़ भाड़ होने के कारण सविता ने विकास से कहा के आप और गोलू यही रुको मैं सामान लेकर आती हूं इस बात पर विकास अपने बेटे गोलू के साथ मेन सडक के किनारे सामान और बच्चे के साथ वाइक पर ही खड़ा हो गया और दोनों सविता का इंतज़ार करने लगे सविता मार्किट की एक पतली सी गली में जा कर भीड़ में विलुप्त हो गयी वहां विकास और गोलू आपस में बाते करके सविता का इंतज़ार करते रहे जब काफी देर खडे रहने के बाद विकास को लगा के सविता ने इतनी देर क्यों लग रही है तो उसने अपने फोन से सविता को उसने फोन लगाया...

क्रमशः-9

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