नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 16 Poonam Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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नफरत से बंधा हुआ प्यार? - 16

***फ्लैशबैक कंटिन्यू***

यह अभय सिंघम तो बड़ा ही कमीना निकला, सबिता ने मन में ही कहा। वोह अभी भी उसका पैशनेट या क्रूर किस सह रही थी और उसकी बढ़ती उत्तेजानयों को महसूस कर सकती थी। उसके हाथ सबिता के बदन पर अब फिसलने लगे थे। उसने उसे अपने से और सटा लिया। एक लंबे किस के बाद उसने सबिता को छोड़ा। अब उसके होंठ सबिता के कान, गर्दन और कंधे पर फिसलने लगे।
"आज की रात और कितना आगे तक तुम जाना चाहती हो?" जैसे ही सबिता ने यह जानी पहचानी आवाज़ सुनी वोह सन्न रह गई। सबिता ने ज़ोर लगा कर उसे पीछे धक्का दे दिया। फिर अंधेरे में स्विच को ढूंढने लगी और मिलते ही लाइट ऑन कर दिया। और बिना वक्त गवाए उसका हाथ मुट्ठी बनके उस आदमी के सिर पर मारने के लिए हवा में उठ गया। लेकिन उस आदमी के सिर पर लगने के जगह उसके हथेली से टकरा गया। उस आदमी का चेहरा बिल्कुल सबिता के चेहरे के ऊपर था वो उसके बहुत करीब था। जो इंसान उसको अपने सामने दिख रहा था वोह वो नही था जिसे रिझाने वोह यहां आई थी। अभय सिंघम के कठोर, ऊबड़-खाबड़ फीचर्स के बजाय यह शख्स बिल्कुल अलग लग रहा था। उसके सामने जो आदमी था वो किसी फिल्मस्टार जैसा लग रहा था। लंबा पतला चेहरा, मजबूत तीखी नाक, गुलाबी रंग के होंठ जो उभरे हुए थे और परफेक्ट शेप दे रहे थे.....जो अब एक लंबी मुस्कुराहट में बदले हुए थे......और उसे एक बेहद चमकदार और आकर्षक लुक बना रहा था। बस एक चीज़ थी जिसने उसे रूड जैसा बनाया था वो थी उसकी शिकारी की तरह घूरती आंखे। अभय सिंघम के भावहीन चेहरे के विपरीत, इस व्यक्ति के एक्सप्रेशन अर्थपूर्ण थे। इस वक्त उसके एक्सप्रेशंस संतुष्टि के साथ साथ वासना और नफरत को भी दर्शा रहे थे। यह इंसान देव सिंघम था। उसका सबसे बड़ा दुश्मन। धीरे से देव ने अपना एक हाथ दीवार पर रख दिया और सबिता की और करीब आकर उसपर झुक गया। सबिता ने अपने जबड़े भींच दिए। अभी तक तो वो इसी उद्देश्य से आई थी की अभय सिंघम को अपनी चाल से रिझा लेगी लेकिन अब जब उसे सच्चाई पता चल गई थी तो वो जान बूझ कर अपने शरीर पर उसके किस का एहसास महसूस नही करना चाहती थी। उसका चेहरा अब ठंडा पड़ने लगा था। लेकिन देव को देख कर उसे कुछ अजीब एहसास तो जरूर हुआ था जो पहले कभी भी महसूस नही किया था। ऐसा कुछ जो उसने अठारह वर्ष की उम्र में ही तय कर लिया था की अब कभी अपने साथ ऐसा नहीं होने देगी या महसूस नही करेगी। उसके होंठों पर अब झुनझुनाहट होने लगी थी और उसका शरीर उत्तेजना से कांपने लगा था।
देव की इस हरकत से जो एहसास सबिता को होने लगा था उस वजह से उसे गुस्सा आने लगा था। देव कमिनेपन और संतुष्टि की नजरों से उसे देख रहा था। उसकी नज़र सबिता के पतले पतले कपड़ो से झाक रहे सीने की तरफ थी। इससे पहले की देव कुछ बोलता, सबिता ने अपने सिर से उसकी नाक पर ज़ोर से मारा। फिर तुरंत ही अपना पर पीछे कर अपने घुटने से उसे किक मारने के लिए उठाया की देव पीछे हट गया।
"यू...." देव आगे कुछ बोलता उससे पहले ही सबिता ने उसे किक उसके पैरों के बीच मार दी। जैसे ही देव दर्द से नीचे गिरा सबिता ने अपना पैर देव की गर्दन पर रख दिया और उसे गुस्से से घूरने लगी।
"कभी भी भूल कर भी अपने होंठ से, अपने हाथ से या अपनी सांसे से भी मुझे मत छूना। समझे तुम!"

देव की आंखे गुस्से से भड़क उठी। अगले ही पल उसने सबिता का पैर पकड़ कर मोड़ दिया और सबिता भी नीचे गिर पड़ी। देव तुरंत उसके ऊपर आ गया और अपने शरीर से उसके शरीर को ढक दिया। उसके हाथ सबिता की गर्दन को दबा रहे थे। सबिता को देखते हुए उसकी आंखों में रोष उतार आया था।
"मुझे बचपन से ही सिखाया गया था की कभी किसी लड़की को चोट मत पहुंचाना, लेकिन तुम इस लायक ही नहीं हो!"

"मुझे भी कुछ ऐसा ही सिखाया गया था। क्या तुम चाहते हो मैं तुमसे माफी मांगू, ***!?" सबिता ने गरजते हुए कहा और अपने अंगूठे से उसकी आंख पर मारा ताकि अपनी गर्दन को उसके हाथों से छुड़ा पाए।

वोह दोनो ज़मीन पर लेट कर ही लड़ने लगे हुए थे। सबिता ने उसको दूर करने के लिए अपने दांतों और नाखूनों का भी इस्तेमाल कर उसे बुरी तरह नोच दिया। पर जैसे ही देव, सबिता से बचते हुए उठ कर खड़ा हुआ, सबिता ने फिर से उसे काट दिया। सबिता ने उसे उसकी बांह पर ज़ोर से काटा की देव दर्द से कराह उठा। जब सबिता ने उसे नही छोड़ा तो उसने सबिता की बांह पकड़ कर उठाया और ज़ोर से धक्का दे दिया। सबिता ड्रेसिंग टेबल की किनारे से टकराई। अपने दर्द को नजरंदाज करते हुए उसने वहीं रखे स्टूल को उठा लिया और देव के साइड से उस पर फेका। देव उस वक्त अपने बांह पर सबिता के दांत से काटे हुए जगह पर देख रहा था, वहां खून निकलने लगा था। तभी वो स्टूल आ कर देव को लगा और वो गुस्से से चिल्ला उठा। इस बार उसने आगे बढ़ कर सबिता पर झपटा मारा।
वोह दोनो एक दूसरे से बुरी तरह लड़ रहे। लड़ते हुए इस बात का भी ध्यान रख रहे थे की कही गुस्से और झगड़े की वजह से एक दूसरे को मार ही ना डाले।
वह ये भी अच्छे से जानते थे की अगर उन दोनो में से किसी एक को भी कुछ हुआ तो कल होने वाली सिंघम और प्रजापति की शादी रुक जायेगी जो दोनो ही नहीं चाहते थे। कमरे में दोनो के ही चिल्लाने की आवाज़ें आ रही थी लेकिन सन्नाटा तब हुआ जब उस लड़के यानी "देव सिंघम" ने मौका मिलते ही उस लड़की यानी "सबिता" को झटके से खीच कर बैड पर लेटा दिया और उसके ऊपर आके उसके दोनो हाथ अपने एक हाथ से बैड पर ही सटा के कस कर पकड़ लिए।
सबिता ने बहुत कोशिश की उससे छूटने की पर देव उसे कस कर दबोचे हुए था।
"तुम मुझसे नही बच सकती" देव ने अपनी जलती हुई निगाहें उस पर डालते हुए कहा।
सबिता के हाथ देव को धक्का देने की कोशिश में रुक गए और अब वो उसे गौर से देख रही थी।
अब सिर्फ दोनो की चढ़ती उतरती सांसों की ही आवाज़ कमरे में आ रही थी।
सबिता जानती थी उसे जल्दी ही कुछ करना पड़ेगा वरना वो देव से बच नही पाएगी। उसे हर हाल में ही यहां से निकलना होगा आखिर उसकी शादी है कल अभय सिंघम से।

पर पहले इस बेवकूफ को अपने ऊपर से हटाना होगा तभी तो यहां से निकल पाएगी।
एक पल कुछ सोचने के बाद उसने अपनी आंखें देव के चेहरे पर टिका दी और उसे प्यार से निहारने लगी। वोह भी उसके चेहरे की तरफ ही देख रहा था। पूरे कमरे में शांति पसरी हुई थी। सबिता ने अब अपनी नज़र उसके होटों पर टिका दी। उसकी नज़रों का पीछा करते हुए देव को जब ये पता चला तो उसकी सांसें ऊपर नीचे होने लगी वोह लंबी लंबी सांसे लेने लगा। सबिता के लबों पर मुस्कान खिल गई लेकिन उसने जल्द ही छुपा ली। अब जान बूझ कर सबिता भी लंबी लंबी सांसे भरने लगी जो देव को अपनी तरफ आकर्षित करने का काम कर रही थी।
देव की आंखें चमक उठी और वासना से भर गई अगले ही पल उसने सबिता के लबों को अपने गिरफ्त में ले लिया और उसे चूमने लगा। उसने उसके हाथों को भी छोड़ दिया ताकि उसे कस कर पकड़ सके उसके मखमल से सॉफ्ट बदन पर अपने हाथ फिसला सके।

देव के छूते ही सबिता के बदन पर एक सिरहन सी दौड़ गई पर उसने जल्द ही उसे नजरंदाज कर दिया। उसने भी देव की पीठ पर अपनी पकड़ बना ली और धीरे धीरे अपने हाथों को नीचे ले जाने लगी जैसे ही उसके हाथ देव के थाईज तक पहुंचे उसकी जेब में रखा छोटा सा चाकू उसने झटके से निकल लिया। चाकू म्यान में से निकलने की आवाज़ भी हुई लेकिन इससे देव को कोई फर्क नहीं पढ़ा या उसने ध्यान ही नही दिया उसका ध्यान तो सिर्फ सबिता को चूमने में लगा हुआ था वो लगातार उसे बेहताशा चूमे जा रहा था।
सबिता ने फायदा उठाते हुए बिना वक्त गवाए उसके थाईज में बेदर्दी से चाकू घोप दिया। आआआह्ह..... जैसे ही उसको एहसास हुआ की उसके साथ क्या हुआ है वो दर्द से चिल्लाते हुए बैड पर ही दूसरी तरफ पलट गया और उसे गहरी नजरों से देखने लगा वह आश्चर्य था उसके मूव से। जैसे ही वो पलटा सबिता भी तुरंत उठ गई और बैड से उतरने को हुई पर तभी देव ने उसके पैर पकड़ लिए और उसे उतरने से रोक दिया। एक ज़ोर दार लात मारी सबिता ने देव को अपनी पूरी ताकत लगा के लेकिन देव की मजबूत पकड़ से वोह छूट नहीं पाई। देव ने एक हाथ से उसके पैर को पकड़े रखा जिसे सबिता नाकाम कोशिश कर रही थी छुड़ाने की और दूसरे हाथ से अपने थाईज से चाकू निकलने लगा। आआआआह्हह्ह.....फिर एक चीख निकली चाकू की नोक से उसकी खाल कट गई थी और खून बहने लगा।
देव की उसके पैर पर पकड़ ढीली हो गई और मौका मिलते ही सबिता दरवाज़े की तरफ भागी पर उसके पहुंचने से पहले ही देव ने जल्दी से आके पीछे से उसके बाल पकड़ लिए और खीच के उसे बैड पर वापिस पटक दिया। देव का लंबा चौड़ा और ताकतवर शरीर था जिसके सामने सबिता लाख कोशिशों के बाद भी टिक नहीं पा रही थी। दोनो फिर लड़ रहे थे सबिता लगातार स्ट्रगल कर रही थी उससे छूटने के लिए पर देव की ताकत के आगे टिक नहीं पा रही थी।

"मुझे जाने दो!....वरना में तुम्हे जान से मार दूंगी।" सबिता ने गुस्से से गरजते हुए कहा।

"तुम जानवरों जैसी हरकते करना बंद करदो,,,,वरना में भी तुम्हारे साथ ऐसा ही बरताव करूंगा।" देव ने भी लगभग उसी टोन में कहा। फिर उसके दोनो हाथों की कलाइयों को मरोड़ दिया और एक हाथ से ही कस कर पकड़ लिया।
दर्द से सबिता तड़प गई और आंसू की एक धारा बह गई।
दूसरे हाथ से देव ने नजदीक ही बनी खिड़की पर से पर्दा खीच दिया और उसके दोनो हाथों को कस कर बिस्तर के क्राउन से बांध दिया।

"तुम्हे मैं अपने भाई और परिवार की जिंदगी बर्बाद करने नही दे सकता। तुम तब तक यहीं रहोगी जब तक कल मेरे भाई की शादी नही हो जाती।" देव ने अपने शब्दों पर ज़ोर देते हुए गुस्से से कहा।

सबिता छूटने की कोशिश करती रही वोह जितनी कोशिश करती गांठ उतनी ही और कस जाती।

"मुझे जाने दो" वोह चिल्लाई। "तुम बहुत ही घटिया इंसान हो" उसने झल्लाते हुए कहा।

वोह बैड से उठ खड़ा हुआ और दर्द से कराह उठा जैसे ही उसने अपनी थाईज पर जख्म देखा। "शिट मैन!" वोह चिल्लाया जैसे ही उसने जख्म से खून बहता हुआ देखा।

वोह जो बनके दुश्मन मुझे जीतने को निकले थे,
कर लेते अगर मोहब्बत,
तोह में खुद ही हार जाता।

फिर एक आखरी बार वापिस उसे घूरते हुए देव कमरे से बाहर निकल गया और दरवाज़ा बंद कर दिया।

सबिता तब तक अंदर ऐसे ही रही जब तक ध्रुव ने उसे न खोला, जो उसे शादी में जाने के समय ना पा कर ढूंढने चला आया।



***प्रेजेंट डे***

सबिथा को अभी भी याद था कि जब देव सिंघम ने मांग और अधिकारपूर्ण तरीके से उसके ऊपर हाथ फेरा तो उसे कैसा लगा था। यह लगभग वैसा ही था जैसे इंसान की खाल में भेड़िया। उसके हर स्पर्श से उसने चिंगारी और बिजली जैसी महसूस की थी। सबिता के लिए देव सिंघम अब किसी पाप की तरह था। एक ऐसा पाप जिसके लिए उसका शरीर कभी कभी तरसता था। अगर वोह कोई और होती या दोनो के बीच पहले से दुश्मनी न होती तोह जरूर देव का प्रलोभन काम कर गया होता और सबिता उसके वश में हो चुकी होती उस रात। भले ही यह वाकया काफी अपमानजनक था और उसे गुस्सा भी आ रहा था, लेकिन फिर भी उसने कुछ रातों के दौरान कई बार उसके स्पर्श को फिर से महसूस किया था। उसे उसकी छुअन का एहसास आज भी था। देव के सामने वो कभी भी स्वीकार नहीं कर सकती की उसने उस रात कैसा महसूस किया था इसकी बजाय वोह खुद के सिर पर गोली मार देगी लेकिन देव के सामने स्वीकार कर झुकेगी नही।
देव के बारे में चल रहे अपने खयालों को उसने झटक दिया और फिर एक बार सिंघम्स के आने की तैयारियों में लग गई। वोह कुछ घंटों में पहुंचने वाले थे। आधे घंटे बाद, मिडिल फ्लोर से सभी स्टाफ को हटा दिया गया और अगले आदेश तक उधर जाने के लिए सबको मना कर दिया गया। सिर्फ नीलांबरी अपने दो पर्सनल नौकरानी के साथ ही अपने आलीशान कमरे में थी। सबिता जानती थी नीलांबरी उन दोनो नौकरानियों को अपने से दूर नहीं करेगी लेकिन अनिका के आने के बाद वो खुद ही उन्हे भेज देगी।

"उन लोगों की बिन बुलाए और बिन बताए अचानक यहां आने की हिम्मत कैसे हुई?" नीलांबरी की तेज आवाज प्रजापति हवेली में गूंज उठी।

सबिता जानती थी की नीलांबरी को उसके कोई न कोई आदमी सिंघम्स की गाड़ी के प्रजापति सीमा में कदम रखते ही उनके बारे में बता देंगे।

"सबी! सबी!" सबिता ने सुना नीलांबरी उसको बार बार पुकार रही है। जब सबिता ने कोई जवाब नही दिया तोह नीलांबरी अपनी दासियों के साथ सीढ़ियों से नीचे उतर आई।









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(हो सकता है अगला पार्ट देरी से ही आए....माफी चाहूंगी आज कल समय कम दे पा रही हूं)