कजरी- भाग ५ Ratna Pandey द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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कजरी- भाग ५

अभी तक आपने पढ़ा अचानक नवीन के साथ कुछ अनहोनी घटना होने लगी। उसकी बाइक पर 'आई विल किल यू' की पर्चियाँ चिपकी हुई मिलने लगीं। नवीन और निशा चिंता करने लगे कि आख़िर ऐसा कौन कर रहा है?

नवीन को मुंबई टूर पर जाना था इसलिए सुबह जल्दी उठकर निशा ने कजरी को आवाज़ लगाई, "कजरी मैं साहब को छोड़ने जा रही हूँ। तुम उठकर अंदर से दरवाज़ा बंद कर लो।"

"जी दीदी"

आठ दिन का लंबा टूर था। नवीन के पास दो बैग थे, एक केबिन के लिए और दूसरा चेक इन में रखने के लिए। निशा कार लेकर नवीन को एयरपोर्ट छोड़ने के लिए निकली। रास्ते में उसने कहा, "नवीन हमारी ज़िंदगी कितनी शांति से चल रही थी ना, पता नहीं किस की नज़र लग गई। एक डर सा दिल में बना रहता है। तुम हमेशा टूर पर जाते हो लेकिन इस बार तुम्हें यूँ जाते देख अजीब सी बेचैनी हो रही है।"

"निशा मैं समझ सकता हूँ। तुम अपना ख़्याल रखना। घर से बाहर ज़्यादा मत निकलना।"

"हाँ ठीक है नवीन तुम भी अपना ख़्याल रखना और बिना भूले हर रोज़ मुझे फ़ोन करते रहना।"

इस तरह बात करते-करते एयरपोर्ट आ गया। गाड़ी से उतरने के पहले नवीन ने निशा को किस करते हुए कहा, "आई लव यू निशा, तुम बिल्कुल चिंता मत करो सब ठीक हो जायेगा।"

निशा ने कहा, "आई लव यू टू नवीन। बस तुम जल्दी से वापस आ जाना।"

उसके बाद गाड़ी से उतरकर नवीन एयरपोर्ट के अंदर चला गया।

फ्लाइट लैंड होने के बाद वह अपने बैग का इंतज़ार कर रहा था। बैग मिलते ही उसने बैग उठाया और चलने लगा लेकिन तभी वह बैग उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया। नवीन चौंक गया बैग के निचले हिस्से में फिर उसे वही पर्ची चिपकी हुई दिखाई दी। आज उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था।

उसने सोचा यह कैसे हो सकता है। उसने फ़ोन निकाल कर निशा को फ़ोन करके बताना चाहा लेकिन बता नहीं पाया। यही सोच कर कि उसे क्यों परेशान करूँ। अपने ऑफिस की प्रोग्रेस देखकर उसे लगा कि कोई ईर्ष्या के कारण तो ऐसा नहीं कर रहा। फिर उसे लगा कि नहीं, ऑफिस से कोई नहीं हो सकता। तो क्या कजरी? उसके जितनी सीधी लड़की ऐसा नहीं कर सकती? वैसे भी उसे इंग्लिश में 'आई विल किल यू' लिखना कहाँ आता है।

. . . तो क्या एयरपोर्ट पर निकिता भी थी? निकिता वही जिसे उसने प्यार के साथ घूमाया फिराया पर विवाह की बात आने पर उसने दहेज की लालच में निशा के साथ विवाह कर लिया था और निकिता को धोखा दे दिया। अब तो नवीन को भी डर लगने लगा था।

होटल पहुँचते से नवीन ने अपने साथ कॉलेज में पढ़ने वाले दोस्त राजन को फ़ोन लगाया, "हैलो राजन कैसा है तू?"

उधर से आवाज़ आई, "हैलो नवीन व्हाट ए प्लेजेंट सरप्राइज, आज अचानक कैसे फ़ोन किया?"

"बस टूर पर तेरे शहर मुंबई आया हूँ सोचा तुझसे बात कर लूँ।"

"बात ही क्यों मिलते हैं ना?"

"नहीं यार बेक टू बेक मीटिंग्स हैं फिर भी समय मिला तो ज़रुर मिलूँगा।"

दोनों के बीच काफी देर तक बात हुई फिर नवीन ने पूछा, "राजन यार निकिता के बारे में पता है? कहाँ है वह?"

"वह तो आजकल तेरे शहर भोपाल में ही है।"

"पर तू उसके बारे में क्यों पूछ रहा है? बताऊँ क्या भाभी जी को?"

"अरे बस ऐसे ही पूछ लिया," चल रखता हूँ। मेरी मीटिंग का टाइम हो रहा है।

राजन से बात करने के बाद नवीन का शक़ विश्वास में बदल गया कि इस तरह से ‘आई विल किल यू' मुझे निकिता ही लिख सकती है।

एक हफ़्ता अत्यधिक काम और मीटिंग में बीत गया और फिर नवीन ने भोपाल के लिए फ्लाइट पकड़ ली। रास्ते में वह सोच रहा था कि इस तरह चाकू का निशान बनाकर 'आई विल किल यू' लिखने का काम निकिता के अलावा और कोई नहीं कर सकता।

निशा अपनी कार से नवीन को लेने एयरपोर्ट पहुँची। नवीन ने पूछा, "निशा सब ठीक तो है ना?"

निशा, उससे लिपट गई और कहा, "नहीं नवीन कुछ ठीक नहीं है, तुम्हारे जाने के बाद…।"

"क्या…क्या हुआ निशा मेरे जाने के बाद?"

"तुम्हारे जाने के बाद एक दिन सुबह जब मैंने दरवाज़ा खोला तब वहाँ ज़मीन पर वैसी ही पर्ची चिपकी हुई थी। मुझे बहुत डर लग रहा है नवीन। कोई हमें मार डालेगा।"

रत्ना पांडे वडोदरा गुजरात

स्वरचित और मौलिक

क्रमशः