लावण्या - भाग 10 Jagruti Joshi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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लावण्या - भाग 10

लावण्या दर्द में थी,,,, ना कोई बचाने वाला था ना कोई संभालने वाला,,,,,!!! लावण्या ने अब इसे ही अपनी किस्मत मान लि थी। विक्रांत के यह रूप देख कर उसको इतना तो अंदाजा लग गया था कि ,,,,,जब तक वह है उसके पास जब तक उसका यही हाल होने वाला है,,,!

उसकी आँख खुली उसने घड़ी में देखा तो 11:00 बज रहे थे,,,,,,
उसके शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था,,,, उसने भी जल्दी से अपने आप को ब्लैंकेट से ढका,,,,,,, उसकी नजर सामने आईने पर गई,,,, गले से लेकर सीने तक पूरे शरीर पर विक्रांत के दांतों के निशान थे,,,,जगह जगह बाईट किया था उसने!
उसकी आंख सूज गई थी और आंसू सूख गए थे,,,,,उस ने अपनी निगाह आईने से हटाली।
उसे देखा तो फर्स पर उसके कपड़े बिखरे पड़े हुए थे,,,, जल्दी से उसने कपड़े कपड़ों को समेटा और बाथरूम के अंदर चली गई,,,,,,
बाथरूम में आई और बाथटब मे लेट गई और नल चालु किया,,,,, पानी जरूरत से ज्यादा गर्म था,,,,, पर उसके घाव इतने गहरे थे कि वह पानी एक सुकून दे रहा था,,,,, दिल पर जो चोट लगी थी उसे तो पानी नहीं मिटा सकता था पर शरीर की चोट पर वह मोहर्रम का काम कर रहा था,,,,,!
काफी घंटे तक अंदर रही जब वह बाहर नाहकर आई तो 1:00 बज चुका था,,,,,,,!!
वो जल्दी से तैयार हुई उसके पेट में चूहे दौड़ रहे थे काफी दिनों से उससे ठीक से खाया नहीं था,,,
आज उस फुल स्लीव टी शर्ट और जींस पहना था,,,,अपनी चोट को छुपाने के लिए।
वो जल्दी से नीचे आई और किचन में गए कि जैसे वो फ्रिज खोलने गई तो वहा एक पेपेर नोट चिपकाया हुआ था जो विक्रांत ने लगाया था ,,,,।
उसमें लिखा था,,,, आज से घर की सारी जवाबदारी तुम्हारी। काम करने के लिए कोई मेड नहीं आएगी ,,,,,तुम्हें सारा काम करना है ,।
मुझे सफाई पसंद है ,,,मैं आउ तब तक जैसा घर था वैसा होना चाहिए,,,,, एक भी गंदी चीज घर में नहीं होनी चाहिए वरना तुम बाहर हो जाओगी ।
लावण्या ने जैसे नॉट पढी ,,,वह थोड़ी डर से गई थी ।
वह डरने वालों में से तो नहीं थी पर वह इंडिया जा नही सकती थी।
उसके लिए अभी के लिए ही उसका घर यही था।
लावण्या ने अपने आप को संभालो उसे अभी बहुत ज्यादा भूख लग रही थी।
उसने फ्रिज में देखा तो ब्रेड पड़ी थी उसने फटाफट से सैंडविच बनाई और खाने लगी,,,,,,इतनी भुख लगी थी की वो वह बच्चों की तरह खा बिना चबाए खा रही थी।
1:30 बजने आया था खाना खाकर पहले उसने किचन साफ किया ,,,लिविंग रूम ,,,गेस्ट रूम ,,,उसका बेडरूम,,, ऊपर से नीचे सब साफ कर दिया फिर वह वहां गार्डन में गई
वहा ढ़ेर सारी वाइन की बोतल पड़ी थी,,,, और काफी सारा कचरा भी कल रात पार्टी थी उसका,,,!
उसे घर और बाहर की सफाई करते करते बहुत देर हो गई थी जब वह घर में आई तो शाम के 6:00 बजे ने आए थे ।
अभी वह आकर बैठी थी, कि विक्रांत आया।
वह खड़ी हो गई किस बच्चे की भांति,,,,,, विक्रांत ने उसे अपना ओवरकोट दिया बेग दी और उपर जाते हुए कहा जल्दी से कॉफी बनादो और टोस्ट भी,,,, मैं ऊपर जा रहा हूं तुम भी ऊपर ले कर आ जाना।
लावण्या कुछ बोले बिना ही कोफी भी बनाने चली गई,,,,, उसका हाथ कांप रहा था उसे ऊपर जाने में डर लग रहा था कल रात जो कुछ हुआ उसके बाद उसे विक्रांत के सामने देखने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,,,!!
वह कुछ सोचती उससे पहले विक्रांत ने फिर से उसे आवाज दी,,,,, कॉफी बना कर लाती हो कि मुझे नीचे आकर बनाना पड़ेगा,,,!!
लावण्या डरते हुए ऊपर धीरे-धीरे से जाने लगी ,,,,,, वह कमरे में आई तो विक्रांत बाथरूम था ,,,उसे चैन की सांस ली टेबल पर कॉफी रखी और जैसे ही मुडी वो विक्रांत से टकरा गई,,,,,
विक्रांत है उसे कमर से पकड़ा और कहा कहां जाने की जल्दी,,,,,
लावण्या चुप थी उसके गले से आवाज ही नहीं निकली,,,,,!
विक्रांत का हाथ उसकी कमर से लेकर ऊपर तक आ रहे थे जैसे जेसे वो लावण्या छु रहा था उसका डर बढ रहा था।
विक्रांत ने उसे उठाकर बेड पर लेटाया,,,,,,,,,,और अपने होठो को लावण्या के होठो पर चिपका दिए,,,,,,,,! थोड़ी देर वो ऐसे ही खेलता रहा।
लावण्या को उसकी छुअन से घीन आ रही थी ,,,,पर वह कर भी क्या सकती थी।
कुछ देर किस करने के बाद विक्रांत ने उसे कहा जाओ जल्दी से खाना बना दो मुझे जल्दी से खाने की आदत है,,!
और वो खडा हो गया।
लावण्या बिना देरी किए सरसडाट सीढियो से उतर गई ,,,,,!
वो किचन में आइ और वहां ढेर होकर बैठ गई,,,,,, थोड़ी देर होने के बाद उसने अपने आंसू पोछे और फटाफट खाना बनाने लगी उसे याद आया कि विक्रांत का गुस्सा कैसा है,,,,,!
यहा खाना बन गया और वहां विक्रांत भी नीचे आ गया था,,,, वह अजीब नजरों से लावण्या को घुरे जा रहा था,,,,, लावी ने उसे खाना परोसा वो उसके साथ खाना खाने नहीं बैठी थी।
तुम भी खा लो विक्रांत ने कहा,,,,

आप खा लो आपके बाद में खा लूंगी,,,,,

विक्रांत हंसते हुए कहा ओहो पतिव्रता नारी,,,,, ठीक है मेरे जाने के बाद ठीक से खा लेना और काम करके जल्दी से ऊपर आ जाना।
आज मेरा मूड है मेरा मूड खराब मत करना,,,, सुबह मुझे जल्दी से ऑफिस जाना है,,,,,और वो ऊपर चला गया।

विक्रांत के जाने के बाद लावण्या ने खाना खाया काम किया और सोफे पर बैठ गई
उस ऊपर जाने के लिए उसके कदम साथ ही नहीं दे रहे थे। कल रात का उसके दिमाग में घूम रहा था।
यह सब सोचते सोचते हैं उसे नींद तो आगे उसे पता ही नहीं चला,,,,,,!

वो चैन से सोई थी पर अचानक से किसी ने उस पर ठंडा पानी डाल दिया,,,,
जैसे ही आंख खुली विक्रांत गुस्से में खड़ा था । उसने उसे धीरे से कहा ..... ....
मैंने तुम्हें कहा था ,,,,,,काम कर के ऊपर आ जाना,,,!!!!! 12:00 से ऊपर हो गया है ,,,,,
और तुम यहां आराम से सोई हुई हो ,,,,,!!
और मैं वहां तुम्हारी राह देख रहा हुं ,,,
ओह तुमको मेरे साथ नही सोना ,,,,! सॉरी मेने ये तो सोचा ही नहीं
एक काम करता है ,,
विक्रांत ने उसकी बांह पकड़ी और उसे मेइन डोर की ओर ले जाने लगा,,,, फिर बाहर की ओर धक्का देकर बोला जाओ कही भी गार्डन मे सो जाओ ।
जहां मैं ना आ सकु,,,,
जितनी बार गलती करोगी उतनी बार अलग सजा होगी और
फिर दरवाजा उसके मुंह पर बंद कर दिया,,,।

लावण्या____ इस अंजान शहर मे अकेली थी और बाहर ठंड भी बहुत ज्यादा उसने
दरवाजा पीटते हुए ,,,,प्लीज विक्रांत ऐसा मत करें बार बहुत ठंड है प्लीज दरवाजा खोले,, आइंदा ऐसी गलती नहीं होगी वो बहुत मिन्नतें करने लगी पर दरवाजा नहीं खुला

क्रमश .........जारी है.........🙏