स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 36 - अंतिम भाग Nirav Vanshavalya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 36 - अंतिम भाग

मोहम्मद जानते हैं कि प्रफुग इकाई में विश्वास रखताहैं, और इसलिए उसे सहायता करने की ना करने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता. मगर नवाजुद्दीन यह भी जानते हैं कि यदि प्रफुग हमारे सर पर हाथ रखेगा तो उसके कुछ उसूल भी हमें कुबूल करने होंगे. यह कोई आर्थिक संविधान नहीं है जो, बिना शर्त के आपको रुपया दे देगा. आने वाले हैं वर्षों में इस भूमंडल का सबसे बड़ा व्यापार होगा जिसके व्यावसायिक सूत्र कठोर से भी अधिक कठोर होंगे.


आखिरकार वो दिन आ ही जाता है जब, फिर से एक बार जमीन से 100 मीटर नीचे लोहे के सलाखों के दरवाजे खुलते हैं. और दोनों देशों के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मंत्री गाना तथा कुछ सलाहकार राष्ट्रों के सभ्य लोहा एकांत ग्रुप में मिलते हैं. iron solitude हाउस की लाइट्स ओन होती है. और सभी ने अपने अपने स्थान ग्रहण किए.

अदैन्य सीधा मुद्दे पर आते हैं और कहते हैं कि भारत सरकार की ओर से इस लोहा एकांत मे मैं प्रवचन करूंगा और आप प्रश्न.

अदैन्य ने सर्वानुमत यह प्रस्ताव रखा कि भारत सरकार आपको 10 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता करने के लिए तैयार है. मगर जैसे कि आप सब जानते हैं भारतवर्ष एक प्रफुग राष्ट्री भी बन गया है तो, व्यावसाय की कठोरता भी आपको स्वीकार करनी ही पड़ेगी.

मोहम्मद अपनी तेज बुद्धि से यह समझ जाते हैं और हा मी में अपने स्पेक्ट ठीक किए. जिसे अदैन्य ने देख लिया.

अदैन्य ने कहा आपके सामने तीन शर्त रखी जाएगी जीनमें से किसी भी एक का पालन आपको चिरकाल तक कर रहा होगा. जीनके सौगंध नामें अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों में सुरक्षित रहेंगे.

मोहम्मद ने हाथ के इशारे से कहा, जनाब.

और,अदैन्य ने प्रांजल शाह और चंद्रकांत मानिक के सामने देखकर तीन शर्तों वाला पेपर मोहम्मद को सौंपा.

मोहम्मद ने सब को सुनाई दे ऐसे स्वर में बोला शुरू किया शर्त नंबर 1, लेफ्ट कॉन्स्टिट्यूशन.
शर्त नंबर दो आई एस आई के लोगों में जो चांद बाई है वह बाई और नहीं दाएं और का होगा. और आई एस आई के लोगों में से ड्रैगन को हटाकर नेवले का चिन्ह रखना होगा.

शर्तो को पढ़ने के बाद मोहम्मद थोड़ा सा मुस्कुराए और अदैन्य से पूछा जनाब, पहली और तीसरी शर्त तो समझ में आती है, हमें लेफ़्टिस्ट यानी कि secular बनना है. और आई एस आई के लोगों में ड्रैगन कि जगह नेवला जो कि प्रफुग का ही चिन्हा है. वह रखना है. मगर यह दूसरी चांद वाली शर्त समझ में नहीं आई.
अदैन्य ने फट से जवाब देते हुए कहा, नथिंग मोर एंड नथिंग सीरियस, just only physical hagemony.

यह सुनकर प्रांजल शाह अंतर्मन मैं थोड़ा सा मुस्कुराए जिसका पता अदैन्य के अतिरिक्त और किसी को नहीं चला.

आखिरकार सरवानुमत यह निर्णय लिया जाता है कि पाकिस्तान को 10000 करोड़ की सहायता की जाएगी जिसके बदले में पाकिस्तान आईएसआई के लोगों में से ड्रैगन को हटा दिया जाएगा और नेवला यानी कि विसल को स्थापित किया जाएगा.
अदैन्य ने मोहम्मद इत्यादि सब को आश्वासन दिया कि, जैसे ही करनसी छपेगी आपको प्रफूग की नोट्स पहुंचा दी जाएगी.

मोहम्मद के "आमीन" के नाद के साथ ही समिति समाप्त होती है और दूसरे ही दिन ब्रिटेन की आईलैंड इंटरनेशनल क्रेडिट सोसाइटी में से भरत को 10 हजार करोड़ का कर्जा प्राप्त होता है जिसके बदले में भारत सरकार ने रिजर्व बैंक से वापस आया और कुछ अपना कुल मिलाकर 2 टन सोना सोसाइटी को गिरा दिया.

ज़ेवियर एक्सप्रेस ने 20000 करोड़ की एंटीफंगस करेंसी पाकिस्तान के लिए बनाई और पाकिस्तान की इकोनॉमी में से 20000 करोड़ कि पारंपरिक नोट्स दूर कर दी गई. जेवियर्स का कार्गो इस्लामाबाद के हवाई अड्डे पर उतरता है और प्रफुग ( एंटीफंगस पेपर्स ) के पत्र स्टेट बैंक ऑफ इस्लामाबाद के लिए रवाना होते हैं.

कुछ समय पश्चात भारत में प्रभु के के 3 साल पूरे होते हैं और साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग जैसे शब्द इकोनॉमिक्स डीकशनरी में से अदृश्य होने लगते हैं. इन 3 वर्षों में इंडियन करेंसी भूगर्भ और आतंकवाद की पहुंच से बहुत दूर हो जाती है और डॉलर उनसे सात समुंदर पार था. यही वजह थी कि कुछ सांसों आतंकवादियों ने खुदकुशी कर ली और कुछ अंडरवर्ल्ड के नुमाइंदों ने भारत सरकार से समाजवाद के अंगीकार की मांग की.
कुछ महीनों के बाद रूस और अमेरिका दोनों ने मिलकर सोलर सिस्टम के बाहर है यान
निकालकर भेजने का एलान किया, जाहिर सी बात है इनके ऐसे दोम दोम साहस के पीछे परिवल केवल प्रफूग ही था.

विश्व में इकाइयां बड़ी लगती है और ग्लोबलाइजेशन अपने सार्थक बिंदु की ओर प्रयाण करने लगता है.

हथियारों का गैर कानूनी उत्पादन लगभग साफ हो गया है और वेस्टर्न आर्मी मल्टीनेशनल में कुछ कंपनियों को हमेशा के लिए तारे लग जाते हैं.
Production हाउस की रफ्तार तीन से 4 गुनी बढ़ जाती है जीसके पीछे की वजह थी हंड्रेड परसेंट डाउन पेमेंट. इसी के चलते फाइनेंस कंपनियों के उसूल भी कुछ उदार से बनने लगते हैं.

विश्व युद्ध के समीकरण बदलने लगते हैं और न्यूक्लियर वेपंस प्रदर्शनी वस्तु.

जाली नोट के गोरखधंधे सदा के लिए बंद हो गए क्योंकि प्रफुग के हिसाब से जाली नोट के मूल्य की असली नोट छापी जा सकती है. प्रफूग के हिसाब से जाली नोट का पकड़ा जाना शुभ समाचार है.

कुछ समय बाद हॉलीवुड के एक प्रखर निर्देशक ने प्रफुग की उपस्थिति वाले वर्ल्ड वॉर पर आधारित फिल्म बनाई.

film तो वैसे 2:15 घंटे की थी मगर फिल्म के क्लाइमैक्स में मंगोलिया के सरहदी रेगिस्तान में 3-3 किलोमीटर के छोर पर दो desho के सेनापतियों को हाथों में रामपुरी चाकू लेकर खड़े हुए दिखाया जाता है.

THE END


written by nirav vanshavalya,inventor,anti fungas, THE SELF CURRANCY BANKING.