स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 35 Nirav Vanshavalya द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टेट बंक ऑफ़ इंडिया socialem (the socialization) - 35

कुल मिलाकर भारत सरकार को 3 महीने में ही कुछ आठ हजार करोड़ की आमदनी प्राप्त होती है, दोस्तों फिर से आपको याद दिला दु कि, अनमेनसन 6% ब्लैक मनी आबकारी और शिकारी है तो इसके प्रतिसाद यह हुए की जो पुरानी कंपनी थी उन्होंने अपने कैपिटल मेंसे छे परसेंट वापस खींच लिया और एक परसेंट ब्लैक मनी डाल दिया और कुछ जगह ऐसा भी हुआ कि रातो रात करोड़ों की कैपिटल वाली जाली कंपनियां खुल गई और जिसमें सिक्स परसेंट ब्लैक मनी दिखा दिया गया. जिसके 20 परसेंट टैक्स पे कर दिए गए और ब्लैक मनी वाइट. यह काम पूरा होने के बाद वह कंपनी भी बंद हो गई. मगर सरकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा उन्हें ब्लैक मनी के रिकवर से मतलब था. जो सफल रहा.

ब्लू जींस व्हाइट इन शर्ट और ब्राउन गोगल्स वाले शार्प लेफ़्टिस्ट अदैन्य रॉय प्लेन की सीढ़ियों से नीचे उतर रहे हैं और उसकी मैच्योरिटी का लचीलापन ही बता रहा है की अभी अम्बु के इस पेड़ को और बहुत झुकना बाकी है और बहुत फल देने हैं.

दोस्तों, लेफ्टिस्ट यानी कि वामपंथी, यानी बाया मारगी. ऐसा नहीं है कि वामपंथी केवल भारत में ही है पूरा का पूरा रसिया एक वामपंथी राष्ट्र है और दुनिया की आबादी का एक पूरा का पूरा भाग वामपंथी विचारधारा रखता है. जिसमें कार्ल मार्क्स से लेकर एलेग्जेंडर तक कई फिलोसोफर के विचार शामिल है.

वामपंथी और दक्षिणपंथी इन दोनों के बीच की कोई भेद रेखा, कोई व्याख्या निर्मित करनी हो तो यही कि जो बिन संप्रदाय पर काम करते हैं वह सभी लेफ़्टिस्ट है, और जो संप्रदाय सिद्धांतों पर जो काम करते हैं सभी राइटिस्ट है.
रसिया का अपना कोई धर्म नही है, यह वास्तव में रसिया का प्राच्य सत्य है. और इसलिए रसिया ने औपचारिक तौर पर ख्रिस्ती धर्म का अधिकार किया था. शायद इसीलिए रसिया में लेफ्ट लिज्म यानी की बिन संप्रदायवाद शुरू हुआ जो आगे चलकर विश्व के कई देशों में फैल गया.

एनीवे हम प्रफुग की बात कर रहे थे.

भारत में अनोल्लेख के 7000 करोगे की कर आय हुई है यह बात सच है.

और इसी के साथ भारत सरकार ने रिजर्व बैंक से लिए हो पचास हजार करोड़ में से सात हजार करोड़ की वापसी कर दी और कितना सोना भी भारत सरकार ने वापस ले लिया.

मगर इकाई अहिंसा इत्यादि यह केवल एक शब्द ही नहीं है और महात्मा जन इन शब्दों के पीछे यूं ही नहीं दौड़ते. यह शब्द अपने आप में एक वहां पर क्या समान है. वह अहिंसा ही थी जिसका अंगीकार करके महात्मा गांधी ने पलक झपकते हिंदुस्तान को आजाद करवा दिया. जो काम हमारे 200 साल के शूरवीर पूर्वज ना कर सके.

ठीक वैसे ही इकाई का भी अपने ही महात्म्य होता है. और यह स्वयं विद्या होने के नाते कष्ट तो देती है.

अदैन्य के इकाई के सुत्र और समीकरण कार्यरत होने जा रहे हैं और उसका पहला बार पाकिस्तान पर ही पड़ता है. पाकिस्तान पर इंडोनेशिया जैसे आसार उत्पन्न होते हैं और वहां के प्रधानमंत्री नवाजुद्दीन मोहम्मद ने अदैन्य के प्रफूग की गर्मी को समझ लिया था. मगर दोनों देशों के बीच का तनाव अदैन्य और मोहम्मद को मिलने से रोक रहा था.