रेल गाड़ी स्टेशन पर रुकी। मै गाड़ी से नीचे उत्तरी और मेने इधर.उधर देख कर मैने कुली को सामना उठाने के लिए आवाज लगाई। तभी वहाँ एक कुली आया।
मैने जैसे ही उसे कुली को देखा मेरी आँखे खुली की खुली रह गई. वह कुली बोली मैडम। मैडम बताओ क्या समान उठाना है। मैडम कर मुझे आवज लगा रहा थी ।
अरे मैडम क्या हुआ ? क्या पहले कोई लेडीज़ कुली नहीं देखी।
नहीं नहीं ऐसा नहीं।
मै थोड़ा सा मुस्कुराई । ओर उसकी तरफ देखते हुए बोली ,तुम कितनी बहादुर हो जो तुम यहाँ एक कुली का काम कर रही हो ,तुम्हारे पति कितने भाग्यशाली है।
मेरे भाग्यशाली पति बोलते ही उसकी आँखो से आँसू बहाने लगे। मै चित्त होगई की मैने कुछ गलत तो नहीं कहा।
मैने उसे दुःख जताते हुए कहा, दीदी मुझे माफ़ करना। यदि मैने आपका दिल दुखा ने वाली कई बात कही हो।
कुली दीदी ,ने आँखो से आँसू पोछते हुए कहा।
नहीं नहीं तुमने कुछ ऐसी कोई बात नहीं कही है।
कुली दीदी ,कहा मेरा ही भग्य कोटा है।
ऐसा सुन कर मै आश्चर्ये में पड़ गई।
मैने ,कुली दीदी से बोला क्या में आपके बारे में जान सकती हूँ।
मैने ,कुली दीदी को अपने बारे में बताया कि में एक लेखिका हूँ ,और अभी में औरतो के बारे में लिख रही हूँ।
कुली दीदी ,ने अपने बारे में बतया की में पास के गाँव से यहाँ रोज सुबह आती हूँ। मेरे पास दो बच्चे हे ,और एक बुढ़ी सासू माँ है। मेरे पति की मितु हो जाने के बाद ,
मुझे जब कोई काम नहीं मिला तो मैने यह काम करना शुरू किया ,मै रोज अपने घर का काम खतम कर ,अपने बच्चो को स्कूल भेज कर आती हूँ ,
दिन भर लोगो का समान उठाती हूँ ,और देर रात को अपने घर जाती हूँ।
मैने पूछा कि इस काम को करते करते कितना समय हो गया,
कुली दीदी ने बोला पता नहीं, कितना समय हो गया है। अब तो सब अपना सा लगता है। यहाँ सब लोग अपने से लगते है। और मुझे कुली दीदी कह कर मुझे बुलाते है।
मेरे पूछने पर बताया ,कि उनको शुरु शुरु में किन किन चीजों का सामना करना पड़ा.
कुली दीदी ,ने बतया कि पहले गाड़ी से उतने वाले लोग मुझे अपना समान उठाने से मना कर देते थे।
कहते थे,. कि यह तो लेडिज है. यह तो कमजोर है. यदिसमान उठाते समय इसको चोट लग जाये गी तो हमे ही इसको डॉक्टर के पास ले कर जाना होगा।
कुछ लोग तो मुझ पर समान उठाने पर व्यग भी करते ,और हसँते थे। परन्तु मैने कभी ऐसी बातों पर ध्यान नहीं दिया। और न ही अपने आप को कभी किसी से कम व कमजोर समझा।
मैने हर हालात में अपने को और मजबूत बनाया ,और हर समय एक ही बात का ध्यान रखा है. कि मुझे अपने पति का सपना पूरा करना है ,अपने बच्चो को पढ़ा लिखा कर एक दिन बड़ा आदमी बनाना है . जो मेरे पति ने देखा था। इस के लिए चाहे मुझे दिन रात मेहनत करनी पड़े तो मै पीछे नहीं हटु गी।
मै ,ने दोनो हाथ जोड़ते हुए ,कुली दीदी को प्रणाम किया,, और उनकी हिम्मत को सलाम करते हूँ उनका शुक्रिया किया ,और कहाँ
की ऐसी महान नारी को मै, सम्मान करती हूँ ,जो अबला नहीं सबला है। वह समाज के लिए एक प्रेणा है. जीवन की किसी भी परिस्तिथि में कभी हार नहीं मानती है.और नहीं अपने को कमजोर व अकेला समझती है ।
मैने उनको आपने गले लगा कर अलविदा ली और फिर मिलेंगे ऐसा कुली दीदी ने कहा।
और उन्होंने मेरा समान उठा कर कार में रखवा दिया . मै रेखा चौहान