शक्तिमान Priya pandey द्वारा बाल कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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शक्तिमान

शक्तिमान मैं तुम्हें चिट्ठी लिखना चाहती हूं, लेकिन मुझे तुम्हारे घर का पता नहीं मालूम । तुम्हारे
लिए चिट्ठी लिख चुकी हूँ। जब भी खेलने जाती हूं जेब में वह चिट्ठी भी साथ होती है। अगर तुम मेरे साथ खेलने आ जाओ तो चिट्टी तुम्हें वही दे दूंगी। पता है, जब भी पापा के साथ बाजार जाती हूं रोड किनारे तुम्हारा घर तलाश करती हूं, कि कहीं किसी घर के बाहर तुम्हारा नाम लिखा हुआ मिल जाए| चिट्ठी देने तुम्हारे घर ही चली आऊंगी, अगर तुम लोगों की मदद करने आसमान में भी होगे तो मैं चिट्ठी में अपना पता छोड़कर चली आऊंगी। मेरे घर में दो चिड़िया रोज आती हैं। उन्होंने तुम्हें कई बार आसमान में देखा है। अगर तुम मेरे घर का पता पूछोगे तो वह तुम्हें साथ ले आएंगी। मेरा नाम कोमल है। दोनों चिड़िया का नाम भी मैंने कोमल ही रखा है। तुम्हारे लिए चिट्ठी लिखे महीने बीत चुके हैं। आज घर में पोस्टमैन भईया कह रहे थे उन्हें सभी का पता मालूम होता है। जब मैंने तुम्हारा नाम लिया तो चुप हो गए। उनकी चुप्पी मेरे चेहरे की उदासी थी। पापा काम के बाद रोज घर सोने आते हैं। क्या तुम घर पर सोते नहीं? क्या तुम्हारा घर आसमान में छाए बादल है। पोस्टमैन भईया को मेरी चिट्ठी देने आसमान में आना होगा शक्तिमान ? रोज आसमान में तुम्हें देखती हूं और तुम्हारी तरह उड़ने के सपने देखती हूं। रात के तरह दिन के सपने में भी तुम ही आते हो। शक्तिमान तुम मेरी चिडियों से दोस्ती क्यों नहीं कर लेते। मैं रोज चिट्ठी लिखूंगी वे रोज तुम तक चिट्ठी पहुंचा देंगे| मगर सोचती हूं कि मुझे तुम्हारी तरह उड़ना कब आएगा? शक्तिमान आसमान में मुझे तुमसे मिलने आना हो तो क्या मुझे भी तुम्हारी तरह लाल रंग के कपड़े पहनने होंगे। मैं अक्सर पिंक रंग का फ्रॉक पहनती हूं। क्या फ्रॉक में गोल घूमने से तुम्हारे पास पहुंच जाउंगी? मैने कई बार अकेले में करके भी देखा लेकिन हर बार धड़ाम से गिर जाती हूं। मम्मी मुझे पागल कहती है। क्या सच में पागल हूँ शक्तिमान? अगर उड़ने लग जाऊं तो मुझे आसमान में तुम्हारा पता भी नहीं मालूम, कहीं भटक जाऊंगी तो घर वापस कैसे लौटूंगी? क्या तुम मेरी मदद करने चले आओगे शक्तिमान? काफी दिनों से पापा को कह रही हूं मुझे तुम्हारी तरह कपड़े चाहिए । कल मेरे जन्मदिन पापा मुझे तुम्हारी तरह कपड़े लाकर देंगे, फिर मैं तुम्हारी तरह तुम्हारे साथ आसमान में उडूंगी। अगर उड़ते हुए गिर पड़ी तो मुझे बचाने तुम चले आना। मैं समझूगी तुम मुझे उड़ना सिखा रहे हो| अब चिट्ठी नहीं लिखूँगी| हम रोज मिलकर बातें कर लिया करेंगे। कल स्कूल से लौटने के बाद आसमान के सबसे बड़े बादल के पास पहुंच जाऊंगी। तुम भी चले आना। मेरे साथ दोनों चिड़िया भी आएंगी। मम्मी मुझे घर से अकेले जाने नहीं देतीं। अब आसमान मेरा पार्क होगा। अपने साथ कुछ खिलौने भी लाऊँगी। स्कूल के बाद हम खिलौने का खेल बैठकर खेलेंगे। क्या बादल में तुम्हारा कोई घर है शक्तिमान? अगर नहीं होगा तो हम बना लेंगे जैसे मैंने घर में अपना घर बनाया है। कल तुम्हारी वह चिट्ठी भी साथ लाऊंगी, लेकिन इसे मेरे सामने मत पढ़ना। मेरे जाने के बाद अपने मन में पढ़ना। तुम्हारे पास अपना मन तो हैं ना? अगर ना होतों मेरे मन में आकर पढ़कर लेना। वैसे मैंने तुम्हारे लिए चिट्ठी मन से लिखी है। आज सुबह से तुम्हारे कपड़े पहन लिए हैं। दोनों चिडिया भी मेरे उड़ने की खुशी में आज जल्दी घर आ गए हैं। मम्मी स्कूल के कपड़े पहनने को जिद कर रही हैं, लेकिन बार-बार घर के बाहर निकल जाती हूं। अगर आज स्कूल जाने देर हो गई तो उड़ कर चले जाऊंगी सोच रही हूं। लेकिन शक्तिमान मुझसे गलती हो गई.. मैंने सभी को बता दिया कि मैं शक्तिमान हूं। लेकिन आसमान में उड़ने का रहस्य किसी को नहीं मालूम । अगर आसमान के रास्ते स्कूल जाऊंगी तो सब जान जाएंगे। इसलिए स्कूल चलकर जा रही हूं। आसमान में सबसे बड़ा बादल तलाश रहीं जहां तुमसे शाम को मिला जा सके। तुम मुझे झट से पहचान जाओगे। मेरा शरीर पांच साल का है, लेकिन कपड़े पहनने के बाद बिलकुल तुम्हारी तरह ही दिखती हूं। मैं कोमल से शक्तिमान बनने की खुशी मेरी चाल में है। कपड़े को बैग में डालकर स्कूल ले आई हूं। किताब के जगह बार-बार उसे ही देखती हूं। टिफिन खाने से ज्यादा आज मुझे शक्तिमान बनने का मन हो रहा है। स्कूल से लौटते वक्त दोस्तों को छोड़कर जल्दी घर चली आई हूं। मैंने तुम्हारे कपड़े भी पहन लिए है। एक हाथ में तुम्हारी चिट्ठी है। मैं उड़कर तुम तक पहुंचने बादल तलाश रहीं हूं। मुझे बादल में तुम दिखाई भी दे रहे हो। क्या मैं तुम्हें दिखाई दे रही शक्तिमान ? यहां देखों छत के ऊपर.., छोड़ो मैं पहाड़ के पास वाले बादल में आ रही हूं। दोनों चिड़िया पहले ही जा चुकी हैं, मैं जैसी ही छत से उड़ने वाली थी मम्मी ने रोक लिया। फिर कहने लगी तू पागल हैं। उनका विरोध करने पर मुझे सजा मिल रही थी। उन्होंने जैसी ही मुझे खिंचा मेरे हाथ से तुम्हारी चिट्ठी भी गिर गई, लेकिन बाद में उड़ने लगी। मेरी आंखे चिट्ठी पर ही टिकी थी। जब मम्मी मुझे सीढ़ियों से अंदर ले जा रही थी बार-बार कह रही थी। मैं शक्तिमान हूं मुझे उड़ना आता है.... लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी। मुझे उम्मीद थी तुम चले आओगे । मुझसे मिलने नहीं तो चिट्ठी लेने ही सही। छत से नीचे आते तक तुम्हारे कपड़े काफी फट गए थे। आंखो से आंसू नहीं रुक रहे। मम्मी टीवी चालू कर कह रही थी, देखो शक्तिमान टीवी में हैं, लेकिन मैंने देखा तुम आसमान में थे और मुझे बादल के बीच खोज रहे थे। तुम मेरी तरह मुझसे मिलने को परेशान थे। मुझे लगा था, तुम ढूंढ निकालोंगे। बार-बार टीवी के सामने तुम्हारा नाम पुकारती रही। अंत में तुमने मुझे खोजना बंद कर दिया और तुम अपने घर चले आए। तुम्हारी वह चिट्ठी भी उस दिन आसमान में कहीं गुम हो गई, जो कभी मिली नहीं। वह अंतिम चिट्ठी थी। उस दिन के बाद मैंने कोमल से शक्तिमान बनकर उड़ने का सपना छोड़ दिया है। अगर तुम्हे मेरे चिडिया मिले तो उनसे दोस्ती कर लेना क्योंकि उनकी कोमल दोस्ती अब नहीं रही।

तुम्हारी कोमल।