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बागी स्त्रियाँ - भाग चौदह

आनन्द की बात झूठ नहीं थी पर पवन ने मीता को कभी इतना एकांत और अधिकार नहीं दिया था कि वह उससे इस बारे में पूछ सके। हालाँकि आनन्द ने उसे भड़काया भी था कि ऐसे कैसे वह कहीं और शादी कर सकता है?उसे विरोध करना चाहिए ।आखिर इतने वर्षों से वह उसकी अंतरंग प्रेमिका रही है।पर मीता ने कभी किसी से भी अपने अधिकार के लिए संघर्ष नहीं किया था फिर पवन से क्यों करती?जो उसका था ही नहीं ,उसे बांधने का यत्न क्यों करती?उसने खुद ही पवन से दूर जाने का फैसला कर लिया था।पर जब पवन उससे मिलने आया तो उससे रहा नहीं गया।
"जो तुम कर रहे हो, क्या वह ठीक है?"
--क्या कर रहा हूँ?
"मेरे साथ पांच वर्ष अंतरंगता के बावजूद कहीं और शादी...!"
--मैंने कभी तुमसे विवाह का वादा नहीं किया था।
"तुमने ये तो कहा था न किसी से भी शादी नहीं करोगे।"
--कहा था पर माँ चाहती है मेरी शादी जल्द हो जाए।वह अपना वंश आगे बढ़ाना चाहती है।लड़की उन्हीं ने पसन्द किया है।
"सिर्फ उन्होंने?"
--नहीं ,मेरी भी पसन्द उसमें शामिल है।
मीता के दिल पर चोट लगी।
"और मैं.....!"
--तुम भी मेरी पसन्द हो पर शादी तो अपनी ही जाति में और अपने से उम्र में छोटी से ही करनी होती है।यही परिवार व समाज का व्यवहार है।
"मुझसे सम्बन्ध बनाते समय इस बात का ख्याल नहीं था।"
--प्रेम करने में इन सब चीजों पर ध्यान नहीं दिया जाता।
"अगर तुम्हारे परिवार की किसी लड़की के साथ वही व्यवहार होता जो तुमने मेरे साथ किया तो...।"
--गलत बात मत बोलो...!वह नाराज होकर जाने लगा।
"मेरी बात का जवाब देकर जाओ।"
--तुम इस तरह से बात क्यों कर रही हो?क्या मेरी शादी से खुश नहीं हो?सभी लोग खुश हैं।
"मैं सब लोगों में नहीं हूँ।"
--तुम्हारा मुझ पर अधिकार बना रहेगा।शादी के बाद भी मैं नहीं बदलूँगा।जब तक चाहोगी रिश्ता रखूंगा।
"रखैल बनाकर रखोगे?"एक साथ दो लड़कियों को धोखा दोगे।"
--यह सामंती सोच है।खुले दिल- दिमाग वाले ऐसा नहीं सोचते।
शादी में आवोगी न...!
"नहीं आ पाऊंगी... अपनी आंखों के सामने तुम्हें किसी और का होता नहीं देख सकती।"
--मुझे नहीं पता था कि तुम्हें मेरी खुशी से जलन होगी।
"मैं इंसान हूँ पत्थर नहीं....।"
--ठीक है तुम्हारी मर्जी.....!
और वह चला गया था।जाते वक्त उसकी पीठ दिख रही थी।वही पीठ,जो कभी उसका तकिया बनी थी कभी नोटबुक...।आलिंगन के समय बाहों ने जिसे कसकर बाँधे रखा था।हथेलियों ने जिसके पसीने को प्यार से पोछा था,वही उसकी अपनी पीठ उसे पीठ दिखाकर चलती चली गई।
पवन ने उसे अपने विवाह का निमंत्रण पत्र नहीं भेजना चाहा था पर आनन्द के कहने पर उसने किसी दूसरे के हाथ भेज दिया।मीता ने निमंत्रण पत्र को खोलकर देखा तक नहीं ।जिस दिन पवन का विवाह था।वह अपने कमरे से निकली ही नहीं।उसने नींद की दो गोलियां भी ली पर नींद आंखों से कोसो दूर थी।वह अपने बिस्तर पर लेटी थी और उसकी आंखों से आंसू बहे जा रहे थे।देर रात को आनन्द का फोन आया।
"रो रही थी न....!इकतरफ़ा प्रेम का यही परिणाम होता है।"
इकतरफ़ा! तो क्या उसका प्रेम इकतरफ़ा था?अगर पवन उससे प्यार नहीं करता था तो अपना तन- मन कैसे समर्पित कर देता था?क्या प्रेम की बातें सिर्फ उसकी जुबान से निकलती थीं,दिल से नहीं।वह कैसे नहीं समझ पाई? ....नहीं नहीँ...आनन्द जलन में ऐसा कह रहा है।
आनन्द विवाह के सारे आयोजन का आंखों देखा खबर फोन पर सुनाता रहा।पवन का मजाक बनाता रहा कि वह दुल्हन के आस -पास भी अंतरंग मित्रों को फटकने नहीं दे रहा है।उसे डर है कि मजाक में भी कोई मित्र मीता से उसके सम्बन्ध को उजागर न कर दे।दुल्हन बहुत सुंदर है। पवन से लगभग पन्द्रह वर्ष छोटी आदि आदि।
मीता का मन रो रहा था।क्या पवन को इस वक्त उसकी याद नहीं आ रही होगी?वह तो कहता था कि वह उसके जीवन की प्रथम स्त्री है और उसकी जगह हमेशा वही रहेगी।अब वह दूसरी से भी उसी की तरह कैसे प्यार कर पाएगा?उसने अपने लिए इतनी छोटी लड़की कैसे चुन ली?लड़की बी .ए. की छात्रा है।वह तो कहता था कि उस उम्र की लड़कियां उसे बच्ची लगती हैं और उसे उस जैसी मैच्योर लड़की ही पसन्द है।क्या वह यह सब उसे बहलाने के लिए कहता था?आनंद ने एक बार कहा था कि पवन कम उम्र की सुंदर लड़की से इसलिए विवाह करना चाहता है कि वह उसके बुढापे तक सुंदर और जवान रहेगी।वह सौंदर्य -प्रेमी है।घर में उसे सुंदर और युवा लड़की ही पत्नी रूप में चाहिए थी। मीता भी अभी सुंदर और युवा है पर उससे एकाध साल बड़ी ही है।वह उसके साथ ही बूढ़ी होगी और सुंदर नहीं दिखेगी।
कैसे होते हैं ये पुरूष! प्रेम में भी गणित उनसे नहीं छूटता।वे हमेशा प्लस चाहते हैं माइनस नहीं ।लंबे समय तक देह -सुख देने वाली लड़की उन्हें चाहिए।वे भूल जाते हैं कि उनके बूढ़े होते ही उनकी जवान पत्नी भी गुमराह हो सकती है।आखिर स्त्री की भी तो अपनी आकांक्षाएं होती हैं ।उनके देह की तो अपनी मांग होती है।युवा और सुंदर स्त्री को भी बूढ़े और अनाकर्षक पति से वितृष्णा हो सकती है।तब तो पति -धर्म का लबादा उस पर लाद दिया जाता है।ऐसी इच्छा रखने वाली स्त्री को कुलटा कहा जाता है।स्त्री और पुरूष के लिए दो तरह के नियम किसने बनाए और क्यों?


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