नीम का पेड़ ( भाग 11) Kishanlal Sharma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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नीम का पेड़ ( भाग 11)

34--कारोबार
"मैने आगरा वालों का क्या बिगाड़ा था?'
रफीक फ्लो के थोक विक्रेता नदीम के यहाँ नौकरी करता था।मालिक से किसी बात पर तकरार होने पर उसने नौकरी छोड़ दी।कुछ दिनों तक बेकार रहने के बाद उसने अपना कारोबार शुरू किया लेकिन सिर मुड़ाते ही ओले पड़ गए।
रफीक ने कारोबार शुरू करने के लिए दोस्तो और रिधतेदारो से उधार लेकर एक लाख रु इकट्ठे किये थे। नवरात्रे आने वाले थे।रफीक ने कश्मीर जाकर एक लाख रु के फल खरीदे।उन फ्लो को वह ट्रक से मुम्बई ले जा रहा था।
बारावफात की रात को आगरा में एक बाइक की टूक से टक्कर हो गयी।बाइक पर सवार तीन लोगों की घटना स्थल पर ही मौत हो गयी।टक्कर मारने वाला ड्राइवर ट्रक को लेकर भागने में सफल हो गया।युवकों की मौत से लोग नाराज हो गए।उन्होंने आगजनी और तोड़फोड़ शुरू कर दी।शहर में अफरातफरी मच गई।गुस्साए लोगों ने रफीक के ट्रक को भी आग के हवाले कर दिया।
रफीक के कारोबार का श्रीगणेश होने से पहले ही जनाजा निकल गया था
बाइक पर सवार लोग मरकर खुदा को प्यारे हो गए थे।लेकिन उसके बाद भड़की दंगे की आग ने उसे जीते जी मार दिया था।
35--असलियत
"इसके नाक कान तुम से मिलते हैं।"रतिमा के बेटा होने पर पति और सास खुश थे।
रतिमा की शादी नीलेश से हुई थीं।शादी के पांच साल बाद भी रतिमा माँ नही बनी तब सास बेटे की दूसरी शादी के बारे में सोचने लगी।रतिमा को इस बात की भनक लगी तो वह घबरा गई।माँ बाप रहे नही थे।भाई था नही।अगर पति ने छोड़ दिया तो कहाँ जाएगी?परित्यक्ता को कौन अपनायेगा?काफी सोच विचार करने के बाद उसने अपने दाम्पत्य को बचाने के लिए अनमने मन से निर्णय लिया।
पति नवजात शिशु को अपना बेटा समझकर खुश हो रहा था।दुनिया की नज़रो में वह उसी का बेटा था।पर रतिमा ही जानती थी उसके गर्भ से पैदा बेटे का बाप उसका पति नही था।
36--आदत
"झूठन खाओगे?"जैसे ही फटेहाल लड़का मेरे फेंके दोने पर लपका,मैने उसका हाथ पकड़ लिया था।
"बाबूजी बहुत जोर की भूख लगी है।"फटेहाल लड़का बोला।
"तो झूठन क्यो खाते हो?"मैने उसे दुकान से दो कचौड़ी दिला दी।वह कचौड़ी खा चुका तब मैंने उस फटेहाल लड़के से पूछा था,"तुम क्या करते हो?"
"कुछ नही।"
",काम क्यो नही करते?अगर काम करोगे तो तुम्हे लोगो के झूंठे दोने नही चाटने पड़ेंगे?"
"क्या काम करूं बाबूजी?"उसने मुझ से पूछा था।
मैं उससे बात कर रहा था,तभी एक कचरा बीनने वाला लड़का मेरे सामने से गुजरा।उसे देखकर मैं बोला,"उस लड़के को देखो।कचरे में से बोतले,प्लास्टिक,लोहे का सामान आदि चीजे बेचकर रोज पचास सौ रु आराम से कमा लेता होगा।
",,,,"लेकिन बाबूजी कचरे में से सामान बीनने के लिए गली मोहल्ले के चक्कर लगाने पड़ेंगे और फिर उस सामान को बेचने के लिए कबाड़ी के पास जाना पड़ेगा।'
"पैसा कमाने के लिए यह तो करना ही पड़ेगा"।
"लेकिन झूठन खाने के लिए कुछ नही करना पड़ता।'
फटेहाल लड़के की बात सुनकर मैं समझ गया।उसकी आदत झूठन खाने की पड़ चुकी हैं।
37--इशारा
""न जाने कहां से कलूटी पैदा हो गयी जिससे शादी करने को कोई तैयार ही नही होता"
आज फिर लतिका को देखने आया लड़का रिस्ते से इंकार कर गया तो रोमा गुस्से में बोली थी।
"माँ तू गोरी,पिता भी गोर थे।फिर भी मैं काली कैसे पैदा हुई।तू अच्छी तरह जानती है।'
बेटी की बात सुनकर रोमा समझ गयी
बेटी ने उसके अवैध सम्बन्ध की तरफ इशारा कर दिया था।