धनुष ने अपने जीवन के पन्द्रह साल सिर्फ अपनी इंजीनियरिंग की पढा़ई को दिए थे,वो एक रोबोटिक्स इंजीनियर था,उसकी कम्पनी ने उसे और उसके लिए एक सहायक इंजीनियर को लेकर एक बहुत बडे़ प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए शहर से दूर जंगल में एक बहुत बड़ी सी लैब में भेजा,
उसकी कम्पनी एक ऐसा शक्तिशाली रोबोट बनाना चाहती थीं जिसमें की भावनाएं हो,गम़,खुशी,प्रेम,करूणा, ऐसी सारी फीलिंग्स हो जो किसी मानव मे होतीं हैं और ऐसा रोबोट बनाना मुश्किल था लेकिन नामुनकिन नही।।
इसके लिए उनलोगों से एक कान्ट्रेक्ट पर साइन भी करवाए कि जब तक रोबोट का निर्माण नही हो जाता वो इस लैब से बाहर नहीं निकलेगें, समय समय पर उनकी जरूरत का सामान भिजवा दिया जाया करेगा और वो ऐसे रोबोट का निर्माण करने मे अगर सफल हो जाते हैं तो उसका सारा श्रेय उन्हीं लोगों को ही जाएगा, ये उनके लिए एक ऐतिहासिक कामयाबी होगी,
ये सुनकर धनुष और उसके सहयोगी की खुशी का ठिकाना नही था और रजामंदी के रूप मे उन दोनों ने उस प्रोजेक्ट पर साइन कर दिए।।
कम्पनी उन दोनों को एक हैलीकॉप्टर के जरिए उस जगह ले जाती हैं,हैलीकॉप्टर जंगल के बीच पहाड़ों पर उनकी लैब तक छोडता हुआ वापस चला जाता हैं दोनों जाते हुए हैलीकॉप्टर को देखते है फिर खुश होकर लैब की ओर बढतें हैं, देखते हैं कि टीन से बना हुआ कुछ गोलाकार सा घर हैं,लैब के पास पहुंचते हैं।।।
उस लैब के दरवाजों को खोलने के लिए के लिये उन लोगों को एक कार्ड दिया गया था,जिसे वे इनसर्ट करते हैं और दरवाजा खुलता हैं, दरवाजा खुलते ही नीचे की ओर जाने के लिए सीढियां थीँ ,दोनों नीचे उतरते हैं, देखते हैं कि लैब की सारी दीवारें कांच की बनी हुई हैं और उनकी जरूरत का सारा सामान वहां मौजूद हैं।।
अब धनुष और सुभाष अपने प्रोजेक्ट पर काम करना शुरु करते हैं, वो बहुत सारे मोबाइल फोन का डेटा हैक करते है चूकिं सुभाष बहुत अच्छा हैकर रहता हैं इसलिए इसमे उन्हें कोई दिक्कत नही आती,मोबाइल फोन का डेटा हैक करके प्रोग्रामिंग करके वो एक आर्टिफिशियल शक्तिशाली मस्तिष्क का निर्माण करते हैं।
कुछ महीनों की मेहनत के बाद उनका रोबोट तैयार हो जाता हैं, जिसका नाम उन्होंने एक्टिव रखा, उसके सारे बोडी पार्टस फिट करके हूबहू इंसान का चेहरा देकर,उसे एक्टिव करके एक कांच के कमरें मे कैद कर देतें हैं और कैमरे लगाकर उसे हर समय एग्जामिन करते रहते हैं।।
कुछ दिनों बाद उन्होंने देखा कि रोबोट के अंदर उदासी वाले भाव विकसित हो रहे हैं, वो कमरे के कोने मे बैठ कर कुछ सोच रहा हैं,कुछ दिनों तक ऐसे ही चलता रहा और दोनों अपनी इस तरक्की पर खुश थे।।
अब सुभाष ने धनुष से कहा____
सर!!अब हम एक एक्टिव से बात करके देखें, हमनें इतना हाइटैक रोबोट बनाया हैं, अब बहुत महीनें हो चुके हैं, अब हमें ये जानना चाहिए कि आखिर उसके मस्तिष्क मे चल क्या रहा हैं?वो क्या सोच रहा हैं? उसकी भावनाएं क्या है?हमलोगों को देखकर उसका क्या रिएक्शन होता हैं, अभी उसे पता नही हैं कि उसके जैसा और भी कोई हैं।।
धनुष बोला___
तुम बिल्कुल सही कह रहे हो,सुभाष!!उसे इग्जामिन करने के लिए उससे बात करना बहुत जरूरी है और ऐसा करो,आज रात ही तुम उससे बात करो और मैं कैमरों पर उसका रिएक्शन देखता हूँ।।
और रात होने पर सुभाष उसके कमरे के पास पहुंचा, पहले तो उसने पूछा कि तुम कौन हो?
सुभाष बोला, मै सुभाष और तुम।।
मै एक्टिव हूं, यहां कैद हूं।। एक्टिव बोला।।
तो तुम यहाँ से निकलना चाहते हो,सुभाष ने एक्टिव से पूछा।।
हांँ,कबसे,तुम मुझे निकालो,एक्टिव बोला।।
अभी नहीं, सुभाष बोला।।
लेकिन क्यों?एक्टिव ने पूछा।।
अभी नहीं बता सकता,मै अभी जा रहा हूं कल मिलते हैं, सुभाष बोला।।
धनुष ने सारे वार्तालाप को आँब्जर्ब करके ये निष्कर्ष निकाला की एक्टिव के अंदर धीरे धीरे फीलिंग्स डेपेलब्ड हो रही हैं इसलिए वो उस कमरे से निकलने की बात कह रहा हैं।।
अब तो सुभाष रोज रात को एक्टिव से बात करने जाने लगा और इधर धनुष सब आँब्जर्ब करता,एक दिन तो एक्टिव इतना ज्यादा उदास हो उठा कि सुभाष ने भावुक होकर सब कह दिया कि तुम्हें हम लोगों ने बनाया है।।
जब सुभाष,धनुष के पास पहुंचा तो धनुष ने सुभाष को बहुत डांटा की तुम्हें एक्टिव को सबकुछ नहीं बताना चाहिए था,अब उसका पता नही क्या रिएक्शन हो,उसके अंदर भाव उत्पन्न हो रहे हैं, वो हमलोगों से बदला लेने की भी सोच सकता हैं।।
कैसी बातें कर रहें हैं सर!हम लोगों ने उसे बनाया हैं वो ऐसा कैसे कर सकता हैं, सुभाष बोला।।
तभी धनुष बोला, तुम्हें कुछ नही पता,तुम मेरे असिस्टेंट हो,अपनी औकात मत भूलो,जो मैं कह रहा हूं वो क्यों नही सुनते?
इस बात का सुभाष को बहुत बुरा लगा,उसके आत्मसम्मान को बहुत चोट पहुंची और उसने धनुष से बदला लेने की सोची,उस वक्त वो कुछ नही बोला।।
लेकिन अगली रात उसने कुछ ऐसा कर दिया कि कैमरे चले ही नही, उसके और एक्टिव के बीच हुई वार्ता लाप का धनुष को कुछ भी पता नही चला।।
सुभाष ने एक्टिव को सारी सच्चाई बता दी कि तुम्हें बनाने का श्रेय तो आधे से ज्यादा धनुष को चला जाएगा मैं तो एक असिस्टेंट ही रहूँगा।।
तभी एक्टिव बोला, अगर तुम सुभाष को मार दो तो किसी को क्या पता चलेगा, तुम मुझे अपने साथ बाहर ले चलो और दुनिया वालों को कहो कि तुमने मुझे बनाया हैं तो हर कोई तुम्हारी बात पर भरोसा कर लेगा।।
सुभाष बोला, तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो,आज ही रात मै धनुष का खात्मा करके तुम्हें बाहर निकालता हूं, इतना कहकर सुभाष चला गया।।
सुभाष जैसे ही धनुष के पास पहुंँचा,धनुष ने पूछा कैमरे क्यों नहीं चल रहें, क्या किया हैं तुमने?
कुछ नही, सुभाष गुस्से से बोला।।
मुझे सब पता हैं सुभाष, ऐसा मत करो,उसके अंदर इंसानों जैसे भाव आ रहे हैं, वो तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा हैं यहां से निकलने के लिए।।
कुछ भी हो,मुझे नही पता, मैं कोई आपका गुलाम नही हूं कि हमेशा आपकी बात मानूं।।सुभाष बोला।।
ये कैसे बात कर रहे हो तुम मुझसे,धनुष बोला।।
ऐसे ही करूँगा, मैंने भी उतनी ही मेहनत की हैं और इसका श्रेय मै अकेले ही लूंगा और इतना कहकर सुभाष ने एक लोहे की राँड धनुष के सिर पर दे मारी,धनुष के सिर से खून की बौछार निकल पड़ी।।
अब सुभाष ने एक्टिव को भी बाहर निकाल लिया था,अब एक्टिव ने अपने हाथ को एक धारदार चाकू का रूप देकर, सुभाष के पेट में घुसा दिया।।
सुभाष ने पूछा भी कि ये क्या कर रहे हो?
एक्टिव बोला, मुझे तो बस बाहर निकलना था,मेरे अंदर भी तुम इंसानों जैसे भाव आ गए हैं और इतना कहकर उसने एक बार फिर सुभाष के पेट में चाकू घुसा दिया।।
सुभाष की अलमारी से अच्छे कपडें निकाले,एक विग लगाई और इंसानी दुनिया मे चला गया।।
इससें पता लगता हैं कि इंसान जो कि बंदर के रूप से धीरे धीरे अपनी सोच और समझ से इंसान बना था अब वो दिन दूर नही जो अपनी सोच और समझ के कारण बर्बादी का निर्माण करेगा और इंसान इस धरती पर से विलुप्त हो जाएगा और ना जाने कौन सी एक अन्जानी जगह पहुँच जाएगा।।
समाप्त....
सरोज वर्मा....