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मोहब्बत का सफर

सीमा और किशन एक दूसरे से काफी मोहब्बत करते थे।
किशन चित्रकार था,लेकिन सीमा पेशे से संगीत बच्चों को सिखाया करती थी।
दोनों को जब भी वक्त मिलता, जितना भी वक्त मिलता एक-दूसरे को समर्पित किया करते थे।जल्द ही दोनों
शादी करने वाले थे।लेकिन,इस बात की
खबर उनके घर के लोगोंं को नहीं थी।हालांकि, दोोनों एक
ही विरादरी के थे।एक दिन की बात है।किशन जब सिमा के घर गया तो वह चुपचाप बैठी हुई थी।
यह देखकर उसे एक शरारत सूझी।किशन के आने की आहट सीमा नहीं सुुन सकी।यह पाकर किशन उसके पास गया।किशन की आहट पाकर सीमा बोली"अरे तुम कब आए हो!मुझे तो कुछ भी पता नहीं चला है।"पर किशन कुुुछ भी नहीं बोला।चुप रहा,यह देखकर सीमा बोल पड़ी"अरे यार!बताओ तो सही।तुम्हें हुआ क्या है?"
इस बार किशन बड़े ही उदास होकर बोला"सीमा,एक बात तुमसे कहने जा रहा हूँ।कृपया उस बात को दिल से मत लेना।"इतना कहकर वह फिर शांत हो गया।इस बार सीमा की उत्सुकता और बढ़ गई।वह किशन के करीब जाकर बोली"पहले तुम बताओ तो सही की बात क्या हुई है!"
यह सुनकर किशन ने सीमा की हाथों को अपने हाथों में लिया।फिर उसकी तरफ देखकर बोला"सीमा,मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता हूँ?कृपया मुझे माफ कर दो।"जैसे ही इन बातों को सीमा सुनी,वह एक झटके में खड़ी हो गई और किशन की तरफ देखकर गुस्से से बोली"यह कौन सी हरकत है तुम्हारी?यह फैसला लेने वाले तुम कौन होते हो?"फिर इसके बाद कुछ समय के लिए दोनों शांत थे।किशन तो मन ही मन मुस्कुरा रहा था और सीमा पर उसे काफी प्यार भी आ रहा था।किंतु, सीमा इस खेल को क्या समझ सकती थी!वह तो किशन की इस प्यार भरी मोहब्बत को हकीकत ही समझ ली थी।फिर वह किशन के पास जाकर शांत होकर बोली"एक बात बताओ मेरे किशन।क्या सच में तुम मुझसे विवाह नहीं करोगे?"इतना कहने के साथ ही उसकी आँखें नम हो गई।यह देखकर किशन बड़े ही जोर से हँसा।उसकी हँसी रुक ही नहीं रही थी।
तब...तब क्या था?सीमा सब बात समझ गई।वह गुस्से से बोली"किशन,यह कौन सी हरकत है!तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी।आइंदा ऐसा मजाक करोगे तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।समझे!"तब किशन हँसते हुए बिस्तर से खड़ा हो गया और खिड़की के पास खड़ी सीमा के पास जाकर बोला"सॉरी सीमा,तुम तो इस मजाक को सच ही समझ बैठी हो।अरे भाई!ऐसा हो सकता है की मैं प्यार तुमसे करता हूँ और शादी किसी और लड़की से करूँ!एक बात तुम हमेशा याद रखना मेरी जानेमन।यह किशन केवल और केवल तुम्हारा ही है।मोहब्बत की सफर में हसी-मजाक तो चलता ही रहता है।क्या मुझे इतना भी अधिकार नहीं है की मैं तुमसे मजाक कर सकूँ।"इतना कहकर उसने बड़े ही प्रेम से सीमा के माथे को चुमा।सीमा इस प्यार को पाकर रोमांटिक हो गई और थोड़ी सी नाराजगी जाहिर करती हुई बोली"किशन,तुम केवल मेरे हो।इस बात को याद रखना।मैं तुमको किसी और लड़की के साथ बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ।मोहब्बत के सफर में तुम मेरा साथ कभी भी मत छोड़ना।"यह सुनकर किशन बोला"हाँ मेरी जानेमन,अब केवल इमोशनल बातें भी करोगी या,मुझे एक कप चाय भी पिलाओगी।"यह सुनकर सीमा बोली"हाँ क्यों नहीं!"इतना कहकर वह रसोईघर में चली गई।
:कुमार किशन कीर्ति, गोपालगंज(बिहार)

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