माता अन्नपूर्णा की वापसी Anand M Mishra द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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माता अन्नपूर्णा की वापसी

आदि गुरु शंकराचार्यजी के अनुसार शुद्ध मन ही सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ है। इसके अलावा कुछ और कहने-सुनने की आवश्यकता नहीं होती है। शुद्ध मन से सफलता मिलते रहती है। इस कड़ी में देश की सांस्कृतिक धरोहर को वापस लाने में एक और सफलता मिली है। माँ अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति वाराणसी में उनके उपयुक्त स्थान पर वापस लाई जा रही है। यह मजबूत इच्छाशक्ति से ही संभव हो सका है। एक वक्त चोरों ने मूर्ति चुरा कर अपनी कुशलता का परिचय दिया था। कार्यकुशल तो चोर भी होते हैं। लेकिन वे अपनी कुशलता का परिचय कुछ अलग कार्यों में दिखाते हैं। चोरों ने यह कारनामा आज से लगभग सौ वर्ष पहले किया था। माता अन्नपूर्णा की यह मूर्ति वाराणसी के मंदिर से चुराई गयी थी। मन को सुकून मिला कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर विदेशों से निरंतर वापस आ रही हैं। इन मूर्तियों को उत्तरप्रदेश सरकार को सौंप दिया गया है। अब इसकी कड़ी सुरक्षा सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए। ऐसा न हो जाए कि चोर पुनः अपना कमाल दिखाने में लग जाएँ। वैसे प्राचीन काल में वाल्मीकि जैसे शातिर चोर भी सत्संगति से अपने में सुधार कर रामायण लिखने में कामयाब हो गए। आजकल इस प्रकार की सत्संगति का मिलना भी कठिन है। ये प्राचीन मूर्तियाँ पुरातात्विक महत्व की हैं और भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। ये मूर्तियाँ यदि विदेशों में रहती तो भारतीयों के प्राचीन गौरव में कमी होती। कला एवं सौंदर्य की दृष्टि से उत्कृष्ट इस प्रतिमा को कनाडा की 'यूनिवर्सिटी ऑफ रिजायना' के 'मैकेंजी आर्ट गैलरी' में रख दिया गया था। बातचीत कर, विदेशी सरकार को मनाकर इस मूर्ति को देश में लाने का वातावरण बना। अब इस मूर्ति को पुनर्स्थापित करने का कार्यक्रम बना है। इससे लोगों के बीच अब जागृति आएगी। जनता-जनार्दन को अपनी इन प्राचीन मूर्तियों के बारे में पता लगेगा। माता अन्नपूर्णा देवी के पुनर्स्थापना यात्रा के क्रम में विभिन्न स्थानों पर हजारों श्रद्धालुओं द्वारा देवी माँ अन्नपूर्णा यात्रा का भव्य स्वागत एवं अभिनंदन किया जाएगा। वैसे इस निर्णय की सराहना की जानी चाहिए। इससे लोग अब भविष्य में अपनी विरासत के प्रति सचेत रहेंगे। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि जो अपनी विरासत के प्रति सचेत रहते हैं और गौरव के भाव से भरे रहते हैं, वे बाकी क्षेत्रों में भी प्रगति करते हैं। सांस्कृतिक विरासत के प्रति संवेदनशील मन बताते हैं कि उनके लिए 'राष्ट्र सबसे पहले' है। ऐसे लोग राष्ट्र के स्वाभिमान को सबसे ऊपर रखते हैं। वहीं, सांस्कृतिक विरासत के प्रति उदासीनता अपने मूल्यों एवं पहचान के प्रति लापरवाह प्रवृत्ति को रेखांकित करती है। वैसे देश के अन्य मठ-मंदिरों से भी मूर्तियों की चोरी हुई है। सरकार उन चोरी हुई मूर्तियों की सूची बनाकर उसकी भी सघन जांच करा ले। उन मूर्तियों को वापस अपने मूल मंदिरों में रखा जाए। सुरक्षा के लिए एक नया सुरक्षा-दस्ता बनाया जाए। मूर्ति चोरी की घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कार्यक्रम बनाने की आवश्यकता है। जिस प्रकार बातचीत कर माता अन्नपूर्णा की मूर्ति अपने देश में आई वैसे ही अब सरकार कालेधन को भी लाने की योजना बनाए। वैसे विरासत से जुड़ने की बात तो सही है। आशा है कि माता अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहेगी तथा देश को गरीबी से निजात मिल जायेगी। सभी नागरिकों को उनकी कृपा से भरपेट भोजन मिल सकेगा तथा भूखमरी की समस्या समाप्त हो जायेगी। सरकार केवल शुद्ध मन से कार्य करे।