Meena Kumari...a painful story - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

मीना कुमारी... दर्द भरी एक दास्तां - 3

बचपन के बाद जवानी में कदम रखने के बाद भी मीना कुमारी का बोझ कम नहीं हुआ, दिन-ब-दिन बोझ और बढ़ता गया मीना कुमारी सुबह से रात तक काम करके जब आप घर आती तो घर में सुकून की बजाए, अब आए दिन मां-बाप में झगड़े होने लगे, वो अंदर ही अंदर टूटती रहती | रात को अपने बिस्तर पर पत्थर रखती और पत्थरों से बात किया करती और कहती यह पत्थर भी कितने सच्चे दोस्त हैं इनको कुछ भी कहो यह कभी नाराज नहीं होते और मेरी हर बात को सुनते और समझते हैं |

मीना कुमारी को जब भी समय मिलता वह कोई शेर, शायरी नज़्म या कहानी लिखती और गुनगुनाती, उनकी नज़्मों से उनके अंदर का दुख साफ साफ झलकता था और कुछ दिनों बाद बीमारी के चलते इनकी मां का देहांत हो गया, जिसके बाद मीना कुमारी पर और ज्यादा परिवार का बोझ पड़ गया और जवानी में भी रोजी रोटी के लिए मीना कुमारी को पैसे छापने की मशीन बनना पड़ा |

फिल्म "लक्ष्मी नारायण" में मीना कुमारी को लक्ष्मी का रोल निभाने के लिए ऑफर आया, इस फिल्म को करने के बाद मीना के पास ढेर सारी फिल्म आए और साल 1950 में आई "अलादीन का चिराग" जिसके लिए ₹10000 मीना कुमारी को मिले, मीना कुमारी और उनके पिता अली बख्श को बहुत खुशी हुई | मीना कुमारी ने इन पैसों से सेकंड हैंड कार खरीदी और फिर ड्राइविंग सीखी | नाम शोहरत और पैसे मिलने के बावजूद भी पिता की हर बात माननी पड़ती और सारे पैसे घर पर ही देने पड़ते | फिल्म "तमाशा" में उन्हें अशोक कुमार के साथ काम मिला फिल्म तो ज्यादा नहीं चली लेकिन यहीं पर मुलाकात हुई मीना कुमारी की एक ऐसे शख्स से जिसके मिलने के बाद मीना कुमारी की जिंदगी बदल गई, यह वह शख्स था जिससे वह बेइंतहा प्यार करने लगी, यह वह शख्स था जो मीना कुमारी से 15 साल बड़ा था लेकिन मीना कुमारी जाने अनजाने उसे दिल दे बैठी और उस शख्स का नाम था कमाल अमरोही, दोनों की नजर एक दूसरे से मिली कमाल अमरोही भी मीना कुमारी की तरफ आकर्षित हुए जबकि उनकी शादी हो चुकी थी और बच्चे भी थे |

मीना कुमारी कमाल अमरोही से मिलने के मौके ढूंढा करते हैं और इसी बीच मीना कुमारी को फिल्म "अनारकली" के लिए कमाल अमरोही की तरफ से ऑफर आया |

मीना कुमारी झट से मान गई लेकिन फिल्म का डायरेक्टर नहीं चाहता था कि मीना कुमारी इस रोल को करें कमाल अमरोही अपनी जिद पर अड़े रहे जिसे देख मीना कुमारी उनकी तरफ और आकर्षित हुए |

21 मई 1951 में फिल्म के सिलसिले में कमाल अमरोही दिल्ली आए वो सुबह का वक्त था जब वो चाय पीते पीते अखबार पढ़ रहे थे कि अखबार में उन्होंने देखा मीना कुमारी के एक्सीडेंट की खबर छपी हुई थी, वह घबरा गए और वहां से सीधा मीना कुमारी के पास आए |

मीना कुमारी भी बहुत दुखी थी, कमाल को याद कर रही थी और चिंता कर रही थी कि जिसे वो इतना प्यार करती हैं, उसकी फिल्म को कैसे पूरा करेंगी |

इसी एक्सीडेंट में मीना कुमारी ने अपने एक हाथ की उंगलियां गवा दी थी जी हां बहुत ही कम लोग ऐसे हैं जो यह बात जानते हैं कि मीना कुमारी के एक हाथ की उंगलियां कट चुकी थी लेकिन मीना कुमारी ने कभी भी किसी भी फिल्म में इस बात को जाहिर नहीं होने दिया क्योंकि वह एक सच्ची अदाकारा थी जिसे पता था कि दर्शकों का दिल कैसे जीतना है |

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