रीगम बाला - 20 - अंतिम भाग Ibne Safi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

रीगम बाला - 20 - अंतिम भाग

(20)

अंतिम भाग

विमल चीखता चिल्लाता ही रह गया, मगर उसे उसी सरकश घोड़े की पीठ पर बैठा दिया गया ।

“यह क्या हो रहा है .यह क्या हो रहा है ...” वह पागलों के समान चीख रहा था ।

मगर उसकी चीख पुकार पर किसी ने कुछ ध्यान नहीं दिया, फिर विमल के दोनों हाथ घोड़े की गर्दन से बांध दिये गये। इसमें बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ा था, अगर ख़ुद विनोद ने भी उन आदमियों का हाथ न बटाया होता तो शायद यह काम पूरा न हो सकता ..।

फिर विनोद ने एक घोड़े पर हमीद को बैठने का संकेत किया और दुसरे घोड़े पर ख़ुद बैठा।

जब हमीद भी बैठ गया तो विनोद ने उससे कहा।

“सावधान रहना ..?”

इतने में एक आदमी ने विमल के घोड़े की पिछली टांगों पर एक डंडा जमा दिया।

अब जो घोड़ा भागा है तो विमल की चीखों के अतिरिक्त और कुछ सुनाई नहीं दे रहा था ।

उसके पीछे विनोद और हमीद के घोड़े थे !

विमल का घोड़ा वीरान किले की ओर भागा जा रहा था, यहाँ से वीरान किले तक की धरती समतल थी।

विनोद और हमीद के घोड़े भी अपनी पूरी शक्ति और गति से दौड़ रहे थे, मगर विमल के घोड़े से आगे नहीं निकल सके।

हमीद की समझ में नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है, बार बार ऐसा लग रहा था जैसे विमल अपने घोड़े की गर्दन में झूलता घसीटता चला जाएगा ...लेकिन वह अपनी चीखों के साथ ही साथ इस बात की भी कोशिश करता रहा था कि घोड़े की पीठ ही पर जमा रहे।

उधर हमीद सोच रहा था कि आखिर यह सरकश घोड़ा अब हाथ कैसे आयेगा। कहीं किसी चट्टान की ओर न मुड़ जाये और अपने सवार सहित लय हो जाये।

मगर वीरान किले के निकट पहुंच कर उसने विमल के घोड़े को रुकते हुए देखा और जब ख़ुद उसका घोडा उसके निकट पहुंचा तब उसे पता चला कि ..विमल का घोडा सवार सहित एक बहुत बड़े जाल में फँस चुका है ...न आगे बढ़ सकता है और न पीछे लौट सकता है ।

कुछ लोग जो वहाँ पहले ही से मौजूद थे ..आगे बढ़ कर विमल को घोड़े से उतारने लगे । वह उखड़ी उखड़ी साँसें ले रहा था और आंखें बंद थीं ।

उसे उतार कर एक जगह लिटा दिया गया ...और विनोद उस पर झुक पड़ा।

----------

लगभग एक घंटा बाद वह फिर उसी इमारत में वापस आये जहां रीमा कैद थी, विमल भी उनके साथ था । उसकी दशा अच्छी थी...और मानसिक स्थिति के विचार से नार्मल नजर आ रहा था।

फिर उसे रीमा के पास ले जाया गया, हमीद और विनोद भी उसके साथ थे।

रीमा के सामने पहुंच कर उसने उस पर ऐसे ही भाव में नजर डाली थी ..जैसे पहली बार देखा हो ?

विनोद ने रीमा को सम्बोधित करके कहा ।

“तुमने कैप्टन हमीद से यह कहा था ना कि विमल जीवन भर अपनी असली मानसिक स्थिति पर वापस न आ सकेगा ?”

“हां ...कहा तो था .” रीमा ने लापरवाही से कहा।

“अब जरा विमल की ओर देखो !”

“क्यों ?” रीमा बोली ।

“देख कर बताओ कि इसमें तुम्हें कोई परिवर्तन नजर आ रहा है या नहीं ?”

रीमा ने चोंक कर विमल की ओर देखा .. कुछ क्षण तक देखती रही, फिर उसकी आंखों में चिंता के लक्षण नजर आने लगे।

“तुम इसे पहचानते हो ?” विनोद ने रीमा की ओर हाथ उठाते हुए विमल से पूछा ।

“नहीं तो ...यह कौन है ?” विमल ने पलकें झपकाते हुये पूछा।

“मैं कौन हूं ?” विनोद ने पूछा।

“आप कर्नल विनोद हैं” विमल ने उत्तर दिया ।

“और यह ?” विनोद हमीद की ओर संकेत कर के पूछा ।

“यह आपके असिस्टेंट कैप्टन हमीद है ।”

“मेरी एक बात मानोगे”

“मानने का क्या सवाल ..आपके लिये तो जान भी दे सकता हूं... आज्ञा दीजिये ।”

“इस लड़की को एक थप्पड़ मारो ।”

विमल आगे बाधा और रीमा के गाल पर इतने जोर का थप्पड़ मरा कि पूरा कमरा थप्पड़ की आवाज से गूंज उठा ।

रीमा लड़खडा कर गिरी थी ।

फिर उठी और भूखी शेरनी के समान विनोद पर टूट पड़ी।

“मुझे निष्पक्ष समझना ..” हमीद ने रूखे स्वर में कहा।

फिर विमल ही ने उसे पकड़ कर विनोद से अलग किया और बिस्तर पर ढकेलते हुये कहा।

“चुपचाप पड़ी रहना ..मेरी प्रकृति में दया नहीं है ..समझी ।”

“तुमने देख लिया ..” विनोद ने रीमा से कहा।

मगर रीमा कुछ नहीं बोली मौन व्रत उसे घूरती रही।

“सुनो ..मैं बताता हूं ..” विनोद ने कहा । “किसी प्रकार की भी ब्रेन वाशिंग हो ..उसके शिकार को मेरे पास लाओ ..एक सप्ताह में उसे ठीक कर दूंगा. यह तो रही एक साधारण बात, अब विमल के बारे में सुनो ..विमल की ब्रेन वाशिंग में स्नायविक उत्पीडन भी सम्मिलित था अतः मैंने उसे मृत्यु के भय में ग्रस्त कर के केवल आधे घंटे के अंदर ठीक कर लिया ..तुमने मेरी कार्य प्रणाली इस खिड़की से देखी ही होगी ।”

रीमा ने कुछ नहीं कहा और विनोद दरवाजे की ओर मुड़ गया, विमल और हमीद भी उसके पीछे पीछे दरवाजे से बाहर निकले थे।

“अब तुम जा कर आराम करो” विनोद ने विमल से कहा।

“धन्यवाद ..” विमल ने कहा और एक ओर मुड़ गया।

“क्या विमल को याद है कि आपने उसे एक सरकश घोड़े पर सवार कराया था?” हमीद ने पूछा।

“नहीं उस समय तो वह ब्रेन वाशिंग वाली स्थिति में था ..फिर उसे यह बात कैसे याद रहती..मगर अब बिलकुल ठीक दशा में है ..जानते हो उसने रीमा को क्यों नहीं पहचाना था?”

“बताइये ?”

“ब्रेन वाशिंग के बाद ही उसे रीमा दिखाई गई थी इसलिये जब तक वह उस दशा में रहा, रीमा की बातें करता रहा..उस दशा में जब भी उसे रीमा दिखाई जाती वह पहचान लेता जैसे तुम ने अपनी आंखों से भी देखा है कि दोनों घुटनों के बल बैठ गया था ..पूजा करने वाले भाव में और रीमा के कहने पर लेकरास पर कटार से हमले कर रहा थामगर जब ब्रेन वाशिंग वाली स्थिति समाप्त हो गयी तो वह रीमा को नहीं पहचान सका ..सारांश यह कि उस दशा में यह रीमा का दास था और हमें नहीं पहचानता था और उस स्थिति से निकल जाने के बाद हमें पहचानने लगा और रीमा को नहीं पहचान सका।”

“मगर ब्रेन वाशिंग वाली स्थिति में भी तो उसने कई बार हमें पहचाना था ?” हमीद ने कहा।

“हां ...और केवल इसलिये कि उसकी ब्रेन वाशिंग पुरना रूप से नहीं की गई थी ..अपूर्ण ब्रेन वाशिंग इसलिये की गई थी कि वह कभी कभी मुझे पहचानता रहे ..कभी कभी भूली बिसरी बातें उसे याद आती रहें और मैं उसी चक्कर में पड़ कर निकलूं और वह लोग मुझे फाँस लें।”

“ओह”.. हमीद लम्बी सांस खींच कर रह गया।

“मगर हमीद साहब ! रीमा ग्रूप के लोग बहुत ही मूर्ख साबित हुये और लेकरास तो बिलकुल ही डफर निकला। इन लोगों ने स्थानीय शिकारियों और कुछ कबालियों की खजाने के चक्कर में उलझाया था और उन्हें यह विश्वास दिलाने की कोशिश की थी कि मैं उन्हेंसमाधिस्थ खजाना निकालने से रोकना चाहता हूं।दो एक जगह की खोदाई में उन्हों ने आरंभ में ही सफलता प्राप्त कर ली थी ..अर्थात उन्हों ने सोने के पुराने सिक्के बरामद कर लिये थे मगर वह सिक्के खजाने के नहीं थे बल्कि लेकरास ने ख़ुद ही दो एक जगह गाड दिये थे ताकि वह लोग और साहस और और विश्वास के साथ उसके लिये काम करते रहें ।यह सारा षटराग इस लिये फैलाया गया था कि मुझ पर हाथ डाल कर नातुना का पता मालुम कर सके । कासिम भी घसीटा गया था ..ध्येय यह था कि मुझे चारों ओर से घेरा जा सके ..मैं भी उन्हीं की प्रणाली से काम लेता रहा और अन्त में वह ख़ुद अपने ही जाल में फँस गये।

हमीद ने उस गुफा वाली कहानी सुनाई जब रीमा ने एक हिप्नोटाइज्ड की हैसियत से उस पर कटार से वार किया था।

“मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानता” विनोद बोला। “वह उन्हीं का कोई आदमी रहा होगा जिस से तुम्हें राकम मिली थी। निलनी ने अपने बयान में कहा है कि उसे और कासिम को उन गुहाओं की ओर जाने का आदेश मैथुज़ से मिला था। उन लोगों ने तुम चारों को एक जगह एकत्रित करना चाहा था और स्थिति ऐसी उत्पन्न की तुम उसे बस एक संयोग समझो ! फिर उन्हों ने सुमन नागरकर पर मौत और जिन्दगी वाला इंजेक्शन प्रयोग किया और एक आदमी इस प्रकार पीछे लगा दिया कि तुम उसे अपना ही आदमी समझो, मेरा संकेत इन्स्पेक्टर नामवर की ओर है । केवल वह आदमी ब्लैक फ़ोर्स से संबंध रखता था जिसने तुम्हारे कमरे का फोन ठीक किया था और उनका अंतिम शस्त्र जिन खां जो अपने साथी को प्राप्त करने के लिये तुम्हें अपने साथ आजाद इलाके की ओर ले जा रहा था।

जब लेकरास को सूचना मिली कि मैं ख़ुद जिन खां का पीछा कर रहा हूं तो वह मुझे घेरने के लिये निकल पडा ।उसे पता नहीं था कि ब्लैक फ़ोर्स की दो टोलियाँ उसके पीछे लगी हुई है ..अगर जिन खां के पीछे मैं न लगा होता तो लेकरास भी इस प्रकार न दौड़ पड़ता ..सारांश यह कि उधर जब मैंने जिन खां और उसके साथियों पर चट्टानों में जाल फैंकवाये थे तो इधर ब्लैक फ़ोर्स की उन दोनों टोलियों ने लेकरास और उसके साथियों को जकड़ लिया था ।मैंने लेकरास पर अपना तैयार किया हुआ एक जहर प्रयोग किया था जिससे जबड़े मींच जाते हैं इसी कारण वश उसके कंठ से उस समय आवाज नहीं निकल रही थी जब विमल उसके शरीर में कटार की नोंक चुभा रहा था।”

हमीद ने लम्बी साँस खींची और अंतरिक्ष में घूरने लगा। पता नहीं क्यों उसे रीमा पर तरस आ रहा था।

 

** समाप्त **