Regum Wala - 5 books and stories free download online pdf in Hindi

रीगम बाला - 5

(5)

“लेकिन लेफरास की अध्यक्षता एक रहस्य है । उसे हमारे अध्यक्ष की हैसियत से कोई नहीं जानता । चीफ जियोलोजिस्ट दूसरा आदमी है...और वह हमारे गुप्त कार्यो के बारे में कुछ भी नहीं जानता ।”

“और जिस देश की ओर से यहाँ काम कर रहे हो....उस देश के वफादार भी हो या नहीं ?”

“वफादारी केवल पचीस प्रतिशत है ।”

“क्या मतलब ?” हमीद ने आंखें फाड़ी ।

“खनिज तेल से सम्बंधित प्राप्त होने वालो सूचनाओं का केवल चौथा भाग तुम्हारे या उस देश के हवाले किया जायेगा....पचहत्तर प्रतिशत जीरो लैंड के लिये होगा...इसे इस प्रकार समझो कि हमने चार स्थानों पर गैस के भण्डार तलाश किये थे, मगर केवल एक भण्डार तुम्हारे या उस देश की जानकारी में लाया गया है, शेष तीन से जीरों लैंड लाभ उठायेगा ।”

हमीद अपनी कनपट्टियाँ सहलाने लगा और रीमा हँसने लगी ।

“तो अब बाहर निकलो ना ?” हमीद ने कहा ।

“यहीं क्या बुरे है ।”

“क्या मतलब ?

“इस प्रकार ठंड से भी बचे रहेंगे । इस हेलीकाप्टर में एक ऐसी व्यवस्था भी है जिस के द्वारा ऊपर से ताज़ी हवा खींच कर नीचे लाई जा सकती है और गन्दी हवा ऊपर फेंकी जा सकती है...क्या तुम घुटन महसूस कर रहे हो ?”

“नहीं !”

“तो फिर क्या बेचैनी । दो तीन दिन यहीं रुकना हमारे लिये लाभदायक होगा ।”

हमीद ठंडी सांस लेकर फिर अपनी कनपटी सहलाने लगा । रीमा बड़ी लगावट की नजरों से उसे देखे जा रही थी ।

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सुमन नागरकर ने पिछली रात से अब तक बिस्तर नहीं छोड़ा था और कासिम बोर होता फिर रहा था । नर्स से सुमन की दशा मालूम हो जाती थी, वह भी ऐसे भाव में बात करती जैसे सुमन की बीमारी का कारण कासिम ही हो ।

संध्या होते ही वह डाइनिंग हाल में आ बैठा, मगर उसे आशा नहीं थी कि निलनी कारमाउन्ट अपना वादा पूरा करेगी । उसका विचार था कि उसके डील डौल ने उसकी ओर आकृष्ट किया था और वह थोड़ी देर के लिये मिल बैठी थी ।

वह बैठा बोर होता रहा । निगाहें सदर दरवाजे पर लगी हुई थी । उसने सोचा था कि रीगम बाला पहुँच कर वह सुमन से साथ घूमेगा, तफरीह करेगा, मगर सुमन बीमार पड़ गई थी, यह तो अच्छा ही हुआ था कि होटल वालों ने नर्स का प्रबंध कर दिया था वर्ना उसे ही बोर होना पड़ता, बीमार औरतें उसे एक आँख नहीं भाती थीं, उठते हाय...और बैठते हाय.....।”

“उन्हें तो बस जरा सा नजला जुकाम हो और वह मर जाया करें ।” वह बुरा सा मुँह बना कर बोला और फिर बीमार औरतों ही के से भाव में हाय हाय करने लगा । मानसिक धारा बहक गई थी....और अब यह हुलिया थी कि भवें सिकुड़ी हुई...नाक पर शिकनें और होठों में नीचे की ओर खिंचाव और ऐसे दर्द नाक लेह्जे में हाय हाय की आवाज़ें कि निकट से गुजरता हुआ हेड वेटर वहीँ रुक गया ।

कासिम अपने डील डौल और भोजन के आधार पर वैसे ही सब की नजरों में आ गया था, फिर सुमन पर पड़ने वाले दौरोने तो उसे पूरे होटल में मशहूर कर दिया था ।

“क्यों साहब ! आपको कोई तकलीफ है ।” हेड वेटर ने बड़ी शिष्टता से पूछा ।

कासिम चौंका भी और साथ ही झेंपा भी- ही ही ही आरंभ हुई और फिर उसमें भी अचानक ब्रेंक लगाना पड़ा । इन समस्त दशाओं ने सचमुच उसकी हुलिया ऐसी ही बना दी, जैसे किसी बहुत बड़ी पीड़ा कप हँस खेल कर झेल जाने की कोशिश करता रहा हो ।

“क्या मैं आपकी कोई सेवा कर सकता हूं ?” हेड वेटर ने कोमल स्वर में पूछा ।

“मेरी बासी बीमार है –मैं वालेकुल तीख हूं,,” कासिम ने कहा ।

“बासी ?” हेड वेटर ने आश्चर्य प्रकट किया “मैं नहीं समझा श्रीमान ?”

“बासी नाही समझते – बसी की वह –यह – यानी कि मादा.....नाही नाही .किया कहते है उसे अमे मर्द को बास कहते है और औरत को बासी मैं उसका सेक्रेटरा हूं –लाहोल बिला कुवत मैं इतनी बकवास क्यों कर रहा हूं ..तुम अपना काम देखो जी ।”

“बहुत अच्छा श्रीमान जी .व वेटर ने कहा और मुस्कुराता हुआ आगे बढ़ गया।

कासिम फिर सदर दरवाजे की ओर देखने लगा और अचानक उसकी बांछें खिल उठी ! निलनी हाल में दाखिल हो रही थी । वह जल्दी से कुर्सी छोड़ कर उठ गया और उसका स्वागत करता हुआ बोला ।

“आपका बहुत बहुत शुक्रिया ..आप आ गईं ..मैं बहुत बोर हो रहा था ।यहाँ किसी को नाही जानता ।”

“यही हाल मेरा ही है ।”

“यानी कि आप भी ...।”

“हां ..हां मैं भी यहाँ किसी को नहीं जानती ।”

कासिम के चेहरे पर उदासी छा गई। उसने समझा था किवह भी उसके लिये अपनी व्याकुलता प्रकट करेगी...कहेगी कि वह भी उससे मिलने के लिये बहुत बेचैन थी और जुदाई का समय उसने भी बोरियत में ही व्यतीत किया है ।

“अरे यह तुम अचानक उदास क्यों हो गये !” निलनी ने पूछा ।

“बस ऐसे ही ..कभी कभी हो जाता हूं ।”

“कोई खास बात !”

“बहुत छोटी सी बात है ।”

“छोटी सी बात !”

“हां ..साधे चार फिट की बात ।”

“तुम नशे में तो नहीं हो !”

“मैं शराब नाही पीता।”

“यह तो बड़ी अच्छी बात है ..तुम्हारे देश की यही बात मुझे पसंद है । हर आदमी नहीं पीता। नशा को नशा ही रहने दिया है, प्यास नहीं बनाया है ।”

“मैं सिगरेट भी नाही पीता ।”

“यह तो और अच्छी बात है ! मुझे तमाखू की गंध से नफ़रत है ।”

“अरे तो किया मैं हर वक्त आपके पास बैठा रहूंगा ।”

“मैं तो यही चाहती हूं ।”

“सच कह रही है ?” कासिम ने हर्षित हो कर पूछा।

“हां ..हां ..विश्वास करो ।”

“मैं कितना खुश नसीब हूं ।”

“तुम्हें होना चाहिए –इतने लम्बे चौड़े हो ।”

“आप मेरा मजाख उड़ा रही है ।”

“तुम इतने अच्छे आदमी हो –भला मैं कैसे तुम्हारी हंसी उड़ा सकती हूं. कितना भोलापन है तुम्हारे चेहरे पर ..तुमने कभी किसी को चाहा है ?”

“किसे चाहूँ ..काऊन पसंद करेगा मुझे ...गोश्त का पहाड़ जो हूं ।”

“आदमी केवल हड्डी और गोश्त ही तो नहीं ।”

“फिर किया है ?” कासिम ने उत्सुकता के साथ पूछा ।

“पता नहीं ..वास्तव में इस तरह की बातें मुझे आती ही नहीं.” निलनी ने झेंपते हुए कहा “वैसे कोशिश करती हूं ।”

“यह तो बड़ी अच्छी बात है मुझे भी नाही आती,” कासिम खुश हो कर बोला “मेरी बीबी कहती है ..अरे बाप ..हिप ।”

उसने दोनों हाथों से मुंह दबा लिया ।

“क्यों ..क्या बात है ..बीबी ।”

कासिम दोनों हाथों से मुंह दबाये पटर पटर पलकें झपकाए जा रहा था।

“बोलो ..चुप क्यों हो गये ...क्या तुम ने झूठ कहा था की अभी तुम्हारी शादी नहीं हुई ?”

कासिम दिल ही दिल में ख़ुद को गालियाँ देता रहा फिर उसने सोचा कि वह तो हिन्दुस्तानी जानती ही नहीं ..फिर वह खुल कर अपने को गालियाँ दे सकता है ।”

“आखिर मैं इतना उल्लू का पट्ठा क्यूं होता जा रहा हूं ..”उसने अपने आप से पूछा ।

“क्या कहा तुमने ..इंग्लिश में दुहराओ ..” निलनी बोली ।

“मैं सोच रहा था की मुझे सब कुश आपको बता देना चाहिए ।”

“तो बताओ ना ?”

“मेरी शादी हो गई है ..” कासिम ने कहा ।

निलनी के चहरे पर निराशा के लक्षण दिखाई दिए । नेत्रों में आतंरिक पीड़ा उभर आई ।

“मैं बड़ा बादनसीब हूं ..” कासिम भर्राई हुई आवाज़ में बोला ।सचमुच अपनी बेबसी पर उसका दिल भर आया था । आंखों से आंसू की बड़ी बड़ी बूंदें निकल कर गालों पर ढलक गई और फिर वह दोनों हाथों से अपना चेहरा ढांप कर सिसकियाँ लेने लगा ।

“तुम विचित्र आदमी हो ..” निलनी खिसिया कर बोली ।

मगर कासिम रोता रहा ।

“मैं उठ कर चली जाऊँगी ...क्या अपने साथ मुझे भी तमाशा बनाना छः रहे हो ।”

“नाही ..नाही मै अभी ठीख हो जाऊँगा ..आप मत जाइए ..खुदा के लिये मत जाइए मैं आपको अपनी दर्द भरी कहानी सुनाऊंगा ।”कासिम ने कहते हुए चेहरे से हाथ हटा लिये ।

“अच्छा तो चुप हो जाओ”

कासिम बड़ी कठिनाई के बाद अपनी दशा पर अधिकार पा सका । उसकी आंखें लाल हो गईं थीं । कुछ देर बाद वह भर्राई हुई आवाज़ में बोला।

“हां ...मैंने आप से झूठ बोला था वह मेरी बीबी ज़रूर है लेकिन फिर भी मेरी बीबी नाही है ।”

“अब मैं आपसे किया बताऊँ, शर्म लगती है, बस समझ जाइये ।”

“नहीं...तुम्ही बताओ ?”

“साढ़े चार फीट की है....वजन पचास पौंड से जियादा न होगा....एक टांग ठीख है.....दूसरी सिर्फ़ साढ़े आठ इन्च की है ।”

“ओह....पैदाइशी ?”

“जी हाँ – पैदाइशी के बख्त दो ढाई इंच की रही होगी ।”

“मुझे यह सुन कर दुख हुआ, मगर तुमने उससे शादी क्यों कर ली ?”

“बस किया बताऊ, एक यतीम खाना में चंदा देने गया था । वहाँ के मैनेजर ने कहा कि अगर सवाब कमाना चाहते हो तो किसी यतीम लड़की से शादी कर लो.....मैंने कहा अच्छी बात है ।”

“बड़े बेवकूफ हो तुम ।” निलनी ने क्रोधित होकर कहा ।

“बस किया बताऊँ......घपला हो गया ।”

“घपला क्या ?”

“घपली का अंग्रेजी मुझे नाही मालूम !”

“तुम सचमुच बड़े भले आदमी हो ।”

“मेरी हर भलाई मेरे गले में फाँसी का फंदा बन जाती है ।”

“फिर अब तुमने क्या सोचा है ?”

“किसी दिन समुन्दर में कूद कर जान दे दूँगा ।”

“यह आखिरी और सबसे बड़ी बेवकूफी होगी....तुम दूसरी शादी क्यों नहीं कर लेते, तुम लोग तो चार चार शादियाँ कर सकते हो ।”

“अब नहीं कर सकते.....फेमली प्लानिंग वालों ने घपला कर दिया है ।”

“अच्छा तो फिर दूसरी बात करो ।”

“खाने पीने की बात करूँ ?” कासिम ने लहक कर पूछा ।

“क्या यहाँ तुम्हारा कोई दोस्त नहीं ?”

“मुझे काउन दोस्त बनाना पसंद करेगा ।”

“क्यों ?”

“इतने लम्बे और बेडौल आदमी से काउन दोस्ती करेगा ।”

“मैं करूंगी मेरे अच्छे दोस्त ।” निलनी ने उसके हाथ पर हाथ रखते हुये बड़े प्यार से कहा ।

और कासिम रो पड़ा । इस बार बनावट नहीं थी । सचमुच रो रहा था और साथ ही यह भी सोच रहा था कि वह सचमुच उल्लू का पठ्ठा ही है ।

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अभी सूर्य अस्त नहीं हुआ था ।

कर्नल विनोद ने रायफल उठाई और उस गुब्बारे पर फायर कर दिया जो चट्टानों की ओट से उभर कर वायु मंडल में ऊपर उठ रहा था । फायर बे आवाज था, मगर गोली लगते ही गुब्बारा ऐसे धमाके के साथ फटा कि आस पास की चट्टानें हिल उठी ।

इसके बाद विनोद बड़ी फुर्ती से दो चट्टानों की एक पतली सी दराड़ में दाखिल हो गया था, फिर उसने जेबी ट्रान्समीटर निकाला और जैसे ही उसका स्विच आन किया, आवाज आई ।

“हेलो.....हार्ड स्टोन सर...हेलो, वी एट कालिंग सर ।”

“हेलो बी एट.....स्टोन...ओवर ।” विनोद ने कहा ।

“परिणाम वही रहा जिसकी आशा की गई थी.....खोदी करने वालों में बेचैनी फैल गई है....अब दूसरा गुब्बारा हम इस्पाट थरी से छोड़ने जा रहे है – ओवर ।”

“मैं ई पाट टू पर पहुँच कर तुम्हें सूचित कर दूँगा.....। ओवर ऐंड आउट ।” विनोद ने कहा और स्विच आन करके ट्रांसमीटर जेब में डाल कर विपरीत दिशा में तेजी से दौड़ने लगा ।

“यह दराड़ इतनी चौड़ी नहीं थी कि दो आदमी बराबर से चल सकते । कुछ दूर तक चलने के बाद वह फिर खुले में निकल आया । जेब से ट्रांसमीटर निकाला और स्विच आन करके बोला ।

“हेली..बी एट – स्टोन कालिंग ।”

“येस सर ।” आवाज आई ।

“ठीक है ।”

“इस्पाट थरी सर...?”

“राईट....ओवर ऐंड आल ।”

स्वीच आफ करके उसने ट्रांसमीटर जेब में डाला और रायफल सीधी ही करने जा रहा था कि किसी हेली काप्टर की गरजदार आवाज़ सुनाई दी—और फिर जैसे ही सामने वाली चट्टानों से एक गुब्बारा ऊपर उठा वैसे ही हेलीकाप्टर भी नजर आने लगा।

फिर विनोद ने गुब्बारे के चारों ओर हेलीकाप्टर को चक्कर काटते हुये देखा । वह चट्टानों की ओट लेता हुआ धीरे धीरे चलने लगा । हेलीकाप्टर समान गति से गुब्बारे के चारों ओर चक्कर लगा रहा था, विनोद एक ऐसी जगह रुक गया जहां से हेलीकाप्टर वाले उसे नहीं देख सकते थे –फिर उसने रायफल सीधी की और गुब्बारे का निशाना लेकर फायर कर दिया ।

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