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मे और महाराज - ( हीरो_१) 38

अपने पति के साथ गुजरी सुहानी शाम के बाद सुबह जब समायरा ने आंखे खोली, सिराज उसके सामने एक कुर्सी पर बैठ किताब पढ़ रहा था।

" घूमने लाए हो कहते हो फिर भी काम में व्यस्त हो।" उसकी बात सुन सिराज ने किताब से ऊपर देखा।

" हम अभी भी आपको घुमाना चाहते हैं। लेकिन बाहर का वातावरण अभी आपके घूमने लायक नहीं है।" सिराज ने किताब बंद करते हुए कहा।

" क्या वह लोग अभी भी बाहर है ?" समायरा ने मासूमियत से पूछा।

" नहीं। लेकिन अगर वह हमारा छुपकर पीछा कर सकते हैं। तो मतलब खतरा अभी भी टला नहीं।" सिराज ने एक नजर समायरा को देखा। " आपको क्या लगता है ? कौन होगा इन हमलों के पीछे ?"

" मुझे नहीं लगता वह जो कोई भी है हमारी पहचान का है।" समायरा ने कुछ सोच कर जवाब दिया।

" और वह भला क्यों ? हो सकता है बड़े राजकुमार अमन आप पर हमला करवा रहे हो।" सिराज ने समायरा को ताना देने के हिसाब से कहा।

" मुझे नहीं लगता बड़े राजकुमार इसके पीछे हैं। अगर उन्हें हमला करवाना ही होता तो वह तुम पर हमला करवाते मुझ पर नहीं।" समायरा।

" अपने प्यार पर इतना यकीन है आपको ? " सिराज ने मुंह बनाते हुए कहा।

सिराज की शक्ल पर जलन साफ साफ देखी जा सकती थी। ‌ जिसे समझने में समायरा को देर नहीं लगी। " ओ हो अब इसमें जलने वाली कोई बात नहीं है। जो आदमी हमारा पीछा कर रहे थे। वह बड़े राजकुमार के हो सकते हैं। क्योंकि वह वहां पर तुम से कुछ लेने आए थे। लेकिन जिस दिशा से तीर आया था वह दिशा अलग थी। मतलब तीर हमारे सामने खड़े किसी भी आदमी ने नहीं चलाया था। जब पहली बार मुझ पर हमला हुआ था, वह भी दाईं तरफ से हुआ था। जबकि राजकुमार अमन मेरे बाई तरफ थे।" समायरा ने अपनी बात सिराज के सामने रखी।

सिराज को समायरा की बातों में तथ्य लगा। अपनी जलन की वजह से वह इस मामले में ज्यादा गहराई से सोच नहीं पा रहा था। पर गौर करने पर उसे लगा कि हां समायरा सही कह रही है।

" अगर यह मेरे बड़े भाई का काम नहीं है। तो इसका मतलब है कि सामने वाला कोई वजीर साहब के घर का है।" सिराज में समायरा से पूछा।

" हां। हो सकता है। मेरी बड़ी मां और बड़ी बहन को मैं एक आंख नहीं भाती हूं। हो सकता है कि उन दोनों में से एक मुझे मरवाना चाहता हो। या फिर दोनों साथ मिलकर मुझे मरवाना चाहती हो।" समायरा ने सिराज की तरह आगे बढ़ते हुए कहां। वह जाकर सिराज की गोद में बैठ गई। उसने अपना सर सिराज के कंधे पर रखा । " अगर मुझे कुछ हो जाए तो क्या तुम मेरे साथ चलोगे ?"

" बिल्कुल उसी तरह जिस तरह आप उस डाल पर से मेरे साथ आने के लिए तैयार थी। वैसे उसके बारे में बात करना तो भूल ही गए। हमें नहीं पता था आप हमसे इतना प्यार करती है कि हमारे लिए अपनी जान भी दे सकती है।" सिराज के मुंह से ऐसी बातें सुन शर्म की लाली समायरा के चेहरे पर छा गई।

उसे इतनी जल्दी अपने प्यार का इकरार नहीं करना था। अब तक तो वह जानती भी नहीं है, कि यह प्यार उसका है या शायरा के नसीब का? उसने अपनी उमड़ी हुई भावनाओं को काबू में किया। " तुम्हें किसने कहा कि मैं तुम्हारे साथ मरना चाहती थी। यह भी भला कोई मेरी उम्र है विधवा होने की? मैं तो बस अपने पति को बचा रही थी ।"

सिराज उसके इकरार का तरीका जानता था। वह कभी सीधे मुंह से नहीं कहेगी कि वह उसे पसंद करती है या प्यार करती है। कम से कम फिलहाल तो नहीं है। उसने सिर्फ समायरा की पीठ थपथपाई। " हमारे पास एक रास्ता है आपके गुनहगार को पकड़ने का। लेकिन उसके लिए आपको थोड़ी तकलीफ होगी क्या आप हमारा साथ देंगी ?" सिराज ने अपनी गोद में बैठी समायरा से पूछा।

समायरा ने हा में गर्दन हिलाई। " आप सिर्फ बताइए मुझे क्या करना पड़ेगा मेरे महाराज ?"

" ज्यादा कुछ नहीं। बस थोड़ा सा बीमार होने का नाटक करना है आपको।" सिराज ने कहा।

" बीमार होने का नाटक ? अरे उसमें तो मैं बहुत पहुंची हुई हूं। मुझे जब भी काम से छुट्टी चाहिए होती थी। मैं अपने बॉस को फोन करके यही कहती थी कि आज मैं बहुत ज्यादा बीमार हूं। यह तो मैं यूं चुटकियों में कर लूंगी।" समायरा ने उत्साह से कहा।

" पता नहीं आप एक पहेली क्यों बनती जा रही हैं ? अब तो आपकी बातें हमें बिल्कुल समझ नहीं आती।" सिराज ने समायरा के चेहरे से उड़े हुए रंग को देख रहा था।

जैसे समायरा को लगा कि सिराज को उस पर कुछ शक हो रहा है। वह उसकी गोद से उठी और फिर बिस्तर पर जाकर बैठ गई। बात बदलने के अंदाज में उसने सिराज से पूछा, " ए तो बताओ आगे क्या करना होगा ? बीमार तो मैं हो जाऊंगी लेकिन उससे क्या फायदा होगा ?"

" फायदा यह होगा कि हम महाराज के पास जाएंगे और उन से शिकायत करेंगे। पूरे नियमों को मद्देनजर रखते हुए, कानूनी कार्रवाई होगी। उसके बाद बड़े राजकुमार या वजीर में से जो कोई भी गुनहगार साबित होगा उन्हें राजद्रोह के आरोप के तहत सजा होगी।" सिराज ने समायरा को पूरा प्रोसीजर समझाया।

" तुम्हें नहीं लगता इसमें काफी वक्त लगेगा ? इससे अच्छा क्योंना तुम खुद इसकी थोड़ी तहकीकात करो। कुछ सबूत इकट्ठा करो और क्योंकि हमला तुम्हारी बीवी पर हुआ है खुद अपने हाथों से गुनहगारों को सजा दो।" समायरा को अभी भी उसके साथ हुई घटनाएं किसी हिंदी मूवी का एक किस्सा लग रही थी। जिसमें हीरो अपनी हीरोइन के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाएगा। उसने यह बात सिराज को बताने में बिल्कुल देर नहीं लगाई। " कभी पिक्चर देखी है ?"

" ए किस तरीके का जानवर है ?" सिराज ने पूछा।

" जानवर सीरियसली।" उसने अपने सर पर हाथ मारा। लेकिन हार नहीं मानी। " मेरा मतलब कोई नाटक देखा है ? मतलब मनोरंजन के लिए कोई चीज जो सामने खड़े लोग तुम्हारे लिए पेश करते हो ?"

इस बार सिराज ने हां में सर हिलाया।

" अच्छा तो उसमें जो नायक होता है, उसे हीरो कहते हैं। मतलब जैसे कि तुम राजकुमार हो। मेरी पिक्चर में, मतलब मेरे नाटक में तुम नायक हो। मेरे हीरो हो।" समायरा का उत्साह और बढ़ गया था। " नायक का काम क्या होता है ? किसी भी परेशानी से अपनी प्रेमिका की जान बचाना। उसके लिए पूरी दुनिया से लड़ जाना।"

"यहां पूरी दुनिया से लड़ जाने का मतलब क्या है ?" सिराज ने दुविधा के साथ पूछा। उसी समायरा की बात है कुछ खास समझ नहीं आ रही थी।

" मतलब जब कोई उस पर यकीन ना करें, कोई उसके साथ ना रहे तब मेरा।" को बोलते बोलते रुक गई। उसने फिर से एक नजर भर सिराज को देखा। "मेरा मतलब अपनी प्रेमिका का साथ देना होगा। बताइए क्या है आप में इतनी हिम्मत कि आप यह पिक्चर के हीरो बन पाएं ?" वह लंगड़ा ते हुए उसके पास गई। उसके सामने अपने घुटनों के बल बैठी और अपना दाया हाथ आगे करते हुए सिराज से पूछा।

सिराज आगे कुछ जवाब दे पाए उससे पहले बाहर से तलवारों की आवाज सुनाई देने लगी। सिराज ने का समायरा का हाथ पकड़ा और उसे खड़ा किया। " फिलहाल आपका ये हीरो आपको दुनिया से छुपाने में जरूर आपका साथ देगा।"

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