कातिल मोहब्बत (शायरी मेरी कलम से) निखिल ठाकुर द्वारा पुस्तक समीक्षाएं में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

कातिल मोहब्बत (शायरी मेरी कलम से)


कातिल मोहब्बत
( शायरी मेरी कलम से)


लेखक:- निखिल ठाकुर
मूल्य:
100/- (सौ रूपये) (Amazon kindle)

➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
इस पुस्तक में 200 शायरियों का समावेश किया है जो कि पढ़ने में बेहद सरल भाषा में है ..जिसे हर कोई व्यक्ति व आम इंसान सरलता से पढ सकता है और समझ सकता है।शायरी के जगत में एक अलग अंदाज में निखिल ठाकुर जी ने एक नया ही रूप दिया है .....जो बिल्कुल साधारण आम बोलचाल और शायरना अंदाज के साथ प्रस्तुत किया है। इस पुस्तक को जब आप पढ़ोगे तो आप सबको लगेगा कि इसके अंदर जो भी शायरी लिखी है वह सिर्फ आपके लिए ही लिखी ...और आपके जीवन पर आधारित होकर लिखी है।अगर आप सबने अपने जीवन काल में किसी से सच्चा प्यार किया है तो आप सबको """ निखिल ठाकुर""" जी की यह पुस्तक जरूर पसंद आयेगी । इसमें """ठाकुर"" जी ..जो भी शायरी लिखी है ...वह """ठाकुर "" जी के दिल के दर्द को दर्शाती है...तो आप सबको इसे पढ़कर वह दर्द समझ आ जायेगा और इस पुस्तक को अपना ढ़ेर सारा प्यार जरूर देंगे।
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖

⬛️अपनों से अपनी बात
➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖➖
प्रिय पाठकों
शेर ओ शायरी ...का अपना ही महत्व व प्रभाव है ....क्योंकि शायरी में व्यक्ति के भाव,दु:ख,दर्द , प्यार आदि ही होते है ।बिना दर्द के ...बिना कुछ अनुभव किये तो कुछ भी लिखना आसान नहीं होता है। अगर दिल में दर्द का एहसास हो तो वह दर्द कलम के रूप में उभर कर आता है और फिर व्यक्ति अपनी कलम से कुछ ऐसा लिख देता है कि...जिसे अनेक लोगों को पढ़ने में अच्छा लगता है और उसकी कलम लाखों लोगों के दिल छू लेती है।
आज के समय में हर व्यक्ति शायरी को पढ़ता और सुनता है ....परंतु आज के समय में अब शायरी के प्रति लोगों का उतना लगाव नहीं रहता है।
एक समय था जब हम बच्चे होते थे तो और स्कुल में पढ़ते थे ...छोटी -छोटी शायरी किताब को खरीद कर शायरी को याद करने लगते थे और फिर अपने दोस्तों को सुनाते थे।
उस समय के दौर को देखता हूं तो आज के समय में काफी कुछ बदल चुका है और लोगों की रूचि में बदलाव आ गया है।
मेरी यह पुस्तक "" कातिल मोहब्बत"" मेरी लिखी शायरी की किताब है....मैेंने इसका नाम कातिल मोहब्बत इसलिए रखा है ...मैने जब अपनी शायरी लिखी थी तो इसी नाम से whats aap पर शायरी ग्रुप बनाया था अपनी शायरी के लिए। तो मैने अपनी किताब का नाम यही रखा।
वैसे तो इस किताब में आपको 200 शायरी पढ़ने को मिलेगी ...जो कि मैने अपने दिल की आवाज से लिखी है...क्योंकि मैं कोई शायर तो नहीं हूं ...पर जब मुझे प्यार में धोखा मिला तो ...मेरे अंदर खुद व खुद शायरना अंदाज आ गया। वो कहते है ना ...कि प्यार में व्यक्ति के अंदर कोई ना कोई अंदाज तो आता ही है ...तो कोई कुछ अलग बन जाते है ,तो कोई शायर,संगीतकार,लेखक, तो कोई गीत लगने वाले बन जाते है ।
परंतु यह भी जरूरी नहीं है कि प्यार में धोखा खाये हुये लोग ही शायर बन जाते है ...और लोग नहीं,...शायर और आम लोग भी बन सकते है ...जिन्होने नें हिन्दी भाषा की अच्छी पढ़ाई की हो ...या जिनका शौक लेखक बनने का है ...या जिन्होंने लेखक बनने के मेहनत की है ..तो वे लोग भी एक अच्छे शायर बनते है ..एक अच्छे कवि बन जाते है।
पर मैं शायद उन सबके बराबर ना बन सकूं ....क्योंकि मेरे शायरना अंदाज में उन सब कवियों के जैसे शायरना शब्द नहीं है ...क्योंकि मेरी शायरी में एक आम और सरल शब्दमय का ही समावेश है जिसे मैेंने शायरना अंदाज देने की कोशिस की है। उम्मीद करता हूं आप सबको मेरी पुस्तक पसंद आयेगी और आप सब मेरी इस पुस्तक को अपना प्यार देंगे और मुझे और बेहतर तरीके से लिखने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
आप सब अपना प्यार मुझें यूं ही देते रहे ताकि में नवीन से नवीन पुस्तकों को सरल भाषा में लिखकर आप सबके समक्ष लाता रहूं।
मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आप सब और आप सबके परिवार जन आदि सभी स्वस्थ रहें और आप व उन पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहें।
⚫️आप सबका अपना प्यारा सा
👉निखिल ठाकुर



‼️कातिल मोहब्बत हाथ में, पहनी गयी चूड़ी की तरह होती है❗
खनकती है, संवरती है और टूट जाती है !‼️

‼️आज़ाद कर दिया हमने भी, उस कातिल मोहब्बत के पंछी को❗
जो हमारी दिल की कैद में, रहने को तौहीन समजता था‼️
‼ए जिन्दगी खत्म कर अब, ये यादों के सिलसिले❗
मैं थक सा गया हूँ दिल को, तसल्लिया देते देते ‼️
‼मुझे गुनाहगार साबित करने को, ज़हमत ना उठा❗
बस खबर कर दे, क्या -क्या कुबूल करना है‼️

‼️तेरे बगैर भी हम,जी रहे हैं लेकिन❗

सजा -ए -मौत के, मायूस कैदियों की तरह‼️

‼️ये जिद्द भी बड़ी ,कमाल की चीज़ है❗
कभी रिश्तों को बना देती है,तो कभी रिश्तों को बिगाड़ देती है‼️

‼️काफी दिन बीत गये,तुझसे बात किय हुये❗
सोचा जरा तेरा हाल तो,पुछ लूं अब मैं‼️

‼️वक्त की बात है,वक्त पर ही छोड़ देते हैं❗
वक्त ने मिलाया था, चल वक्त पर ही इल्जाम देते हैं‼️

‼️तुमसे जु़ड़कर मैंने, खुद को पाया है❗
अब तो मेरी हर शायरी में, मैंने तेरा नाम पाया है‼️

‼️हर पल बेताब सा रहता हुं,अब तो मैं तुमसे बात करने को❗
तेरे बिन तो मेरी जिन्दगी के, हर पन्ने भी सुने से हैं‼️

‼️अगर जिन्दगी कुछ, और मिल जाती मुझे❗
तो तेरे इश्क के सारे, कर्ज भी अदा कर लेते हम‼️

‼️ये इश्क भी तो क्या, कमाल की चीज़ हैं❗
मिले तो भी मशहूर हो जाते है,और ना मिले तो भी मशहूर हो जाते हैं‼️

‼️चाहत तो दिल की यही है, तुझे हासिल कर लूं मैं❗
पर जो हासिल किया जाता है, वह इश्क नहीं होता है‼️

‼️तुझसे चाहत तो, इस कद्र है मुझे कि❗
मेरी हर बात पर तो, तेरा ही नाम आता है जुबां पे‼️

‼️जिन्दगी की हर सांस, लगा दी मैंने तुझे पाने में❗
पर मेरी बदकिस्मती तो देखो, तुझे कभी मैं पा ही नहीं सका‼️

‼️ऐ जिन्दगी अब तो, कुछ तरस खा ले मुझ पर❗
मैं रोज - रोज मरता हूं, कतरा- कतरा होके अपनों के बीच‼️

‼️चेहरों पे यहां नकाब तो, कोई नहीं पहनता है जनाब❗
पर किसी नकाबपोश से, कम भी कोई नहीं है यहां पे‼️

‼️ताश के पत्तों जैसी, हो गई है जिन्दगी मेरी❗
अब जिससे भी जुड़ता हूं मैं, वो तो मुझे पत्तों की तरह तराशता ही जाता है‼️

‼️क्यूं मांगी नहीं मेरे, मरने की दुआ तुने❗
अब ये तेरी मोहब्बत है, या तेरी ईनायत है ‼️

‼️यह तो सोच -सोच का, फर्क है साहिब यहां पे❗
किसी को हम अच्छे, तो किसी को बुरे लगते हैं‼️

‼️वो मोहब्बत भी तेरी थी, और वो धोखा देना भी तेरी ही फितरत थी❗
बस हम नीलाम हो गये थे तेरे मोहब्बत मे, पर तुने को हमें गम -ए- मौत दे दी‼️

‼️काश कोई इस, दिल में बसता ही नहीं❗
तो इस दिल को इतना, दर्द कभी होता ही नहीं‼️

‼️हमने तो बस उनका साथ मांगा था, जिन्दगी भर के लिए❗
और उन्होंने तो मोहब्बत -ए- गम , दे दिया उम्र भर के लिए‼️

‼️दिल की भी अब, क्या बसात दूं मैं❗
ये जिसे चाहता है, वह किसी और को ही चाहती है‼️

‼️ये तो किस्मत का, खेल है यहां पे निखिल❗
कभी महल मैदान तो, कभी मैदान महल बन जाता है‼️

‼️अगर तुम ना होती तो, जिन्दगी बडी ही हसीन होती मेरी❗
जबसे तुम मिली हो तो, बेवजह ही इश्क में पड़ गये हैं हम‼️

‼️अब तो हर पल यूं ही ,अजनबी सा लगता है❗
और रातें कातिल की, तरह सी लगती है‼️

‼️गुजरे हुये लम्हों से, बस यही सीख सीखी है मैंने❗
कि अक्सर धोखे तो, अपनों से ही मिलते हैं‼️

‼️कुछ देर ही सही, ऐ वक्त जरा रूक जा❗
कुछ बीती यादों को तो, मैं समेट लूं गुजरे हुये अतीत से‼️

‼️तुम्हारी झूठी, सोच की कसम ❗
जिन्दगी हसीन है, और बहुत ही ज्यादा हसीन है‼️

‼️महफिल में तेरी, हम क्या बैठें❗
तो सबने यही कहा, कि आ गया तुझे बदनाम करने‼️

‼️क्या बताऊं मैं, दुनिया के रंग को देख के❗
अनुभवों से तो मैंने यही सीखा कि, दुनिया तो हमेशा झूठ बोलने वालों के साथ ही चलती है‼️

‼️कुछ दुनिया की, उलझन में उलझा हूं❗
तो कुछ अपनी ही, उलझनों में उलझा हूं ‼️

‼️चाहत ही दिल में नहीं रही, अब किसी के लिए❗
तभी तो हम इश्क-ए- बाजार, से दूर हो गये है‼️

‼️चले थे दूसरों का, आशियाना बनाने हम❗
खुदा की रहमत तो देखो,अपना ही आशियाना उजड़ गया‼️

‼️कभी अपनी जिन्दगी में सोचकर बताना, कोई मिला हमसा आपको❗
या यूं ही मेरी तरह, तन्हाई को हमसफर बना लिया है‼️

‼️उम्रभर की तन्हाई भी कितनी अच्छी है, जिसकी आने की उम्मीद ना होती है❗
अक्सर उसी का इंतजार , रहता है दिल को बेसब्री से ‼️

‼️जिसने गम का जहर, मुस्कुरा कर पीना सीख लिया❗
उसी को ही जिन्दगी, जीने का सलीखा आ गया‼️

‼️सोच रहा हूं कि मैं, तमाम इश्क वालों की एक दुकान खोल दूं❗
वफा के बदले दिल के सौदों को, ऊंचे दाम में नीलाम करता रहूं‼️

‼️हम तो खास नहीं है, ये माना हमने❗
पर हमारे जैसा, जमाने में ढूंढोगे कहां आप‼️

‼️अभी- अभी तो दर्द -ए-गम की, महफल में कदम रखा है तुमने❗
जरा उनसे पुछ लो कि किस -किस, कद्र लूटे है बदनाम होकर इश्क -ए-बाजार में‼️

‼️उसे मिल गए, उसकी बराबरी के लोग❗
मेरी गरीबी तो मेरी ही, मोहब्बत की कातिल निकली‼️

‼️मुश्किल तो होगा तुम्हें भुलाना, पर मेरी मजबूरी तो देखो❗
तुम्हें बेइंताह चाहा करके ,भी नहीं पा सका‼️

‼️अब कुछ लफ्ज आपके, और कुछ हमारे❗
और एक नई कहानी, बन जायेगी जमाने की जुबां पे‼️

‼️कुछ बातें रिश्ता बना देती है, तो कुछ बातें रिश्तों को बिगाड़ देती है❗
बस जो कुछ है वह सब, तो सिर्फ बातों का ही राज है‼️

‼️कुछ तो मेरी यादों, का तराना होगा❗
वर्ना यूं ही तुमकों , जिन्दगी से नफरत नहीं होती‼️

‼️ऐ जिन्दगी तुझे समझते-समझते, तो हम काफिर हो गये हैं❗
अब तो हमें हर कोई, सरफिरा मुसाफिर कहते हैं‼️

‼️हर रोज ही तेरे लिये , ऑनलाइन आता हूं मैं❗
पर तुम हो कि ऑनलाइन हो के ,भी मैसेज तक नहीं करता हो‼️

‼️सबूत पे सबूत देकर, थक गया हूं मैं अब❗
लगता है ये प्यार नहीं, मेरे इश्क की अदालत लगी हुई हो‼️

‼️यह जरूरी नहीं है, कि हर पल बात हो❗
कभी -कभी नजदीकियों के लिए, कुछ दूरियां भी सही है ‼️

‼️बस एक वोही शख्स जान सकता है, मेरी तन्हाईओं का आलम❗
जिसने जिन्दगी में किसी को, पाने से पहले खोया है‼️

‼️टूटती- बिखरती सांसों की माला में, अब और क्या परोऊं मैं❗
हर वक्त मैं तेरे करीब आता रहा, और हर लम्हा तू मुझसे दूर होती गई‼️

‼️ऐ खुदा इतनी -सी, मौहलत और दे दे मुझे ❗
एक बार ही सही मैं अपनी, महबूबा को जी भरके देख लूं‼️

‼️लिखता हूं अपनी कलम से, कुछ बेजुबान शब्दों को❗
जिसमें हर अक्स, तेरा ही छुपाया रखता हूं‼️

‼️कभी - कभी अपनी जिन्दगी को, देखता हूं तो यही सोचता हूं मैं❗
कि सिर्फ उम्र बढ़ गई है, और बदला कुछ भी नहीं‼️

‼️आवाज खामोश, और दिल बेचैन -सा❗
इसके अलावा अब, और क्या कहूं‼️

‼️मेरी किस्मत का खेल भी, बडा ही अजीब सा है❗
जिस-जिस को मैंने शिद्दत से चाहा, वो ही बेवजहा दूर होता गया‼️

‼️हर शाम की, तन्हा रातों में❗
अब मुझे तेरी, ही कमी रहती है‼️

‼️तुझे हर पल सोचकर, कुछ लिखता हूं मैं❗
अब इसे तेरा इश्क कहूं या तेरा ही असर कहूं‼️

‼️अब तो चैन-ए-स्कून से, जिन्दगी कटती ही नहीं है❗
हर पल एक अजब सी, तन्हाई ही ढसती रहती है‼️

‼️जरा ये भी जान ले , ऐ चालक मोहब्बत के नुमाइंदों❗
दो नाव-ए-इश्क बडा ही, जालिम-ए-दर्द वाला होता है‼️

‼️ना जाने क्यों अब दिल, गुमसुम-सा रहता है❗
ऐसा लगता है ख्बाब पूरा, देखने से पहले ही टूट गया हो‼️

‼️जिन्दगी और मोहब्बत, दोनों ही बदनाम है❗
जिन्दगी जीने से बदनाम है, और मोहब्बत तो प्यार करने से ‼️

‼️अक्सर लोग मासूमियत को, नहीं देखते है जनाब❗
यहां पे तो हर शख्स को, जुबां से परखा जाता है‼️

‼️तमाम उम्र निखिल, यही सोचता रहा❗
कि हर मर्ज की दवा तो मिल गई, पर दर्द-ए-मर्ज की दवा ही ढूंढ ना सका‼️

‼️ बना तो लेते हम भी, मकान तुम्हारे दिल में❗
अफसोस तुम्हारे दिल की,नींव ही कमजोर निकली‼️


‼️ सितम ए मोहब्बत तो, मुझसे खत्म कर लोगी तुम❗
पर मेरी मोहब्बत ए वजूद को, कैसे मिटाओगी तुम‼️

‼️सोच रहा था तुझे मैसेज, करके तेरा हाल पुछ लूं❗
फिर हमें याद आया कि तुम्हें तो, हमसे बात करना तक भी पसंद नहीं है‼️

‼️ हर एक पर यकीन किया, मैने खुद से ज्यादा❗
और आखिर में उन सभी ने, धोखा दे दिया मुझे‼️

‼️तू तो है नहीं, मेरे पास❗
पर मैं आज भी खुद से ही,तेरा हाल पुछ लेता हूं ‼️

‼️ कुछ इस अदा से तोडा, उसने दिल मेरा कि❗
ना हम रो सके और, ना ही हम उन्हें रोक पाये‼️

‼️ दूर हमसे वे रूठकर किसी, और को चाहने लगे है❗
और हमें लगा कि वो हमारे, मनाने का इंतजार कर रहे हैं‼️

‼️ एक समय ऐसा था कि, हम उनके दिल के करीब होते थे❗
और अब एक समय ऐसा है कि, हम उनकी नफरत सी बन गये है‼️

‼️ कसूर ढूंढता रहा, मैं उम्रभर यही कि❗
ऐसी कौन सी गलती हो गई है, जो हमसे तुम दूर हो गये हो‼️

‼️ हर बार तुम्हें मनाने की, कोशिश की है मैने ❗
गलती तुम्हारी होते हुये भी, उसे अपनी गलती मान लिया है मैने ‼️

‼️ अगर रिश्ता दिल का, ना होता तो तुम्हे छोड देता❗
पर क्या करूं ये कमबख्त दिल भी, हर बात पर तेरा ही नाम ले आता है जुबां पर‼️

‼️ सुना है वो चोरी चोरी से, मेरा हाल चाल किसी से पुछ रहें❗
लगता उसका भी दिल टूटा है, आज किसी के हाथों से ‼️

‼️ दिल में पत्थर रख कर, जख्मों को छुपा लिया है मैंने ❗
दर्द ए गम क्या बयान करें हम, अब उस बेवफा से‼️

‼️तुम्हें चाहने वाला अगर, तुम्हारे बार बार मनाने से ना माने ❗
तो समझ लेना कि अब वो किसी, और के दिल का हमसफर बना चुका है‼️

‼️यदि मोहब्बत किसी से, बेहद हो जाये है तो ❗
समझ लेना कि अब, उसका मिलना नामुकिन है‼️

‼️दिल में पत्थर रख कर, जख्मों को छुपा लिया है मैंने ❗
दर्द-ए-गम क्या बयान करें हम, अब उस बेवफा से‼️

‼️मेरी शायरी के हर एक बोल, मुझ पर ही सच साबित कर गई वो❗
जब उसने कहा मुझसे तुम्हारी कसम, मैं तुमसे मोहब्बत नही करती हूं‼️

‼️बडा ही अजीब किस्सा है, मेरी मोहब्बत का❗
उम्रभर के सपने दिखाकर के, आज यूं ही तन्हां छोडकर चली गई वो‼️

‼️जब तुम्हारा दिल तुम्हें चाहने वाले, शख्स के बारे में बार-बारसोचने लगे❗
तो समझ जाना कि गम ए दुःख, की बरात सज कर तैयार हुई है‼️

‼️सितम उनके, बडे ही दिलचस्प है ❗
कि जिद्द में आकर रूह का, रिश्ता ही तोड दिया ‼️

‼️जो कभी एक पल भी मेरे, बैगार नहीं रह पाती थी❗
आज बरसों ही उसने, मेरे बैगार गुजार दिये हैं‼️

‼️क्या सच है क्या झूठ, अब तो कोई फर्क नहीं रहा हमें❗
अक्सर मैं जिन-जिन से मिला हूं, वे सब तो झूठे ही साबित हुये हैं‼️