रूद्राक्ष महाविद्या निखिल ठाकुर द्वारा ज्योतिष शास्त्र में हिंदी पीडीएफ

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रूद्राक्ष महाविद्या

=========रूद्राक्ष महाविद्या=======
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अपनो से अपनी बात
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⚫जो स्वयं दिव्य शक्तियों से ओतप्रोत है....
⚫जो स्वयं शिवशक्ति स्वरूप है ......जिनमें प्रत्येक क्षण दैवीय ऊर्जा का संचार रहता है..... जो सभी कष्टों व समस्याओं का निवारण करने में सक्षम है.... ऐसे ही दिव्य रूद्राक्षों को आप स्वयं धारण करें.... और बदल दे अपने जीवन की काया को.....
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भारतीय संस्कृति का अपने आप में बहुत महत्व और प्रभाव है......क्योंकि यहां पर हर क्षण दैविक ऊर्जा का अनुभव होता रहता है... और दैविक ऊर्जा होने का एहसास होता है....
बहुत समय हम व्यस्त थे.... और बहुत से साधकों ने यही कहा कि निखिल जी आप रूद्राक्ष के बारे में लिखे... और सही जानकारी से अवगत करवाये... क्योंकि आजकल रूद्राक्ष तो मिल रहे है... पर प्राणप्रतिष्ठित है या नहीं... इसमें संदेह रहता है.... और धारण करने पर भी लाभ नहीं मिल रहा है.... काफी समय मैं लिखना चाहता था... पर समय की व्यस्तता और परिस्थतियों की विपरीतिता के कारण मैं नहीं लिख पाया क्योंकि हम कुछ व्यस्त चल रहे थे... कभी व्यवसाय के कारण तो कभी साधना के कारण... तो कभी किसी जरूरत मदों की समस्या के समाधान और कभी प्राणप्रतिष्ठिता के कारण. इसलिए समय ही नहीं मिल पा रहा था....
तो जैसे जैसे समय मिल रहा है तो हम रूद्राक्ष के बारे में लिखते रहेंगे... और इसे एक किताब के रूप संग्रहित करके आप सबके सामने शीघ्र प्रस्तुत करूंगा.. ताकि यह अनमोल जानकारी आप सबके पास संग्रहित रहें.... और आप इसका अध्ययन बार बार कर सकें....
रूद्राक्ष के विषय मे तो यही कहा जाता है कि ये भगवान शिव के नेत्र अश्रु से बने है... और पूर्णरूप से शिवाँश है... और हर भारतीय रूद्राक्ष को धारण भी करते है.. रूद्राक्ष का प्रचलन पूरे विश्व में समान रूप से आद्काल से ही चला आ रहा है... और आश्चर्यजनक की बात यह है कि अनेकानेक शोध प्रयोगों के पश्चात ही विज्ञानियों ने जो परिणाम और तथ्य इस युग के सामने प्रस्तुत किए हैं... उनसे कहीं ज्यादा प्रमाणिक तथ्यों और महत्वों को हमारे प्राचीन योगियों व ऋषियों ने हजारों साल पूर्व ही प्रतिपादित कर दिया था... और इसका सीधा उदाहरण स्वयं """"शिवमहापुराण """""है....
हमारे शास्त्रों मे इस तरह से अनेक दुर्लभ और आश्चर्यजनक प्रभाव से युक्त वस्तुओं व पदार्थों का वर्णन है... परंतु अफसोस इस बात का होता है कि...आज आधुनिक पीढी अपने युगांत पीढी के निर्मित नियमों के बिल्कुल विरुद जा चुकी है... और अनेक तरह के कष्टों से ग्रसित हो रहे है... और जिनका समाधान आज के आधुनिक युग के पास नहीं है...
रूद्राक्ष के बारे में काफी से हमे.... पूज्यनीय देवराज मलिक """" जी कह रहे थे कि निखिल जी आप रूद्राक्ष के बारे में बताये और सही और प्रमाणिक जानकारी जन के सर्वसुलभ करा दो.... और हमने कहा ठीक है... पर माँ की ईच्छा नहीं थी कि मैं उस समय इस विषय पर लिखूं और प्रकाश डालूं.... परंतु वक्त गुजरता गया तो मैं इस विषय को तो भुल गया था... पर अभी एक दो दिन पूर्व ही मैं अपने नवीन गुरू जो मेरे तीसरे गुरू है... जिनका नाम है """""पूज्य श्री अजय तांत्रिक"""" और सामान्य भाषा में लोग उन्हें """""काकू""" के नाम से पुकारते है... उनसे मंत्रों के विषय में अनेक जानकारी प्राप्त हुई और उन्होने कुछ गुप्त प्रयोग भी मुझे करवाये और बताये... और अपनी शक्तियों को कैसे देखना, कैसे पता करना कि स्वयं के अंदर कितनी ऊर्जा का विकास हुआ है... और ब्रह्मास्त्र धुनी, कर्णपिशाचिनी साधना, छाड छबीला, सर्वसिद्धि यंत्र, कैसे स्वयं को जमीन से ऊपर उठना आदि अनेक गुप्त प्रयोगों को प्रत्यक्ष करके बताये और मुझे संपन्न करवाये...
इसी बीच माँ की कृपा से मेरा रूझान """रूद्राक्ष"""?के प्रति हुआ तो मन में विचार आया कि मैं इस विषय मे कुछ न कुछ जरूर लिखूं जिससे लोग लाभान्वित हो.... और साधक सही रूप से रूद्राक्ष के विषय में जान सके.... और समझ सके.. फिर विचार यह आया कि क्यों ना इस पर किताब लिखी जाये... फिर क्या उठाई कलम और बन गई यह दुर्लभ कृति...."""""" रूद्राक्ष महाविद्या """""
इस कृति का लेखन करते समय मैंने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास यही किया है कि बिना त्रुटि रहित और अनुभव व प्रमाणिक ज्ञान को आप सबके समक्ष प्रस्तुत करने के प्रयास किया है.... यदि त्रुटि रही हो तो कृपया आप सब मुझे पत्र व्यवहार या व्हट्स अप पर मैसेज या ई-मेल पर मैसेज करके बता सकते हैं... ताकि मेरी आने वाली नवीन कृतियों को मैं बिना त्रुटियों के सही रूप ये लिख कर सही रूप से आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर सकूं...
आप सबका अपना
निखिल ठाकुर..