खत...., फौजी के नाम ARUANDHATEE GARG मीठी द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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खत...., फौजी के नाम



आज मेघा बहुत खुश थी , खुश हो भी क्यों न , आखिर आज उसके प्यार का इम्तेहान जो पूरा हो गया था , उसके प्यार के साथ उसकी शादी की तारीख पक्की होने के रूप में । मेघा और उसके प्यार अभिनव ने , अपने प्यार को पाने के लिए कितनी परीक्षाएं दी थी, ये उनके घर वालो से छुपा न था । आज अभिनव अगर बॉर्डर पार इस देश की रक्षा पर जुटा था , तो वह भी उनके प्रेम की परिक्षाओं का ही एक हिस्सा था । जिससे उन्हें प्रेम में होकर भी एक - दूसरे से जुदा होना पड़ा था ।

ये शर्त थी , मेघा के परिवार की , अभिनव के लिए । के अगर वह मेघा को पाना चाहता है, तो उसे खुद के बलबूते पर कुछ बन कर दिखाना होगा । और अभिनव ने खुद के प्यार को पाने के लिए, देश से प्यार करना मंजूर किया । सच बड़ी अजीब सी होती है न, ये फौजियों की जिंदगी । जहां सब होते हुए भी कुछ नहीं होता । बस ऐसा ही कुछ अभिनव और मेघा के लिए भी था । पर दोनों ही खुश थे इस बात से , के उनके इस इश्क़ ने उन्हें देश से प्रेम करना सीखा दिया था और विरह की बेलाओं को जीने कि कला भी सीखा दी थी ।

मेघा और अभिनव हमेशा ही खतों के जरिए अपनी बात एक - दूसरे तक पहुंचाते थे । और वो ख़त वे कैसे लिखते थे और कैसे पढ़ते थे , ये उनका दिल ही जानता था । पर शायद आज के बाद से ये मंजर बदलने वाला था । क्योंकि अब इनके रिश्ते को, परमानेंट मोहर जो लगने वाली थी । जिससे इनका रिश्ता , दुनिया की नज़रों में पाक इश्क़ बनने वाला था ।

आज भी मेघा अभिनव के लिए ख़त लिख रही थी । पर आज ख़त लिखते समय, उसकी आंखों में विरह के नहीं, बल्कि जल्दी ही मिलन के आसु बह रहे थे। एक खुशी थी उसके अंदर जिसे वह जीभरकर जी लेना चाहती थी । और अपनी खुशी का एक - एक पहलू अपने अभिनव को इस प्रेम के पत्र के द्वारा पहुंचाना चाहती थी । बताना चाहती थी के वह आज कितनी खुश है और अभिनव से मिलने पर उसके चेहरे की खुशी देखने को वह कितनी उत्सुक है । वह आज जो कुछ भी महसूस कर रही थी, उस हर एक एहसास को वह उस ख़त में उतारना चाहती थी ।

वह अपने रूम मे आकर , अपने अलमारी के लॉकर से अभिनव का पिछला ख़त निकालकर , अपनी खिड़की के पास रखी डेस्क पर जा कर बैठ गई और उसे पढ़ने लगी । जिसमें मेघा के लिए अभिनव ने ढेर सारा स्नेह भेजा था ।

कुछ पल बाद ख़त को पूरा पढ़ने के बाद मेघा ने अपने पेंसिल कप से पेन निकाला और कागजों से भरे हुए कबर्ड में से दो कागज निकाले । और बस फिर मुस्कुराते हुए और अपनी आंखों में खुशी के आंसुं लिए वह बैठ गई , अपने अभिनव को ख़त के जरिए, अपनी फीलिंग्स बताने के लिए ।

प्रिय अभिनव ,
मेरे प्यार , मेरे इश्क़ और मेरे बरसों के इंतजार! मैं आज बहुत खुश हूं । क्योंकि आज हमारे प्यार की परीक्षाएं ख़तम हो चुकी है और हम अब हमेशा के लिए एक - दूसरे के होने वाले हैं । कितना खूबसूरत एहसास है न ये अभिनव , जहां तुम भले ही मुझसे दूर हो, पर तुमसे हमेशा के लिए मिलने की और कभी न बिछड़ने की खुशी ये जो मैं अनुभव कर रही हूं , ये सच मे अतुलनीय है । इतनी खुश तो मैं तब भी नहीं हुई थी, जब मैंने 12th बोर्ड एग्जाम में टॉप किया था । तब भी इतनी खुश नहीं हुई थी, जब मुझे मेरी पहली सैलरी मिली थी । तब भी मैं इतनी खुश नहीं थी, जब मेरी बहन की और भाई की शादी हुई थी । पर सच आज मैं इतनी खुश हूं, के लग रहा है के, उड़ कर तुम्हारे पास आ जाऊं और तुम्हें कसकर अपनी बाहों में समेट कर कहूं के, अभिनव ! मैं अब हमेशा के लिए तुम्हारी हो चुकी हूं । हमारी शादी को मंजूरी मिलने के साथ ही हमारी शादी की तारीख भी पक्की हो चुकी है । जिससे मैं तुमसे मिलने को बेसब्र हो रही हूं ।

अभिनव आज भी याद है मुझे, हमारा पहला मिलन, जब तुम्हें देखते ही मेरे दिल ने अपनी धड़कनों की रफ्तार तेज़ कर दी थी । मेरा दिल तुम्हें देख , तुमसे एक अलग सा खीचाव महसूस कर रहा था । जिसे मैं बखूबी समझ भी नहीं पा रही थी, पर तुम्हारी ओर खीची जा रही थी । जब तुमने पलट कर मेरी ओर देखा, तो मैं तो तुम्हारी नज़रों की ही कायल हो बैठी । लोग अक्सर कहते हैं के ऐसा सिर्फ लड़कों के साथ ही होता है , जब वे किसी लड़की को देखते है तो उनकी खुबसूरती के कायल हो जाते हैं । पर पहली बार मुझे लोगों की ये बातें झूठी लगी, जब मैंने तुम्हारी खूबसूरती को देखा। तुम्हारे शांत स्वभाव को देखा महसूस किया । जब गलती से तुम्हारा हाथ मेरे हाथों से टकरा गया , तो दिल के सारे तार एक साथ ही झनझना उठे । मैं कुछ समझ पाती , तुम उसी वक्त मेरे इतने करीब आ गए, के मैं तो खुद की सुध ही खो बैठी । उस दिन मुझे एहसास हुआ के लड़कियां भी किसी लड़के को देख उसकी ओर खींची चली जाती है , उसकी खूबसूरती की कायल हो जाती है । सच अभिनव वह एहसास इतना खूबसूरत था , के मैं शायद उसे शब्दों में बयां ही नहीं कर सकती।

मुझे वह दिन आज भी याद है अभिनव , जब हम कॉलेज से एक साथ लौट रहे थे। और रास्ते में झमाझम बारिश शुरू हो गई थी । हम दोनों ने बारिश से बचने के लिए एक बंद पड़ी चाए की टपरी की शरण ली थी । वहां आने के बाद भी हम इतने भीग चुके थे, के हमारे कपड़ों से पानी टप - टप करता हुआ गिर रहा था। और मुझे ठंडी हवाओं के चलने के कारण तेज़ ठंड लग रही थी । शायद पानी में भीगने के कारण मुझे हल्का बुखार भी हो गया था । मेरी ये हालत तुमसे देखी नहीं जा रही थी , तब तुमने अपनी शर्ट उतार कर मेरे कंधो पर डाल दी थी , ताकि मैं थोड़ी सी ही सही, पर ठंड से बच सकूं । तभी हमेशा की ही तरह एक बार फिर तुम्हारी और मेरी आंखों का मिलन हुआ था , और तुम मुझे उस रूप में देख खो से गए थे । और मैं तुम्हारी आंखों की खामोशी को पढ़ने की कोशिश कर रही थी । उस दिन मुझे तुम्हारी आंखों में एक अलग ही चमक दिख रही थी । और मैं उस चमक को देख, अंदाज़ा लगाने की कोशिश कर रही थी, के आखिर तुम्हारी आंखों में ये चमक है किस बात के लिए ।

कुछ पल बाद ही मुझे एहसास हो चुका था , के तुम मुझे प्यार भारी निगाहों से देख रहे हो । तब मुझे पता चला के तुम्हारी इन झील सी खामोश आंखों में ये चमक, मेरे प्यार के एहसास की ही है । मैं समझ चुकी थी , के तुम्हें भी मुझसे प्यार हो चुका है , पर मैं तुम्हारे होठों से सुनना चाहती थी । तुम्हारी आवाज़ को महसूस कर, उस एहसास को जीना चाहती थी, जब तुम मुझे खुद अपने प्यार का एहसास कराते । देखना चाहती थी मैं, के तुम्हारी आंखें तुम्हारे होंठो के द्वारा कहे गए शब्दों का कितना साथ देती हैं।

फिर फाइनली वह दिन भी आ गया । वह दिन राधा अष्टमी का था । जब तुमने मुझसे अपने प्यार का इज़हार किया था और मैंने भी तुम्हें अपनी दिल की बात अपने होंठो से बयां कर दी थी । उस दिन मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ, के लोग वेलेंटाइन डे पर एक - दूसरे से अपने प्यार का इज़हार करते हैं , तो फिर तुमने ये दिन क्यों चुना ???? फ्रेंडशिप डे या फिर वेलेंटाइन डे, जो कुछ महीनों पहले ही गुजर था उसे क्यों नहीं चुना । जबकि तुम्हारी आंखों ने तो मुझे ये एहसास पहले ही करा दिया था, के तुम मुझसे बेइंतहां मोहब्बत करते हो । मैं भी एक नंबर की झल्ली थी उस वक्त । मैंने तुमसे यह पूछ भी लिया और तुम्हारे जवाब ने मेरा मन मोह लिया ।

तुमने मुझसे कहा के यह दिन तुमने इस लिए चुना " क्योंकि हमारा प्रेम राधा और कृष्ण की तरह पाक साफ होगा । जहां जिस्मों से नहीं बल्कि रूहों से बातें होंगी । तुम हमेशा राधा की तरह मेरी ही रहोगी , और मेरे ऊपर हमेशा तुम्हारा अधिकार रहेगा । जैसे कृष्ण के ऊपर राधा का हमेशा अधिकार था । हम भी राधा और कृष्ण की तरह , अपने प्रेम को पाने के लिए हर मुश्किलों से लड़ेंगे और हमेशा उसमें जीतेंगे । ज़िन्दगी के किसी भी मोड़ पर हम पहुंच जाएं पर एक दूसरे को कभी नहीं भूलेंगे । हमारी ज़िन्दगी अगर हमें अलग भी कर दे , तब भी हम एक - दूसरे का साथ बखूबी अपने दिलों से निभाएंगे । हमारी मोहब्बत भी राधा और कृष्ण की तरह सिर्फ पन्नों पर ही नहीं , बल्कि लोगों के दिलों में भी लिखी जाएगी । हम भी अलग होकर भी , कभी अलग नहीं होंगे । हमारे दिलों के तार एक दूसरे से हमेशा जुड़े रहेंगे । और ऐसे जुड़े रहेंगे जैसे आसमान से तारे जुड़े हुए रहते है । बस यही कारण है मेघा, जो मैंने अपने प्रेम का इज़हार करने के लिए, यह आज का दिन, राधा अष्टमी चुना । क्योंकि मेघा , वेलेंटाइन का दिन तो, दो लोगों के हमेशा के लिए अलग होने पर मनाया जाता है । पर राधा और कृष्ण तो कभी अलग हुए ही नहीं थे मेघा । वे तो दूर होकर भी एक दूसरे के पास थे , और इसी लिए अंत में उनके प्रेम की जीत हुई थी । लेकिन वेलेंटाइन की तो उस दिन मौत हुई थी , साथ में वह अपनी प्रेमिका से हमेशा के लिए बिछड़ गया था । तुम ही बताओ मेघा , हम अपने प्यार को राधा कृष्ण की तरह बनाएं या फिर वेलेंटाइन की तरह । मेघा हम नदी के वे छोर हैं, जो कभी न कभी एक हो ही जाएंगे । इसी लिए मेघा मैंने अपने प्यार को तुम्हारे सामने प्रकट करने के लिए इस दिन का चुनाव किया ।"

तुम्हारे तर्क , और तुम्हारी शहद से भी मीठी बातें सुन , उस दिन मुझे खुद की पसंद पर गर्व हो रहा था । के मैंने इतना अच्छा इंसान अपने लिए चुना , जिसे प्यार के साथ - साथ मेरी और हमारे अनकहे एहसासों की भी फ़िक्र है । तुमने कुछ ही शब्दों में, हमारी कहानी को उस मुकाम पर पहुंचा दिया, जहां लोग पहुंचने की कल्पना भी नहीं करते हैं । उस दिन तुम्हारे शब्दों को सुन, मैं धन्य हो गई थी अभिनव ....., धन्य हो गई थी मैं 😍😢😘 । उस दिन मुझे खुद से भी ज्यादा, तुम पर प्यार आ रहा था , लग रहा था के मैं तुम्हें दुनिया से छुपा कर अपने पास रख लूं...............।

मेघा के ख़त के दोनों पन्ने भर चुके थे पर , पर मेघा के जज्बातों का सिलसिला अभी थमा नहीं था । उसने फिर से कबर्ड खोला और उसमें से दो पन्ने और निकाले और फिर से लिखने बैठ गई ।

......फिर वह पल भी आ गया जब तुमने मुझे मंदिर में लेजाकर , राधाकृष्ण की मूर्ति के सामने लाकर कर खड़ा कर दिया , और मेरे दोनो हाथो को थाम कर तुमने मुझसे कहा " मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं मेघा , इतना के शायद मैं तुम्हें शब्दों में बता भी नहीं पाऊंगा । पर मैं तुमसे वादा करता हूं , अपनी सासों की आखिरी डोर तक, मैं तुमसे ही प्यार करूंगा और तुम्हारे ही साथ रहूंगा । क्या तुम मेरे साथ अपना जीवन बिताने के किए तैयार हो ?????" तुम्हारे प्यार का इजहार सुन, मेरी आंखों से आंसू छलक आए थे , जो प्यार और खुशी के थे । मैं उस वक्त कुछ बोल नहीं पाई, पर मैंने अपना सिर हिलाकर हामी भर दी थी । सच उस दिन अपनी खुशी, मैं बयां भी नहीं कर पा रही थी । तुमने जब मेरी हां सुनी , तो तुमने प्यार से मेरे आंसुओं को साफ किया और मुझे अपनी बाहों में समेट कर अपने सीने से लगा लिया। अभिनव मैं बता भी नहीं सकती , उस पल मैंने कितना सुकून महसूस किया था, तुम्हारे सीने से लग कर। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे मुझे ज़िन्दगी की सारी खुशियां, एक साथ ही मिल गई हो । और तुम्हारे भी शांत चेहरे पर मैंने उस दिन खुशी देखी थी । तुम्हारी खुशी का अनुभव कर मेरी खुशी दोगुनी हो गई थी, अभिनव ।

अभिनव!!! मुझे वह दिन भी याद है, जब हम कॉलेज के पास वाले पार्क में बैठे , एक - दूसरे के साथ कुछ समय बिता रहे थे । और वहीं हमारे ठीक सामने एक नई शादी - शुदा जोड़ी बैठी थी । जिसमें से लड़की की मांग में लगा सिंदूर, हाथो में भरी - भरी लाल चूड़ियां , लाल साड़ी , गले में मंगलसूत्र, जिसमें शायद उसके पति का नाम लिखा था , और पैरों में बड़ी - बड़ी पयालों के साथ बिछुए उसकी नई शादी का प्रमाण दे रही थे । और मैं एक - टक उस युगल जोड़े को देख रही थी , जो शायद घर - रिश्तेदारों से दूर , अपने खास लम्हों के फुर्सत के कुछ पल चुराने आए थे ।

तुमने जब मुझे उन्हें इस तरह एक - टक देखते देखा , तब तुमने जो कहा वह मेरे जहन में किसी पत्थर की लकीर की तरह छप गया । तुमने मुझे और उन युगल जोड़े को देख कर मुझसे कहा था, के " मेघा !!! एक दिन हम भी शादी के बाद अपने फुर्सत के कुछ पल चुराने इसी तरह पार्क में आया करेंगे ।" तब तुमने मुझसे एक वादा भी किया, के " मेघा !!! मैं कभी भी तुम्हें अपने जहन से दूर नहीं करूंगा , और तुम्हारी इच्छाओं को, हमेशा सर्वोपरि रखूंगा । " उस दिन एक बार फिर मुझे अपनी पसंद पर नाज़ हो रहा था । क्योंकि तुमने अपनी खुशी से ज्यादा , मेरी खुशी को अहमियत दिया था । अभिनव तुम्हारे कहे गए वे शब्द, आज भी मेरे दिल में सुरक्षित अंकित हैं ।

उसके बाद फिर अभिनव हम हमेशा मिलने लगे , पर शायद हमारे परिवारों को यह गंवारा न था । इसी लिए उन्होंने तुम्हारे सामने वह शर्त रखी, जिसके वजह से हम आज तक एक - दूसरे से अलग रहे । वह शर्त किसी और ने नहीं बल्कि मेरे पिता जी ने और माता जी ने तुम्हारे सामने रखी , के" जब तक तुम खुद की मेहनत से कुछ बन नहीं जाते , तब तक तुम मुझसे दूर रहोगे ।"

अभिनव उस दिन भी तुमने खुद की खुशी त्याग कर मेरे बारे में सोचा । उस दिन जितना मुझे दुख हो रहा था, उतना ही तुम पर गर्व भी हो रहा था । क्योंकि तुम्हारे पास किसी भी चीज की कमी नहीं थी । तुम और तुम्हारा परिवार हर तरह से संपन्न और सक्षम थे । पर तुमने सिर्फ मेरे घर वालो की बात का मान रखने के लिए और मुझे एक इज्जतदार ज़िन्दगी देने के लिए, मेरे घर वालों की ये शर्त भी सहर्ष स्वीकार कर ली और मुझे एक बार फिर अपने ऊपर गुरूर करने का मौका दे दिया । आज भी जब वह दिन याद करती हूं न अभिनव, तो आंखों से आंसू झर - झर बहने लगते हैं ।

बहने लगता है उन आंसुओं के साथ मेरे दिल का दर्द , जो मैंने तुम्हारी आंखों में देखा था , जिसे तुम छुपाने की भरपूर कोशिशें कर रहे थे । पर मैं भी तुम्हारा प्यार हूं अभिनव , भला तुम्हारा दर्द मेरी आंखों से कैसे छुप सकता था ।

फिर शुरू हुआ हमारी कहानी का एक नया अध्याय , जिसमें हमें दोबारा मिलने के लिए, न चाहते हुए भी बिछड़ना पड़ा । और तुमने मेरे ही कहने पर , देश की सेवा करना उचित समझा , क्योंकि ये तुम्हारा सपना था । जिसे तुमने मेरे ही कारण ठुकरा दिया था , क्योंकि मैं नहीं चाहती थी, तुमसे कभी भी अलग होना । पर देखो हमारी किस्मत ने हमें, दूर कर ही दिया था । मेरी ही खुशी की खातिर तुमने देश से प्रेम किया और उसकी सेवा में लग गए । और देखो आज 5 साल बाद , तुम उस पोस्ट पर पहुंच गए, जिसकी कभी मैंने कल्पना भी नहीं की थी , " मेजर अभिनव प्रताप सिंह "। नाम में ही तुम्हारा देश के प्रति प्रेम झलकता है अभिनव।

जिस दिन मैंने तुम्हारे नाम के आगे मेजर सुना था । उस दिन फिर तुमने मुझे खुद के प्यार पर फक्र करने का मौका दे दिया था। मेजर अभिनव प्रताप सिंह, ये नाम मेरे दिल में , शरीर के तिल की तरह अंकित हो चुका है । जैसे शरीर के तिल , इंसान के मरने के बाद भी उसके शरीर में जीवित रहते हैं , उसी तरह ये तुम्हारा नाम भी मेरे मरने के बाद भी मेरे दिल में अंकित रहेगा । जो मुझे अपने अगले जन्म में भी तुम्हारे पास होने का एहसास कराएगा ।

जब मैंने तुम्हारा पहला खत अपने नाम पर देखा था , उस दिन मैं, दिनभर कान्हा जी के सामने बैठे, बस तुम्हारे ख़त को ही निहारते रह गई थी । उस दिन की खुशी मेरी, किसी से भी छुपी नहीं थी । स्वयं कान्हा जी से भी नहीं । उस दिन मुझे तुम्हारे इजहार के समय कहीं गई बातों का मतलब समझ आ रहा था । शायद तुम पहले से ही जानते थे , के हमारा ये प्यार का सफर इतना आसान नहीं होगा । तभी तो तुमने हर वक्त इन खतों के जरिए मेरे साथ होने का अहसास दिलाया । और तुम्हारे जाने से पहले जब - जब हम मिले , तब - तब तुमने मुझे , हमेशा मेरे साए की तरह साथ रहने का वादा मुझसे किया।

अभिनव तुम्हारे ये एहसास ये वादे ही है, जो मेरे तुमसे दूर होने के बाद भी , मुझे तुम्हारे पास होने का दावा कराते रहे , और हमेशा मेरे दिल को संभाले रहे ।

और देखो , आज हमें हमारी हर एक परीक्षाओं का फल आखिर मिल ही चुका । अब हम हमेशा के लिए एक हो जाएंगे । और मेरी मांग में तुम्हारे कहे अनुसार , तुम्हारे नाम का सिंदूर चढ़ जायेगा । मेरे गले में तुम्हारे नाम का मंगलसूत्र हमेशा के लिए मेरे शरीर के साथ होकर , तुम्हारे मेरे करीब होने का एहसास कराएगा । मेरे पैरों में पहने बिछुए, हमेशा मुझे तुम्हारी दुल्हन होने का गर्व दिलाएंगे । तुम्हारे लिए किया गया मेरा हर एक श्रृंगार, हमेशा तुम्हारी पत्नी होने का मुझे अभिमान दिलाएगा ।

बस अभिनव , मुझे तो बस अब तुम्हारे आने का ही इंतेज़ार है, जब मैं और तुम एक बार फिर दोबारा कभी न बिछड़ने के लिए मिलेंगे । और हमेशा के लिए सभी के नज़रों में एक मजबूत धागे से बांध दिए जाएंगे । जो शादी के अलावा हमारे प्रेम का भी धागा होगा ।

अभिनव!!! मैं भगवान से अब यही प्रार्थना करती हूं, के तुम अब हमेशा के लिए मेरे पास आ जाओ , और हम अब कभी भी एक दूसरे से न बिछड़े , बल्कि अब आने वाली परिस्थितियों का मिलकर सामना करें ।

अंत में मैं तुमसे आज फिर , अपने प्यार का इज़हार करना चाहूंगी। आई लव यू मेरे मेजर अभिनव प्रताप सिंह ❤️। मैं बहुत शुक्र गुजार हूं , जो मैंने तुम्हारे जैसा प्यार करने वाला इंसान , अपनी ज़िन्दगी में पाया । भगवान करे , तुम्हारे जैसा इंसान हर लड़की को मिले । और उसे भी, मेरी ही तरह अपने प्यार पर फक्र हो ।

अभी के लिए मैं अब अपनी लेखनी को विराम देती हूं , वरना शायद तुम्हें ये ख़त पढ़ने के किए 2 दिन लग जाएंगे ।
जल्दी वापस आओ अभिनव , मैं तुम्हारा बेसब्री से इंतजार कर रही हूं ।

तुम्हरी होने वाली जीवनसंगिनी,
तुम्हारी मेघा😍

इतना लिख कर मेघा , उस ख़त के पन्नों को स्टेप्लर से , स्टेपल करती है। और फिर नीचे उसमें , आज अपने होठों के निशान छोड़ देती है, जो शायद उसने कभी नहीं छोड़े थे, पर आज उसके लिए शायद, अपनी खुशी को बयां करने का यही एक तरीका था । फिर उस ख़त को एक लिफाफे में डाल कर उस पर एडरेस लिखती है । और उसे स्पीड पोस्ट करने चल देती है । आज वह उस ख़त को लिखने पर , कितने बार खुशी के आंसूं रोई थी, ये सिर्फ मेघा ही जानती थी । और अब अभिनव ख़त पढ़ने के बाद जानेगा , जब उस ख़त में , मेघा के अनगिनत आंसुओं के निशान देखेगा । इससे उसे मेघा के प्यार का बखूबी एहसास होगा । बस इतनी सी ही थी मेघा और अभिनव की प्रेम कहानी । और अब दुनिया उनके मिलन का खूबसूरत मंजर देखेगी । जब दोनों अग्नि को साक्षी मानकर , अपने जीवन की शुरुवात करेंगे । और अपनी आने वाली खुशियों का हर्ष - उल्लास के साथ स्वागत करेंगे ।

समाप्त

- अरुंधती गर्ग