वह अब भी वहीं है - 27 Pradeep Shrivastava द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वह अब भी वहीं है - 27

भाग -27

समीना अंदर वह मकान नहीं, राजसी ठाठ-बाट वाला एक महल सा था। अपने से पहले गए लोगों में से कईयों को मैंने रिहर्सल करते देखा। मुझे गुस्सा आई कि, सालों ने मुझे बताया नहीं, नहीं तो मैं भी रिहर्सल करता। जल्दी ही मेरे पास एक अजीब चिरकुट सा दिखने वाला आदमी आया और नाम पूछ कर मुझे सीधे सीन समझाने लगा कि, मुझे सीढ़ियों से ऊपर बेडरूम में जाकर वहां सोई घर की मालकिन का रेप करना है। मैं इस घर के मालिक द्वारा अपमानित करके निकाला गया नौकर हूं। जो अपने अपमान का बदला लेने के लिए, मालकिन से रेप कर उसकी हत्या भी कर देता है।

शीन समझाने के बाद उसी बेडरूम में रिहर्सल कराने लगा। समीना रिहर्सल क्या रिहर्सल का मजाक उड़ाया जा रहा था। मैंने सुना था कि, कलाकारों से हफ़्तों, महीनों रिहर्सल कराते हैं, तब कहीं जाकर शूटिंग करते हैं। डायलॉग महीनों रटाते हैं। यहां तो बस मिनट भर में सब कुछ हो रहा है। मन में तरह-तरह की शंका उठ रही थी कि, ये वाकई फ़िल्म-निर्माता हैं या कोई धोखेबाज हैं, जो फ़िल्म के नाम पर कुछ और तमाशा कर रहे हैं। कुछ गलत-सलत करके निकल देंगे और फसेंगे हम।

जिस एक्ट्रेस को मालिक की बीवी का रोल प्ले करना था, वह औसत से कुछ ज्यादा कद की

अच्छी-खासी हेल्दी, गोरी सी महिला थी। किसी अच्छे पैसे वाले घर की लग रही थी। काफी सुन्दर भी थी। उसे देख कर ही मैं संकोच में सिकुड़ा जा रहा था। जबकि मुझे उसी के साथ रेप, मर्डर की ऐक्टिंग करनी थी। समीना बड़वापुर कस्बे के मेरे जैसे एक फुल अनाड़ी के लिए यह एक बहुत-बहुत बड़ी चुनौती थी। रिहर्सल के दौरान ही मुझे पसीना आ जा रहा था, जब कि उस समय मुझे उसके कपड़े खींचने, फाड़ने नहीं थे।

कुछ देर की रिहर्सल के बाद शूटिंग शुरू हुई तो यह सब करने में मैं कांप रहा था। इस पर डायरेक्टर ने मुझे हड़काते हुए बाहर कर देने की धमकी दी। मैं घबड़ा गया कि कितने पापड़ बेलने के बाद तो किसी तरह कहने भर को रोल मिला है। बड़ी कोशिश कर अपने को संभाला। और रिक्वेस्ट की, कि अब गलती नहीं होगी। बार-बार गलती के चलते री-टेक हो रहे थे। एक्ट्रेस भी बार-बार रेप सीन दोहराने के कारण परेशान हो गई थी।

उसे बार-बार कपड़े पहनने पड़ते, और मैं शीन के हिसाब से उसे खींच-खाँच कर करीब-करीब नग्न करता था, उसके शरीर के तमाम हिस्से को पूरी क्रूरता दिखाते हुए नोचता, रगड़ता, मसलता था। लेकिन मेरी अपेक्षा वह महिला हर बार बढियाँ ऐक्टिंग कर रही थी । वह बड़ी अनुभवी, समझदार लग रही थी। आखिर उसने मुझे समझाते हुए कहा, ' तुम ऐक्टिंग कर रहे हो, घबराने की ज़रूरत नहीं है, घबराओगे तो कभी नहीं कर पाओगे।'

उसके समझाने से न जाने क्या जादू हुआ कि अगली बार मैंने बिलकुल ठीक किया, महिला तो पहली बार से ही ठीक कर रही थी। लेकिन री-टेक बोल दिया गया। इसपर महिला ने पहले मुझे, फिर डायरेक्टर को ऐसे देखा जैसे पूछ रही हो, ये क्या ? इस बार तो दोनों ने ठीक किया था। लेकिन डॉयरेक्टर ने बोला री-टेक तो री-टेक।

फिर यह तमाशा कई बार हुआ तो मुझे लगा कि, जानबूझ कर री-टेक के बहाने महिला का शोषण किया जा रहा है। डायरेक्टर महिला को समझाने के बहाने उसके पूरे शरीर को टटोल रहा है, हर बार उसके बदन को ज़्यादा से ज्यादा उधड़वा रहा है। मुझ से ऐसी हरकतें करवाई जा रही थीं, कि सच में रेप करने वाले भी न करते होंगे। महिला की हालत पर मुझे दया आ रही थी। निकाले जाने के डर से ज्यादा, मैं उसे तकलीफ से मुक्ति दिलाने की सोच कर इतना बढ़िया अभिनय कर रहा था कि वह वास्तविक से भी ज़्यादा वास्तविक लग रहा था।

आखिर कई और री-टेक के बाद शॉट ओ.के. हुआ। चिरकुट डायरेक्टर ने मुझे शाबासी देते हुए, मेरी पीठ ठोंकी। लेकिन उसके कमीनेपन के कारण मेरे मन में आया कि, इसे उठा कर पूरी ताक़त से सामने दिवार पर दे मारूँ। मुझे महिला की हालत पर बहुत दुख हो रहा था। मेरे राक्षसी जिस्म ने उसे सच में कई जगह चोट पहुंचा दी थी। शॉट ओ.के. होने के बाद वह रो पड़ी थी।

देर रात को सोने के पिंजरे में सुन्दर हिडिम्बा ने खाना खाने के बाद मेरे सपनों के महल की कई ईंटें एक साथ खिसका दीं। उन्होंने सारी बातें जानते ही कहा, 'तुम अपना समय बरबाद कर रहे हो। वो सब तुम्हें ठग रहे हैं। वो कोई फ़िल्म-मेकर नहीं हैं। सी ग्रेड फ़िल्म के नाम पर भी तमाशा कर रहे हैं। ये लोग एक तरह से टू-एक्स मूवी बना कर पैसे कमाते हैं। और तुम जैसे हीरो-हीरोइन बनने के लिए, पागलों की तरह घूम रहे लोगों से, मुफ्त में काम करवा कर रफूचक्कर हो लेते हैं। बाद में इन्हें ढूंढ भी नहीं पाओगे। जितना तुम बता रहे हो। फ़िल्म में तुम्हारा रेप वाला हिस्सा छोड़कर और कुछ नहीं होगा।

पहली बात तो तुम फ़िल्म ही नहीं ढूंढ पाओगे कि कौन सी फ़िल्म है, जिसके लिए तुमने काम किया। नाम तक तुम्हें मालूम नहीं है। क्या करोगे तुम? बेवजह यहां काम छोड़-छोड़ कर हमारा भी समय बर्बाद कर रहे हो। सीधे अपने काम पर ध्यान दो। बहुत हो गया तमाशा।' उनकी यह और अन्य तमाम बातें सुनकर मैं बिल्कुल पस्त हो गया।

रात को छब्बी ने बात करने की कोशिश की तो मैंने कहा, 'चुपचाप सो जा, काहे को मगज खाती है। ये हिडिम्बा सही कह रही है, मैं बेवजह समय बरबाद कर रहा हूं। मुझे किसी फ़िल्म में कोई काम-धाम नहीं मिलने वाला। विलेन-किंग बनना मेरी किस्मत में नहीं है। यहां जिनका कोई है, उसी को कुछ मिलता है। कितनी पिक्चरों में देख चुका हूं कि, मेरे से भी ज़्यादा गए-गुजरे ऐक्टिंग कर रहे हैं। अब नहीं बनना मुझे कुछ। जो बन गया बस वही ठीक है। इससे ज़्यादा की मेरी औकात ही नहीं है।' समीना यह कह कर मैं उसकी तरफ पीठ कर करवट लेट गया।

छब्बी कुछ देर तो चुप बैठी रही। फिर बोली, 'देख ऐसे हार नहीं मानते। यहां जितने बड़े-बड़े हीरो-हीरोइन हैं, सबने शुरू में ऐसे ही सड़कें घिसीं हैं। मगर कोशिश नहीं छोड़ी । तू इस मोटी के कहे में ना आ। ये तो अपने काम, अपने स्वार्थ में पागल है। उसको हमारे-तुम्हारे जैसा, देखा जाए मुफ्त का गुलाम कहां मिलेगा। इसीलिए वो चाहती है कि तुम्हें कोई काम मिले ही ना। तू और कुछ करने के बारे में सोचे ही ना। इसीलिए तुझे भड़का रही है। तुझे पागल बना रही है। तू उसकी चाल को समझ, उसमें फंसने के बजाय और ज्यादा ताकत से कोशिश कर।'

समीना उस समय छब्बी की यह बिलकुल सही बातें भी मुझे गुस्सा दिला रही थीं। मैंने गुस्सा होकर कहा, 'अरे तू सो नहीं सकती क्या?, मैंने कह दिया एक बार कि, अब मैं कुछ नहीं करूंगा। जिस लायक हूं, वह बन चुका हूं। साले दोस्तों ने धोखा दिया। चढ़ा दिया झाड़ पे। अबे तू दारा सिंह को देख, उसको देख, इसको देख। ये सब अपनी पर्सनाल्टी ही के कारण फिल्मों में काम किए। इन्हें कौन सी ऐक्टिंग आती थी। तू भी इनसे कम नहीं है। मैं साला चूतिया चढ़ गया झाड़ पर।

सालों ने मुझे यही सब पढ़ा-पढ़ा कर खूब खाया-पिया। मेरे पैसे पर खूब ऐश की। कमीनों के लिए बाबू के कुर्ते, दुकान के गल्ले से भी पैसा मार देता था। सालों ने लंबी-लम्बी हांकी कि, मेरा दोस्त वहां है, उससे मिल लेना। तेरा काम हो जाएगा। कोई बोलता मेरा रिश्तेदार, मेरा ये, मेरा वो। फर्जी फोन नम्बर, ऐड्रेस पकड़ा दिया। मैं साला पागल चला आया यहां ठोकरें खाने। ना घर का रहा ना घाट का। कुत्ता बन गया हूं एकदम। बल्कि कुत्ते से भी बदतर। वो कम से कम शाम को घर तो लौट आता है। अब तुम भी उन्हीं कमीनों की तरह चढ़ाए जा रही हो झाड़ पर। लेकिन अब मैं नहीं चढ़ने वाला। अब साला चोरी-डकैती कर लूंगा। मार डालूंगा दो चार को। मगर ऐक्टिंग का नाम नहीं लूंगा।'