वो अंधेरी सी गली Krishna Kaveri K.K. द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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वो अंधेरी सी गली

उस दिन मुझे घर लौटने में बहुत देर हो गई थी और ट्रैफिक भी ज्यादा था। काफी देर वेट करने के बाद भी जब ट्रैफिक नहीं हटा तो मुझे बहुत गुस्सा आने लगा और मैंने अपनी स्कूटी को ट्रैफिक के बीच-बीच से निकालते हुए एक सकरी सी गली में ले आई।

उस गली में बहुत अंधेरा था। अभी रात के 8 ही बजे थे लेकिन उस गली के सन्नाटे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कि रात के 12 बजे हो..!

मैं अपने स्कूटी से सीधे आगे की ओर बढ़ने लगी। मुझे लगा शायद मैं रास्ता भटक गई हूँ इसलिए मोबाइल फोन में अपने घर का मैप लोकेशन ऑन कर के सामने स्कूटी के रैक में रख दिया।

जैसे-जैसे मैं उस गली में आगे बढ़ रही थी मेरी घबराहट और धड़कने तेज होती जा रही थी। कुछ दूर जाने पर मुझे एक लड़की दिखाई दी उसने स्कूल यूनिफॉर्म पहन रखी थी।

वो एक टूटी हुई खाली पड़ी चाय की दुकान थी जिसके पास छोटा बैंच लगा हुआ था वह लड़की उसी बैंच पर बैठी हुई थी।

मैंने उसके पास जाकर अपनी स्कूटी रोक ली और उससे पूछा,,,,, इतनी रात को तुम यहां इस सुनसान सड़क पर क्या कर रही हो?

उसने मुझे ऊपर से नीचे तक घूरते हुए देखा फिर कहा,,,,, तुम भी तो इतनी रात को अकेली इस सुनसान सड़क पर घूम रही हो..!

अरे!!! मैंने तुमसे सवाल किया और तुम जवाब देने के बदले उल्टा मुझसे ही सवाल कर रही हो..! ओके ठीक है जो भी हुआ उसे भूल जाओ ये बताओ तुम्हें जाना कहां है? मैं तुम्हें छोड़ सकती हूँ जहां भी तुम्हें जाना है वहां पर , मैंने उससे कहा।

मेरी बात सुनकर वो बैंच से उठी और मेरे बहुत पास आकर कहा,,,,, तुम्हें डर नहीं लगता है इस तरह से अंजान लोगों को लिफ्ट देते हुए?

उसकी बात सुनकर मैंने हंसते हुए कहा,,,,, डर किसी बात का? तुम तो एक छोटी सी बच्ची हो..!

मेरी बात सुनकर उसने गुस्से में मुझे घूरते हुए कहा,,,,, मैं छोटी बच्ची हूँ लेकिन इस रास्ते में आगे तुम्हें मेरे जैसी छोटी बच्ची या बच्चे नहीं मिलेंगे।

इट्स ओके!!! अगर तुम्हें नहीं चलना है तो मैं खुद यहां से जा रही हूँ वैसे भी ये रास्ता मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है और मैंने अपनी स्कूटी वापस मेन रोड की तरफ घूमा ली।

मेन रोड पर अब ट्रैफिक बहुत कम हो गया था और इस तरह रात के 9 बजे तक मैं अपने घर पहुंच गई थी लेकिन घर आने के बाद भी मुझे बार बार उसी छोटी लड़की का ख्याल आ रहा था। वो लगभग 13 या 14 साल की लड़की थी लेकिन उसकी बातों से मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि वो मुझसे भी ज्यादा समझदार हो और थोड़ी अजीब भी।

सुबह जब मैंने न्यूज पेपर उठाकर पढ़ना शुरू किया तो मेरे होश गुम हो गए।

न्यूज पेपर में उसी लड़की की तस्वीर और खबर छपी थी जिससे मैं कल रात उस अंधेरी और सुनसान गली में मिली थी। उसका नाम शिवानी था। उम्र 15 साल थी। वो 9th स्टैंडर्ड की स्टूडेंट थी। लगभग दो दिन पहले ही कुछ आवारा लड़कों ने उसके साथ गलत काम किया और फिर उसे मार कर उसी टूटी हुई चाय की दुकान पर छोड़ कर भाग गए थे।

Written and Copyrighted by Krishna Singh Kaveri "KK"