मे और महाराज - ( हमला _३) 35 Veena द्वारा नाटक में हिंदी पीडीएफ

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मे और महाराज - ( हमला _३) 35

मौली समायरा के साथ बग्गी में थी। वही सिराज बग्गी के पास घोड़े पर बैठा हुवा था। उनका काफिला अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रहा था। तभी बग्गी के अंदर समायरा और मौली ने बातचीत शुरू की।

" तुम्हे ऐसा क्यों लगता हैं ?" समायरा ने पूछा।

" क्योंकि आठवें राजकुमार आपको अपनी तरफ करना चाहते हैं। इसलिए मुझे लगता हैं, के ये हमला वो भी करवा सकते है।" मौली ने फल को काटते हुए कहा।

" मुझे नहीं लगता। वो मेरे साथ कभी ऐसा नहीं करेंगे। तुम गलत हो कोई और कारण ढूंढो। ये गलत है।" इतना कह समायरा ने बग्गी की खिड़की खोली और मौली ने दिया हुवा फल सिराज की तरफ बढ़ाया। " ये लो खाओ।"
सिराज बस उसे घुरे जा रहा था। उसने फल की तरफ देखा। समायरा को कुछ याद आया। उसने वो फल पहले खाया फिर बचा हुवा सिराज की तरफ बढ़ाया। सिराज ने उसके हाथो से वो फल खाया। फिर एक मुस्कान के साथ उसे देखने लगा। समायरा ने उसे इसी तरह फलों का नाश्ता करवाया और सिराज ने समायरा की झूठी हर चीज़ खाई भी।

आखिरकार जब समायरा ने सिराज पर से ध्यान हटाया। उसके सामने गुस्से में लाल मौली थी।

" क्या हुवा? तुम ऐसी क्यो दिख रही हो ? अब क्या किया मैंने ?" उसने पूछा।

" ये क्या कर रही थी तुम सैम ? राजकुमार झूठा खाना नही खाते और ऐसे राजकुमारियों के हाथ से तो बिल्कुल भी नहीं। लेकिन तुमने उन्हें चलती बग्गी से खाना खिलाया ? तुम्हे क्या लगता हैं ? वो कौन है ऐसे खाने के लिए ?" मौली ने एक सांस में सारी बाते कह दी।

" अरे पर उसने तो खाया ???" समायरा ने पूछा। " अगर उसे परेशानी होती तो मना कर सकता था। हमारे यहां किसी के पास इतना वक्त नहीं होता की हमेशा बैठ कर तमीज से खाना खाएं। हम तो यूंही खड़े खड़े खाते है। और झूठा खाना नही, मैने उस के लिए सारे फल चखे की कही इसमें जहर तो नही। समझी पागल।" समायरा ने कहा।

" उसे नही उन्हें कहो। और ये तुम्हारा वक्त नहीं है। तुम्हारी ऐसी हरकतों से उन्हे शक हो सकता है।" मौली।

" हा। हा। समझ गई। तुम लोग भी ना छोटी छोटी बातों पर इतना भरोसा करते हो। हमारे यहां...." समायरा आगे कुछ कहे उस से पहले उसकी नज़र मौली पर पड़ी और उसने बात को वही छोड़ दिया।

" तुम समझती क्यों नही सैम? ये तुम्हारा वक्त नहीं जहां की तुम कहानियां सुनाती हो। प्यार, आजादी, इज्जत। ये वो वक्त है, जहां प्यार गद्दी से होता है। आज़ादी सिर्फ महाराज को होती है और इज्जत मर्दों की जहागिर है।" मौली ने उदासी भरी आवाज में कहा।

" कहना क्या चाहती हो मौली ? मैं समझी नहीं।" समायरा ने पूछा।

" बेवकूफ मत बनो सैम। आठवें राजकुमार तुमसे प्यार नहीं करते। वो बस इस शरीर को मेरी राजकुमारी शायरा का शरीर समझ अपनी मन मर्जी कर रहे हैं। एक बार तख्त उनके पास आ गया, उसके बाद सब खत्म। राजकुमार अमन मेरी राजकुमारी से कितने सालो तक प्यार का दावा कर रहे थे। लेकिन जब प्यार साबित करने का वक्त आया, उन्होंने अपने प्यार की जगह तख्त चुना। तुमने ही कहा था ना ये मुझसे। बात जब राजकुमार सिराज पर आएगी उनका फैसला भी यही होगा। मैंने मेरी राजकुमारी को टूटते हुए देखा है। जब उन्होंने खुदखुशी करने की कोशिश की थी। हफ्ते भर कुछ खाया नही था, दिन रात उनके लिए रोई। वही वो अपनी सुहाग सेज सजा रहे थे।" मौली आगे कुछ कहे उस से पहले समायरा ने उसे रोका।

" बस अब आगे कुछ मत कहना। माना ये शरीर तुम्हारी राजकुमारी का है, लेकिन धड़कने वाला दिल मेरा है। वो मुझे अलग जवाब देता है। सिराज भले ही इस जमाने का है, लेकिन वो अलग है। यहां के लोगो से काफी ज्यादा अलग। अब मुझे आराम करना है। हम आगे कोई बात नही करेंगे।" समायरा ने आंखे बंद की, लेकिन पहली बार मौली की बात उसके दिल में चुभ रही थी। लेकिन जो होगा देखा जाएगा कह उसने अपने आप को सपनो को दुनिया में झोख दिया।

६ घंटो के लंबे सफर के बाद आखिरकार बग्गी रुकी।

जैसे ही समायरा नीचे उतरी उसने अपने आस पास देखा।
" आ। ये तो हट है।" उसने अचंभे से कहा। " एक आलीशान बिल्डिंग के फ्लैट से इन महलों में आना मैं समझ भी लेती। लेकिन अब महल से सीधा इतनी छोटी हट में रहना पड़ेगा।" उसने सांस छोड़ी।

" सैम ये हट क्या होता है ?" मौली ने धीरे से पूछा।

" झोपड़ी मतलब हट।" समायरा ने उदासी भरी आवाज में कहा। उसके बाद वो सिराज की तरफ मुड़ी। उसके कंधे पे थपथपाया। " सुनो, अब क्या मुझे ऐसे झोपड़ी में रहना पड़ेगा। जब तुमने कहा की घूमने ले जाओगे। मुझे लगा किसी ज्यादा बड़ी और खूबसूरत जगह। अगर वो ना सही तो मुझे यहां की नाईट लाइफ के दर्शन करा दो, लेकिन ये झोपड़ी। सीरियसली मैन। यू आर द किंग।"

" आप हम पर गुस्सा है क्या ? जब भी आप गुस्सा होती है ऐसी अजब भाषा में बात करती हैं।" सिराज ने उसके कंधे पे हाथ रखते हुए कहा।

" तुम महाराज हो महाराज। मेरे महाराज। तुम ऐसी झोपड़ी में रहोगे सोचो लोग क्या सोचेंगे तुम्हारे बारे में?" उसने उसे समझाने की कोशिश की।

" जिसे आप झोपड़ी कह रही हैं, वो फिलहाल आपके लिए सब से सुरक्षित जगह है। फिक्र मत कीजिए कुछ दिन आराम किजिए।" इतना कह सिराज ने समायरा की नाक खींची और रिहान से बात करने आगे निकल गया।

मौली समायरा के पास आकर रूकी,
" वो लोग सामान उतार रहे हैं ?" मौली।

" कुछ नही कर सकते, उसने कहा ये सबसे सुरक्षित जगह है।" समायरा ने मुंह बनाते हुए कहा।

तभी उनके सामने की झाड़ियों में कुछ हलचल हुई। समायरा ने मौली को खींचा और बग्गी के पीछे छिप गई। रिहान सिराज और बाकी के लोग अंदर की तरफ समान रख रहे थे।

" क्या हुवा सैम ? अभी भी डरी हुई हो क्या ?" मौली।

" मैने वहा पे कुछ सुना मौली ?" उसने झाड़ियों की तरफ हाथ दिखाया। तभी झाड़ियों से कुछ तीर उड़ते हुए उनकी तरफ आए।

" आ.................."