मुलाकात - 6 दिलीप कुमार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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मुलाकात - 6


किसी ने फोन नही उठाया,और मैंने दुबारा फोन मिलाना उचित नही समझा,इधर शौर्य की इंगेजमेंट की रश्म पूरी हो चुकी थी,सब शौर्य को बधाइयाँ दे रहे थे,रात के नो बज चुके थे तो अब मुझे वहाँ से घर के लिये निकलना था।तो मैं अतुल और गौरब से चलो यार मैं निकलता हूँ,
क्योंकि गौरब वही पास में जहाँगीरपुरी और अतुल आजदपुरी से था।और उनसे इतना कह कर
'मैं शौर्य के पास जाकर उसको बधाई देते हुये,
उस समय शौर्य के साथ में उसकी वर्षा भी वही मौजूद थी,फिर शौर्य ने वर्षा से मेरा इंट्रोडेक्शन करवाया,और वर्षा से कहते हुए,- 'ये मेरा बेस्ट फ्रेंड रोहन है,हमने एक साथ में पढ़ाई की औऱ अब साथ में ही जॉब भी करते है।फिर वर्षा मुस्कुराते हुये,-"नाइस टू मीट यू,

"थैंक्यू कहकर, मैं अपनी वर्षा का ख्याल अपने मन में लिए मैं वहाँ से घर के लिये रवाना हो गया ।


अगली सुबह मैं जैसे ही मैं ऑफिस पहुँचा।
'सबसे पहला सवाल शौर्य मुझसे करते हुये,-'ये वर्षा कौन है ? जिस नाम का तुम मुझसे जिक्र कर रहे थे। और फिर सबकी की नजरें मेरी तरफ आकर ठिठक गई।
कुछ नही यार वो,,,वो बस ऐसे ही मैं हकलाते हुये,इससे आगे में कुछ बोल पता कि तभी 'सोनिया,-' यार वो कौन खुश नसीब है जिसका तुम लोग जिक्र कर रहे हो, जरा हमे भी बताओ।
वैसे मैं सोनिया की बातों को ज्यादा महत्व नही देता था
लेकिन तभी गौरब मुझसे,- 'तुझे बताना पड़ेगा अब ज्यादा भाव मत खा चल बता दे,'छोड़ न यार ये सुबह-सुबह तुम कोन सा टॉपिक लेकर बैठ गये,मैं गौरब से कहते हुए ।

"इतने में अतुल तुझे तेरी उस वर्षा की कसम,
"प्लीज बता न यार...! 'वो कौन है जिसकी खुमारी हमारे दोस्त के सर चढ़ रही है ?

मैं वर्षा से बेहद प्यार जो करता था,तो मैं उसकी कसम को जाया नही कर सकता।

और फिर मैंने अपनी आपबीती उन्हें बताई,इसका सबसे ज्यादा असर सोनिया पे पड़ा,लेकिन फिर भी मुस्कराते हुये बोली,,,'तब तो तुम्हे उसे फ़ौरन कॉन्टेक्ट करना चाहिये',उसकी आवाज में थोड़ी सी बेरुखी थी।
क्योकि वो भी मुझे चाहती थी लेकिन मैं उससे प्यार नही करता,वो इसलिये नही कि उसमें कोई कमी या वो सुंदर नही थी,परन्तु हकीकत तो ये की प्यार दो अंतर आत्माओं का मिलन है,वो कभी जबरजस्ती नही किया जाता,और फिर मैंने उसे कभी उस नजर से नही देखा।
"वो पहला दिन था जब मैं सोनिया की ओर देखकर मुस्कुराया,'और तीनों ने मेरे प्रति हमदर्दी दिखाते हुए,मुझसे वर्षा को कॉन्टेक्ट करने लिये कहा।

लेकिन मेरे पास वर्षा का पर्सनल नही नम्बर था,तो मैंने उसके उसी नम्बर पर फोन मिलाया जिस नम्बर पर बीती रात मैंने फोन किया था,लेकिन उधर से कोई रिप्लाई नही आया था ।

एक बार और हिम्मत करके मैंने फिर फोन मिलाया घंटी बज रही थी,मैंने हैंड फ्री कर मोबाइल को टेबल पर अतुल के कहने से रख दिया।

"तभी उधर से हैलो.....पर मैं चुप था,

कि दुबारा हैलो कौन बोल रहे है आप..??

वो आवाज एक छोटी बच्ची की थी।

किससे काम है आपको...? 'उसने दुबारा रिपीट किया',

तभी मैंने उस बच्ची का नाम पूछा,तो उसने अपना नाम रिमझिम बताया।

लेकिन इस बार वो थोड़ी कड़क आवाज में,,,अभी तक आपने अपना नाम नही बताया..? घबराहट भरी आवाज में....मैं "मेरा नाम रोहन है,

'मुझे वर्षा जी से बात करनी है.!!

"उसने फिर से कड़क लहजे में "क्या काम है आपको उनसे.?
उसके सवाल मुझ पर भारी पड़ रहे थे, अब आगे कुछ कहने की हिम्मत नही थी मुझमे,

मैं कुछ कह पाता कि उधर से गूँगे हो क्या ?

बोलते क्यो नही.?'
इतना सुनते ही मैं सहम गया,और फिर मैंने फोन काट दिया सब हैरानी से मेरे ओर देखे जा रहे थे,वैसे सुबह के साढ़े दस बज रहे थे,लेकिन मेरे चेहरे पर अब बारह बजने लगे थे उसकी बातें सुनकर

तभी सोनिया मुझसे छोड़ो यूँ मुँह मत लटकायो अगर वो तुम्हें सच्चा प्यार करती है तो जरूर कॉन्टेक्ट करेगी.!

आज न जाने क्यों सोनिया की बाते मुझे अच्छी लग रही थी, वो जो भी कहती मुझसे , उसमे मुझे उसके प्रति हमदर्दी होती जा रही थी,शायद ये पहली बार ऐसा हुआ था, कि में सोनिया की बातों को सुन रहा था,

मेरा मुड ठीक नही था,तो आज मैं समय से पहले ही ऑफिस से घर निकल गया,वर्षा का ख्याल मेरे दिल में हर घड़ी हावी होता जा रहा था,

मैं जैसे ही घर पहुँचा,पापा सामने मुझे मिल गये..!
क्या बात है.?

'आज समय से पहले तवियत ठीक है न तुम्हारी ?
जी पापा मैं बिलकुल ठीक हूं,कहकर अपने कमरे में ऊपर की ओर चल दिया,तभी माँ की नजर मुझ पर पड़ती है,वो नीचे से क्या हुआ रोहन.? "आज सीधे ऊपर जा रहे हो सब ठीक तो है न।

"हा माँ सब ठीक है,वो सवालों का घेरा इसलिए था, कि आज के पहले ऐसा कभी नही हुआ था,जब भी मैं ऑफिस से आता तो सबसे पहले माँ से मिलता और हर्षित से उसके बाद ही ऊपर जाता।

"परन्तु आज का मेरा रवैया थोड़ा अलग था,इसलिए माँ ने भी मुझे टोक दिया।

कमरे में पहुँचते ही मैं अपने बैड पर पेट के बल लेट गया,औऱ मुझे नींद आ जाती है,कुछ ही देर बाद भाभी जी मेरे कमरे दाखिल होती है,और मेरे सिरहाने बैठ कर मेरे बालो पर हाथ फेरती है,और तभी मेरी आँख खुल जाती है ।

मैंने खिड़की से बाहर की तरफ देखा तो शाम ढल चुकी थी,
सॉरी....'भाभी जी मेरी आँख लग गयी, मुझे पता नही चला कि शाम हो गयी ।
कि तभी अचानक मेरे फोन के घन्टी बजने लगी,बुझे मन से मैंने अपना मोबाइल अपनी जेब से निकाला,
वो वही नम्बर था,जिस नम्बर पर मैंने वर्षा से सुबह बात करनी चाही थी।
नम्बर देखते ही मेरे चेहरे के भाव बदल गये,मैंने फोन रिसीव किया,उधर से हैलो की आवाज सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नही था।
मेरा बदला स्वरूप देखकर भाभी जी सवालिया नजरों से मुझे घूरे जा रही थी,

हा हैलो कौन..? उधर से,

मैं रोहन रोहन नही पहचाना,
"जी नही उधर से जबाब देते हुए वर्षा ने कहा।
क्या तुम वर्षा ? मुरादाबाद से मैंने कहा ।

वर्षा,-'जी हा,

फिर मुझे याद आया कि वो मेरा नाम नही जानती,क्योंकि सफर में न उसने मेरा नाम जानने की कोशिश की और न ही मैंने उसे अपना नाम बताना जरूरी समझा वो तो मुझे मिस्टर के नाम से जानती थी ।

आप अपने मिस्टर को भूल गयी,बस इतना कहते ही मानो वर्षा मेरे सामने खड़ी हो,
ओ मिस्टर तुम...तुम कैसे हो....? करुणा भरी आवाज उसकी..,
मैं बिल्कुल ठीक हु वर्षा
इससे आगे मैं कुछ कह पाता कि इतना सुनते मेरी भाभी जी ने मेरे कान खिंचने शुरू कर दिए,"तवियत ठीक हो गयी अब तुम्हारी कह कर मेरे कमरे से बाहर चली गयी।अचानक खिड़की बंद होने की आवाज से मैं चोंक गया मैंने जैसे खिड़की की तरफ देखा हवा जोरो से चलने लगी आज फिर मौसम ने अपना रुख बदल लिया और जोरो की बारिश होने लगी ।
मैं अपनी खिड़की बंद करने की लिये खिड़की के पास पहुँचा वो बूंदों की फुहार मेरे गालो को छूती हुई आज फिर से मेरे तन और मन को दोनों को भीगा रही थी,वो पल बड़े हसीन लग रहे थे मुझे,

बीते उस सफर की यादें आज एक बार फिर ताजा हो रही थी।हमारी मुलाकात का सफर बारिस से ही शुरू हुआ था।जैसे हमारी मुलाकात और बारिस का कोई गहरा नाता हो ।




क्रमशः