मनीराम तोते के पूरे परिवार को किसी शिकारी ने मार डाला था । जब शिकारी ने उसके पूरे परिवार की हत्या की थी , तब वह परिवार के लिए भोजन तलाश में गया था । आकर देखा तो उसकी पत्नी और दो छोटे बच्चे मरे हुए पड़े थे। उसके ऊपर मानो पहाड़ ही टूट गया। वह इधर उधर घूमने लगा उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब मेरा क्या होगा ? क्यों इन लोगों की हत्या कर दी? इन्होंने किसका क्या बिगाड़ा था ? इसी दुख से वह उड़ा जा रहा था। परिवार से बिछड़ने के गम में उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। बार-बार पुरानी यादें उसके जहन में आ रही थी। आंसू की धार लगातार वही जा रही थी । उसे पता भी नहीं चला कि उड़ते उड़ते वह कब घने जंगल में पहुंच गया। जब थक गया तो वह एक पेड़ पर बैठ गया। उसके आंसू की धार लगातार वह रही थी जो पेड़ के नीचे झाड़ियों के ऊपर गिर रहे थे। उसे भी नहीं पता कि जिस जगह उसके आंसू गिर रहा है वहां कोई प्राचीन शिवलिंग है। उसके आंसू से शिवलिंग का अभिषेक हो रहा था । उसके आँसुओ के अभिषेक से भोलेनाथ जी जागृत हो गए। भगवान शंकर ने सोचा कि इतने वर्ष बीत गए यहां कोई आया नहीं ! किसी ने कोई सुध नहीं ली ! यह कौन भक्त है जो इतने घने जंगल में झाड़ियों के बीच मेरे शिवलिंग पर अभिषेक कर रहा है? शंकर भगवान प्रकट हुए उन्होंने उससे पूछा कि तू कौन है और इतने घने जंगल में क्या कर रहा है ? और तू क्यों रोये जा रहा है ? उसने भगवान शंकर को देखकर प्रणाम किया। अपने साथ हुए घटनाक्रम को उसने विस्तार से बताया और कहा कि मैंने इस जीवन में किसी का कुछ नहीं बिगाड़ा है, हमेशा दूसरों की मदद की, दया ,धर्म ,दान- पुण्य का कार्य किया। फिर भी मेरे साथ यह क्यों हुआ? भगवान ने उसकी बात सुनकर कहा - देख मनीराम तू पिछले जन्म में एक शिकारी था, तू बड़ा ही निर्दय था, तूने पिछले जन्म में उस शिकारी के परिवार की बड़ी निर्दयता पूर्वक हत्या कर दी थी यह उसी पाप कर्म का परिणाम है कि आज तेरे पूरे परिवार को उस शिकारी ने मार डाला । उसने भोलेनाथ से प्रश्न किया-
हे प्रभु ..मेरे पापों की सजा मेरे परिवार को क्यों दी? उन्होंने उसका क्या बिगाड़ा था? तब शिवजी कहते हैं- जिस प्रकार तुमने उसके निर्दोष परिवार की हत्या की,ठीक उसी प्रकार तेरे निर्दोष परिवार की हत्या उसने की । उसने पुनः प्रश्न किया - हे प्रभु ...इस पाप कर्म से निकलने के लिए कोई उपाय बताइए । तब शिवजी ने कहा कि तू पास के गांव में जाकर जन समुदाय को इकट्ठा कर एवं पूरे घटनाक्रम को बताकर यहां का जीर्णोद्धार करवाओ । इस प्रकार भोलेनाथ उपाय बताकर अंतर्ध्यान हो गए ।
मनीराम उड़ता हुआ पास के गांव में पहुंच गया शाम का समय था सभी लोग कामकाज से निपट कर घर पर ही थे। मनीराम ने गांव के चौपाल से आवाज लगाई-
सुनो सब सुनो सुनो सब सुनो.......…............... आवाज सुनकर कुछ लोग इधर उधर देख रहे थे कहीं कोई दिखाई नहीं दे रहा था मनीराम चबूतरे के ऊपर पेड़ की शाखा पर बैठा बोल रहा था इसलिए उस तरफ किसी का ध्यान नहीं गया। फिर मनीराम ने आवाज लगाई ....सुनो सुनो सब सुनो.......................
इस बार किसी का ध्यान पेड़ पर बैठे तोते की तरफ गया। उसकी आवाज हूबहू इंसान जैसी आ रही थी। मनीराम सभी तरह की आवाज निकाल सकता था एवं इंसानों की तरह बातचीत कर सकता था। कुछ ही देर में चौपाल के आसपास पूरा गांव इकट्ठा हो गया । तब गांव के मुखिया ने मनीराम से पूछा ! क्या हुआ ? क्यों सभी लोगों को इधर बुलाया है ? तब मनीराम ने अपने परिवार की हत्या एवं भोलेनाथ द्वारा कही गई संपूर्ण बात सभी गांव वालों से कहीं । मनीराम की बातों को सुनकर गांव के कुछ बुजुर्ग लोगों ने कहा कि मनीराम ठीक कह रहा है वहां पर एक प्राचीन मंदिर है, क्योंकि वह जगह अब घने जंगल में बदल गई है इसलिए वहां की देखरेख कोई नहीं कर रहा है सालों से वहां कोई आता जाता नहीं है। आजकल की पीढ़ी को इस मंदिर के बारे में कोई जानकारी नहीं है । इस प्राचीन मंदिर की जानकारी जैसे लोगों तक पहुंची सभी ने उस मंदिर के जीर्णोद्धार करने का बीड़ा उठाया । अगले दिन मनीराम के साथ समस्त गांव वाले मंदिर के लिए चल दिए । रास्ते की झाड़ियों को काटते हुए रास्ता बनाते हुए मंदिर पर पहुंच गए। मंदिर के चारों और जंगल झाड़ी हो गई थी इसलिए शिवलिंग नजर नहीं आ रहा था । साफ सफाई करने के बाद शिवलिंग नजर आ रहा था। जैसे ही लोगों ने शिवलिंग देखा वहां पर हर-हर महादेव हर-हर महादेव........... के जयकारों से संपूर्ण जंगल गूंज उठा। पूरे मंदिर की साफ-सफाई की तो मंदिर की रोनक अलग ही नजर आ रही थी । शिवलिंग की पूजा पाठ एवं अभिषेक किया गया । रोज गांव वालों द्वारा नित्य पूजा पाठ की जाने लगी। इस प्रकार भगवान भोलेनाथ मनीराम के इस काम से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उसके पिछले जन्म में किए गए पाप से मुक्ति दे दी साथ ही उसके परिवार को जीवनदान दे दिया।