नयी-नयी बीमारी Anand M Mishra द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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नयी-नयी बीमारी

कल्याणम चौधरी एक अस्पताल में कार्य करते हैं। उनकी पत्नी अस्पताल में नर्स का कार्य करती हैं। दोनों पति-पत्नी मिलकर काफी पैसा कमाते हैं। दोनों कमाते है तथा अपनी कमाई को बैंक में डाल देते हैं। उपरी कमाई से घर चलता है। किसी बात की चिंता भी नहीं। कोई जिम्मेदारी भी नहीं। आमदनी भी दिन-दूनी रात चौगुनी के हिसाब से बढती जाती है। बैंक में ही इतनी राशि जमा है कि जितना मूलधन पर ब्याज मिलता है उससे कम वेतन मिलता है।

कल्याणम बाबू बहुत शौकीन हैं। उनके शौक ऐसे हैं कि पंडित नेहरु भी शरमा जाएँ। अच्छी गाड़ियों का शौक उन्हें है। किसी सगे-सम्बन्धियों के यहाँ भी जाना है तो काफी कीमती गाड़ी से जाते हैं। वे खाने-पीने के भी शौकीन हैं। परेशानी केवल इतनी है कि जो भी खर्च वे करते हैं वह वेतन से नहीं होना चाहिए। वेतन से यदि एक रुपया भी खर्च हो जाता है तो उन्हें बहुत परेशानी होती है। काफी मन उनका उचट जाता है। उन्हें लगता है कि कुछ बहुत बड़ा नुकसान उनका हो गया है। वेतन की राशि खर्च होने पर काफी झल्लाने लगते हैं।

गर्मी के दिन थे। शादी-विवाह का मौसम था। खर्च भी काफी बढ़ गया था। उनके दोनों बच्चे भी कोरोना महामारी के कारण घर पर ही थे। गर्मी के कारण रात में सोने में काफी परेशानी होती थी। शरीर से पसीना निकलते रहता था। गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी। बच्चे भी एयरकंडीशन लगवाने की जिद कर रहे थे। उन्होंने पहले तो मना कर दिया। लेकिन बाद में जून महीने की भीषण गर्मी से परेशान होकर, तथा पत्नी की जिद से आजीज होकर एक वातानुकूलित यंत्र घर में लगवाने की सोच ली। मन में सोचने के बाद दुकान में आर्डर कर दिया। अगले दिन घर में वातानुकूलित संयंत्र आकर लगा दिया गया।

अब अगले दिन पूरी कॉलोनी में उनके घर के वातानुकूलित संयंत्र की चर्चा थी। आसपास के लोग उनके घर यंत्र देखने के लिए आते रहे। अब इस चक्कर में उनका खर्च बढ़ते जा रहा था। मिठाई-चाय आदि का प्रबंध करना पड़ रहा था। पडोसी भी उनकी इस दरियादिली से चकित थे। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। आखिर में यह हृदय परिवर्तन कैसे हो गया? कल्याणम बाबू इतनी उदारता से कैसे चाय-नाश्ता करवा रहे हैं? यह विचारणीय प्रश्न सभी आगंतुकों के समझ था।

उनकी पत्नी वातानुकूलित संयंत्र पडोसी को दिखाते हुए बोली। बहुत ही सुंदर है। मैंने तो ‘चौधरीजी से दो संयंत्र खरीदने के लिए कहा था। एक हमलोग तो अपने कमरे में लगवा लेंगे लेकिन बच्चों को तो बहुत तकलीफ होगा। आखिर बच्चे कैसे सोयेंगे? उन्हें भी तो अपनी पढाई के बारे में सोचना है। यदि सुविधा नहीं देंगे तो कैसे पढेंगे? अतः इन्हें दो खरीदने के लिए कह रही थी? लेकिन रूपये का भी ख्याल रखना पड़ता है। एक साथ दो-दो संयंत्र खरीदना उतना आसान नहीं है। अब अगले मौसम में बच्चों के लिए खरीदेंगे।

यह कल्याणम बाबू सुन रहे थे। उन्होंने तपाक से अपनी धर्मपत्नी से कहा, “ इसी मौसम में दूसरा भी खरीद लेंगे। यह तो कोरोना की कमाई से ख़रीदा है। अभी इन्द्रधनुषी फंगस भी आ गया है। निश्चित रूप से इस बीमारी के कारण दूसरा भी इसी मौसम में खरीद लेंगे। केवल ईश्वर नयी-नयी बीमारी भेजते रहें।