फ़ोन कॉल Rajesh Mehra द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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फ़ोन कॉल

फ़ोन कॉल
रवि के हाथ पंखे से उसके द्वारा बने फंदे पर थे। वह स्टूल पर खड़ा था। वह जैसे ही फंदे को अपने गले मे डालने लगा तभी उसके फ़ोन की घण्टी बज गए। वह दुविधा में था। घण्टी बजे जा रही थी। बाहर से उसकी पत्नी भी अब ज़ोर से बोली 'आपका फ़ोन बज रहा है उठाते क्यों नही?' रवि ना चाहते हुए भी उतरा और फ़ोन को रिसीव किया।
'सर् में अदिति बोल रही हूँ, ओल्ड एज होम से हमारी संस्था बेसहारा बुजुर्ग लोगों की सहायता करती है। एक बुजुर्ग है जिनकी बाईपास सर्जरी तुरन्त होनी है। क्या आप कुछ सहायता कर सकते है?' फ़ोन पर आवाज आई। रवि अब झुंझला गया। फिर थोड़ा संभला।उसने सोचा मरना तो है ही क्यों न पूरी बात सुनी जाये।
'क्या हुआ उन बुजुर्ग को ?' रवि ने जवाब मांगा।
'सर्, उनके बेटे ने उन्हें छोड़ दिया है अब वो और उनकी पत्नी हमारे ओल्ड एज में ही रहते है उनका कहना है कि यदि वो मर गए तो मेरी पत्नी को कौन संभालेगा इसलिए वो ज्यादा दुःखी रहते है और वो अपनी पत्नी के लिए जीना चाहते है।'
रवि को जैसे आवाज़ दूर से आती हुई सुनाई दी। एक वह था जो थोड़े से कर्ज के लिए आत्महत्या करने जा रहा था और अपने इतने अच्छे माँ बाप, बच्चों और बीवी सिमी को जाने किसके भरोसे छोड़े जा रहा था। उसके पास पैसे नही थे लेकिन स्वस्थ शरीर, माँ बाप बीवी बच्चे तो है। दूसरी तरफ वह बुजुर्ग जिसके पास कुछ नही लेकिन फिर भी वह पैसे इक्कठे कर अपना इलाज करा के अपनी बुजुर्ग पत्नी के लिए जीना चाहता था।
रवि को कुछ नही सूझ रहा था।
दूसरी तरफ से आवाज आई। 'सर् क्या आप कुछ मदद कर सकते है।'
रवि ने कहा कि कल किसी को भेज दो में चेक से कुछ पैसे दे दूंगा।
दूसरी तरफ से धन्यवाद कहा और फ़ोन काट दिया।
रवि की सोच इस फ़ोन कॉल से बदल गई।
उसने फंदा खोला और स्टूल को अपने स्थान पर रख दिया।
वह दरवाजे की कुंडी खोल बाहर निकला।
दोनों बच्चे खेल रहे थे। उसके माँ बाप बालकॉनी में बैठे एक दूसरे से बात कर रहे थे। वह किचन में पहुंचा और उसने सिमी को गले से लगया। सिमी ने पूछा 'क्या बात है, किसका फ़ोन था।'
वह बोला 'जिंदगी का।'
रवि की आंखों की कोर से आंसू निकलने की कोशिश कर रहे थे। उसने सिमी को ओर प्यार से जकड़ा। अब उसके होठों पर हंसी थी। सिमी कुछ समझ नही पा रही थी।


रवि अब जिंदा रह उस कर्ज को उतारने की प्लानिंग कर रहा था।

उसका नजरिया ही उस फ़ोन कॉल से बदल गया। जो आदमी उससे ज्यादा दुःखी हो कर भी जीना चाहता था तो वो क्यों नही जी सकता। जीवन मे उसे फ़ोन कॉल ने उसे बता दिया था कि परेशानी कैसी भी हो उसका उपाय भी निश्चित ही होता है। ऊपर वाला जब कोई परेशानी देता है तो उसका उपाय भी साथ ही बना देता है। रवि ने एक गहरी सांस ली और घर से निकल गया।