मार्क्स - Season-1 - भाग - 6 - अंतिम भाग ARUANDHATEE GARG मीठी द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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मार्क्स - Season-1 - भाग - 6 - अंतिम भाग

सुहाना का अब कॉलेज का फर्स्ट सेमेस्टर कंप्लीट हो चुका था और सेकंड सेमेस्टर रनिंग में था । नादिर तो अपनी बीमारी के चलते अपनी डेढ़ साल की पढ़ाई से वंचित ही रह गया । नादिर अब पूरी तरह से ठीक हो गया था । हॉस्पिटल से चेकअप करवाकर घर आने के बाद , उसके मां बाप ने उसे बहुत प्यार दिया और अपनी गलती भी मानी । नादिर उसके गले लगा और उनसे कहा ।

नादिर - आप दोनों मेरे जन्मदाता है , आपका मेरे सामने माफी मांगना मुझे शर्मीदगी महसूस करवा रहा है । आप लोगों ने जो भी किया , वो अपनी जगह ठीक था । गलती मेरी थी , कि मैं आपकी नसीहतों को सही तरह से समझ नहीं पाया और उसकी वजह से आप सबको इतनी परेशानी हुई । हो सके तो मुझे माफ कर दीजिए आप दोनों ।

इतना कहकर उसने अपने मां बाप के पैर छुए , तो सुप्रिया और संदीप ने उसे गले से लगा लिया और फफक कर रो पड़े । आज उन्हें बखूबी अहसास हो रहा था , कि उन्होंने अपने हीरे से बेटे का दिल दुखाया है , जिसकी वजह से उसके पूरे डेढ़ साल बर्बाद हो गए ।

सभी ने खाना खाया और नादिर सुहाना को लेकर अपने कमरे में आ गया । आज नादिर को अपना रूम कुछ बदला - बदला सा लग रहा था , बहुत दिनों बाद वह अपने घर आया था , और आते ही साथ रूम में चेंज देख वह थोड़ा हैरान रह गया । सारी चीज़ें एक दम सुंदर तरह से सजी हुई थीं । तभी पीछे से सुहाना उसके रूम में आई और उससे कहा ।

सुहाना - कैसा लगा ये चेंज...????

नादिर ( पूरे रूम को बारीकी से देखते हुए ) - किसने किया ये ...????

सुहाना ( थोड़ा घबराते हुए ) - मैंने किया है , तुम्हें थोड़ा सा चेंज देने को । लेकिन अगर पसंद नहीं आया , तो मैं इसे कल ही पहले की तरह रेडी करवा दूंगी ।

नादिर ( सुहाना के पास आया और उसे मुस्कुराकर देखते हुए बोला ) - तुम्हें पता है , अपने रूम का ये लुक देखकर मुझे कितना अच्छा लग रहा है , कि मैं शब्दों में बयां नहीं कर पा रहा हूं । लास्ट टाइम मेरे रूम का लुक तब चेंज हुआ था , जब मैं फिफ्थ क्लास में था । उसके बाद से कभी मौका ही नहीं पड़ा और फिर सारे शौक सिर्फ दिल के अंदर ही कैद हो गए । लेकिन इतने सालों बाद अपने रूम का रेनोवेशन देखकर मुझे काफी अच्छा लग रहा है । थैंक्यू , थैंक्यू सो मच सुहाना ....., फॉर दिस रेनोवेशन ।

सुहाना - बता....., चप्पल से मारूं या फिर हाथ से...??? या फिर कान खींचने से ही चल जायेगा..???

नादिर ( मुस्कुराकर सुहाना को गले लगाकर बोला ) - तू आज भी नहीं बदली , बिल्कुल वैसी की वैसी ही है जैसी स्कूल टाइम में थी ।

सुहाना ( मुंह बनाकर ) - बदलना ही कौन चाहता है नादिर जी , मुझे तो अपना यही बिहेवियर पसंद है , और ये मेरी पर्सनेलिटी को सूट भी करता है ।

नादिर ( उसके गाल खींच कर ) - सो तो है ......।

सुहाना ( अपने गाल छुड़ा कर चिढ़ते हुए ) - आऊच......।
कितना जोर से प्रेस किया । नादिर के बच्चे , मैं आज तुझे छोड़ूंगी नहीं , बहुत मारूंगी तुझे ।

इतना कहकर सुहाना नादिर को मारने के लिए दौड़ी , तब तक नादिर उसकी पहुंच से दूर भाग गया और अब पूरे रूम में दोनो का चूहे बिल्ली का खेल चालू हो गया । जब दोनों थक गए , तो दोनों बिस्तर पर धम्म से गिर गए । फिर एक दूसरे को देखकर जोर - जोर से हंसने लगे । अगले ही पल नादिर उठा और सुहाना का भी हाथ पकड़ उसे उठाया और सीधा बैठाया । सुहाना उसकी तरफ देखने लगी और उसका मुंह ताकने लगी । तो नादिर ने उसके हाथों को खुद के हाथों में थामा और कहा ।

नादिर - मैं तुम्हें जितना थैंक्यू कहूं , उतना कम होगा सुहाना । और ये मैं एक दोस्त होने के नाते नहीं , बल्कि एक इंसान होने के नाते कह रहा हूं । तुमने जो इंसानियत और दोस्ती के नाते मेरे लिए किया है , वो कोई नहीं करता , शायद अपने भी नहीं , इस लिए प्लीज सुहाना , तू मेरा ये थैंक्यू एक्सेप्ट कर ले , मैं तुझे दिल से थैंक्यू कह रहा हूं ।

सुहाना ( अपना एक हाथ नादिर की पकड़ से निकाल कर , उसके हाथ के ऊपर रखते हुए बोली ) - तू अगर इतना इंसिस्ट कर रहा है , तो ये पहली और आखिरी बार मैं तेरा थैंक्यू एक्सेप्ट कर रही हूं , इसके बाद फिर तू कभी ऐसे बात नहीं करेगा , क्योंकि मुझे तू मस्ती करता हंसता खेलता ही अच्छा लगता है । ( नादिर मुस्कुराकर उसे गले लगा लेता है ) अब तू क्या करेगा , और अंकल आंटी को तूने दिल से माफ कर दिया..???

नादिर - उनकी कोई गलती नहीं है सुहाना । उन्होंने सब सही ही कहा , बस उस वक्त हालात अनुकूल नहीं थे , इस लिए उनकी बातों का असर मुझपर गलत हुआ । लेकिन अब मैं सच में बहुत मेहनत करूंगा और एक बेहतर इंसान बनकर दिखाऊंगा , जैसा कि मेरे पेरेंट्स चाहते हैं । और अभी तक जैसे तूने मेरा साथ दिया है , मैं चाहता हूं , तू ऐसे ही जिंदगी के हर मोड़ पर मेरा साथ दे , क्योंकि एक तू ही है , जिससे मुझे हौसला मिलता है और तू ही मुझे अच्छे से संभाल सकती है । बता....., तू देगी न मेरा साथ..??

सुहाना ( मुस्कुराकर ) - हां......, मैं हमेशा तेरे साथ हूं , हर मोड़ पर । ( नादिर मुस्कुरा दिया और सुहाना मन ही मन कहने लगी ) सच नादिर , तेरे जैसा इंसान मैने आज तक नहीं देखा , जो इतना सब होने के बाद भी अपने पैरेंट्स को माफ कर रहा है , तुझसे अच्छा इंसान और बेटा कभी कोई और हो ही नहीं सकता नादिर । मेरी जिंदगी का अगर अनमोल तोहफा कोई है , तो वो तू है । मैं हमेशा तेरे साथ रहूंगी , क्योंकि ऐसी दोस्ती और ऐसा दोस्त बहुत नसीबों बाद मिलता है और मेरा अच्छा नसीब , कि तू मेरी जिंदगी का एक हिस्सा है ।

समाप्त